प्यासी विधवा आंटी की चुत चुदाई करके मजा दिया

तो मैंने उन्हें ‘हाँ’ कह दिया और मैंने अपने ऑफिस से आकर कमरे पर अपना थोड़ा बहुत काम पूरा किया, फिर उनके घर पर चला गया।
मैंने आंटी के दरवाजे की बेल बजाई ही थी कि उन्होंने तुरंत ही दरवाजा खोल दिया, मुझे यूं लगा.. जैसे वो मेरी ही राह देख रही हों।

मैं उनके घर में अन्दर गया.. वो मुझे ड्राइंगरूम में सोफे पर बिठा कर पानी लेने रसोई में चली गईं। उस वक्त उन्होंने काले रंग की नाइटी पहनी हुई थी।

वो पानी लेकर आईं.. पानी पीकर उन्होंने मुझसे कहा- पहले खाना खाओगे कि चाय पीनी है?
मैंने कहा- चाय नहीं पीनी.. खाना ही खा लूँगा।

उसके बाद हम दोनों ने एक साथ खाना खाया.. खाना खाकर वो रसोई में चली गईं। सब काम से फ्री होकर वापिस आई और सोफे पर बैठ कर इधर-उधर की बातें करने लगीं।

वो मुझसे अपने पति के बारे में बात करने लगीं और रोते हुए कहने लगीं- मेरे पति के जाने के बाद मैं बहुत अकेली हो गई हूँ।
उन्हें रोते देख कर मैं उठ कर उनके पास को होकर उनके आंसू पोंछने लगा और कहने लगा- आप चिंता मत करो.. मैं हूँ न.. आप अपने आपको कभी अकेला मत समझना!

यह कहते हुए मैंने उनके गालों पर हाथ रख कर उन्हें गाल पर चूम लिया।
उन्होंने कहा- ये क्या कर रहे हो?
तो मैंने बोला- आपका अकेलापन दूर कर रहा हूँ!

वो मेरे करीब हो गईं और उन्होंने मुझे नजर भर कर देखते हुए अपनी बांहों में भर लिया। मैंने उन्हें सीने से लगा कर सोफे पर ही लिटा दिया और उनके होंठों को चूसना शुरू कर दिया। वो भी इसमें मेरा साथ देने लगीं और मुझे जोर-जोर से चुम्बन करने लगीं। उनके चूमने के अंदाज से लग रहा था जैसे वे कई सालों से प्यासी हों।

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अब मैं एक हाथ से उनके मम्मों को दबाने लगा.. मैंने महसूस किया कि उन्होंने अन्दर ब्रा नहीं पहनी थी। मैंने नाइटी के ऊपर के दो बटन खोल कर उनके भारी-भारी चूचे बाहर निकाले और उनसे खेलने लगा।

मैंने अपने होंठ को उनके निप्पल पर फिराना शुरू कर दिया। इससे उत्तेजित होकर उन्होंने जोर से मेरा सर पकड़ कर चूचों पर दबा लिया। मैं उनके मम्मों को चूसने लगा था.. वो ‘आहें..’ भर रही थीं।
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उनका हाथ कभी मेरी जाँघों तक चला जाता था। मैंने अपनी चैन खोली और लंड उनके हाथों में पकड़ा दिया.. तो वो मेरे लंड से खेलने लगीं।

मैंने अपना हाथ उनकी दोनों टांगों के बीच में डाल दिया तो वो ‘अहहह..’ करने लगीं। उसकी चुत कई दिनों से चुदी न होने के कारण काफी टाइट थी। मैं उनकी चुत में उंगली जोर-जोर से घुमाने लगा तो उन्हें मजा आने लगा। मैंने बैठते हुए उनका सर पकड़ कर अपने लंड के पास ले गया।

वो समझ गईं कि लंड चूसने के लिए सर नीचे किया है तो एक बार उन्होंने लंड चूसने से मना किया.. पर मेरे दूसरी बार कहने पर उन्होंने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया। वो तो पहले धीरे-धीरे लंड चूम रही थीं.. पर अब वो अच्छे से मुँह में पूरा लंड ले कर चूसने लगी थीं। उनको लंड चुसाई में मजा आने लगा था।

मैंने अपनी स्थिति बदली.. उनका सर अपने पैरों की तरफ और मैं उनके पैरों की तरफ यानि 69 में होकर अपना सर उनकी चुत पर.. और मेरा लंड उनके मुँह में देकर पोजीशन बना ली। मैंने उनकी टांगों को फैलाया और अपना मुँह उनकी चुत पर रख दिया, उन्होंने कस कर मेरे चूतड़ों को अपनी बांहों में भर लिया था। मैंने भी उनकी चुत को चाटना शुरू कर दिया.. वो कामुकता से ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ कर रही थीं, उन्हें चुत चुसवाने में मजा आ रहा था.. वो मेरे लंड को भी जोर-जोर से चूस रही थीं।

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अब वो बहुत गर्म हो चुकी थीं.. मुझसे बोलीं- अब मत सताओ.. अपना लंड मेरी चुत में डाल दो..!

मैं अभी और मजा लेना चाहता था.. पर उनके बार-बार कहने पर मैं उन्हें बेडरूम में ले गया और बिस्तर पर लेटा दिया और उनकी टांगों के बीच में बैठ गया। मैंने उसकी दोनों टांगें ऊपर उठाईं.. और उनकी गांड के नीचे तकिया लगा दिया, जिससे आंटी की चुत सामने लंड के लिए मुँह खोल कर पड़ी दिखने लगी।

मैं अपने लंड पर निरोध लगाने लगा और इसके बाद लंड को उनकी चुत के मुँह पर रख कर जोर लगाया तो मेरा लंड थोड़ा सा अन्दर चला गया।

वो चिल्लाईं- ओह्ह.. आराम से करो.. दर्द हो रहा है!
मैंने कहा- ठीक है.. पर थोड़ा सहन करना पड़ेगा।

मैंने फिर से धक्का लगाया और पूरा लंड उनकी चुत में पेल दिया और धक्के लगाने शुरू कर दिए।
अब वो लंड लीलते हुए कामुकता से बोले जा रही थीं- अहह अहह..
और मैं अपनी मस्ती में उनकी चुत में धक्के लगाए जा रहा था।

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