Chachi Aur Didi Ki Lambi Chudai

सोनिया को कुछ फरक नहीं पड़ा। वोह तो बस बे-खबर हो कर सोती रही। मैंने फिर भी अपने को पक्का करने के लिये फिर से उसे जोर से आवाज़ दी और हिलाया पर उसको नींद की गोली के कारण कोई असर नहीं हुआ। मैंने सबसे पहले अपने कपड़े उतारे और पूरा नंगा हो कर सोनिया की नाइटी के आगे के बटन खोलने लगा और एक-एक करके सारे बटन खोल दिये। दोस्तों, उस समय मेरे हाथ काँप रहे थे क्योंकि आज मैं इतनी हिम्मत करके सोनिया का गोरा दूधिया बदन देखने जा रहा था जिसकी पैंटी और ब्रा सूंघ-सूंघ कर खूब मुठ मारा करता था। सोनिया एक दम दूध की तरह गोरी थी और आज से पहले मैं बहुत तड़पा था उसका नंगा बदन देखने के लिये।

नाइटी के सारे बटन खुलते ही उसके मस्त खिलौने नंगे हो गये और मैंने देखा कि सोनिया के निप्पल भूरे नहीं बल्कि पिंक से थे। सोनिया अब सिर्फ मेरे समने एक पैंटी में लेट कर बे-खबर सो रही थी। मैंने झुक के अपने होंठ खोल के सोनिया के गुलाबी निप्पल अपने होंठों में दबा लिये और उसकी जवान, अभी तक अनछूई मस्त बत्तीस साईज़ की चूँची अपने हाथ में भर ली। मीना चाची की बड़ी-बड़ी गदरायी हुई चूचियों को दबाने के बाद जब मैंने सोनिया की चूचियाँ दबाईं, तब मालूम पड़ा कि साली लौंडिया कि चूँची क्या चीज़ होती है। ऐसा लग रहा था जैसे किसी सख्त अनार को पकड़ लिया हो। दूसरा हाथ मैंने सोनिया की पैंटी में डाल दिया और उसकी बूर को अपने हाथों से फील करने लगा। सोनिया की चूत पर मेरा हाथ टच होते ही मैं तो ऐसा गनगनाया कि मैंने सोनिया के मस्त कच्चे अनार छोड़ कर दोनों हाथों से उसकी पैंटी उतारने लगा।

माँ कसम दोस्तों! क्या साली कुँवारी चूत थी मेरी आँखों के सामने। झूठ नहीं बोलूँगा, इच्छा तो यह करी कि उसकी टाँगें खोल के अपना लौड़ा सरका दूँ उसकी कसी चूत में, पर मीना चाची की इन्सट्रक्शन याद आ गयी। सोनिया की चूत कुँवारी होने के कारण उसकी बूर के लिप्स अभी तक खुले नहीं थे, बल्कि बड़े कायदे से एक लाईन में थे और उसके उसने भी मीना चाची की तरह अपनी चूत से झाँटें साफ कर रखी थीं। मेरा तो लौड़ा बुरी तरह से अकड़ गया था।

मैं भी बिना समय गँवाये मौके का पूरा लाभ उठाना चाहता था और मैं पूरा नंगा सोनिया के ऊपर चढ़ गया। मेरा लंड एकदम सोनिया की चिकनी मखमली चूत पर लग गया था। मैंने मारे मस्ती के सोनिया के पूरे नंगे बदन को अपनी बाहों में कस कर भर लिया और उसके नरम रस भरे होंठों पर अपने होंठ रख दिये और तबियत से उन्हें चूसने लगा। सोनिया की चूचियाँ इतनी सख्त थीं कि मेरी छाती में उसके निप्पल चुभ रहे थे और वो कसे हुए अनार जो मेरे सीने से लग कर थोड़े से दब गये थे, बहुत ही प्यारा सुख दे रहे थे। मेरा बदन तो मारे मस्ती के काँप रहा था, और मैंने अपने आप को थोड़ा सम्भालने के लिये एक सिगरेट जलाई और उसके ऊपर अपना लंड घिसने लगा।

