तांत्रिक ने धोखे से चुदाई की

हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम शारदा है और मेरी उम्र 25 साल, गोरा रंग, पतली कमर और बड़े आकार के उभरे हुए गोरे गोरे गोलमटोल बूब्स, मटकती हुई मेरी गांड जिसको देखकर हर कोई मेरा दीवाना हो जाए। मेरे बूब्स का आकार 30-28-32 है, मेरे इस आकर्षक जिस्म को देखकर कोई भी नहीं कह सकता कि मेरी चूत में कई बार लंड ने जाकर अपनी मोहर लगाई है। मेरा यह भरा हुआ बदन किसी कुंवारी चूत की तरह नजर आता है। मेरे इस कामुक गोरे सेक्सी बदन को देखकर बाहर वाले तो क्या मेरा देवर भी मुझ पर लट्टू हो चुका था। में उससे भी चुदवा चुकी हूँ इसलिए अब हम दोनों के बीच प्यार पहले से ज्यादा बढ़कर हमें अपनी इस जवानी के मज़े लेने के लिए उकसा रहा है, जिसकी वजह से में बिल्कुल पागल हो चुकी हूँ और मुझे हर जगह बस वही नजर आता है।

अब ज्यादा बोर ना करते हुए में कहानी को शुरू करती हूँ। यह घटना कुछ दिनों पहले की है जिसको में आज बताने जा रही हूँ। दोस्तों में और मेरे ससुराल वाले सभी लोग मेरी देवरानी से बहुत दुखी है, क्योंकि उसने मेरे देवर को हम सभी से बिल्कुल अलग कर दिया है और में तो अपने देवर के लिए वैसे ही बहुत तड़पती हूँ क्योंकि उस जैसा दमदार मर्द मैंने आज तक नहीं भोगा और में उससे प्यार भी मन ही मन बहुत करती हूँ और इस परेशानी को हमेशा के लिए खत्म करने की वजह से हम सब एक तांत्रिक के पास चले गये, जिससे वो डायन मेरे देवर का पीछा छोड़ दे, लेकिन पता नहीं वो साली कितनी पक्की है? इतना सब कुछ होने के बाद भी वो नहीं हटती और में जैसे जैसे दिन गुजरते अपने देवर के साथ प्यार करने को मरी जा रही हूँ, क्योंकि उसके साथ प्यार करे मुझे अब बहुत दिन निकल चुके थे, इसलिए मेरे बदन में आग दिन निकलने के साथ साथ बढ़ती ही जा रही थी। दोस्तों अब में अपनी आज की असली बात पर आती हूँ और आप सभी को विस्तार से बताती हूँ कि मेरे साथ क्या क्या हुआ और किसने मुझे चोदा? तो हम सभी एक अच्छे तांत्रिक के पास पहुँचे और वहां पर पहुंचते ही मेरी सास ने रो रोकर अपना सारा हाल उस तांत्रिक से कह दिया, लेकिन वो ठीक तरह से बाता नहीं पा रही थी, इसलिए वो तांत्रिक मुझसे बोला कि में उससे बात करूँ। फिर में हमारी समस्या के बारे में बताने लगी और उसी समय मेरी बातों से उस तांत्रिक को अंदाज़ा हो गया कि में क्यों अपने देवर को वापस अपने पास बुलाने के लिए इतना तड़प रही हूँ। फिर उसने मुझसे बातें करते समय ही मेरे पूरे शरीर को ऊपर से लेकर नीचे तक बड़े ध्यान से देखकर मेरे मन की बात को एकदम ठीक तरह से समझ लिया था, क्योंकि वो भी एक नंबर का पूरा चालू था। मुझे भी इस बात का थोड़ा सा अंदाजा हो चुका था, लेकिन मुझे यह बिल्कुल भी पता नहीं था कि इसके आगे मेरे साथ क्या होने वाला है? फिर कुछ देर बाद उसने मेरी सास को बाहर दूसरे वाले कमरे में बैठा दिया और उसके बाद वो मुझे बातें करते हुए अपनी खा जाने वाली नजरों से घूरकर देखते हुए मेरे जिस्म का हर एक अंग बड़े ध्यान से देख रहा था। उसका बातों पर कम मेरे गोरे कामुक बदन पर कुछ ज्यादा ही ध्यान था। फिर उसके बाद उसने मुझे जाने के लिए कहा, लेकिन मुझे अगले दिन उसने बिल्कुल अकेले आने के लिए बोला और कहा कि यह बात तुम्हारे घर में किसी को पता ना चले कि तुम मेरे पास आ रही हूँ। में तुम्हारा वो काम आज ही रात को करता हूँ और बचा हुआ काम कल तुम्हारे यहाँ पर आने के बाद ही हो सकता है, इसलिए तुम्हारा अकेले आना बड़ा जरूरी है।

