आफरीन की मस्त चुदाई-1

हाल अभी भी खाली ही था.. आफरीन ने मुझसे पूछा- तुम्हारी कोई गर्ल फ्रेण्ड है?
मैंने उससे बोला- नहीं..
उसकी आँखों में मुझे कुछ अलग सी चमक लगी।

फिल्म स्टार्ट हो गई और हम पहले से भी ज़्यादा क्लोज़ होकर बैठ गए।
फिल्म में एक सेक्सी सीन आने लगा.. उसने मेरे हाथ पर अपना हाथ रख दिया। मेरे पूरे बदन में एक अज़ीब सा झटका लगा.. मुझे मज़ा आ रहा था।
मैंने उसके हाथ को और कस के पकड़ा और उसके चेहरे की ओर देखा।

पहला चुम्बन
वो बस मुझे ही देख रही थी.. मैंने हिम्मत करके उसके दोनों कन्धों पर हाथ रखा और उसे किस करने लगा।

पहले तो उसने मुझे अच्छा रिस्पॉन्स नहीं दिया.. पर बाद में उसकी वासना की आग से मुझे भी जलन सी होने लगी।
मेरी पैन्ट में मेरा लण्ड उठने लगा.. वो और भी टाइट होता जा रहा था।

मैं आफरीन को बेतहाशा चूम रहा था. कभी होंठों को.. कभी उसके गालों को.. और कभी उसकी गर्दन को..
हम दोनों भूल चुके थे कि हॉल में और कोई भी है।

मैंने किस करते-करते अपना हाथ उसके चूचे पर रख दिया। उसने झटके से मेरा हाथ हटा दिया.. मुझे अज़ीब सा लगा।
मैं फिर से फिल्म देखने लगा.. फिर हम नॉर्मल हो गए।

कुछ देर बाद फिल्म खत्म हो चुकी थी। सब बाहर जाने लगे.. हम भी आ गए।

हम दोनों एक-दूसरे से नज़रें नहीं मिला पा रहे थे।
मुझे थोड़ा गुस्सा भी आ रहा था.. पर मैं उसके दिल का हाल जानता था.. तो कोई बात मन में नहीं थी।

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ऑफ़िस गर्ल के घर में
हम अट्टा मार्केट में घूमते रहे.. शाम को लगभग 6.45 का टाइम हो गया था।

उसने कहा- घर चलते हैं..
मैंने भी ‘हाँ’ कह दी।

मैंने कहा- चलो मैं तुम्हें ड्रॉप कर देता हूँ। फिर मैं भी घर चला जाऊँगा।
उसने कहा- ठीक है।

अब हम एक-दूसरे को देख कर मुस्कुरा रहे थे।
इस बार वो बाइक पर मुझसे और भी क्लोज़ होकर बैठी थी। उसके गोल-गोल मस्त मम्मे मेरी पीठ पर टच हो रहे थे। मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया था।

कुछ ही देर में हम दोनों उसके रूम पर आ गए।
वो बोली- आ जाओ.. एक कप चाय तो पी लो।

मैंने ‘हाँ’ कर दी क्योंकि उसकी रूममेट 8.30 बजे तक आती थी.. जिससे उसे भी कोई दिक्कत नहीं थी।

हम दोनों अन्दर आए.. मैंने देखा वो एक वो वन बीएचके का फ्लैट था। कमरे में अन्दर उन दोनों के कपड़े इधर-उधर पड़े थे.. जिसमें उनकी ब्रा और पैन्टी भी थीं।

उसने जल्दी से सब हटा दिए और बोला- मैं चाय लेकर आती हूँ.. तुम बिस्तर पर बैठो।

मैंने उसे चाय के लिए मना कर दिया और उठ कर उसका हाथ फिर से पकड़ लिया।
मैंने कहा- आज की बात का बुरा मत मानना.. मैं तुम्हें उस नज़र से नहीं देखता.. जो कि तुम सोचती हो।
उसने मुझसे कहा- नहीं सैंडी.. ऐसा कुछ नहीं है.. अब मुझे तुम पर भरोसा है।

उसने मेरे हाथों को और ज़ोर से पकड़ लिया.. मेरा हाल और बुरा हो गया।

मेरा लंड पैन्ट में टेंट बना जा रहा था.. जिसे उसने देख लिया।
वो फिर से हँस दी।

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अब मैंने झटके से उसे बाँहों में भर लिया और अपनी पकड़ और टाइट कर दी। उसके मम्मे मेरे सीने से टच होने लगे थे.. हमारी गरम सांसों को हम महसूस कर सकते थे।
मेरा लंड भी अपनी जगह बना रहा था।

वो और मैं एकदम शांत हो गए थे।
इस बार उसने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए। मैं तो सकपका गया.. इतनी मस्त किस आज तक नहीं की थी।
अगले ही पल हम दोनों एक-दूसरे को बेतहाशा चूम रहे थे।

अगले भाग में चूत चुदाई की पूरी दास्तान लिखूंगा।

आप अपने ईमेल जरूर भेजिएगा।

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