पति की सहमति से परपुरुष सहवास-1

मंगल के मुँह से गालियाँ सुनके आरती को अच्छा लगा लेकिन पूजा डर गयी। एक तो मंगल ने पूजा की नंगी कमर पकड़ी हुई थी और आरती के सामने लंड मसलते हुए उसने गालियाँ देके पूजा के बारे में भी सब बातें बता दी थीं। पूजा को यकीन हो गया कि अब उसकी माँ उसे बहुत मारेगी और इन दोनों को पुलीस में ज़रूर देगी। उसने देखा कि उसकी माँ की चूचियाँ भी ऊपर-नीचे हो रही हैं। पूजा को क्या पता था कि आरती का दिल गुस्से से नहीं बल्कि मंगल की गालियों से और उन दोनों का नंगा लंड देख के धड़क रहा था। बड़ी मुश्किल से आरती ने अपने आप पे काबू रखा और बड़ी मुश्किल से अपनी नज़र मंगल के लंड से हटाती हुई पूजा से बोली, “पूजा क्या यह सच है…? तू कॉलेज में भी ऐसा करती है… वो भी दो-दो लड़कों के साथ…? और तेरे साथ यह सब करने के बाद यह तुझे पास करने वाले हैं? अरे बेटी तूने तो खुद का सौदा कर दिया… बेच दिया एक तरह से अपने आपको तूने।” यह कहते वक्त भी आरती की नज़र जसवंत के लंड पे थी और मंगल अभी भी पूजा की कमर में हाथ डाले हुए था और पूजा ने अपना सीना टॉवल से ढका हुआ था। तब जसवंत आरती की कमर में हाथ डालते हुए बोला, “क्या सब अपनी बेटी के सामने पूछेगी? वैसे बहुत अच्छी बेटी है तेरी… बस थोड़ा सा बहक गयी है लेकिन अब हम उसे ठीक करेंगे। तू कोई टेंशन मत ले आरती… ठीक है? पूजा तू जा और तेरी माँ के लिए पानी ले आ… तब तक मैं तेरी माँ को अच्छे से समझाता हूँ।” आरती पूजा से पानी के बजाय सब के लिए व्हिस्की के पैग बना के लाने को बोली पर जसवंत और मंगल ने इनकार कर दिया के वो लोग शराब छूते भी नहीं हैं।

पूजा अपने बदन पे टॉवेल लपेटे ही आरती के लिए पैग बनाने चली गयी। वो सोच रही थी कि आज तो उसकी माँ उसकी जान ही ले लेगी। अब उसे पूजा के बारे में सब पता चल गया था कि वो कॉलेज में दो-दो लड़कों से चुदवाती है और लेक्चर बँक करती है… उसको कॉलेज से निकालने वाले थे और अब उसकी माँ ने अपनी आँखों से उसे जसवंत सर और मंगल के साथ चुदवाते देखा था। पूजा चाहती थी कि किसी भी तरह जसवंत सर उसकी माँ को समझायें और उसकी माँ का गुस्सा कम करें। एक ग्लास में व्हिस्की और बर्फ डाल के और साथ में ठंडे पानी की बोतल लेके जब वो आयी तो जो नज़ारा उसने देखा उससे वो आश्चर्य चकित रह गयी। आरती अब जसवंत और मंगल के नंगे बदन के बीच में खड़ी थी और उन मर्दों ने उसे सैंडविच किया हुआ था। जसवंत आगे से आरती को किस कर रहा था और पीछे से मंगल आरती को दबोच के के उसके मम्मे मसलते हुए अपना नंगा लंड साड़ी के ऊपर से उसकी गाँड पे रगड़ रहा था। पूजा ने देखा कि उसकी माँ जो अभी तक उनसे गुस्से से बात कर रही थी अब खुशी से उन मर्दों के साथ खेल रही है। आरती ने जसवंत का लंड पकड़ा हुआ था और दूसरे हाथ से जसवंत का बदन अपने बदन पे दबा रही थी। यह सब देख के पूजा ज़ोर से बोली, “मम्मी यह क्या कर रही हो…? अभी मुझे इतना सुनाके अब खुद तुम इन दोनों के साथ मस्ती कर रही हो…? मुझे बेशरम कहती हो पर अब खुद को देखो कैसे लिपट रही हो?”

