गुल की मोहब्बत
ये कोई कहानी नही बल्कि मेरे जीवन का हिस्सा है. इसे मैने बिल्कुल वैसा ही लिखा है जैसे ये बिता. इसमे केवल प्रेम है, विशुद्ध प्रेम. यह मोहब्बत है गुलनाज़ की. खत-खत, खत-खत, दरवाजे पर दस्तक हुई तो मैं उनिंदा सा उठा, दरवाजा खोला तो सामने वो खड़ी थी. झट से मैने पूछा की कौन …