पत्नी के आदेश पर सासू माँ को दी यौन संतुष्टि-1

5. रूचि ने यह भी बताया कि पिछले डेढ़ माह से हमें रोजाना सम्भोग करते हुए देख कर सासू माँ की लालसा इतनी बढ़ गई है कि उन्हें सही और गलत के बीच का अन्तर भी पता नहीं चल रहा था।

6. उस बढ़ी हुई लालसा के कारण वह पागलों की तरह एक ही बात दोहराने लगती थीं कि राघव बेटे से कहो कि वह मेरे साथ भी रोजाना सम्भोग किया करे।

जब मैंने रूचि से उसके विचार पूछे तो उसने सासू माँ की इच्छा पर एतराज़ जताया और कहा– मैं अपनी माँ को अपनी सौतन कैसे बना लूँ? जो वस्तु मेरे व्यक्तिगत प्रयोग के लिए है वह मैं किसी और के साथ कैसे साझा कर सकती हूँ?

रूचि की बात मुझे बहुत ही तर्क-संगत लगी लेकिन सासू माँ की दयनीय स्तिथि देख कर मुझे उनके साथ सहानुभूति भी थी!
इस विषय के हल के बारे में सोचते सोचते हमे नींद आ गई और सुबह आठ बजे खुली तब मैं जल्दी से उठ कर तैयार हो कर ऑफिस चला गया।

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