पति से सताई हुई लड़की की चूत

मुझे उसकी बातों से लगने लगा था कि वो काफ़ी सताई हुई है। मुझे उस पर दया आ गई और मैं उसके करीब हो गया।

मैं उसको खुश करने के लिए मज़ाक में छेड़ने लगा और उससे कहा- मेरी गर्ल-फ्रेण्ड बनोगी?
वो बोली- मैंने प्यार तो बहुत कर लिया अब ना होगा।

मैं चुप हो गया।

पर वो मुझे खोना भी नहीं चाहती थी। वो मुझसे हमेशा कहती रहती कि लड़की को पटाना हो.. तो आगे बढ़ना सीखो।

उसका एक मुँह बोला भाई भी था, जो उसको नशा करवा के चोदता था। वो उससे तंग आ गई थी।

एक दिन उसके पास उस भाई का फोन आया तो वो रोने लगी। मैंने उसका हाथ थामा और चूम लिया। वो अपना गम भूल कर मुस्कुरा दी।

फिर मेरे हाथ को लेकर वो फोन सुनने लगी कि अचानक वो मेरा हाथ अपने बोबे पर ले गई और मेरा हाथ उसके चूचे को महसूस करने लगा।
तभी वो अचानक चौंक गई और शर्मा गई।

फिर मैं उसके माथे को चूम कर जाने लगा।
उसने कहा- तुम मत आया करो।
मैंने कहा- पक्का..?

हँस कर बोली- प्लीज़ मुझे मत छोड़ना।
मैंने कहा- ओके.. नहीं छोडूंगा।
मैं उसके गले से लग गया।
कहती- अब मुझे छोड़ो.. और जाओ..

मैं चला गया।

उसने मुझे फोन किया.. कहती है- तुम मेरे गले से मत लगा करो।
मैंने कहा- क्यों?
कहती- कुछ होता है।
मैंने कहा- कहाँ?
‘तुम बहुत शरारती हो..’

फिर वो हँस दी।

मेरे साथ बाइक पर आते-जाते कहती- ब्रेक मत मारो.. और कितना दबाओगे।
मेरा लौड़ा गरम होकर खड़ा हो जाता.. तो हँसने लगती।

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एक दिन वो मेरे कमरे में आई। मुझसे बात करने लगी।
मैंने कहा- मुझे तुमको चूमना है।
बोली- नो..
मैंने कहा- हाँ..
और मैंने उसका गाल चूम लिया।

वो- मैं शादीशुदा हूँ।
तो मैंने कहा- चुम्मा अच्छा नहीं लगा?
कहती- नहीं ऐसी बात नहीं..

मैंने उसको और चूमा।

फिर यह सिलसिला चलने लगा। बहुत जल्दी ‘वो’ दिन भी आ गया।

एक दिन वो बहुत परेशान थी।
मैंने कहा- क्या हुआ?
कहती- पति फोन करके तलाक़ देने का बोल रहा है।
वो बहुत परेशान थी।

मैंने उसको गले से लगाया.. तो थोड़ी शांत हुई।
फिर अचानक से मैंने उसके होंठ चूमे तो उसने कुछ ना कहा।

मैंने फिर से चूमा.. तो वो खुद से लेट गई।

मैंने भी अचानक से उसके ऊपर लेटकर उसको चूमना जारी रखा.. तो उसने साथ देना शुरू कर दिया।

मैंने उसके बोबे दबाए.. तो वो और गर्म हो गई, फिर अचानक वो मुझसे कसके लिपट गई.. जैसे कह रही हो कि आओ मेरी प्यास बुझाओ।

मैंने उसकी टी-शर्ट उठा कर उसके बोबे दबाए और ब्रा उतार दी।

क्या बोबे थे.. एकदम मस्त.. और निप्पल तो बस कातिलाना थे।

मैंने हल्का सा काटा तो उसने टाँगें उठा कर मेरी कमर से लपेट लीं।

बस फिर मैंने नीचे आकर उसकी पैन्ट निकालना चाही.. तो उसने पहले मना किया।
मैंने कहा- चाहती नहीं क्या?

तो थोड़ी देर में वो मान गई, उसने फिर अपनी चूत सिकोड़ ली।
मैंने चूत में उंगली डाल दी.. तो उसने ‘आ.. उहह’ शुरू कर दी.. और टाँगें खोल दीं।

अब उसने भी मेरी शर्ट उतार कर मेरी छाती चूमनी शुरू कर दी।

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अब मैंने अपने लंड निकाल कर उसके मुँह में देने लगा।
कहती- नहीं.. यह ग़लत है।
मैंने कहा- प्लीज़ आज मत रोको.. क्या मेरे प्यार भरोसा नहीं है?

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