अब में उसकी मुझे देखने की नजर उसकी गंदी नियत और बातें सुनकर तुरंत कुछ तो समझ गयी थी कि यह साला ठरकी है, क्योंकि उसकी वो नजर हर बार मेरे उभरे हुए बूब्स को देखकर चमक जाती तो कुछ देर बाद में छाती को पल्लू से ढक लेती और तब वो मेरे शरीर के दूसरे हिस्से को घूरने लगता, लेकिन मुझे इसके पास एक बार तो आना ही होगा शायद यह मेरा काम सफल कर दे और यह बात मन ही मन सोचकर मैंने दूसरे दिन वापस उसके पास आने के लिए मन में विचार बना लिया। उसके बाद में उनका आशीर्वाद लेकर जानबूझ कर उसके सामने कुछ देर पूरा नीचे झुककर अपने बूब्स की एक झलक उसको दिखाकर में अपने घर चली आई, लेकिन वो तो जाते समय भी पीछे से मेरी मटकती हुई गांड को अपनी खा जाने वाली नजरों से घूर रहा था और मैंने पीछे मुड़कर देखा तो वो मेरी तरफ मुस्कुरा रहा था। मैंने भी उसको अपनी तरफ से मुस्कुरा दिया।

फिर में अगले ही दिन कुछ अलग ही ढंग से अच्छी तरह तैयार हुई और मैंने जानबूझ कर ऐसे कपड़े पहने थे, जिसकी वजह से वो मेरे इस गोरे हॉट सेक्सी बदन को देखकर अपने होश खो बैठे मेरी तरफ कुछ ज्यादा ही आकर्षित हो। मेरा विचार था कि हो सकता है कि मेरे इस तरह से उसको अपने जिस्म के दर्शन देने से वो मेरे रुके हुए काम को ज्यादा जल्दी से पूरा करे। फिर में उसके पास बताए हुए ठीक समय पर पहुंच गयी और तब मैंने देखा कि उसके पास दो तीन लोग बैठे हुए थे इसलिए उसने मुझे पास वाले रूम में बैठा दिया और मुझे देखकर उसकी आखों में बड़ी ही अजीब सी ख़ुशी की चमक थी। वो मुझे अपनी ललचाई हुई नजर से लगातार घूरकर देख रहा था और जिसको देखकर में तुरंत समझ गई कि यह साला आज मेरे साथ ना जाने क्या करने वाला है और मुझे उसके इरादे कुछ ठीक नहीं लगे।

फिर उसके कहने पर में कुछ देर बैठकर इंतजार करने लगी और जब उन लोगों को उसने फ्री किया तो उसने अपने पास काम करने वाले को कहा कि अब अगर कोई भी आ जाए तो तुम उससे कहना कि बाबा जी एक ख़ास पूजा में व्यस्त है इसलिए वो आज शाम से पहले किसी से नहीं मिलेंगे और उसको इतना कहकर बाहर भेजने के बाद उसने अब मुझे अंदर बुला लिया और उसके बाद उसने मुझे अपने सामने बैठाकर मेरे घर की एक एक बात अच्छी तरह पूछी और वो मेरे देवर के साथ मेरे सम्बन्धो को भी ठीक तरह से अब समझ चुका था और वैसे तो दोस्तों हमारे घर का एक बहुत बड़ा व्यापार है, जिसमें बहुत अच्छा पैसा हमारे हाथ में आता है, लेकिन मेरे ससुराल में कोई भी नहीं चाहता था कि मेरा देवर जो भी पैसा कमाए वो अपनी बीवी को दे।

