दोस्त की मम्मी बड़ी निकम्मी

दोस्तो, मेरा नाम रोहित है.. मैं नई दिल्ली का रहने वाला हूँ।
यह सेक्स कहानी सोनू की मम्मी की चुदाई की है, इसमें पढ़ें कि मैंने सोनू की मम्मी को उसी के सामने कैसे पटाया और चोदा भी!
सोनू मेरे ही मोहल्ले में रहता है.. लेकिन मुझसे 3-4 साल छोटा है।
बात उस समय की है, जब सोनू में जवानी फूट ही रही थी और मैं एक 22 साल का गबरू जवान था। मैं एक लंबा-चौड़ा मुस्टण्डे सांड की तरह गठीले शरीर का लड़का हूँ.. मेरी लंबाई 6 फुट से कुछ ज्यादा है।
हुआ यूँ कि एक दिन मैं अकेला अपने कमरे में लैपटॉप पर पोर्न मूवी देख रहा था कि तभी सोनू मेरे पास आया और बोला- भैया कुछ नई मूवीज हों तो दे दो।
वो मेरे बाजू में बैठ गया और मैंने जल्दी से पोर्न मूवी हटा दी और लैपटॉप में मूवी ढूँढने लगा।
उसने शायद पोर्न मूवी की झलक देख ली थी, इसलिए वो मुझसे बोला- भैया अभी आप पोर्न देख रहे थे ना?
मैं झिझकते हुए बोला- हाँ.. लेकिन तुझे कैसे पता!
पहले तो बोला- मैंने हल्की सी झलक देख ली थी और आपका वो भी खड़ा है।
यह कह कर वो शर्मा गया.. मुझे शक़ हुआ कि कहीं ये लड़का गांडू तो नहीं है।
मैंने बात आगे बढ़ाते हुए उससे कहा- क्यों पोर्न देख कर तुम्हारा लंड खड़ा नहीं होता क्या?
वो बोला- होता है ना!
तो मैंने बोला- फिर आ जाओ.. साथ में पोर्न देख कर मुठ मारते हैं।
वो शर्मा रहा था, लेकिन मैं समझ रहा था कि उसका बहुत मन है।
मैंने एक फिल्म चला दी और धीरे-धीरे माहौल बनने लगा.. तो मैंने अपना लंड ऊपर से ही मसलना शुरू कर दिया। मेरे लंड मसलते ही वो बहुत ध्यान से मेरे लंड की तरफ देख रहा था।
यह देख कर मैंने पूछ लिया- इतना क्या देख रहा है? आज से पहले किसी का लंड नहीं देखा क्या?
वो मायूसी से बोला- नहीं भैया!
मुझसे हँसी आ गई और मैं बोला- चलो आज तुम्हें दिखाते हैं कि जवान मर्द का लंड कैसा होता है।
अब मैंने अपना पजामा नीचे करके अपना खड़ा लंड बाहर निकाल दिया।
मेरा मूसल लंड देख कर उसका मुँह खुला का खुला रह गया। फिर उसको लंड दिखाते हुए उसे अपना लंड पकड़ा दिया और थोड़ी देर बाद किसी तरह उसको उकसा कर लंड चुसा भी दिया।
अब सोनू मेरा गुलाम हो चला था। हफ्ते में एक-दो बार वो मेरे साथ पोर्न देखता था और मेरे लंड की मुट्ठ मारता था। उसके पास एक छोटी से लुल्ली थी।
एक दिन में उसे चिढ़ा रहा था.. तभी उसने बोला- सबका आपके जितना बड़ा नहीं होता।
उसकी इस बात पर मैंने उससे पूछा- और किसका देख लिया तूने?
तो वो शर्मा गया.. मेरे ज़ोर देने पर बोला- पापा का!
फिर उसने मुझे बताया कि उसने कई बार अपनी माँ और पापा को सेक्स करते हुए देखा है।
ये सब सुन कर मेरा लंड एकदम से अकड़ गया और मैंने उससे कहा- क्या-क्या देख तूने बता ना..!