शुरू में तो मेरी यह हालत थी कि बस अभी रस निकला, पर बड़ा कँट्रोल करने के बाद मैं अब बड़े आराम से उसकी चिकनी मखमली चूत पर अपना लंड घिस रहा था। दोस्तों! इतना मज़ा आ रहा था कि कलपना करना भी मुशकिल है। सिगरेट खतम होने के बाद मैंने अपने मुँह में उसकी चूँची भर ली और जोर-जोर से चूसना चालू कर दिया। चूचियों का टेस्ट इतना नशीला था कि इतनी देर से रोका हुआ मेरे लंड का लावा पूरा सोनिया के पेट पर निकल गया और मैं भी परवाह किये बिना सोनिया कि तन्नाई हुई चूचियाँ चुसने में लगा रहा। दोस्तों!

मैंने किताबों में सिर्फ पढ़ा था कि जवान चूँची चूसने से लंड तन्ना जाता है पर मैंने तो उस समय खुद अनुभव किया कि मादरचोद मुश्किल से तीन या चार मिनट में फिर से गन्ना बन गया। मैंने उठ कर कपड़े से सोनिया का पेट साफ करा और एक हाथ से अपना लंड पकड़ कर सोनिया के होंठों पर घिसने लगा। क्या सनसनाहट हो रही थी कि मेरा लंड और कस गया।

करीब पाँच-दस मिनट बाद मैंने सोनिया कि टाँगें खोलीं और उसकी जाँघों को चूसता हुआ अपनी जीभ उसकी कुँवारी बूर पर ले गया। मैंने भी अपनी जीभ की धार सोनिया के बूर की दरार पर खूब घीसी। बाद में जब मस्ती बढ़ गयी तब मैंने अपने होंठ पूरे चौड़े किये और सोनिया की मस्तानी चूत अपने मुँह में भर ली और चूसाई चालू कर दी। क्या मादक सुगँध आ रही थी। मैं तो जन्नत में था। करीब आधा घंटा बूर का मज़ा अपनी ज़ुबां से लूटने के बाद मैं उसकी खुली टाँगों के बीच बैठ गया और अपने लंड को एक हाथ से पकड़ कर दूसरे हाथ से अपना सुपाड़ा सोनिया की चूत के लिप्स खोल कर घिसने लगा। थोड़ी ही देर में लौड़ा इतना उबाल खा गया कि इससे पहले मैं रोक पाता सोनिया के खुले लिप्स के उपर ही मेरा लंड झड़ गया। मैंने करीब दो घँटे सोनिया के शरीर के साथ जी भर के खेला, और बाद में फिर से उसे पैंटी पहना कर और नाइटी ढँग से बंद कर के मैं बाहर आ गया और टी.वी. देखने लग गया।

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सोनिया करीब शाम को पाँच बजे उठी और उन ही कपड़ों में मेरे पास आ कर बैठ गयी और बोली “सुनील शरीर बहुत दुख रहा है!”

मैने कहा, “कोई नहीं दीदी थोड़ा सा सुस्ता लो अभी आप ट्रिप से आयी हो इसके लिये थकान ज्यादा हो गयी है!”

सोनिया वहीं पर मेरी जाँघों का सहारा ले कर लेट गयी और सुस्ताने लगी। थोड़ी देर बाद वो उठी और फ़्रैश होने के लिये चली गयी। शाम के साढ़े सात बज चुके थे। मैं मीना चाची के कमरे से व्हिस्की की बोत्तल ले आया और अपने लिये एक पैग बनाया और टी. वी. देखने लगा। इतने में सोनिया बाहर आयी और मुझे व्हिस्की पीते देख बोली, “सुनील तुम कब से पीने लग गये, मैं पापा-मम्मी से तुम्हारी शिकायत कर दूँगी।”

मैंने कहा, “सोनिया दीदी आपकी मम्मी को मालूम है। मैं कभी-कभी उनके साथ छुप कर पी लेता हूँ।” मैंने सोनिया को नहीं बताया कि उसकी मम्मी ने ही मुझे हफ़ते भर पहले पीना सिखाया है। और मेरी प्यारी दीदी आप क्या मेरी शिकायत करोगी!

