नमस्कार दोस्तो,
मैं आपका किशोर एक बार फ़िर हाज़िर हूँ नये अनुभव के साथ ! मैं कितना ठरकी हूँ आप जानते ही हैं।
यह कहानी मेरी भतीजी के साथ यौन सम्भोग की है, वो मेरी दूर की भतीजी है जिसे मैंने उसकी शादी के बाद चोदा!
मेरी भतीजी का नाम सुमन है, वह राजस्थान में हनुमानगढ़ में रहती है। उसकी फिगर को देखकर कोई भी उस पर मर मिट सकता है, इतना मस्त फिगर है उसका 34-30-36, रंग एकदम गोरा है लम्बाई 5’5″ है, पेट बिल्कुल अंदर की ओर धंसा है और इतनी कामुक अदायें हैं कि पूछो ही मत… बाल काले और चूतड़ों से नीचे तक लम्बे हैं।
मैं भी बांका खूबसूरत हूँ और 5’8″ लम्बा जवान हूँ, मेरी उम्र इस समय 29 है।
अब सीधे कहानी पर आता हूँ !
सुमन को मैं पहली बार आज से सात वर्ष पहले किसी शादी में मिला था, उस समय मैं 22 साल का था और वो 18 साल की कमसिन हसीना थी। उसे देखते ही मेरी नज़र उस पर आ गई थी, मुझे वो बेहद पसंद आई और वो भी बार बार मुझे ही देख रही थी!
हमारी आपस में बार-बार निगाह मिल रही थी पर हम शादी के अपने अपने काम में लगे हुए थे, मैं तो उससे शादी के सपने संजोने लगा था!
मेरे चाचा जी की लड़की की शादी थी, उन्हीं दीदी ने मुझे किसी काम से बुलाया। वो भी वहीं आ गई, हम एक दूसरे की आँखों में देख कर मुस्करा दिये पर हम पर बिजली तब गिरी जब उसने (दीदी ने) हमारा परिचय कराते हुए बताया कि वो मेरी दूर की भतीजी लगती है!
हम ऐसे हो गये थे कि ‘काटो तो खून नही!’
खैर दीदी ने कुछ काम बताया, छत वाले कमरे में से कुछ लाना था, तो मैंने जाते समय उसे इशारा किया तो वो भी मेरे पीछे पीछे आ गई।
ऊपर वाले कमरे में किस्मत से कोई नहीं था, उसने आते ही मुझे छेड़ा- बोलो चाचा जी?
मैंने उसका हाथ पकड़ा और बोला- सुमन, मैं नहीं जानता क्या सही है, पर तुम्हें देखते ही प्यार करने लगा हूँ।
वो बोली- प्यार तो मुझे भी है, पर आप मेरे चाचा हो।
मैंने कहा- तो क्या हुआ… प्यार होते समय हमें पता नहीं था, हम अब भी प्यार कर सकते हैं।
उसने अपनी गरदन झुका ली और कुछ नहीं बोली!
मैंने उसे अपनी बाँहों के घेरे में जकड़ लिया। उस समय उसने पंजाबी सूट पहन रखा था! गुलाबी सूट में वो गुलाब का फूल लग रही थी!
मेरी बांहों में वो मोम की तरह पिघलने लगी थी, हम एक दूसरे की आँखों में खो गये थे, पता नहीं कब मेरे लबों ने उसके मुलायम लबों को अपने अंदर समा लिया।
अचानक ही किसी के कदमों की आहट ने हमें अलग कर दिया पर अब तक हम एक दूसरे के हो चुके थे।फ़िर हम दीदी का लहंगा अलमारी से निकाल कर अलग अलग नीचे चले गये!
मैं वहाँ 4-5 दिन और रहा, हम पूरा दिन मस्ती करते रहते! जब भी मौका मिलता हम एक हो जाते और चुम्बन लेते! मैं उसके खूबसूरत गोल, सफेद, बड़े-बड़े उभारों को दबा देता या मौका मिलने पर एक दो बार चूस भी लिया था, पर इससे ज्यादा करने का मौका ही नहीं मिला।
एक दिन तो मेरी बड़ी सगी बहन (जो मेरे साथ आई थी) ने हमें चुम्बन लेते देख लिया पर बोली कुछ भी नहीं!