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दोस्तों में अपनी सास की बड़ी ही लाडली हूँ क्योंकि में अपनी शादी में दहेज से भरकर आई थी, इसलिए वो भी यही बात चाहती है कि मेरे देवर की सारी कमाई बस मुझे ही मिले और यह बात भी मैंने साफ साफ तांत्रिक से कही। फिर उस पर उसने तुरंत ही पूरी तरह खुलकर मुझसे पूछा सिर्फ़ पैसा ही या कुछ और भी तुम अपने उस देवर से चाहती हो, देख सच सच बताना क्योंकि में सारा भूत-भविश्य बहुत अच्छी तरह से जानता हूँ इसलिए मुझसे तुम कुछ भी बात छुपाने के बारे में बिल्कुल भी मत सोचना। दोस्तों मैंने उसकी यह बात सुनने समझने के बाद भी अंजान बनकर उससे पूछा और क्या बाबा? अब उसने मुझसे साफ साफ कहा कि तू क्या चाहती है अपने देवर को? तब मैंने भी उससे कह दिया कि हाँ बाबा आपने ठीक कहा में उसको बहुत चाहती हूँ और उसके बिना मुझसे रहा नहीं जाता। में अब उसके बिना पागल हो चुकी हूँ और मुझे अब रहा नहीं जाता। आप ही कुछ ऐसा करो कि मेरा यह काम वापस ठीक तरह से चलने लगे और उसको मेरी हो या ना हो, लेकिन मुझे उसकी बहुत जरूरत है।

फिर बाबा ने मेरे मुहं से यह पूरी बात सुनकर मुझसे कहा कि में आने वाले 60 दिन के अंदर उसको तेरे कदमों में लाकर पटक दूँगा और तू जो भी उससे कहेगी वो तेरी हर एक बात को सुनकर ठीक वैसा ही करने लगेगा, लेकिन उसके लिए अब तुझे जो भी में कहूँगा वो काम करना पड़ेगा और उसके लिए तुम्हे मुझे अपना सब कुछ देना होगा और हर एक चीज का त्याग करना होगा, तू मेरा कहा मान वो तेरा कहा मानकर तेरी ऊँगली के इशारे पर ही चलने लगेगा, लेकिन उसको पाने के लिए सबसे पहले तुझे कुछ खोना भी बहुत जरूरी है। फिर में तुरंत ही उसकी उस बात मान गयी और मैंने कहा कि हाँ ठीक है बाबा जो भी बात आज से आप मुझसे कहोगे में वैसा ही करूंगी और तब उसी समय मौके का फायदा उठाकर बाबा ने मुझसे कहा कि तुम्हे अपनी ब्रा, पेंटी उतारकर अभी मुझे देनी होगी? तो मैंने चकित होकर उससे पूछा कि वो क्यों? ऐसा मुझे क्यों करना होगा?

दोस्तों वैसे में मन ही मन उसकी बातें सुनकर समझकर बिना बोले उससे कहने लगी कि साले कुत्ते हरामी मुझे तो पहले से ही पता था कि तुझे क्या चाहिए और तू कैसे मेरे जाल में फंसकर मेरे अधूरे कामो को पूरा करेगा इसलिए ही तो में तेरे सामने इतनी सज धजकर आई हूँ। तब उसने कहा कि इससे में तुम्हारे देवर को तुम्हारी तरफ खींचने की कोशिश करूँगा और में अपनी पूरी शक्ति लगाकर उसको तुम्हारे पास कर दूंगा। अब मैंने उनको कहा कि हाँ ठीक है, में कल आपको वो जरुर लाकर दे दूँगी, तो बाबा ने मेरी बात को बीच में काटते हुए ही कहा कि नहीं तुम्हे यह अभी यहीं पर देनी होगी और तुम उस सामने वाले कमरे में जाकर उतार लो और साथ में मुझे उन्होंने उसी समय कुछ मंतर पढ़कर एक तेल दे दिया और वो मुझसे बोला कि तुम इसको अपने पूरे शरीर पर लगा लो।

फिर में उसके कहने पर उस रूम में चली गयी। मैंने देखा कि वहाँ पर सिर्फ़ एक बेड था जब में अपनी ब्रा पेंटी को उतार रही थी तभी उसी समय अचानक से वो बाबा भी उसी कमरे के अंदर आ गया और उस समय मेरी पीठ दरवाजे की तरफ थी इसलिए मुझे बिल्कुल भी पता नहीं चला, लेकिन कुछ देर बाद मुझे उसकी सांसो की आवाज सुनकर पता चल गया कि वो अब मेरे पीछे आकर खड़ा है इसलिए मैंने अपने आप को उससे छुपाने की बहुत कोशिश की, लेकिन बाबा ने हिम्मत करके उसी समय मेरी नंगी गोरी मुलायम पीठ पर अपना एक हाथ रख दिया और इससे पहले कि में उसको कुछ अपने मुहं से बोल पाती बाबा ने बिना देर किए मेरी सलवार का नाड़ा एक ज़ोर का झटका देकर खींच दिया और में तो जैसे उसकी इस हरकत की वजह से बिल्कुल ही सुन्न हो गयी थी, क्योंकि एक मर्द के हाथ ने मेरे शरीर को छूकर मेरी जान ही निकाल दी थी और उसके बाद उसने झट से मेरी पेंटी को भी खींचकर उतार दिया था, जिसकी वजह से अब में उसके सामने बिल्कुल नंगी हो चुकी थी और अब बाबा ने भी तुरंत ही अपनी धोती को उतारकर दूर फेंक दिया। दोस्तों क्योंकि पहले से ही में अपने देवर के प्यार को पाने के लिए बहुत तरस रही थी तो इसलिए में बाबा को कुछ भी मना नहीं कर सकी और इसके बारे में उसको भी बड़ी अच्छी तरह से अब पता चल चुका था कि मेरी चूत को किसी ऐसे लंड की तलाश है जो मेरी जमकर चुदाई करके चूत को बिल्कुल शांत करके मुझे संतुष्टि का सुख दे।

