सेक्सी स्टोरी छत्तीसगढ़ की देसी गर्ल की चूत चुदाई की बेकरारी की

क्या मस्त चूचियाँ थीं उसकी.. दोस्तो, मैं बता नहीं सकता, मुझे ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने उसकी छाती पर दो उलटे कटोरे चिपका दिए हों।

मैंने अपने होंठों को उसके होंठों पर रख दिए और उसे जोर-जोर से चूसने लगा। वो भी मेरा साथ देने लगी और उसकी गर्म साँसें जोर जोर से चलने लगीं।

मेरा हाथ उसके काले बालों को खोलता हुआ, उसके गालों से होता हुआ.. उसकी छाती पर जा रुका और उसके कुरते को उसके बदन से अलग करके दूर फेंक दिया। उसकी चुची छोटी से ब्रा में क़ैद थीं जिन्हें मैंने कुछ पलों में आज़ाद कर दिया।

अब उसकी एकदम स्थिर और तनी हुई नंगी चुची मेरे हाथों में थीं और मैं उन्हें जोर-जोर से मसले जा रहा था। वो गर्म सांसों के साथ और गर्म होती जा रही थी।

मैंने तुरंत ही अपनी टी-शर्ट निकाल फेंकी और उसकी नंगी छाती को अपनी छाती से लगा लिया। मैं उसको चूमते हुए उसकी चुची को अपने मर्दाना सीने की कठोरता से जोर-जोर से रगड़ने लगा।
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इसी के साथ अगले पलों में मैं अपने होंठों से उसके सिर से लेकर पाँव तक उसकी चुम्मा-चुदाई करने लगा। हाथों से उसके शरीर को रगड़ते हुए उसके पजामे को उतार कर फेंक कर उसे पेंटी छोड़ कर पूरा नंगी कर दिया। इसके बाद मैंने उसकी पेंटी में अपना हाथ घुसा दिया और उसे सहलाने लगा।

अपनी कोरी चूत पर मेरे हाथ के स्पर्श से वो छटपटाने लगी और कहने लगी- अह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… चोद डालो.. आज मुझे अपनी बना लो।

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एक लड़की की मुख से ऐसी बातों को सुनकर मैं जोश में आ गया और उसकी पेंटी के साथ अपने पूरे कपड़े उतार कर फेंक दिए और नंगा हो गया।

अब मैं अपने मूसल लंड को उसकी चूत के ऊपर रगड़ने लगा और उसे गर्म कर के तड़पाने लगा।

वो गांड उचका कर गाली देकर मुझे चोदने के लिए बोलने लगी- अब चोद भी दे भोसड़ी के.. मत तड़फा साले..

उसकी गर्म और चुदासी हालत देख कर मैं उसको चोदने के लिए तैयार हो गया।

लेकिन उससे पहले मैंने उससे अपने लंड को चुसवाया और उसकी चूत में उंगली पेल उसकी चूत को और ज़्यादा गीला कर दिया.. ताकि मेरा लंड आसानी से उसकी बुर में घुस जाए।

थोड़ी देर बाद मैंने अपना लंड उसके मुँह से निकाल कर उसकी चूत के मुँह पर लगाया और उसके दोनों पाँव को फ़ैला कर एक जोर का धक्का दे मारा।

मेरे लंड का सुपारा उसकी चूत को खोलता हुआ उसकी चूत में घुस गया। उसकी तो जैसे साँसें ही रुक गई हों.. आँखों की पुतलियाँ फ़ैल गईं और उसकी आवाज गले में ही ठहर गई।

मैं थोड़ा रुक कर उससे बात करने लगा। उसकी चूत में लंड पेलने के बाद मुझे यूं लग रहा था जैसे में किसी जंग लगे दरवाजे को खोल रहा हूँ। लेकिन आज तो मुझे किसी भी तरह अपना तेल डाल कर उस जंग लगे दरवाजे को फ्री करना ही था ताकि बाद में यह कभी भी आसनी से खुल जाए।

उसकी सख्त मुस्म्मियाँ चूसते और बातें करते-करते मैंने अपना सारा लंड उसकी चूत में जड़ तक उतार दिया। उसे चुची चुसवाने में पता ही नहीं चला कि कब लंड जड़ तक चला गया था।

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अब मैं उसे धीरे-धीरे चोदने लगा। वो भी गर्म होने लगी और नीचे से अपनी गांड हिला-हिला कर चुदवाने लगी। अब मैं अपने लंड को पूरा सुपारे तक बाहर निकाल कर पूरा का पूरा उसकी चूत में अपना लंड पेल रहा था।

इस तरह 20 मिनट की धुआंधार चुदाई के बाद उसकी चूत ने अपना पानी छोड़ दिया और उसकी गर्मी से मेरे लंड ने भी अपना लावा उसकी बुर में उगल दिया।

अब हम एक-दूसरे की बाँहों में थक कर लिपट गए। ये मेरी पहली चुदाई की कहानी थी, कृपया अपना सुझाव ज़रूर भेजें.. अगली सेक्सी स्टोरी में मैं आपको बताऊँगा कि कैसे मैं उसकी सहेली को अपने लंड के नीचे लाया।

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