अब वो मजा लेकर अपनी मम्मी और पापा की चुदाई की कहानी सुनाता हुआ मेरे लंड से खेलने लगा।
अगली सुबह मैं अपनी बालकनी में बैठा कुछ पढ़ रहा था.. उस वक्त 11 बज रहा था। मेरे घर के ठीक सामने ही सोनू का घर है और उसके घर की बालकनी और मेरी बालकनी के बीच का फ़ासला न के बराबर है।
तभी मैंने देखा कि सोनू की मम्मी झाड़ू मार रही हैं। मेरे दिमाग ने तुरंत मुझे आगे होने वाले रोमांचक दृश्य दिखा दिए कि इसके बाद वो बालकनी में आएंगी और झुक कर झाड़ू लगाएगीं.. तो उनके 38 साइज के बड़े-बड़े चूचे देखने को मिलेंगे।
यही हुआ भी.. कुछ ही पलों बाद वो बालकनी में आईं। आज उन्होंने हल्के रंग का सूट सलवार पहना था। मैं उन्हें चुदासी नजरों से देखने लगा।
तभी मैंने देखा कि उन्होंने ब्रा नहीं पहनी हुई थी.. जिसकी वजह से मुझे उनकी चूचियों के ऊपर की भूरे रंग की घुंडियां तक साफ-साफ दिख रही थीं। उम्म्ह… अहह… हय… याह… यह देखते ही मेरा लंड खड़ा होने लगा।
कमाल की बात यह थी कि उन्होंने मुझे अपने मम्मे घूरते हुए देख लिया था, इसके बाद भी मुझे अपने मम्मों को यूं घूरता देख वो बिल्कुल भी नहीं शर्माई बल्कि जब हमारी नजरें मिलीं.. तो उनके चेहरे पर एक कामुक मुस्कान थी।
अब मुझे थोड़ा यकीन था कि मैं उनके हिलते हुए दूध देखूंगा तो वो शोर मचाने वाली नहीं हैं।
वो झुक कर झाड़ू लगा रही थीं और मैं उनकी गोरी चूचियों को हिलते हुए देख रहा था और अब तो मैं बीच-बीच में उन्हें दिखाते हुए अपना लंड मसल भी लेता था।
तभी वो अन्दर गईं और मैं उठकर बालकनी के किनारे आकर उनके घर में देखने की कोशिश करने लगा। कुछ ही पल बाद सोनू की मम्मी पोंछा मारने के लिए एक बाल्टी में पानी भर कर लाईं।
क्योंकि हमारे घर बहुत करीब हैं तो इस वक़्त मैं सोनू की मम्मी से करीब 4 फ़ीट की दूरी पर ही खड़ा था।
माहौल दोनों तरफ से गर्म था.. लेकिन शायद सोनू की मम्मी काफी तेज थीं। मुझे यूं देख कर उन्होंने तुरंत मुझसे बात करनी शुरू कर दी। उनकी सहज भाव से बात होते ऐसी लगी, मानो इतनी देर से कुछ चल ही नहीं रहा था।
सोनू की मम्मी- देख न रोहित.. कितनी गर्मी हो गई है.. आजकल तो अच्छे से पानी भी नहीं आ रहा है।
मैं- हाँ आंटी.. गर्मी तो बहुत बढ़ गई है.. काम करते-करते आप तो पसीने से पूरा भीग गई हो।
ये बोल कर मैं उनके दूध की तरफ देखने लगा.. जो सच में बीच में थोड़ा पसीने से भीग गए थे।
वो मेरा इशारा समझ कर हँसने लगी।
अब ऐसे ही बात करते-करते वो पोंछा लगा रही थीं और मैं खड़ा होकर एकटक उनकी चूचियों की गहराइयों में खो रहा था।
थोड़ी देर बार वो अपनी 42 इंच की गांड में फंसी हुई सलवार दिखाते हुए अन्दर चली गईं।
तभी मेरी नजर बाजू के कमरे में खड़े सोनू पर गई.. उसने ये सब देख लिया था। अब मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ.. कहीं वो इस बारे में अपने पापा से न कह दे।
खैर.. इसके आगे की कहानी अब सोनू की ज़ुबानी आपके समक्ष पेश है।
