हेलो दोस्तों, आज की ये गे सेक्स स्टोरी पाकिस्तान के पेशावॉर से मेरे दोस्त की सॅकी कहानी है. बाकी की स्टोरी उसकी ही ज़ुबानी शुरू करते है.
मेरा नाम रायन हूसेन है. मेरी उमर आज 26 साल है. ये कहानी तब की है, जब मैं 19 साल का था. तब मैं बहुत शरारती था, गोरा बदन, लंबे काले बाल, जिस्म बिल्कुल चिकना, पिंक लिप्स और निपल्स, ना ज़्यादा मोटा ना ज़्यादा पतला, एक आवरेज जिस्म था मेरा. हाइट 5.6 फीट.
तो बात उस टाइम की है जब मैं हमारे ही मोहल्ले के मेरे दोस्त के पापा से टुटीओन पढ़ने जाता था. मेरा दोस्त करीम बहुत इंटेलिजेंट था, इसलिए वो हमेशा मेरे से पढ़ाई में अछा ही रहता था. बस मेरा ही पढ़ाई में ध्यान नही था. रोज़ मेरे दोस्त के वॉलीड (पापा) मुझे पढ़ने के लिए बहुत समझते, लेकिन मेरी अकल में कुछ घुसता ही नही था.
करीम के पापा का नाम अज़हर था, वो पठान थे, आगे 45, जैसा एक मर्दाना पठान होता है, बिल्कुल वैसा ही बदन और लंबाई थी उनकी. हमेशा अपनी दाढ़ी और मूच को सेट करने और नये-नये कुर्ते पहनने का शौंक था उनने. टोटल मिला कर कहो तो कोई बोल नही सकता की वो 4 बच्चो के बाप थे.
मेरे 3 भाई और एक बेहन है, जिसकी शादी हो गयी थी, और सभी भाई काम की वजह से दूसरे शहर रहते थे. इसलिए टुटीओन मैं अकेले ही जाता था. वाकेशन्स शुरू हो गये थे. आज टुटीओन जाने का भी मूड नही था. लेकिन अब्बू ने गुस्सा करके मुझे जाने को बोल दिया.
नेक्स्ट दे मैं करीम को खेलने के लिए बुलाने उसके घर गया. आज वाकेशन का फर्स्ट दे था. आज से डेली खेलना और मस्ती करना, बस फुल मज़े ही मज़े. करीम के घर में आज बहुत शांति थी. पता नही सब कहाँ गये थे? मैं करीम को देखते-देखते उपर वाले रूम के पास आ गया, जो उसके पापा का रूम था.
तभी मुझे लगा शायद करीम कहीं गया हुआ था, तभी दिख नही रहा. मैं वापस जाने के लिए पीछे हुआ तो तभी मुझे किसी की आवाज़ आई. मैं तोड़ा आयेज जेया कर रूम की विंडो के होल से देखने लगा.
अर्रे बहनचोड़, मेरी तो आँखें ही फाटती की फाटती रह गयी. अज़हर अंकल अपनी वाइफ को मस्त घोड़ी बना कर छोड़ रहे थे.
अज़हर: रायन था, अब गया जानेमन. साली तेरे पीरियड की वजह से कितने दिन से लोड्ा बेताब हो रहा था.
मुझे अज़हर अंकल की गांद ही दिख रही थी. बालों से बारा हुआ था पूरा बदन, क्या मस्त चुदाई कर रहे थे. थोड़ी देर बाद दोनो साइड खड़े हो कर एक-दूसरे को शायद किस करने लगे. मुझे होल से उनके फेस कुछ सॉफ नही दिख रहे थे.
करीम की मा भी कुछ कम नही थी. गोरा बदन, मोटे-मोटे तरबूज़ जैसे चुचे, छूट भी एक-दूं सॉफ कर रखी थी, और पूरी गीली हो रखी थी. जांघों तक पानी आ रहा था छूट से. गांद भी क्या मस्त फूली हुई थी. लग रहा था की रोज़ गांद और छूट की ठुकाई एक साथ होती होगी.
अज़हर अंकल की तो बात ही मत पूछो. उनका लोड्ा कम खंबा ज़्यादा लग रहा था, 8 इंच लंबा और मोटा. उनके लंड करीम की मा के हाथ जितना लग रहा था. पता नही इतना लंबा आंटी ले कैसे रही थी? अज़हर अंकल ने सीधे खड़े-खड़े आंटी को गोद में उठा लिया, और अपना खंबे जैसा लोड्ा उनकी छूट में डाल दिया.
आंटी: आअहह कितनी बार फाड़ चुके हो. फिर भी हमेशा पहले जैसा ही दर्द देते हो.
