जेठ जी से चूड़ने की मजबूरी
जब हवस की मौजें बन सैलाब बड़ी ऊँची उठ जाती हैं,मर्दानगी तगड़ी जब रूप के अम्बार से मिल छलकाती हैं। जब बदन की ज्वाला दावानल बन बेकाबू हो जाती हैं,तब अभिसारिका बन औरत कई मर्दों से चुदवाती है।। कैसे खुश होगी शमा एक परवाने की कुर्बानी से,धधकती यह ज्वाला कैसे बुझ जायेगी आसानी से। प्यार …