फिर उसके बाद बाबा ने मुझे अब झट से वहाँ पर पड़े एक सिंगल बेड पर लेटा दिया और वो मुझसे अब पागलों की तरह प्यार करने लगा था। उसने मेरे गोरे गरम कामुक बदन के हर एक हिस्से को चूमा अपने हाथों से सहलाया जिसकी वजह से में पहले से भी ज्यादा गरम होकर पागल होने लगी थी। फिर बाबा ने मेरी बैचेनी को ठीक तरह से समझकर उसी समय अपना मोटा लंबा तनकर खड़ा लंड मेरे हाथ में पकड़ा दिया और मैंने भी जोश में आकर उसको ज़ोर से कसकर पकड़ लिया। तब मुझे महसूस हुआ कि वो बहुत गरम और बड़ा ही जोश से भरा हुआ तनकर खड़ा था और वो मेरी चुदाई के इंतजार में था और मेरी चूत को अपनी सलामी दे रहा था। फिर कुछ देर में उसके लंड को मुठ मारने लगी। उसके बाद बाबा ने अपना वो बलशाली लंड मेरे मुहं पर रगड़ा तो मुझे उसको अपने होंठो से छुकर बहुत अच्छा लग रहा था और मैंने तुरंत उसको पकड़कर अपने मुहं में डाल लिया।

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अब में उस लंड को चूसने लगी और उस काम को करने से मुझे बड़ा मज़ा और उसको बहुत जोश आ गया था, इसलिए थोड़ी ही देर के बाद बाबा ने मेरे दोनों पैरों को पूरा खोलकर मेरी चूत में अपना लंड एक ही जोरदार धक्के से पूरा अंदर डालकर मुझे बड़ी बुरी तरह से चोदा। शुरू के उन धक्को ने मेरी जान निकाल दी क्योंकि मेरी चूत का छेद उसके मोटे लंड के सामने छोटा था, इसलिए मुझे वैसा दर्द था जैसे में पहली बार चुदी थी तब हुआ था, लेकिन दोस्तों कुछ देर वो उसके लगातार तेज धक्को के बाद मुझे बहुत मज़ा आने लगा था। में भी अब उसके कुछ धक्को के साथ अपने कूल्हों को ऊपर उठाकर उसका साथ देने लगी थी और हम दोनों खुश होकर सब कुछ भुलाकर अपनी चरम सीमा की तरफ बढ़ते चले जा रहे थे।

दोस्तों अब लगातार धक्के खाकर आह्ह्ह्ह ऊफ्फ्फ्फ़ की आवाज अपने मुहं से निकालकर मेरा गला अब बहुत सूख चुका था, इसलिए मैंने बाबा से पीने के लिए पानी माँगा। तो बाबा ने एक ज़ोर की आवाज देकर अपने पास काम करने वाले उसी आदमी को मेरे लिए पानी लाने के लिए कहा। फिर कुछ मिनट के बाद वो अपने हाथ में पानी लेकर वापस आकर बाहर ही खड़ा हो गया उसने बाहर से ही आवाज देकर कहा कि में पानी लेकर आ गया हूँ। फिर बाबा ने उसको भी अब कमरे के अंदर बुला लिया, जिसकी वजह से में बहुत डर गयी और इसलिए मैंने वहाँ पर पड़ी एक चादर को अपने ऊपर ले लिया, जिसकी वजह से मेरा पूरा नंगा बदन थोड़ा बहुत उसके अंदर था। अब बाबा ने एक झटका देकर मेरी उस चादर को उतार दिया और उसको अपना साथ देने के लिए कहा और फिर वो भी हमारे सामने ही उसी समय पूरा नंगा हो गया। दोस्तों पहले तो मैंने उससे ऐसा करने के लिए मना किया, लेकिन जब मैंने उसका भी लंड देखा तो उसको देखकर एक बार फिर से मेरी मज़े की भूख जाग उठी और मैंने मन ही मन सोचा कि अब अगर यह भी अपने मन का काम करे तो मुझे क्या परेशानी? इसकी वजह से मुझे तो दुगना मज़ा ही आज मिलने वाला है।