हैलो मैं सोनू.. आज जो मैंने देखा वो बहुत अजीब था.. मेरी माँ इतनी कामुक औरत हैं, ये मैंने कभी नहीं सोचा था। जो भी मैंने देखा, उससे पता नहीं क्यों, पर मुझे बहुत उत्तेजना महसूस होने लगी थी। मुझे ऐसा लग रहा था मानो मेरी आखों के सामने कोई ब्लू फिल्म चल रही हो।
चूंकि मैं इस फिल्म को और आगे देखना चाहता था कि क्या सच में मेरी माँ अपनी टांगें किसी गैर मर्द के लिए भी खोल देगीं। क्या मेरी माँ की चूत से टपकता रस इतना रसीला है कि उनसे आधी उम्र का लड़का उसे चखने को मचल रहा है।
चलिए अब बताता हूँ कि मेरी माँ और उस मुस्टण्डे भैया के बीच आगे क्या-क्या हुआ।
पूरे दिन यही सोचता रहा कि अब मैं भैया से कैसे मिलूंगा.. पता नहीं उन्हें कैसे बताऊंगा कि जो हो रहा है मुझे उससे कोई दिक्कत नहीं.. बशर्ते सब मेरी आँखों के आगे हो।
शाम को हिम्मत करके मैं भैया के पास गया और ऐसे बात करने लगा मानो कुछ हुआ ही नहीं है, फिर हम फिल्म साथ में देखने लगे।
मेरा हाथ में भैया का मूसल लंड था और उनके हाथ में मेरी छोटी से लुल्ली थी। आज भैया ने जानबूझ कर एमएलएफ वाली फिल्म लगाई थी.. जिसमें एक अधेड़ उम्र की औरत चुद रही थी।
थोड़ी देर बात भैया ने बोला- सोनू इस औरत की गांड कितनी बड़ी और सेक्सी है न..!
मैं बोला- हाँ भैया है तो..!
भैया- एक बात बोलूं.. तुम बुरा तो नहीं मानोगे?
मेरा दिल एक पल को रुक गया.. क्योंकि मैं भी समझ रहा था कि अब क्या बात होने वाली है.. पक्के में भैया मेरी माँ की रसीली जवानी की बात करने वाले हैं।
मैं- हाँ भैया बोलो न.. अब आपसे क्या बुरा मानना!
भैया- ये फिल्म की औरत की गांड एकदम आंटी (मेरी माँ) के जैसी है न!

मैं थोड़ा अटक सा गया.. मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि इस बात पर मैं क्या बोलूं। अपनी माँ की भरपूर जवानी के बारे में मैं भैया से खुद कैसे बात कर सकता हूँ!
मैं बस ‘हम्म..’ बोल कर रह गया।
अब भैया को भी समझ आ गया था कि मैं इन सब बातों का बुरा मानने वाला नहीं हूँ.. तो वो फिल्म के साथ साथ मेरी माँ का बारे में गन्दी बातें करने लगे थे और मेरी लुल्ली की मुठ भी मार रहे थे।
भैया- ये देखो.. साड़ी में ये औरत कैसे चल रही है.. एकदम तुम्हारी माँ की तरह ही इसकी गांड मटक रही है। तुम्हारी माँ भी जब भी चलती हैं तो ठीक ऐसे ही मटकती है ना!
‘हाँ भैया..’
‘सच में सोनू, मैं सच बता रहा हूँ कि तेरी माँ की गांड इतनी मस्त है कि कई बार जब वो कुछ काम करके उठती हैं ना, तो पीछे से साड़ी उनकी गांड की दरार में फंस जाती है। उस वक्त मेरा मन तो करता है कि मैं अपने होंठों से पकड़ कर साड़ी को बाहर निकाल लूँ और उनकी गांड में घुस जाऊँ।’
अपनी ही माँ की बारे में यह सब सुन कर मेरी लंड अकड़ता जा रहा था, मेरे मुँह से बस ‘आहें..’ निकल रही थीं और भैया मेरी लुल्ली मुठियाते हुए आगे बोलते जा रहे थे- सच में सोनू.. एक बार अपनी माँ की चूत दिलवा दे। उसकी चूत क्या मस्त पॉव रोटी जैसे होगी.. एकदम रस से भरी.. जब वो मेरे लंड के आगे चुदने के लिए कुतिया बनेगी.. तो उसकी चूत से टपकता रस मैं अपनी जीभ से किसी कुत्ते की तरह चाट जाऊंगा!