“सच में? रियली.?” तब सोनिया बड़े ही शरारती मूड में मुझसे बोली, “एक शर्त है! तुम्हें मुझे भी टेस्ट करानी पड़ेगी।”

मुझे तो जैसे मन माँगी मुराद मिल गयी। मैंने कहा “चलो आप बैठो। मैं आपके लिये एक पैग बना कर लाता हूँ।”

मैंने अंदर जा कर तीन पैग के बराबर एक पैग बनाया और बाहर आ कर सोनिया को दे दिया। सोनिया एक दम मेरे बगल में बैठी और पहला घूँट उसने ऐसे पीया जैसे कोई कोका कोला हो। पूरा आधा ग्लास एक झटके में पी गयी। फिर बोली, “क्या सुनील यह तो बहुत स्ट्राँग है!”

मैंने कहा, “कोई नहीं, आराम से एक-एक घूँट भर के पियो. तब आपको मज़ा आयेगा!”

टी.वी. पर रोमाँटिक फिल्म चल रही थी। मैं मीना चाची के रूम से जा कर सिगरेट ले कर आ गया। सोनिया पर अब खुमारी चढ़नी चालू हो गयी थी। मैंने जब अपने लिये एक सिगरेट जलाई तो वो बोली, “सुनील ये तुम्हें को क्या हो गया है, पहले शराब, फिर सिगरेट!”

मैंने कहा, “सोनिया दीदी शराब का मज़ा दुगना हो जाता है स्मोक करने से!”

उसने मेरे हाथों से सिगरेट छीन कर एक जोरदार कश लगाया। पहली बार पीने के कारण उसको खाँसी लग गयी। मैं एकदम घबरा उठा और उसकी पीठ सहलाने लगा और पेट के ऊपर हाथ ले जा कर उसे पीछे आराम से सोफे पर बैठाने की कोशिश करने लगा। नाइटी का कपड़ा चिकना होने के कारण मेरे हाथ फिसल गये और उसकी पूरी लैफ्ट साइड की चूँची मेरे हाथ में आ गयी। सोनिया ने उसका कुछ बूरा नहीं माना और मैं भी उसकी चूँची दबाये हुए सोफे पर पीछे खींच लाया और बोला, “सोनिया दीदी! ऐसे थोड़ी पी जाती है! देखो मैं बताता हूँ कि कश लिया जाता है!”

सोनिया शायद खाँसी से थोड़ा घबरा गयी थी। इस कारण वो मेरी बाहों का सहारा ले कर मेरे आगोश में बैठ गयी। पहले तो मैंने उसे उसका पैग दिया और बोला, “लो एक घूँट लगा लो, थोड़ा सा आराम मिलेगा और फिर एक कश लगाओ।”

दो-तीन बार कश लगाने के बाद सोनिया को मज़ा आने लगा और बोली, “सुनील मुझे एक पैग और दो मुझे बहुत अच्छा लग रहा है!”

मैंने फिर से पहले जैसा पैग बना कर सोनिया को दे दिया। अब वो पैग और सिगरेट तो ऐसे पी रही थी जैसे कब से उसकी आदत हो और अब वो थोड़ा मस्ती में भी आ गयी थी। अचानक उसने मुझसे पूछा, “सुनील! ये लंड क्या कॉक. आय मीन. पेनिस किसको कहते है?”

मैं तो सोनिया के मुँह से लंड सुन कर हक्का बक्का रह गया। मैंने कहा, “आप ये मुझसे क्यों पूछ रही हो?”

सोनिया बोली, “इसलिये पूछ रही हूँ कि मुझे हिंदी के वर्ड नहीं पता बस कॉक दिक पेनिस वगैरह ही पता है! मैंने पहले कभी इन बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। मेरी सहेली संजीदा ने मुझे बताया है कि अपनी पुस्सी में कॉक लेने में बड़ा मज़ा आता है। वो अपनी पुस्सी में अपने नौकर का कॉक खूब लेती है। उसका नौकर इसे लंड बोलता है! बताओ ना सुनील ये पेनिस को ही लंड कहते हैं ना? तुम्हारे पास भी तो होगा, मैं देखना चाहती हूँ!”

