दिपाली की चुदाई

वोह बोलि थिक हैन और मैनेय सर को एक तरफ़ लगा दिया और दीपलि केय सथ अनदेर अपनेय घर मैन चला गया। मैनेय अपनेय कमरेय मैन जतेय हि अ।स। ओन कर दिया कयोनकि घबरहत केय मरेय मुझे पसिना अ रहा था। फिर मैन अपनेय होनथो पर जबरदसति हलकि सि मुसकन ला कर बोला कि अ ओ जिजि बैथ जओ और बोलो कि कया कहना है और ऐसा कहतेय -2 मैन रौअन सा हो गया तो वोह बोलि दर मत मैन तुझ को मरुनगि या दनतुगि नहि बौ मैन तो येह कहनेय अयि हून कि तु उस दिन छत सेय कया देख रहा था तो मैन अनजन सा बननेय लगा और कहा कि जिजि अप कब कि बत कर रहि है मुझेय तो कुछ धयन नहि है तो उनहोनेय हलका सा मुसकरा कर कहा कि सलेय बनता है और अभि सुनदय को सुबहा छत सेय मुझेय नुनगा नहि देख रहा था? मनिएय कोइ जवब नहि दिया तो वोह बोलि कि कया किसि जवन लदकि को इस तरहा नुनगा देखना अछा लगता है शरम नहि अति तो मैनेय कहा कि जिजि अप हि इतनि खुबसूरत कि अपको उस रोज अपको नुनगा देखा तो मैन अनखेय हि नहि फेर सका और मैन अपको देखता हि रहा। वैसेय मैन बदा हि शरिफ़ लदका हून और अप को हि पहलि बर मैनेय नुनगा देखा हैन। तो वोह हनस कर बोलि कि हन-हन वोह तो देखयि हि देय रहा है कि तु कितना शरिफ़ लदका है जो जवन लदकियोन को नुनगा देखता फिरता है।

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मैने भि झत सेय कहा कि जिजि उस रोज अप तनगो केय बिच बलो को बर-बर कयोन रगद रहि थि तो इस पर वोह शरमा गयि और बोलि धुत कहि जवन लदकियोन सेय ऐसि बत पुछि जति है तो मैनेय पूचा कि फिर किस सेय पूछि जति है तो उसनेय इतना हि कहा कि मुझेय नहि मलूम। अब मैन समझ गया था कि वोह उस रोज देखनेय सेय जयदा नरज़ नहि थि। उस समया तक मेरा दुर कफ़ि हुद तुक कुम होगया था और मेरा लुनद खदा होना शुरु हो गया था।मुझेय फिर मुसति सुझि और मैनेय फिर सेय दीपलि सेय पूछा कि जिजि बतयो ना कि तुम उस रोज कया कर रहि थि? येह सून कर वोह पहलेय तो मुसकरति रहि और फिर एक दुम सेय बोलि कि कया तु मुझेय फिर सेय नुनगा देखना चहेगा? मेरा दिल बहुत जोरो सेय धदकनेय लगा और हलकेय सेय कहा कि हा जिजि मैन फिर सेय अपको नुनगा देखना चता हून। तो वोह बोलि कि कया कभि तुनेय पहलेय भि येह कम किया है तो मैनेय कहा कि नहि तो उसनेय कहा कि अ मेरेय पस अज मैन तुझको सुबकुछ सिखौनगि और येह कहा कर उसनेय मुझेय अपनि बहो मैन जकर लिया और मेरे होनथ चुमनेय लगि। मैनेय भि उस को कस कर पकद लिया और उसकेय होनथ चुमनेय लगा। उसकि जिभ मेरेय मुनह मेन घुसनेय कि कोशिश कसर रशि थि तो मैनेय अपना मोनह खोल कर उसकि जिभ चूसनि शुरु कर दि। इधर मेरा लुनद भि चोत हकये कलेय नग कि तरहा फ़ुनफ़ुना रहा था और पेनत मेन सेय बहर अनेय के लिये मचल रहा था।मैनेय एक हथ बधा कर दीपलि कि तनि हुयि चूचि पर रख दिया और बदि बैतबि के सथ उसको मसलनेय लगा। दीपलि का सरा शरिर एक भत्ति कि तरहा तुप रहा था और हमरि गरम सनसेय एक दुसरेय कि सनस सेय तकरा रहि थि। ऐसा लुग रहा था कि मैन बदलो मैन उदा जा रहा हून।अब मेरे सेय सबरा नहि हो रहा था। मैनेय उसकि चूचि मसलतेय हुये अपना दुसरा हथ उसकेय चूतदो पर रख दिया और उनको बहुत बुरि तरहा मसलनेय लगा।

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