‘आह भैया.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह..’ और मेरी रसधार निकल गई और कुछ सेकंड में भैया भी जोर से गुर्राए और उनका गाड़ा मरदाना वीर्य मेरे हाथ में छप गया था।
थोड़ी देर बाद मैं अपने घर आ गया।
कुछ दिन ऐसे ही सब चलता रहा। मेरे पीठ पीछे भैया ने क्या किया.. मुझे ज्यादा पता नहीं.. लेकिन फिर एक दिन भैया मेरे घर आए, उस वक़्त पापा घर में नहीं थे, मम्मी भैया को देख कर काफी खुश थीं।
भैया मेरे पास बैठ कर मुझसे बात करने लगे और मुझे कंप्यूटर पर कुछ-कुछ सिखाने लगे।
तभी मम्मी ने भैया को बोला- रोहित, बेटा चाय पियोगे या शरबत?
भैया बोले- आंटी मुझे सब चलेगा, चाय शरबत या दूध..
मेरी मम्मी की चूचियों की तरफ भैया ये बोल कर थोड़ा सा मुस्कुरा दिए, जो समझ कर मम्मी भी शर्मा गईं।
मम्मी धीरे से बोलीं- अभी इतनी बड़े नहीं हुए हो!
उनको लग रहा था कि मेरा ध्यान कंप्यूटर में है, न कि उनकी बातों में!
तभी मम्मी अन्दर चली गईं.. लेकिन कुछ ही मिनट में मम्मी की आवाज आई- आओ बेटा रोहित.. तुम्हें अपना घर दिखाती हूँ।
भैया ख़ुशी ख़ुशी उठ कर चले गए।
मम्मी ने मेरे आस-पास पूरा घर दिखाया और आखिर में वे दोनों किचन में चले गए जहाँ चाय बनने के लिए गैस पर चढ़ी थी।
मुझे बाहर से उन दोनों की बात करने की और हँसने की आवाजें आ रही थीं.. मेरा देखने का बहुत मन हो रहा था। इसीलिए मैं किचन के दूसरी तरफ वाले कमरे में चला गया.. वहाँ से किचन दिख रहा था।
मैं आप सभी को बता दूँ कि उस वक़्त मम्मी ने एक सिल्क की नाइटी पहनी हुई थी और अब तक जितना मैंने देखा था कि मेरी माँ घर में नाइटी के अन्दर कुछ नहीं पहनती हैं। क्योंकि मैंने कई बार उनके निप्पल्स एकदम उभरे हुए देखे हैं और जब माँ काम करते वक़्त झुकती हैं तो मुझे उनके पिछवाड़े से पता चल जाता था कि उन्होंने अन्दर पैंटी भी नहीं पहनी है। ऊपर से सिल्क इतना पतला होता है कि बस पहना न पहना.. सब बराबर होता है।
दूसरी तरफ भैया ने नायलॉन का बॉक्सर टाइप कच्छा पहना हुआ था.. मुझे पूरा यकीन था कि अंडरवियर तो उन्होंने भी नहीं पहना होगा.. क्योंकि रोज़ मैं उनके कच्छे में हाथ जो देता था।
अब वापिस किचन में चलते हैं, उन दोनों के बीच बात हो रही थी।
भैया मम्मी के थोड़ा पीछे खड़े सिल्क की नाइटी में उनकी गांड की बनावट निहार रहे थे। मेरी माँ भी अपनी वासना छुपा नहीं पा रही थीं और भैया को देख-देख कर मुस्कुरा रही थीं।
मुझे तो लग रहा था कि आज कुछ होने वाला है।
तभी माँ वापिस पलटीं और कुछ लेने के लिए भैया का बगल से गुजरीं।