अब वो दोनों ही मुझे बहुत प्यार करने लगे थे और थोड़ी देर बाद बाबा के उस नौकर ने अपने लंड को उसी समय मेरी चूत में डाल दिया और मैंने बाबा का लंड खुद ही पकड़कर अपने मुहं में डाल लिया। दोस्तों इतना मज़ा मुझे ज़िंदगी में पहली बार आ रहा था, क्योंकि एक लंड मेरी चूत में तो दूसरा मेरे मुहं में था। में उन दोनों के एक साथ मज़े ले रही थी और थोड़ी ही देर के बाद बाबा का लंड मैंने अपनी चूत के अंदर ले लिया और उस नौकर का लंड अपने मुहं में लेकर में उसको चूसने लगी थी। वो नौकर पहले ही झड़ने वाला था और वो थोड़ी देर के बाद मेरे मुहं में ही झड़ गया और फिर में उसका लंड चाटने लगी। चूस चूसकर मैंने उसका पूरा वीर्य गटक लिया और ऐसा करने में मुझे बड़ा मस्त मज़ा आ रहा था।

फिर वो कुछ देर बाद अपने लंड को हल्के हल्के धक्के देकर मेरे मुहं में डालने लगा। फिर बाबा भी मेरे मुहं में अपना वीर्य निकालने के लिए अपना लंड मेरे मुहं में डालने लगा और उसके एक इशारे पर उस नौकर ने अपना लंड तुरंत ही बाहर निकाल लिया और दूसरा लंड लेने के बाद मैंने उसको भी बहुत मज़े से चूसा और फिर कुछ देर बाद मैंने उन दोनों का लंड एक साथ अपने मुहं में डालकर उनको मज़े लेकर चूसा और फिर कुछ देर बाद उन दोनों के झड़ने के बाद हम थोड़ी देर थककर वहीं पर बैठे आराम करने लगे। फिर उसके बाद उन दोनों ने मुझे अब उल्टा लेटा दिया और अब बारी बारी उन दोनों ने मेरी गांड में अपने लंड को डालकर मेरी गांड को तेज तेज धक्के मारकर मज़े लिए, जिसकी वजह से में खुश भी बहुत थी, लेकिन उन दोनों की उस जबर्दस्त चुदाई ने मेरी चूत के साथ साथ मेरी गांड का भी बड़ा बुरा हाल कर दिया था और उस दिन शाम के चार बजे तक उन दोनों ने मेरे साथ आठ बार मेरी चुदाई के मज़े लिए। उन्होंने मेरा आगे पीछे दोनों तरफ से बड़ा बुरा हाल कर दिया था, जिसकी वजह से अब मुझे लग रहा था कि में गाड़ी चलाकर अपने घर तक भी नहीं जा सकती और मुझे बैठना बड़ा मुश्किल हो रहा था, लेकिन फिर भी में जैसे तैसे करके चली गई और उस दिन के बाद जब भी बाबा ने कोई तांत्रिक क्रिया मेरे देवर और उसकी बीवी पर करवानी होती तब वो हमेशा मुझे ही बुलाता जिसके बाद हम पूरे मस्त चुदाई के मज़े करते। कई बार उस बाबा के साथ उसके और भी मिलने वाले तांत्रिक होते और देखने पर मुझे पता चलता कि इन तांत्रिको के लंड बहुत ही बड़े मोटे होते जिसने में अपनी चुदाई करवाकर मज़े लेती हूँ इसलिए में उस बाबा के साथ बड़ी खुश हूँ और अब मुझे पूरी उम्मीद है कि कुछ दिनों के इंतजार के बाद मुझे मेरा देवर भी वापस मिल जाएगा। दोस्तों यह थी मेरी वो सच्ची घटना मेरी चुदाई उस तांत्रिक के साथ जिसने धीरे धीरे मुझे दूसरो के भी लंड के मज़े दिए और में हंसी ख़ुशी उसके साथ मज़े लेती रही ।।

धन्यवाद .



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