शादी से पहले मेरी सुहागरात

अब उन्होंने अपना लंड मेरे मुँह में डालना चाहा लेकिन मैंने मना कर दिया। उन्होंने भी इसके लिए ज़िद नहीं की, बोले- आज तुम्हारी सुहागरात है, हम वही करेंगे जो तुम्हें अच्छा लगे।

उन्होंने एक बार फिर मेरे पूरे बदन को चूमा और अपनी एक उंगली गीली करके मेरी चूत में डाल दी।
मैं चिहुंक उठी।
वो धीरे धीरे चूत में उंगली अन्दर बाहर कर रहे थे, मुझे एक असीम आनन्द का एहसास हो रहा था, मेरे पूरे बदन में सरसराहट हो रही थी। चूत अब तक पानी पानी हो चुकी थी और लंड लेने के लिए बेचैन थी।

मैं कुछ बोल नहीं पा रही थी लेकिन अन्दर से आवाज़ आ रही थी- अब चोद दो यार, क्यों तड़पा रहे हो।
मैंने उनका लंड पकड़ लिया जिससे वो समझ गए कि लोहा पूरा गर्म है। उन्होंने अपने लंड पर क्रीम लगाई और मेरी चूत के होंठों को खोलकर लंड को उस छोटे से छेद पर रख दिया जिसने अभी तक किसी लंड का स्वाद नहीं चखा था।

वो लंड को मेरी चूत के होठों के अन्दर रगड़ रहे थे। मेरी चूत अब ऐसे आग उगल रही थी जैसे दो पत्थरों को रगड़ने से निकलती है।चूत अब लंड को निगल जाना चाहती थी।

वो मेरी तड़प समझ रहे थे, चूत के होठों का कम्पन मैं महसूस कर रही थी।
फिर उन्होंने मेरे बूब्स को दबाते हुए मेरे होंठ अपने होंठों से बंद कर दिए और लंड का दबाव मेरी चूत पर बढ़ाने लगे, लंड धीरे धीरे मेरी चूत में समाता जा रहा था।

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मेरी फटी जा रही थी और वो इस बात की परवाह किये बिना चूत पर लंड का दबाव बढ़ाते जा रहे थे।
मेरा दर्द से बुरा हाल था, मैं चाहती थी कि वो लंड को बाहर निकाल लें।

मैं पैर पटक रही थी, चिल्लाने की कोशिश कर रही थी लेकिन मेरे होंठ पहले से सिले हुए थे।

करीब तीन इंच लंड अन्दर गया होगा तब उन्होंने दबाव बढ़ाना बंद किया और लंड को उसी जगह पर रोक दिया और मेरे होठों को छोड़ दिया।
मेरी आँख से आंसू आ रहे थे।

उन्होंने मुझे देखा और मेरे आंसू पी गए। यह देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा और मैंने उनके होठों को चूस लिया।

अब मेरी चूत का दर्द भी सहने लायक हो गया था। वो भी समझ चुके थे कि बाकी की चढ़ाई करने का समय आ गया है।
इसके बाद वो लंड को चूत से बाहर निकाले बिना चूत पर दबाव बढ़ाते चले गए और उनका छः इंच का लंड पूरा चूत की गहराई में समां गया।

मैं दर्द से तड़पने लगी, मुझे लग रहा था कि आज मेरी जान निकल जाएगी।
लेकिन वो इस बात को अनदेखा करते हुए चूत में समां जाना चाहते थे।

थोड़ी देर में मेरा दर्द कुछ कम होने लगा। उन्होंने अब चूत में धक्के मारने शुरू कर दिए थे।
मैं एक अलग सा अनुभव कर रही थी जो पहले कभी नहीं किया था। मुझे मज़ा आने लगा था, दर्द धीरे धीरे आनन्द में बदलता जा रहा था।
वो ऊपर से धक्के मार रहे थे और मेरी चूत नीचे से उचक उचक कर साथ दे रही थी।
काफी देर की धक्का परेड ने मेरी चूत का बुरा हाल कर दिया था।

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मेरी चूत बूब्स और होंठ सब उनके कब्ज़े में थे और कुछ भी उनसे अलग नहीं होना चाह रहा था। चूत ने लंड को अपने आप में ऐसे समेट लिया था जैसे वो उसी का खोया हुआ हिस्सा है जो आज उसे मिल गया है।

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