पहली बार लंड चूसने का मज़ा मिला

जब बापी मेरा पानी पी रहा था, तब मुझे जन्नत का मज़ा मिल रहा था. मेरा दिल कर रहा था के मैं इस सुंदर लड़के के मूह में नंगा इसे लिपट के झाड़ता राहु.

बापी: अछा लगा?

मैं: इससे ज़्यादा मज़ा मुझे किसी खेल में नही आया. ई लोवे योउ बापी.

बापी: ई लोवे योउ टू शोना. अब तुम अपने हज़्बेंड का लंड चूसो और मेरे प्यार का रस्स पियो.

मैं शरमाते हुए अपनी नज़रे नीची करके वही मुस्कुराते हुए नंगा खड़ा रहा.

बापी मेरे पास आया और मुझे अपनी गोद में उठा के बेड की तरफ चलने लगा. उसका तन्ना हुआ लंड मेरी गांद पे फील हो रहा था. लंड चुभ रहा था, और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.

बापी ने मुझे बेड पे लिटाया, और अपना लंड लेके मेरे सर की तरफ आया. वो नीचे खड़ा था बेड के किनारे. और मैं बेड पे उल्टा पीठ के बाल बेड के किनारे सर झुकाए लेता हुआ था. बापी का लंड मेरी आँखों के सामने तंन के लहरा रहा था. वो मेरे करीब आया, और उसका लंड मेरे होंठो को छूने लगा.

बापी मेरे होंठो पे अपने लंड को और बॉल्स को उपर-नीचे घिसने लगा. फिर अपने दोनो हाथो से मेरी टाँगो को मेरे सीने पे चढ़ा के मुझे मिशनरी पोज़िशन में कर दिया. उसके बाद अपना एक हाथ मेरी गांद पे और गांद के च्छेद पे फिरने लगा. इससे मैं मदहोश होने लगा.

बापी मेरी गांद को सहला रहा था, और अपने लंड का टोपा मेरे होंठो पे घिस रहा था. उसका प्रेकुं मेरे होंठो पे लग रहा था. बीच-बीच में बापी तोड़ा ज़ोर से लंड पुश करता. इससे थोड़ी सी प्रेकुं मेरे होंठो के बीच से मेरे ज़ुबान से टच हो जाती.

वो खट्टा और नमकीन टेस्ट मुझे पता नही क्यूँ बहुत अछा लगा, और मैं और मदहोश होने लगा. लेकिन बापी ने अभी तक लंड मेरे मूह में डाला नही था, बस घिस रहा था, और मेरे होंठो और गालों को अपने प्रेकुं से पैंट कर रहा था.

बापी: ज़ीया अपना मूह खोलो और अपने पति के लंड को मूह में लेके प्यार करो.

मैं उसकी बातों को सुन के और मदहोश हो रहा था, और मेरे होंठ खुलने लगे. जैसे ही मेरे होंठ थोड़े से खुले, बापी ने अपने लंड का टोपा मेरे मूह में घुसा दिया. एक आ की आवाज़ निकली ‘आअहह मेरी जान उऊहह’.

उसके लंड का टोपा मेरे मूह में जाते ही मुझे लगा की मैं जन्नत पहुँच गया था, और उसके लंड का स्मूद और गुलाबी टोपा और नमकीन टेस्ट मुझे बहुत अछा लग रहा था. फिर मैं बापी की गांद को अपने दोनो हाथो से पकड़ के उसके लंड को तोड़ा-तोड़ा करके अपने मूह में लेने लगा, और अपनी जीभ से चाटने भी लगा, और एक नये मज़े में खो गया.

बापी आहिस्ते-आहिस्ते मेरे सर को पकड़ के अपने लंड को तोड़ा-तोड़ा करके मेरे गले तक घुसा रहा था. वो मेरे मूह की चुदाई कर रहा था, और मैं एक भूखी, प्यासी, और अची रॅंड की तरह अपने पति का लंड चूस रही थी, और उसे मज़ा दे रही थी. अब मैं खुद झड़ने लगी. अब तक मेरा दो बार पानी गिर गया था, और बापी का एक बार भी नही गिरा था.

