थोड़ी देर में मेरे कंप्यूटर पर उनका मैसेज आया ‘हाय जान!’
यह कंफर्म करने के लिए कि मैसेज उन्होंने ही भेजा है, मैंने उनको फोन किया और फिर उन्होंने बताया कि आज रात का प्रोग्राम है उनके होटल में।
मैंने उनको हाँ बोला और ऑफिस से शार्ट लीव लेकर घर आ गई।
घर पर जल्दी आने का कारण पूछा तो मैंने बता दिया कि आज फ्रेंड की शादी हैं। पहले तैयार होने पार्लर जाना है और फिर शादी। रात भर शादी में रहना है इसलिए कल की छुट्टी ले ली है।
उसके बाद शाम को मैं पार्लर चली गई ताकि घर वालों को मेरी बात सच लगे और वैसे भी सजना तो मुझे था ही। आज मेरी सुहागरात जो थी, आज पहली बार चुदने वाली थी मैं, आज मेरी सील टूटने वाली थी।
दिमाग में न जाने क्या क्या चल रहा था। एक अजीब सी ख़ुशी और एक अजीब सा डर दोनों का मिला जुला एहसास, जो ब्यान नहीं किया जा सकता।
करीब नौ बजे उनका फोन आया- हेल्लो आशा, कहाँ हो यार?
मैं- अभी निकल रही हूँ आप कहाँ हो?
सर- तुम्हारे पास वाले मैदान के पास अपनी गाड़ी में हूँ।
मैं- बस अभी पहुँच रही हूँ।
उसके बाद मैं तेज़ी से कदम बढ़ाते हुए उनकी बताई जगह पर पहुँच गई। वो अपनी गाड़ी में बैठे बस मेरा ही इंतज़ार कर रहे थे।
मुझे इस तरह हल्की गुलाबी रंग की साड़ी में सजी संवरी देख वो हक्के बक्के रह गए, उनका मुँह खुला का खुला रह गया।
मैंने चुटकी बजाकर उनकी तन्द्रा भंग की।
मैं गाड़ी में बैठ गई और गाड़ी चल दी हाइवे की ओर!
थोड़ी देर में ही उनका होटल आ गया और हम दोनों उनके कमरे में आ गए।
कमरा बड़ा ही खूबसूरत तरीके से सजा था, ताज़े गुलाब की भीनी भीनी खुशबू मन को भीतर तक महका रही थी।
मैं बेड पर बैठ गई और सर भी मेरे साथ ही बैठ गए।
थोड़ी देर इधर उधर की बातें हुई, फिर खाना खाया और वापस अपने कमरे में आ गए।
मैं पहले कमरे के अंदर आई और फिर सर, उन्होंने चटकनी बंद कर दी और मेरे पास आ गए।
सर- आज इतना सज कर क्यों आई हो?
मैं- क्योंकि आज मेरी सुहागरात है आपके साथ।
इतना कहकर मैं शरमा गई।
सर- तो आज तुम्हें सुहागरात का मज़ा दिलाना पड़ेगा। आज की रात तुम्हारी ज़िन्दगी की सबसे हसीन रात होगी जिसे तुम सारी ज़िन्दगी नहीं भूल पाओगी।
यह कहते हुए सर ने मेरे खुले हुए बालों में अपनी उंगलियाँ डाल दी और अपने होंठ मेरे होठों पर चिपका दिए।
नीचे वाले होंठ को उन्होंने अपने दोनों होठों के बीच कस लिया और चूसने लगे।
मेरे पूरे बदन में सिहरन सी होने लगी थी, किसी पुरुष के साथ ये मेरा पहला अनुभव था।
मैं धीरे धीरे मदहोश होने लगी थी और किस करने में मैं भी उनका साथ देने लगी थी।
अब उन्होंने मुझे बिस्तर पर लेटा दिया और मेरे होठों के साथ मेरे माथे पर और आँखों पर और गालों पर किस करने लगे।
यह एहसास मुझे बिल्कुल नया सा, बहुत अच्छा सा लग रहा था।
उसके बाद उन्होंने मुझे खड़ी किया और मेरी साड़ी उतार दी, मैं पेटीकोट ब्लाउज़ में आ गई।
मैं खड़ी-खड़ी शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी, मैंने अपना चेहरा हथेलियों के बीच ढक लिया और वो किसी आशिक की तरह बस मुझे निहारे जा रहे थे।