मैंने उस वक़्त सब बहुत ध्यान से देखा, मानो सब कुछ स्लो-मोशन में चल रहा हो। जैसे ही मेरी माँ अपनी मुलायम मोटी गांड मटकाती हुई भैया के बगल से गुजरीं.. भैया ने जानबूझ कर अपना हाथ थोड़ा से आगे कर दिया, जिससे मम्मी की गांड पर बड़े ही प्यार से सहलाना हो गया। मुझे शक़ है कि भैया ने मम्मी की गांड को शायद थोड़ा तो दबाया भी था।
ये सब कुछ ऐसा हुआ मानो कोई गलती से छू गया हो। दोनों ने एक दूसरे की तरफ देखा और मुस्कुरा दिए।
भैया आंटी से बोले- सिल्क का कपड़ा तो बहुत मुलायम है।
और इतना कह कर वे हँसने लगे, मम्मी भी हंसते हुए कुछ सामान लेने लगीं।
ये सब देख कर मेरा हाथ अपने लंड पर आ गया था।
वे दोनों ही जानते थे क्या हो रहा है और दोनों ही शायद और खेलना चाहते थे। तभी मम्मी वहाँ से वापिस पलटीं और इस बार भैया का दिमाग में शैतानी घुस गई थी।
भैया इस बार ठीक मम्मी के पीछे आकर खड़े हो गए थे ताकि मम्मी पलटें और भैया से भिड़ जाएं।
इधर एक हाथ से मैं अपनी लुल्ली मुठिया रहा था.. उधर अपनी ही माँ की अय्याशी देख रहा था।
जैसे ही मेरी कुतिया माँ पलटीं.. भैया अपने दोनों हाथ ठीक माँ की चूचियों के सामने किए खड़े थे।
ओहो.. क्या रसीला नज़ारा था, मम्मी का भैया से टकराना.. मम्मी के दोनों दूध भैया के हथेलियों में कैद थे और उसी पल भैया ने उनको दबोच कर अच्छे से नाप लिए।
जैसे ही भैया ने मम्मी के दूध मसले मम्मी के मुँह से एक कामुक ‘आह..’ निकल गई।

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इधर मेरे हाथ भी ज़ोरों पर चल रहे थे और दिल भी फुल स्पीड से धड़क रहा था।
इससे पहले मम्मी इस हमले से संभल पातीं.. भैया इस टक्कर से मम्मी को गिरने से बचने के बहाने मम्मी को अपनी और खींच कर अपनी बांहों में ले लिया और बोले- अरे आंटी.. जरा संभल कर..!
अब मेरी जवानी से भरपूर माँ एक मुस्टण्डे मर्द की बांहों में थीं.. मेरी माँ की मुलायम चूचियां भैया की छाती से मसली जा रही थीं।
तभी मैंने देखा भैया ने अपने एक हाथ को मम्मी की कमर पर रख दिया।
अब तक मम्मी संभल चुकी थीं लेकिन उनकी साँसें तेज हो गई थीं और उन पर चुदास का सुरूर चढ़ रहा था।
एक पल को उन्होंने भैया की तरफ नशीली आँखों से देखा.. मानो कह रही हों.. अब और किस का चीज इंतज़ार है.. ले चलो अपनी कुतिया को उठा कर बैडरूम में.. और चोद-चोद कर मेरी चूत का भोसड़ा बना दो।
तभी मेरी माँ थोड़ी होश में आईं और भैया से दूर हो गईं।
माँ वापिस चाय बनाने में लग गई.. कुछ पल के लिए शांति छा गई थी, मानो आने वाले उस चुदाई के घमासान से पहले का सन्नाटा छाया हो।
तभी माँ ने चायपत्ती लेने के लिए ऊपर की तरफ हाथ बढ़ाया.. मगर वो उनकी पहुँच से थोड़ा बाहर था।
मेरी माँ बहुत गरमा गई थीं और खेल को शायद और आगे लेकर जाना चाहती थीं, वो भैया से बोलीं- बेटा ये चाय पत्ती का डिब्बा उतार दोगे?
भैया तो किसी भूखे शेर की तरह लपके ‘हाँ आंटी जरूर..’