15-20 मिनिट की मूह की चुदाई के बाद मुझे पता चल गया की लंड चूसना कैसे था, और गले तक साँस रोक के लंड लेना कैसे था. मैं अब बापी का लंड अपने गले तक लेने लगा. बापी भी हल्की तेज़ रफ़्तार से मेरे गले की चुदाई करने लगा. पता नही मेरे अंदर मेरे पति को खुश करने की चाहत होने लगी थी, और उसके लिए मैं बीच गयी थी.

बापी: ओह मेरी जान आहह ऊहह वाउ मैं तुमसे बहुत प्यार करता हू ज़ीया आअहह. वाउ, आहह मेरा रस्स पियो.

मैं: उँगघ हम्म.

मैं बापी का लंड चूस रही थी, और फिर अचानक बापी का लंड थिरकने लगा मेरे गले में. बापी ने अपनी कमर हिलना रोक दिया, और मुझे मेरी कमर के बाल पकड़ के उल्टा उठा के मेरी गांद को अपने मूह तक ले गया. उसने मेरी गांद में अपनी ज़ुबान घुसा दी, और मैं जैसे पागल हो गया. ये सब करते हुए बापी ने अपना लंड मेरे गले से निकाला नही, और वैसे ही मेरी गांद में ज़ुबान घुसते हुए मेरे गले में दो झटके मारे.

मुझे अपने गले में कुछ गरम लिक्विड फील हुआ, और तभी मेरी भी पानी बापी के सीने पे खड़े-खड़े 69 पोज़िशन में निकालने लगी. मैं बापी की बाहों में उल्टा 69 पोज़िशन में बापी का रस्स पी रही थी, और सातवे आसमान में थी. बापी मेरी कमर को लिपट के पकड़ के मेरे मूह में अपना लंड डाले झाड़ रहा था. वो मेरी गांद में अपनी ज़ुबान घुसा के मेरा भी पानी निकाल रहा था.

बापी दो बार शॉट मारते ही अपना लंड हल्का सा निकाल के बाकी 8 शॉट में मेरे मूह के अंदर गिरा दिया. पर उसने लंड निकाला नही, और फिर वो लंड मेरे मूह में डाले ही बिस्तर पे सो गया. वो मेरे मूह की हल्की और लंबी चुदाई करने लगा. और मैं उसका सारा पानी पीने के बाद भी उसका अभी तक तन्ना हुआ लंड अपने मूह में लेके चूस रही थी. मैं अपने पति को मेरा मूह छोड़ने का मज़ा दे रही थी.

मुझे बापी का नमकीन पानी पता नही क्यूँ बहुत अछा लगा, और मैने एक भी ड्रॉप बाहर गिरने नही दी. एग्ज़ाइट्मेंट के मारे मैं बापी का पूरा पानी पी गयी.

5 मिनिट तक बापी का लंड चूसने के बाद अब बापी का लंड ढीला पद गया, और उसने अपना लंड मेरे मूह से निकाल लिया.

वो मुझे फिर 5 मिनिट तक किस करता रहा, और मैं भी मज़े में खुद को सच में उसकी बीवी समझ रही थी. मैं उसको भी किस कर रही थी. अब हम दोनो एक-दूसरे की ज़ुबान को चूस रहे थे, और बापी का लंड फिरसे से खड़ा होने लगा.

तभी मम्मी ने हम दोनो को बुलाया और हम दोनो ने जल्दी से कपड़े पहने और दरवाज़ा खोल के हॉल में आ गये. मम्मी ने बापी से कहा, “बापी तुम्हारी मम्मी का फोन आया था. वो तुम्हे लंच के लिए बुला रही है, जल्दी जाओ”.

