कनाडा में दोबारा ग्रुप सेक्स की मस्ती-1

बात तब की है जब मुझे कनाडा से आये हुए एक वर्ष बीत चुका था और अब फ़िर कम्पनी के ही काम से पतिदेव ने कनाडा जाना था, पर मेरे घर वालों ने ही उन्हें रोक दिया किसी वजह से और मुझे जाने के लिए बोल दिया था।

पर मेरा मेरे पतिदेव से बहुत ज्यादा झगड़ा हो गया था किसी बात को लेकर, वैसे भी झगड़ा तो हर पति पत्नी में होता है, पर मैं कनाडा नहीं जाना चाहती थी।
और डेढ़ माह से मैं पतिदेव से चुदी भी नहीं थी तो उसका गुस्सा भी बहुत था।

रात को जब हम दोनों बेडरूम में थे तो पतिदेव मुझे कनाडा जाने के लिए मना रहे थे पर मेरा बिल्कुल भी मूड हो रहा था जाने के लिये।

अचानक ही पतिदेव ने मेरे गाल पर हल्का सा तमाचा जड़ दिया, मैं चौंक गई।
फिर अचानक उन्होंने 2-3 तमाचे और जड़ दिए, मेरे आँसू निकल आये थे।

तो उन्होंने मुझे कसकर पकड़ा और चुम्बन करने लगे, मैं उनसे छुटने की कोशिश करने लगी, एक बार तो सफल रही, दूसरी बार उन्होंने फिर मेरे गाल पर तमाचा जड़ दिया और फिर कसकर पकड़ा और चूमने लगे।

मैं इस बार भी उनसे छुटने में सफल रही, पर पतिदेव इस बार मुस्कुराये और फिर चुम्बन करने लगे।
पर इस बार मैंने इसका कोई विरोध नहीं किया और ना ही उनसे छुटने की कोशिश की।

उन्हें मुझे नंगी करने की बहुत जल्दी रहती है तो किस करते हुए उन्होंने मुझे पूरी नंगी कर दिया।

अब मैं पूरे डेढ़ माह बाद चुदने वाली थी तो मैं यह सोचकर ही गर्म हो गई।

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तभी पतिदेव ने अचानक मुझे बिस्तर पर लेटा दिया और मेरी चूत को पागलों की तरह चाटने लगे।
मैं भी मजे से उनके बालों पर हाथ फेर रही थी और सिसकारियाँ भी ले रही थी।

चूत को चाटते हुए पतिदेव भी पूरे नंगे हो गए और इसी बीच मैं झड़ गई और पतिदेव सारा रस पी गए।

मुख चोदन
झड़ने के बाद पतिदेव उनके लंड को मेरे मुख के पास लाये, उसे चूसने के लिये कहा तो मैं पति का लंड चूसने लगी, चूसते हुये ही उन्होंने मेरे मुख को चोदना शुरू कर दिया।

जब उनका लण्ड पूरा तन गया तो उन्होंने मेरी दोनों टांगों को मेरे कन्धे से टिक दिया और लण्ड को चूत में फंसाकर सिर्फ 2 धक्कों में ही पूरा लंड चूत में घुसा दिया और लण्ड मेरी बच्चेदानी से जा टकराया।

वे लगभग 5 मिनट तक ऐसे ही मेरी चूत को चोदते रहे, उनका हर धक्का मेरी बच्चेदानी से टकरा रहा था, मैं सिसकारियाँ ले रही थी, और दर्द से चीख भी रही थी।

अब पतिदेव लण्ड चूत में से निकाल कर मेरे मुख को चोदने लगे।
फिर थोड़ी देर बाद उन्होंने मुझे कुतिया बनाया और एक ही झटके में लंड पूरा अंदर तक डाल दिया और मेरी दर्द से फिर चीख निकल गई, तो मैंने चादर को मुँह में फंसा लिया, ताकि चीख बाहर ना जाए।

पतिदेव बेरहमी से धक्के लगा रहे थे, मजा भी बहुत ज्यादा आ रहा था लेकिन असहनीय दर्द भी हो रहा था।

तभी मैं एक बार झड़ गई, मेरी चूत को और मुझे एक ठंडक मिली, चूत गीली होने से अब मुझे भी दर्द कम हो रहा था और लण्ड भी आसानी से अंदर बाहर जा रहा था।

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