इससे पहले की मम्मी वहाँ से हट पातीं.. कि भैया मम्मी के ठीक पीछे आ गए और वहीं से डब्बे की तरफ हाथ बढ़ाया।
मम्मी ने भैया को अपने पीछे देखा तो समझ गईं कि अब निकलना मुश्किल है.. बल्कि यूं कहें कि शायद वो चाहती भी यही थीं। अब माँ वहीं स्लेब पर आगे की तरफ झुक गईं।
दोस्तो, मैं अपनी ही माँ के बारे में एकदम सच कह रहा हूँ.. क्या कामुक नजारा था। आगे झुकने की वजह से माँ की गांड और बाहर को निकल आई थी। ऐसे जैसे पोर्न मूवी में लड़कियाँ खड़े-खड़े थोड़ा आगे झुक कर, गांड पीछे निकाल कर चुदवाती हैं।
तभी भैया ने अपना खेल खेला.. बोले- पहुँच नहीं पा रहा हूँ।
यह कह कर भैया मम्मी के और करीब आ गए, अब भैया ने अपने लंड को बिल्कुल ठीक नाप कर मम्मी की गांड और चूत वाले हिस्से पर लगा दिया।
भैया का मूसल लंड लगने से मम्मी एकदम से काँप उठीं और उन्होंने स्लैब के किनारे को जोर से पकड़ किया। मम्मी की साँसें जोर जोर से चल रही थीं.. मानो अब उनसे बर्दाश्त नहीं हो पा रहा था।
तभी भैया मम्मी से चिपक गए और अब उन्होंने अपना पूरा लंड मम्मी की चूत वाले हिस्से में दबा दिया। उन दोनों के कपड़े इतनी बारीक़ थे कि शायद लंड और चूत एक-दूसरे को अच्छे से महसूस कर पा रहे होंगे।
मेरी माँ की आँखों में वासना की भूख बढ़ती जा रही थी, उनकी चुदास अब एकदम साफ़ दिख रही थी।
इधर भैया डब्बे तक पहुँचाने का बहाना बनाते हुए मम्मी को वहीं कपड़ों से ऊपर से ही रगड़ते हुए चोद रहे थे।
अब मुझे भैया के लंड का उभार साफ-साफ दिख रहा था.. भैया का लंड एकदम कड़क हो गया था। इधर दोनों में से कोई भी ये खेल रोकना नहीं चाह रहा था।
अब भैया का लंड एकदम टेंट बना चुका था और जैसे ही मम्मी को लंड की सख्ती महसूस हुई.. वो किसी गरम कुतिया की तरह और आगे की तरफ झुक कर अपनी गांड भैया के लंड में घुसाने लगीं।
अब भैया का खड़ा लंड ठीक मम्मी की गांड की दरार में से होकर उनकी चूत वाले हिस्से में घुसा जा रहा था और वहाँ से मम्मी की नाइटी अन्दर को घुसी हुई दिख रही थी।
इधर मम्मी मदहोश हुई जा रही थीं कि तभी भैया ने डब्बा उतार कर मम्मी के आगे रख दिया.. चाय का तो पता ही नहीं क्या हुआ।
जैसे ही डब्बा सामने आया.. मम्मी का होश वापिस आया और वो सीधी हो गईं, लेकिन भैया अभी भी ठीक मम्मी के पीछे चिपके खड़े थे।
मम्मी अब भी भैया के लंड को महसूस कर रही थीं।
तभी भैया ने मम्मी से कहा- और क्या उतारूँ आंटी जी?
यह सवाल सुनते ही मम्मी शर्म से सर झुक लिया।
भैया ने मम्मी की कमर को दोनों तरफ से पकड़ा और मम्मी के कान में बोला- कहो तो ये नाइटी भी उतार दूँ!