हम दोनो मम्मी को हा बोल के दरवाज़े के तरफ जाने लगे, और मेरी मम्मी किचन में चली गयी और परदा डाल दिया.

मैं और बापी दरवाज़े तक पहुँचे और बापी ने मेरी कमर पकड़ के अपने तरफ खींचा, और मुझे अपनी बाहों में भर लिया और मुझे एक डीप किस दी. 30 सेकेंड किस करने के बाद उसने अपने होंठ हटाए, और मेरी गांद दबाते हुए बोला, “अगली बार मैं तुम्हे अपनी पत्नी बनके छोड़ना चाहता हू”. ये सुन कर मुझे शरम आ गयी. पर मुझे चुदाई शब्द का मतलब पता नही था, तो मैने उससे पूछा-

मैं: वो क्या होता है?

बापी: आज जो मैने तुम्हारे साथ किया वो तुम्हे पसंद आया?

मैं: हा बहुत.

बापी: जब मैने अपनी ज़ुबान तुम्हारी गांद में घुसाई थी, तब कैसा लगा था?

मैं: तब तो मुझे जैसे जन्नत मिल गयी थी, और मेरा रस्स बह गया.

बापी: अब मैं तुम्हारी गांद में अपना लंड घुसा के तुम्हे छोड़ना चाहता हू. इसी को चुदाई कहते है.

बापी की बातों को सुन के मुझे अब और अछा लगने लगा. मैं सोचने लगा की बापी का गुलाबी लंड मेरी गांद में घुस रहा है, और मेरे लुल्ली में हुलचूल होने लगी. मैने फिर शर्मा के नज़र नीची कर ली. बापी फिर चला गया.

उस दिन रात को मैं सोते वक़्त दिन की बातें सोच रहा था. साथ में अपनी लुल्ली मसल रहा था, और सोच रहा था की आज कैसे हम दोनो ने एक-दूसरे के लंड चूज़. बापी ने मेरी गांद के च्छेद में अपनी ज़ुबान डाली, और अब बापी मुझे कैसे छोड़ेगा, और कैसे-कैसे मेरी गांद के च्छेद में अपने गुलाबी लंड को डालेगा और क्या-क्या करेगा.

मैं भी अपने हाथ को अपने लुल्ली से हटा के अपनी गांद तक ले गया, और एक उंगली अपनी गांद के च्छेद में रख के तोड़ा सा दबाव दिया, और मेरा पानी निकल गया. फिर मैं सो गया.

अब मैं अगली बार बापी से मिल के उससे चूड़ना चाहता था, और चूड़ने का इंतेज़ार करने लगा. रोज़ रात को थोड़ी-थोड़ी करके उंगली अपनी गांद में डालते-डालते झाड़ता रहा.

अब मुझे सेक्स में नॅचुरल अट्रॅक्षन होने लगा था, और मुझे लड़की होने का एहसास होने लगा. मुझे बस बापी नज़र आता था. अब तो मैं अपनी गांद में उंगली डाल के कोशिश करता था बापी का लंड सोच के और मैं झाड़ जाता था.

ऐसा था मेरा फर्स्ट टाइम गे एहसास. आप लोगों को कहानी अगर अची लगी तो मुझे एमाइल ज़रूर करे. मैं सब का रिप्लाइ देने की कोशिश करूँगी, और अपनी गे ज़िंदगी का अगला पार्ट जल्द ही आपके सामने लाने की कोशिश करूँगी. उसमे आप जाँएंगे की कैसे बापी ने मेरी ज़िंदगी की सबसे पहली चुदाई की, और मुझे एक नये मज़े का एहसास दिया, और मुझे अपना बनाया और मुझे गे बनाया. ये रहा मेरा एमाइल अड्रेस (सिरोक्कोस्टरर69@गमाल.कॉम).

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