वो हाँ में सिर हिलाने लगा. मैंने अपनी कामिनी दुस्त माँ को बुलाया. ‘ये मेरा दोस्त है संजय! इसे कमरे में ले जाकर खुश कर!’ मैंने कहा. संजय का लंड ही खड़ा हो गया था. मेरी सौतेली माँ ना नुकुर करने लगी. मैंने उसे आँखें दिखाई ‘ छिनाल!! क्या तुम कल वाली मार भूल गयी’ मैंने कहा. वो डर गयी. कुछ देर बाद मैंने कमरे में झांक के देखा को मेरा दोस्त मेरी विधवा सौतेली माँ को ले रहा था. वो दुस्त औरत नंगी थी. संजय उनके दूध को अपना मुँह लगाकर पी रहा था. और जोर जोर से फटके मार् के वो उसको चोद रहा था. संजय ने मेरी माँ को खूब लिया और जब बाहर निकला तो वो अति प्रसन्न दिख रहा था.
‘यार आदित्य!! ये ले हजार रुपए. तेरी माँ तो बड़ी गजब की माल है. मैं कल इसको एक बार और लूँगा!!’ वो बोला.
फिर तो दोस्तों सिलसिला ही चल निकला. मैं अपने दोस्तों से ५०० ५०० रूपए ले लेता और अपनी सौतेली माँ को खूब चुदवाता. अब वो पूरी तरह से मेरी पालतू कुतिया बन चुकी थी. मैं उससे हर दिन धंधा करवाने लगा. मेरा बाप का सारा पैसा जो उसने खर्च करवा दिया था और अपने लिए सोने के गहने बनवा दिए थे. वो पैसे मैंने दोबारा बैंक में जमा कर दिए. मैंने अपनी माँ से खूब धंधा करवाया. जब भी मुझे चूत की जरुरत होती थी मैं अपनी माँ को पेलता था. फिर मैंने उससे शादी कर ली. वो उम्र में मुझसे १० साल बड़ी थी पर मुझे इससे कोई फर्क नही पड़ता था. आज मैंने अपनी सौतेली माँ के साथ सुहागरात मनाई. उसे इससे पहले मेरे बाप ने चोदा था, फिर मैंने लिया था, फिर मेरे दोस्त संजय ने लिया था. फिर मेरे और दोस्तों, ने लिया था, पर आज भी मेरी सौतेली माँ बड़ी टंच माल थी. मैं आज उसके साथ सुगाहरात मनाई. ये कहानी आपको कैसी लगी नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पर अपना जवाब लिखना ना भूलें.