Bhatiji Ne Jeete Ji Swarg Dikhaya

मेरा एक हाथ उसके मुलायम पेट को सहला रहा था, उसकी नाभि से खेल रहा था और दूसरा हाथ उसके बड़े वक्ष को मसल रहा था।
मैं अपना हाथ उसके डीप कट बलाउज में डालकर उसके एक उरोज बूब को मसलने लगा… कितना मखमली अहसास था आआ आह्हह!

अब वो भी काम वेग से बोझिल हो रही थी, अपना सारा वजन मुझ पर डाल रही थी, मेरे होंठ अब भी उसके कान से होते हुए उसके पीछे गरदन और बड़ी गले की ब्लाऊज से पीठ पर घूम रहे थे, उसके दोनों हाथ मुझे कमर के पास से पकड़ कर खींच रहे थे, उसकी आँखें बँद हो चली थी और वह अपने होंठों काट रही थी।

मेरा लिंग कपड़ों को चीर कर उसमें घुसने की नाकाम कोशिश कर रहा था!

मैंने उसकी साड़ी को पीछे से ऊपर उठा दिया, देखा कि उसने पेंटी नहीं पहनी थी, मेरी पेंट की जीप खोल कर मैंने लिंग उसके चूतड़ों की दरार में चिपका दिया।
मेरे लिंग की गर्मी उसे पागल कर रही थी।
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इसके साथ ही मैंने दायें हाथ से उसके आगे की साड़ी उठाई और उसकी चूत पर हाथ लगाया।
‘ऊम्म्म्म आअह ह्हह…’ क्या मुलायम फूली हुई क्लीन शेव चूत थी, मेरी पयारी सेक्सी भतीजी की चिकनी चूत बिल्कुल गीली हो चुकी थी और उसका रस जांघों पर फैलने लगा था!

अब वो एकदम पलटी और उसका मुँह मेरे मुँह के बिल्कुल सामने था, उसकी आँखें वासना से लाल हो चुकी थी, लबों से रस टपक कर आने को आतुर लग रहा था, उसका चेहरा गुलाबी हो गया था, ऐसा लग रहा था कि दूध में केसर उढ़ेल दिया हो।

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उसके कामुक जिस्म की मादक खुशबू ने मुझे पागल कर दिया था, अब मेरे लबों ने उसके लबों को चूसना शुरू कर दिया, उसकी जीभ मेरे मुँह में आ गई जो मिश्री सा मीठा स्वाद दे रही थी।

मेरे दोनो हाथ उस कामदेवी का चेहरा थामे हुए थे कि अचानक उसके पति के लड़खड़ाते कदमों की आहट हुई और हम अलग हो गये। रमेश लडखड़ाते हुए रसोई में आया।
‘आ गये आप? चाचाजी बैठे बोर हो रहे थे तो किचन में आ गये बात करने!’
यह सुमन की आवाज़ थी।

फ़िर हम वापिस बरामदे में आ गये, रमेश ने जैसे तेसे खाना खाया और सोने चला गया।

हम फ़िर अकेले हो गये, उसने मेरा बिस्तर अपने ससुर के कमरे में लगाया जहाँ दो सिंगल बेड पड़े थे, जिसमें से एक मुझे दिया।
यह कमरा उसके कमरे से लगभग सामने था।

मैं फ़िर उसके नज़दीक जाने लगा तो उसने मना कर दिया, बोली- चाचा जान, ना छेड़ करो, थोड़ा सब्र करो, फ़िर मैं आपकी ही हूँ!
अब तो एक एक पल एक साल सा गुजर रहा था।

फ़िर उसने बर्तन साफ किए और बाकी काम करके अपने कमरे में चली गई।

करीब एक घंटे के बाद वो मेरे कमरे में आई और बताया कि उसका पति रात में दो बजे से पहले कभी नहीं उठता। और फ़िर भी वह बाहर से कुंडी लगा आई है!

वो नहा कर आई थी, गुलाबी बदन पर उसने पर्पल नाईटी पहनी थी, क्या कयामत लग रही थी!
मैं तो पहले ही अपने कपड़े उतार कर सिर्फ अंडरवियर में था।

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वो तो जैसे कामवासना की अग्नि में जल रही थी, उसने अंदर से कुंडी लगा दी और सीधे मेरे ऊपर लेट गई थी, उसकी चूत को मेरा लन्ड रगड़ रहा था।
उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी, उसके हाथ मेरे सिर को सहला रहे थे!
उसका पूरा शरीर तप रहा था।

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