मुझे सोनिया के इस बात पर हँसी आ गयी। सोनिया काफी पढ़ाकू लडकी थी और हमेशा फर्स्ट आती थी। मैंने कहा, “आप सहेलियाँ आपस में ऐसे बातें करती हो.?”

तो वो एकदम बोली, “सुनील तुम भी एक दम अनाड़ी हो। मैंने बताया तो था सुबह कि अब की बार ट्रिप पर बहुत मज़ा आया। अबकी पहली बार हम सब ने इस तरह की बातें करी और पता है सुनील? हम चारों को एक रूम मिला था और संजीदा इतनी बदमाश है. उसी ने हम सबको यह सिखाया है। वो ही रात को हमारे सारे कपड़े उतार देती और फिर कहती थी कि एक-एक करके उसके ऊपर अपना बदन घिसो।

मैं सारी सहेलियों में सबसे सुंदर हूँ तो उसने मुझे अपने नीचे लिटा लिया और बोली- सोनिया तुझे तो नंगा देख कर ही किसी का भी लंड झड़ जायेगा, अब तू चुपचाप पड़ी रह और उसने मेरी पुस्सी पर अपना मुँह लगा दिया और अपनी जीभ से चाटने लगी। सुनील बहुत मज़ा आया था। सबसे सुंदर होने के कारण रोज़ तीनों मिल कर मेरे ऊपर चढ़ती थीं और मुझे चूसती थीं। आज मैं जब से सो कर उठी हूँ मेरे पूरे बदन में फिर से वैसी ही बेचैनी हो रही है जो मुझे तब होती थी जब मेरी सहेलियाँ मेरे साथ अपना बदन घिसती थीं।”

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मैंने भी सोचा कि मौका अच्छा है और सोनिया को बोला कि, “मैं आपको अपना लंड दिखाऊँगा तो मुझे क्या मिलेगा?”

सोनिया फट से बोल पड़ी, “जो तुम लेना चाहो।”

मैने कहा, “जो मैं बोलूँगा आपको मेरी बात माननी पड़ेगी और जैसे-जैसे मैं कहूँ वैसे ही आपको करना पड़ेगा। बोलो तैयार हो तो मैं अपना लंड दिखाऊँ।”

सोनिया तो एकदम उतावली हो रही थी। मैंने उसे अपने सामने खड़ा करा और अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिये और अपने दोनों हाथ उसकी पैंटी में डाल कर उसके मस्त चूत्तड़ों को दबाने लगा। सोनिया ने भी अपना मुँह खोल दिया था और मैं बड़े आराम से उसकी जीभ चूसने लगा। थोड़ी देर बाद मैंने अपने हाथ उसकी पैंटी पर से हटाये और उसकी नाइटी खोल दी और उसको सिर्फ पैंटी पहने रहने दिया।

मैंने भी उसको छोड़ के अपने बदन पर अंडरवीयर के अलावा सारे कपड़े उतार दिये। सोनिया को शराब के नशे में होश भी नहीं था कि मैं उसको नंगा कर चुका हूँ। बाद में मैंने उसकी पैंटी उतार दी और उसकी दरार पर अपना हाथ फेरने लगा। जैसे ही मैंने उसकी दरार पर हाथ फेरा तो सोनिया का थोड़ा सा नशा टूटा और वोह बोली, “क्या सुनील तुमने मुझे तो नंगा कर दिया पर अभी तक अपना लंड नहीं दिखाया। यह बात गलत है!”

मैंने जल्दी से अपना अंडरवीयर उतारा और अपना मोटा तगड़ा तंदुरूस्त लंड उसके हाथों में दे दिया। सोनिया को तो मानो लकवा मार गया। वो बोली, “सुनील यह इतना सख्त बड़ा और मोटा कैसे हो गया!”