अज़हर अंकल चुदाई के गुरु थे. क्या मस्त छोड़ रहे थे. मेरा भी लंड खड़ा हो गया था. मैने भी वहीं अपने लंड को हिलना शुरू कर दिया. 5 मिनिट तक ये सब ऐसे ही चलता रहा. तभी अज़हर अंकल ने आंटी की छूट से लोड्ा बाहर निकाल कर सारा माल बाहर निकाल दिया. फिर वो दोनो एक-दूसरे को गले मिलने लगे.
मैने भी हिला-हिला कर अंकल की दीवार सफेद कर दी. कोई मुझे देख ना ले, इसलिए जल्दी से मैं बाहर आ गया, और अपने घर चला गया. मुझे शाम को 3 बजे टुटीओन जाना था. आज फर्स्ट टाइम मुझे टुटीओन जाने का बहुत मॅन कर रहा था. मैं बार-बार अंकल के लोड के बारे में ही सोच रहा था. इतना बड़ा भी हो सकता है क्या किसी का? अंकल के बारे में सोचते-सोचते मैने 2 बार अपना पानी भी निकाल लिया था.
आज मैं 2:45 पर ही टुटीओन पहुँच गया. अज़हर अंकल ओन्ली पाजामे में बैठे हुए थे. उपर बालों से भारी छाती को देख मैं फिर से मॉर्निंग वाला सीन याद करने लगा.
अज़हर: आज इतना जल्दी कैसे बच्चू?
मैं: बस घर पर बोर हो रहा था.
अंकल कुर्ता पहनते हुए बोले: सुबह तुम करीम को पूच रहे थे ना? वो तो अपनी मा के साथ नानी के गया है.
मैं सोच में पद गया: मा के साथ गया है? तो फिर वो कों थी?
तभी रूम में से करीम की बड़ी मा आई (करीम के टॉ जी की वाइफ)
मैं: आप नही गयी क्या?
अज़हर: नही, भाभी नही गयी. वो भाई साहब कल आएगे, तब जाएँगी ये. क्यूँ तुम ऐसा क्यूँ पूच रहे हो.
अब मुझे सब समझ में आ गया था, की मॉर्निंग में अज़हर अंकल किसे छोड़ रहे थे. करीम को तो पता भी नही था, की उसके पीछे ये क्या हो रहा था. अचानक मुझे अज़हर अंकल पर तोड़ा गुस्सा आ रहा था. लेकिन बाद में मैने खुद को समझा लिया.
छुट्टी टाइम पर अज़हर अंकल ने मुझे बहुत सारा होमे वर्क दिया और बोले: तेरे अब्बू ने तेरी पढ़ाई पर ख़ास ध्यान रखने के लिए बोला है, इसलिए तुझे कल सनडे को भी आना है. अगर ये कल नही हुआ तो सज़ा के लिए रेडी हो जाना. और हा, कल तो करीम को देखने नही आओगे ना?
मुझे कुछ समझ नही आया वो ऐसा क्यूँ बोले. चलो जाने दो.
“यार मेरे अब्बू भी ना वाकेशन भी एंजाय नही करने देते”, ये सोचते-सोचते मैं घर आ गया. नेक्स्ट दे मैं अज़हर अंकल के घर गया. वहाँ नीचे मुझे करीम का चाचा (अकरम) मिला-
अकरम: आज तो भाई साहब बड़े गुस्से में है. ध्यान से पढ़ाई करना.
मैं: क्यूँ दर्रा रहे हो आप भी मुझे?
अकरम नेचर के हासमुख था, और स्विम्मिंग का कोच था. हमे हमेशा दोस्त की तरह से बात करता था. हॉट और सेक्सी तो एक-दूं अज़हर जैसा ही था. मर्द तो सारे ही हॉट थे उनके परिवार में.
मैं फिर उपर रूम में गया. अज़हर अंकल ब्लॅक कुर्ते पाजामे में सोफे पर बैठ कर न्यूसपेपर पढ़ रहे थे. थोड़ी देर वो कुछ नही बोले. फिर कुछ देर बाद-
मैं: आज कोई दिख नही रहा?
अज़हर: भाभी और भाई सब गये है. कल बताया तो था, और तुम्हे होमवर्क के लिए बोला है, या फिर इधर-उधर की बात करने के लिए?
आज अंकल बिल्कुल भी बात करने के मूड में नही थे. मेरा होमवर्क भी पूरा नही हुआ था. नॉर्मली वो बोल कर माफ़ कर देते थे. लेकिन आज ऐसा लग नही रहा था.
अज़हर: तुम्हे हमेशा प्यार से समझा-समझा कर मैने सर पर चढ़ा लिया है. लेकिन आज नही.
अंकल ने मुझे क्या सज़ा दी, और इसके आगे इस गे सेक्स कहानी में क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा.