आफरीन की मस्त चुदाई-1

मैं अपनी ग़लती पर पछता रहा था।
मैंने फिर से ट्राई किया- चलो चलते हैं।
उसने मुझे देखा और बोला- मैं बाहर वेट कर रही हूँ.. जल्दी आना।

मैंने अपने एचआर से अपना और उसका हाफ-डे लिया और बाहर आ गया। मैंने अपनी बाइक निकाली। वो ऑफिस के बाहर मेरा वेट कर रही थी।

मैंने उसे बैठने को बोला.. तो वो बाइक पर बैठ तो गई.. पर हमारे बीच काफ़ी स्पेस था।
मैंने कहा- सही से बैठो वरना गिर जाओगी।

वो कुछ और नजदीक हो गई, हम दोनों चल दिए.. अब मैं जब भी ब्रेक लगाता.. वो मुझसे चिपक जाती।
मुझे भी मज़ा आ रहा था।

अब मेरे दिल में उसके लिए ग़लत ख्याल आने लगे थे।
आख़िर मैं भी एक लड़का हूँ.. कब तक कंट्रोल करूँ।
रास्ते में हम बातें करते रहे।

उसने मुझे बताया कि वो एक लड़के से प्यार करती थी.. जिसके साथ उसका रिश्ता 2 साल से था.. वो दोनों शादी की प्लानिंग कर रहे थे.. पर कुछ दिनों पहले उस लड़के ने ब्रेक-अप कर लिया था।
उसका कारण था कि उसकी शादी किसी और से हो रही थी।

आफरीन ने बुझे मन से कहा- मैंने अपना सब कुछ उसको दे दिया.. यहाँ तक कि मैंने अपने घर वालों की भी नहीं सुनी थी। पर आज मेरे साथ कोई भी नहीं रह गया।

वो नोयडा में पीजी में अपनी एक फ्रेण्ड के साथ रहती थी। बातें करते-करते हम सेक्टर 18 आ गए और जीआइपी मॉल में हमने फिल्म देखी।

उधर कोई अच्छी मूवी नहीं लगी थी.. तो मैंने हॉलीवुड की एक मूवी का टिकट ले लिया और मैंने कॉर्नर सीट के लिए रिक्वेस्ट किया। उस वक्त 2.30 बजे थे.. तो इतनी पब्लिक नहीं थी।

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टिकट भी जल्दी मिल गया और हम अन्दर अपनी सीट पर आ गए। अभी तक मैंने कुछ सोचा नहीं था.. पर जब फिल्म स्टार्ट हुई तो हॉल में बिल्कुल अंधेरा हो गया था। हॉल में हमारे आगे की सीटों पर कुछ गिने-चुने ही लोग थे।

हम फिल्म देख रहे थे.. पर मेरा मन नहीं लग रहा था, मैं बस उसे ही बार-बार देखे जा रहा था।
उसने मेरी ओर देखा तो मैंने झट से अपनी नज़रें हटा लीं।

वो बोली- तुम कुछ कहना चाहते हो।
मैंने हिम्मत करके बोल दिया- आइ लाइक यू..
तो वो हँसने लगी और बोली- यार तुम लड़के भी ना सब ऐसे ही होते हो..

मैंने फिर कुछ नहीं बोला और गुस्से से फिल्म देखने लगा। कुछ देर बाद उसने बोला- संदीप क्या हुआ..
मैंने कहा- कुछ नहीं..
तो वो फिर से बोली- कुछ तो बोलो..
मैंने कहा- यार, तुम मुझे भी शायद उन लड़कों में गिनती हो.. जो ग़लत ही सोचते हैं.. पर मैं ऐसा नहीं हूँ और आज के बाद में फिर कभी तुमसे इस बारे में बात नहीं करूँगा।

इतने में इंटरवल हो गया.. सब बाहर जाने लगे तो मैं भी गुस्से में उठ गया। उसने मेरा हाथ पकड़ कर वापस बिठा लिया और बोली- बैठो.. मैं तुमसे कुछ बात करना चाहती हूँ।
मैंने थोड़ा इतराते हुए बोला- क्या कहना है?

वो बोली- यार सैंडी.. मैं आजकल बहुत टेंशन में रहती हूँ.. तुम जानते तो हो..
मैंने उसके हाथों को और जोर से पकड़ा और कहा- मैं उन लड़कों की तरह नहीं हूँ.. और हाँ मैं तुम्हें हाथ तक नहीं लगाऊँगा।

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फिर वो कुछ नहीं बोली और हम दोनों बाहर चल दिए। हमने कुछ स्नेक्स और कोल्ड ड्रिंक्स ली और फिर से वापस अपनी सीट पर आ गए।

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