और यह कहते हुए भैया धीरे धीरे अपने दोनों हाथ कमर से होते हुए मम्मी की मुलायम चूचियों पर ले आए और उन्होंने बड़े प्यार से मम्मी की चूचियों को सहलाया.. फिर हल्के से माँ की बड़ी-बड़ी घुंडियों को उमेठ दिया.. जिससे मम्मी के मुँह से एक और बड़ी कामुक ‘आह..’ निकल पड़ी।
‘उम्म रोहित..’ कहते हुए मम्मी ने घूमते हुए अपना सर भैया की चौड़ी छाती में रख दिया मानो कह रही हों कि अब ये रंडी तुम्हारी हुई.. बना लो मुझे आज अपनी कुतिया और अपने मूसल से मेरी चूत को चोद चोद कर घायल कर दो।
तभी गली में कोई कुत्ता भौंका और दोनों एकदम से डर गए.. इस अचानक आवाज से मैं भी डर गया। वे दोनों तुरंत होश में आए और अलग हो गए.. मैं भी वहाँ से भाग कर अपने कमरे में आ गया।
तभी दोनों कमरे में आए, मम्मी की शक्ल ऐसी थी मानो किसी कोठे की मशहूर रंडी हों.. उनकी आँखों में वासना भरी हुई साफ़ दिख रही थी।
मेरी नज़र मम्मी के घुंडियों पर गई, एकदम तनी हुईं.. लगभग एक इंच लंबी बाहर की तरफ उठी थीं। ऐसा मैंने अपनी माँ को कभी नहीं देखा था।
भैया मुझसे बोले- सोनू तुम्हें मूवीज चाहिए थी न.. एक काम करो मेरे रूम में जाओ.. लैपटॉप में 50 मूवीज हैं.. सब कॉपी कर लो।
मम्मी वहाँ से दूसरे कमरे में जाने लगीं.. तो मैंने देखा कि माँ के पीछे ठीक गांड वाले हिस्से में बहुत सारा गीलापन है।
अतः मैंने समझ लिया कि ये क्या है.. ये मेरी माँ की चूत से निकला हुआ रस था.. हाँ ये वही है.. आह..
मैं समझ गया कि भैया मुझे वहाँ से भेजना चाहते हैं ताकि माँ खुल कर चुदवा सकें।
भैया ने मुझे आँख मारी और मैं समझ गया कि भैया का कोई प्लान है।
मैं वहाँ से निकल गया, तभी मुझे व्हाट्सएप्प पर भैया का मैसेज आया कि वो मम्मी के साथ अन्दर के कमरे में जाएंगे.. इस मैसेज का मतलब था कि मैं बालकनी से अन्दर आकर सब देख सकता हूँ।
मैं जल्दी से भैया के रूम से लगी बालकनी से अपने घर में कूद गया और फिर चुपचाप अन्दर आ गया। मुझे मेरी माँ की मादक आवाज आ रही थी.. मानो वो कोई गाय की तरह चुदने के लिए रंभा रही हों।
मेरा हाथ खुद अपने लंड पर चला गया।
एक औरत जब कामुक होती है, तो उसकी आवाज में जो कामुकता भरी होती है.. वो मैं साफ-साफ महसूस कर पा रहा था। मैं खुद इतना अधिक कामोत्तेजित था और मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरा लंड फट पड़ेगा।
मैंने धीरे से कमरे के अन्दर झाँका, भैया ने माँ को दीवार के सहारे खड़ा कर दिया था और खुद उनके ऊपर छा गए थे। भैया मेरी माँ के पंखुड़ी जैसे होंठों को बेतहाशा चूस रहे थे।
मेरी माँ ने भी भैया का सर पकड़ रखा था। माँ की बेकरारी यूं दिख रही थी मानो आज वो किसी भूखी शेरनी की तरह हों। तभी भैया ने मम्मी की नाइटी नीचे से उठानी शुरू की.. मेरी साँसें अब भारी होने लगी थीं।
नाइटी मम्मी की जाँघों तक उठ चुकी थी.. मेरी माँ की एकदम दूध सी गोरी गदरायी सुडौल टांगें थीं। तभी नाइटी मम्मी के शरीर से अलग हो गई।
