मेरी चूत गीली होने लगी थी तो उसने उंगली निकाल कर अपने पैंट को उतार दिया और लंड बाहर निकाल कर मेरे हाथों में थमा दिया।
मैंने थोड़ी देर तक लंड को सहलाने के बाद लंड पर ढेर सारा थूक लगा लिया और फिर उसने अपने लंड को मेरी चूत पर लगा कर धीरे धीरे धक्के लगाने लगा।
दो तीन धक्कों में उसका पूरा लंड मेरी चूत में समा चुका था और मैं मस्ती में सिसकारियाँ ले रही थी।
मैं वही काउंटर पर टाँगें फैलाये बैठी थी और देवेश अपने लंड को चूत में अंदर बाहर किये जा रहा था।
अब देवेश ने जोरों के धक्के देना शुरू कर दिए उसका लंड मेरी चूत में अंदर तक जा रहा था जो मुझे मीठा सा दर्द दे रहा था।
मैंने अपने दोनों हाथों से देवेश की कमर को पकड़ लिया था जिससे मेरे नाखून उसकी कमर पर चुभ रहे थे।
मेरे मुंह से आआहह हहहहह आआआ ओऊऊहहह ऊऊऊऊहह हहहह की आवाज़ें निकल रही थी जिसे बंद करने के लिए देवेश ने मेरे मुंह में अपनी तीन उंगलियाँ डाल दी।
उसके धक्कों की रफ़्तार लगातार बढ़ती जा रही थी।
थोड़ी देर उसी तरह चोदने के बाद उसने मुझे काउंटर से नीचे उतारा और मुझे काउंटर की तरफ झुकने को बोला।
मैंने अपने दोनों हाथों को काउंटर पर रखा और देवेश की तरफ पीठ करते हुए झुक गई।
मेरे इस आसन में खड़े होने के कारण मेरी बड़ी गोल गांड देवेश के सामने थी।
देवेश ने अब अपने लंड को पीछे से मेरी चूत पर लगाया और एक ही धक्के के साथ पूरे लंड को मेरी चूत में उतार दिया।
मैं दर्द से कराह उठी इस आसान में मेरी चूत कुछ ज्यादा ही कसी हुई लग रही थी।
देवेश के लगातार धक्कों की वजह से मेरी गीली चूत से पानी निकलने लगा और मैं झड़ने लगी।
झड़ते वक्त मैं अपने एक हाथ से दाने को रगड़ने लगी जिससे मैं और जोर जोर से झड़ने लगी।
देवेश भी अपने चरम पर था और मेरी चूत से निकले हुए पानी के कारण उसका लंड पूरा गीला हो चुका था।
तभी देवेश ने पीछे से ही अपने हाथों से मेरे मम्मों को जकड़ लिया और फिर जोरदार धक्कों के ही साथ मेरी चूत में झड़ने लगा।
उसके वीर्य की लगातार धार मेरी चूत को अंदर तक गीला कर रही थी।
मैं इतनी मदहोश थी कि मुझे इस बात की भी याद नहीं थी कि मनीषा मेरा इंतजार कर रही होगी।
मैं उठी और अपनी पैंटी उठाकर अपनी चूत को साफ करने लगी जिसमें से अभी भी मेरा और देवेश का वीर्य निकल रहा था।
मैंने वो पेंटी उठाकर अपने पर्स में रख ली।
देवेश ने अपने कपड़े पहन लिए थे और मैं उसके सामने अभी तक नंगी थी।
मैंने नई पैंटी पहन कर साड़ी पहनी और फिर जल्दी से खुद को तैयार किया और सीढ़ियों की तरफ जाने लगी।
जाते वक्त देवेश ने मुझे एक अच्छे और स्टाइलिश ब्रा पैंटी गिफ्ट किया और बोला की आप पर ये बहुत अच्छे लगगे।
नीचे दुकान में मनीषा मेरा बहुत देर से इंतजार कर रही थी।
फिर हम लोग वहाँ से कार में बैठकर घर की तरफ आने लगे।
रास्ते में मनीषा मुझसे बोली- तुझे शॉपिंग करने में इतनी देर क्यों लग गई थी?
मैंने कहा- तेरे दोस्त की नज़र मुझसे हटती, तभी तो कुछ शॉपिंग हो पाती।
सहेली ने मुझे चुदते देखा