अन्तर्वासना पर हिन्दी सेक्स स्टोरी पढ़ने वाले मेरे प्यारे दोस्तो,
मैं सोनाली एक बार फिर से आप लोगों के समक्ष एक नई कहानी लेकर उपस्थित हूँ।
मेरी पिछली कहानी
मेरी कामाग्नि
को आप पाठकों द्वारा बहुत सराहा गया तो अब मैं इससे आगे की कहानी आपको बताती हूँ।
मेरे बारे में तो आप जानते ही होंगे पर फिर भी मैं एक बार आपको अपना परिचय दे देती हूँ।
मेरा नाम सोनाली है, उम्र 40 साल है। मैं एक हाउस वाइफ हूँ और अपने पति रवि, बेटे रोहन और बेटी अन्नू के साथ एक खुशहाल जीवन जी रही हूँ।
मेरे शरीर का आकार कुछ ऐसा है कि देखने वालों के मुँह से लार ही टपकने लगे।
मेरा फिगर, मेरा बदन बहुत ही कामुक है, मेरे मम्मे बहुत ही कसे हुए और एकदम गोल हैं, मेरी चिकनी कमर और उभरी हुई माँसल गांड किसी का भी लंड झड़ा सकती है।
साड़ी शॉपिंग
एक बार मैं अपनी सहेली मनीषा के साथ शॉपिंग करने मार्किट गई थी। उस वक्त अन्नू स्कूल गई हुई थी और रोहन भी अपने कोलेज गया था, दोनों को वहाँ से आने में पांच बज जाते हैं और मेरे पति रवि को भी ऑफिस से आने में आठ बज जाते हैं।
अब रोहन के साथ भी मुझे मुश्किल से टाइम मिल पाता था क्योंकि वो सुबह कॉलेज चला जाता था और शाम को ही आता था।
तो दोपहर का समय मुझे अकेले ही काटना पड़ता है इसलिए मैं टाइम पास करने के लिए मनीषा के साथ मार्किट चली गई।
मनीषा मेरे घर के नजदीक ही रहती थी तो हमारी आपस में बहुत अच्छी बनती थी।
मनीषा दिखने में सुन्दर है, उसकी उम्र कुछ 35 साल है और एक अच्छे फिगर की मालकिन है।
हम लोग आपस में बहुत खुले हुए है और हम दोनों के बीच हर तरह की बातें होती हैं।
सेक्सी साड़ी में मेरा अंग प्रदर्शन
शॉपिंग करने के लिए हम लोग एक अच्छी साड़ी की शॉप पर गये थे। वो शॉप मनीषा के किसी दोस्त की ही थी। मैंने काली साड़ी पहनी हुई थी जो कमर से बहुत नीचे बंधी हुई थी और स्लीवलेस ब्लाउज पहना था जो लो कट था।
दुकान पर सब मुझे ही घूर रहे थे। मेरे मम्मों और नंगी कमर पर सबकी निगाहें अटकी हुई थी जिसे मैं बार बार नोटिस कर रही थी।कुछ लोग तो मेरे पास से गुजरने के बहाने मेरी कमर और गांड को छू लेते थे।
मैं भी मूड में आ गई थी और जान बूझकर और उन्हें उकसा रही थी।
देवेश जो दुकान का मालिक और मनीषा का दोस्त था हमें साड़ी दिखा रहा था और सबसे ज्यादा वही मुझे घूर रहा था।
मैं भी उसे अपनी और कुछ ज्यादा ही आकर्षित कर रही थी, साड़ी दिखाते टाइम मैं अपना पल्लू उठाकर ठीक करने लगी जिससे देवेश को मेरे अधनंगे मम्मों के दर्शन हो गए।
मैंने देखा की उसका लंड उसके पैंट में तना जा रहा है और वो उसे अपने हाथों से मसल कर बार बार अंदर दबा रहा था।
मैं उसे बार बार ऐसा करते हुए देख रही थी।
एक बार तो हम दोनों की नज़रे भी आपस में टकरा गई तो हम दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा दिए और फिर से वही सिलसिला शुरू हो गया।
मनीषा ने अपने लिए साड़ियाँ खरीद ली थी पर मुझे अपने लिए कोई पसंद नहीं आई। तो देवेश मुझसे बोला अगर आपको और साड़ियाँ देखनी हो तो आप एक बार गोदाम में चल कर देख लीजिये, शायद आपको पसंद आ जाये।