तब मैंने सोनिया को बड़े प्यार से अपनी जाँघों पर बिठाया और उसकी पुश्त चूचियों को अपने हाथों में भर कर बोला, “मेरी प्यारी दीदी! य़े तो आपको नंगा देख कर इतना बड़ा हो गया है! आपको पता है पुस्सी में को चूत कहते हैं और चूत में जब लंड जाता है तो उसे चुदाई कहते हैं! मर्दों को जब चूत नहीं मिलती और बहुत जोश में होते हैं तो वो अपने हाथ से अपने लंड को कसकर पकड़ लेते हुए आगे-पीछे करते हैं, जिसे मुठ मारना कहते हैं। इस तरह औरते भी जब मस्ती में होती हैं तो वोह अपनी जाँघें चौड़ी करके अपनी उँगली पर थूक लगा कर अपनी चूत के दाने को खूब मसल-मसल के अपनी आग ठंडी करती हैं। कईं औरतें अपनी चूत में गाजर, केला य बैंगन डाल कर अपनी प्यास बुझाती हैं!”

सोनिया हंसते हुए बोली, “सुनील मैं बच्ची नहीं हूँ तुमसे दो साल बड़ी हूँ और सैक्स, फकिंग और मैस्टरबेशन के बारे में जानती हूँ. बस ये हिंदी के वर्ड्स मेरे लिये नये हैं. मैं खुद भी कईं बार मैस्टरबेट करती हूँ. मेरा पूछने का मतलब ये था कि इतना बड़ा और मोटा लंड इतनी छोटी इतनी छोटी कंट. ऑय मीन चूत. ऑय मीन चूत में कैसे जायेगा। संजीदा तो कह रही थी कि लंड सिर्फ़ पाँच-छे इंच लम्बा होता है और करीब एक डेढ़ इंच मोटा होता है!”

मैंने कहा, “आप अभी यह मत सोचो, समय आने पर आप बड़े प्यार से अपने अंदर ले लोगी, और तरसोगी कि और मिल जाये। पर अभी आप वक्त मत खराब करो। अभी आप इसे लॉलीपॉप की तरह अपने मुँह में लेकर चूसो और जब तक मेरा जूस नहीं निकल जाता, आप इसे चूसती रहना और मेरा पूरा जूस पी जाना और मेरे मुँह पर अपनी चूत रख दो। मैं भी आपकी कुँवारी चूत का पानी पीना चाहता हूँ।”

सोनिया को मुँह में लेने में थोड़ी सी तकलीफ हुई क्योंकि मेरा लंड मोटा था और अभी उसका मुँह छोटा था पर धीरे-धीरे सरकाने पर वो बड़े आराम से अपना मुँह ऊपर नीचे करते हुए चूसने लगी। मैंने भी सोनिया के दोनों चूत्तड़ अपने हाथों में ले लिये और उनको मसलते हुए उसकी ताज़ी जवान खुशबूदार चूत पर अपने होंठ चिपका दिये और सोनिया की तरह मैं भी उसकी चूत तबियत से चूसने लगा। करीब आधा घँटा एक दूसरे की चूसाई के बाद मेरा लंड अपनी धार उसके ताजे मुँह में देने को तैयार था और इधर सोनिया का भी मस्ती के मारे बुरा हाल था।

वो अब आगे-पीछे होते हुए मेरे मुँह पर अपनी बूर जोर से घिस रही थी। मैंने उसका सिर अपने हाथ ले जा कर लंड पर दबा दिया और पिचकारी छोड़ दी। सोनिया ने भी लंड बाहर नहीं निकाला और मेरा पूरा जूस पी गयी। मैंने भी अपनी जीभ की स्पीड और बूर की चूसाई तेज़ कर दी और तभी सोनिया ने अपने मुँह से मेरा लंड निकाला और जोर से किलकारी मारते हुए मेरे मुँह में अपना जूस निकाल दिया। हम दोनों थोड़ी देर इस अवस्था में पढ़े रहे और फिर बाद में नंगे ही एक दूसरे की बाहों में सोफे पर बैठ गये और स्मोक करने लगे।

मैंने बड़े प्यार से सोनिया का चेहरा उठा कर पूछा, “कैसा लगा अपने छोटे भाई का लंड और चूसाई? मज़ा आया कि नहीं?”

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