आआअह्ह.. मेरी माँ एक कामदेवी लग रही थीं.. उनका दूध सा गोरा बदन.. बड़ी सी एक रस भरी गांड.. फिर एक सुराही सी कमर.. जिस पर एक काला धागा नज़र और फिर मेरी माँ के तने हुए दूध, आआआह्ह.. एकदम लंड झड़ा देने वाला नजारा था।
अब उन दोनों के शरीर से कपड़े उतर चुके थे और दोनों ही एक-दूसरे को चूम रहे थे.. कभी काट रहे थे। इस वक़्त कमरे में लग रहा था कि मानो कामदेव और रति का प्रहार हुआ हो।
तभी भैया ने मम्मी को नीचे होने को कहा और माँ मेरी नीचे बैठ का भैया का लंड अपने मुँह में लेकर जोर-जोर से चूसने लगीं। मम्मी के लाल लिपस्टिक वाले होंठ भैया के लंड के ऊपर-नीचे हो रहे थे।
इस वक़्त मम्मी की पीठ मेरी तरफ थी, मम्मी अपनी पंजे पर बैठ कर भैया का लंड चूस रही थीं.. जिससे उनकी गांड पीछे एकदम खुली हुई थी, उनका वो भूरा गांड का फूल सिकुड़ रहा था.. कभी खुल रहा था।
मेरा मन कर रहा था जाकर उसे चूस लूँ।
ठीक उसके नीचे, भूरे रंग की चूत की दो फांकें एकदम खुली नज़र आ रही थीं और उनके बीच सुर्ख लाल चूत, जो अपने कामरस से चमक रही थी।
भैया ने अब मम्मी को अपनी गोद में उठाया और बिस्तर पर पलट दिया और खुद उनके ऊपर आ गए। अब वो पल आ चुका था.. जब मेरी अपनी माँ अपने घर सेज पर किसी और की रंडी बनने जा रही थीं।
भैया ने अपना लंड मम्मी की भट्टी जैसी गर्म चूत पर रख कर आगे पीछे रगड़ा तो मम्मी तड़प उठीं- उम्म्ह… अहह… हय… याह… रोहित.. डाल दो.. अअअ आह्ह..
मम्मी का कहना था कि तभी भैया ने एक ही झटके में अपना मूसल लंड मम्मी की चूत की गहराइयों में उतार दिया। इस एकदम से हुए प्रहार से मम्मी की चीख निकल गई ‘ओह्ह्ह्ह्ह माँ मर गई..!’
लेकिन फिर यह चीख कामुक आवाज में तब्दील हो गई ‘आआह्ह.. रोहिततत.. उम्म.. आह्ह्ह..’

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फिर कुछ देर की घमासान चुदाई के बाद माँ रोहित को ऊपर आकर घुड़सवारी करने लगीं।
उन दोनों के कंठ से गुर्राने के आवाजें आने लगीं ‘आअह्ह्ह्ह.. हाय मेरी कुतिया.. ऐसे ही.. आज तेरी चूत का भोसड़ा बना ही दूंगा..!’
माँ चुप थीं.. वे बस ‘आह.. आह्ह.. करते हुए अपनी चूत की खुजली मिटवा रही थीं। उनकी दोनों आँखें बंद थीं.. मानो वो किसी और दुनिया में विचार रही थीं।
तभी मैंने देखा रोहित के लंड के आसपास बहुत सारा सफ़ेद रंग का कामरस इकठ्ठा हो गया था.. वो मेरी माँ की चूत से निकला हुआ रस था।
करीब दस मिनट की चुदाई के बाद रोहित ने अपना वीर्य मेरी माँ की चूत में भर दिया।
माँ अब भी रोहित के ऊपर ही थीं।
भैया का लंड सिकुड़ कर चूत से बाहर आ गया और माँ की चूत से दोनों का मिला हुआ रस बाहर आने लगा।
दोनों काफी थक गए थे और काफी देर तक ऐसे ही लेटे रहे।
मैं भी वहाँ से जल्दी ही वापिस निकल गया।
इसके बाद ये चुदाई का सिलसिला चलता रहा और कुछ समय बाद भैया ने मुझे मेरी ही माँ का चूतरस चखाया।
उस सब को अभी भी जब सोचता हूँ तो मेरा लंड खड़ा हो जाता है।
अब आगे रोहित की जुबानी..
तो दोस्तो, कैसे लगी ये दास्तान? मुझे जरूर बताएं।



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