दिपाली की चुदाई

सच दोसतो मैन तो देखता हि रहा गया। दीपलि कि चूचियन एक दुम गोरि और तनि हुयि थि और जैसा कि मैन खयलो मेन सोचता था उस सेय भि अधिक सुनदेर थि। उसकि गोरि चूचियोन केय बिच मेन हलकेय गुलबि रनग केय दो छोतेय-2 सिरसले थे और उनमे बिलकुल गुलबि रनग केय निप्पले थे जो कि बहर को निकलेय थे। उसका सरा शरिर बहुत हि चिकना और गोरा था और तनगो केय बिच मेन तो पुछो हि मत। वहा उसकि चूत पर कलेय रेशमि बल नज़र अ रहेय थे और उनकेय बिच हलकि सि गुलबि रनग कि ददर नज़र अ रहि थि। दरर मेन उपेर कि तरफ़ एक छोता सा चनेय जैसा दना चमक रहा था। वोह उस वकत कपदेय धो रहि थि और उसका सरा धयन उस तरफ़ हि था।दीपलि को इस हलत मेन देख कर मेरा लुनद एक दुम सेय तन कर खदा हो गया मनो वोह इस हसीन चूत को सलमि देय रहा हो। मन कर रहा था कि मैन फ़ोरुन हि वहा पहुच जौ और दीपलि को कस अकर चोद दु पर मैन ऐसा नहि कर सका। मैन कफ़ि देर तक वहा खदा रहा और दीपलि को ऐसे हि देखता रहा और उपेर सेय हि अपनेय लुनद को पकर कर सहलता रहा। मेरि हलत बहुत खरब हो रहि थि। मेरा गला एक दुम सेय खुशक हो गया था कि मैन थूक भि थिक सेय नहि निगल पा रहा था। मेरि तनगेय कनप रहि थि और ऐसा लग रहा था कि मेरि तनगो मेन बिलकुल दुम नहि रहा और मैन गिर जौनगा। मैन इस हलत मेन उसको करिब -2 15-20 मिनुत तक देखता रहा। वोह बर -2 सर झुका कर तनगो मेन अपनि चूत कि तरफ़ देख रहि थि और एक कपरेय सेय चूत केय बलो को रगद रहि थि जिस सेय उसकि चूत केय कुछ बल उतर जतेय थेय। मैं समझ गया कि अज दीपलि अपनि चूत केय बल हैर रेमोवेर सेय सफ़ कर रहि है। मैन उसेय बरेय हि गौर सेय देख रहा था कि अचनक उसकि नज़र मेरेय पर पद गयि और उसनेय एक दुम सेय बथरूम का दरवजा बनद कर लिया।

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येह देख कर मैन बहुत दर गया और छत से निचेय उतर अया। मैन सरेय दिन इसि उधेदबुन मेन लगा रहा कि अगर जिजि इस बरेय मेन पुछेनगि तो मैन कया जवब दूनगा लेकिन कुछ सुझ हि नहि रहा था। मैनेय सोचा कि मैन 2-3 दिन उसको दिखयी हि नहि पदुनगा और उसकेय बद ममला कुछ शनत हो जयेगा और तभि देखा जयेगा कि कया जवब देना है। मैन एक दिन तो दीपलि सेय बचा हि रहा और उसकि नज़रोन केय समनेय हि नहि अया। अगलेय दिन पपा और मुम्मी को किसि के यहन सुबहा सेय शम तक केय लिये जना था और दरिवेर अया नहि था तो पपा नेय मुझको कहा कि मैन उनको सर सेय छोद अयु और शम को वपस लेय अयु। सो मैन उनको सर सेय छोदनेय जा रहा था कि मैनेय दीपलि को अपनि सर कि तरफ़ तेजि के सथ अतेय हुये देखा तो दर के मरेय मेरा हलक खुशक हो गया। मुम्मी पपा सर मैन बैथ हि चुकेय थे सो मैनेय झुत सेय सर सतरत कि और बधा दि। हलन कि मुम्मी नेय कहा भि के दीपलि हमरि तरफ़ हि अ रहि है कहि कोइ ज़रूरि काम ना हो पर मैनेय सुना उनसुना कर दिया और गदि को तेजि केय सथ ले गया। मैनेय मन हि मन सौचा कि जान बचि तो लखो पये और लौत कर बुद्दहु घर को अये। जब मैन पपा मुम्मी को छोद कर वपिस घर अया तो देखा कि वोह हमरेय गते पर हि खदि है जैसेय हि मैनेय सर रोकि वोह भग कर सर के पस अ गयि और मेरेय से बोलि कि सर को भगा कर लेय जनेय कि कोशिश ना करना वरना बहुत हि बूरा होगा और मैन बहुत बुरि तरहा सेय दर गया और हकलतेय हुये कहा कि जिजि मैन खा भगा जा रहा हून और मेरि इतनि हिम्मत हि कहन हैन कि जो मैन अप सेय भग सकु? इस पर दीपलि नेय कहा अभि जब तुनेय मुझेय देखा था तब तो जलदि सेय भग गया था और अब बत बना रहा है। मैनेय कहा कि जिजि मुझ को सर को एक तरफ़ तो लगनेय दो और फिर अनदर बैथ कर बात करतेय हैन।

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