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पूजा की बात सुनके मंगल उसके पास आके और पूजा का हाथ पकड़के बोला, “मेरी राँड… अब तुझे कोई डरने की जरूरत नहीं… हमने तेरी माँ को सब समझा दिया है और वो मान गयी है… अब हम तेरी चुदाई बिंदास कर सकते हैं… वो भी तेरी माँ के सामने… है ना आरती?” आरती मुस्कुराती हुई अपना सिर हिला कर से हाँ बोली पर पूजा को फिर भी यकीन नहीं हो रहा था। वो हैरान होके बोली, “मम्मी तुम क्यों यह सब कर रही हो? इन्होंने ऐसा क्या बताया तुम्हें कि तुमने इनकी बात मान ली…? मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है… प्लीज़ कोई मुझे बताओ कि यह सब क्या चल रहा है…।”

पूजा की हैरनी देखके आरती ने पूजा का हाथ पकड़ के उसे सोफ़े पे अपने पास बिठाया और मंगल भी सोफ़े के पीछे खड़ा हो गया और जसवंत आरती के सामने। आरती ने पूजा के हाथ से अपना पैग लिया और बिना पानी मिलाये ही एक ही घूँट में गटक गयी और फिर जसवंत का लंड पकड़के प्यार से एकदम बेशरम होके पूजा से बोली, “अरे पूजा… मुझे यह साले जसवंत ने परसों कॉलेज में बुलाया था तेरी शिकयत करने के लिए… और तुझे कॉलेज से निकालने की बात बतायी। मुझे यह भी बताया कि तू दो-दो लड़कों से एक साथ मस्ती करती है… सच बोलूँ तो तेरी कहानी सुनके मुझे जलन हुई… क्योंकि तेरे पापा साल में एक महीने के लिए ही आते हैं पर उसके बाद मैं भी इधर-उधर जब भी मौका मिलता है किसी से भी चुदवा के अपनी चूत को शाँत करती हूँ… वैसे मुझे कभी भी चोदने वालों की कमी नहीं हुई… मैं बहुत ही चुदास हूँ और बहुत अय्याशी करती हूँ पर दो-दो मर्दों से एक साथ चुदवाने का मुझे कभी-कभार ही मौका मिलता है पर… मेरी बेटी को दो-दो लड़के अक्सर चोदते हैं। तब तुझे कॉलेज से ना निकाले जाने और अपनी प्यास बुझाने के लिए मैंने जसवंत को अपना जिस्म दिया। जसवंत ने मुझे अपने ऑफिस में बहुत चोदा। एक बार चोदने के बाद भी हम दोनों का दिल नहीं भरा तो दूसरा राऊँड शुरू किया। इस बार जसवंत ने मुझे पीछे से लिया। उसका यह मोटा लंड मेरी गाँड में अंदर घुसा तो मुझे दर्द हुआ और मैं चिल्लाई… तब मेरी आवाज़ सुनके यह मंगल आया…।”

मंगल ने आरती का पल्लू हटाके उसके मम्मे दबाते हुए झुक के आरती का गाल किस किया। आरती फिर आगे बोली, “हाँ मंगल आज भी तुझे मेरा जिस्म मिलेग चोदने को… थोड़ा सब्र कर…। हाँ तो पूजा… मैं बता रही थी कि… तो मेरी आवाज़ सुनके मंगल भी आया और परसों मुझे इन दोनों ने मुझे एक साथ खूब चोदा। इतना चोदने के बाद भी इनका दिल नहीं भरा और यह मुझे और चोदना चाहते थे। तब मैंने सोचा कि क्यों ना तुझे भी इसमें शामिल करूँ। इससे हम दोनों के बीच की शरम की दीवार भी खतम हो जायेगी और हम एक-दूसरे से छिपाए बगैर मिल कर अयाशियाँ कर सकेंगी और इसलिए मैंने जसवंत और मंगल को आज आपने घर बुलाया ताकि यह दोनों मर्द हम माँ बेटी को चोद सकें। जिस तरह से इन्होंने मुझे कल चोदा… मैं समझ गयी कि तू भी इनसे चुदवाके खुश होगी… बोल मैंने ठीक सोचा न बेटी?” यह बोल के आरती ने अपनी बाहें पूजा की तरफ फैला दी। इस कहानी का शीर्षक ’आरती की वासना’ है!

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पहले तो पूजा को अपनी माँ की गंदी बातें सुन के अचम्भा हुआ लेकिन फिर उसका डर खतम हो गया और वो खुशी से आरती की बाहों में जाके बेशरम होके बोली, “मम्मी तुम भी दूसरे मर्दों से चुदवाती हो… मुझे इस बात की भनक थी पर मुझे मालूम नहीं था कि तुम मेरे लिए इतना करोगी… मुझे डर था कि कहीं आपको पता चला तो आप मुझे मारोगी… पर अब कोई डर नहीं है मुझे। अब मैं समझी कि सर और मंगल बार-बार क्यों मुझे आपके बारे में गंदी बातें बोल रहे थे। मम्मी… तुम तीनों ने तो मेरी जान ही निकाल दी थी लेकिन अब मैं एकदम खुश हूँ… और आज से हम माँ-बेटी नहीं बल्कि सहेलियाँ हैं।” आरती पूजा के होंठ चूमते हुए बोली, “हमारे इस नए रिश्ते के नाम एक-एक जाम हो जाए… यह साले… दोनों तो पीते नहीं हैं पर मुझे पता है तू कभी-कभी मेरी व्हिस्की की बोतल में से चुरा के पीती है… क्या बोलती है… हो जाये एक-एक पैग…. और फिर शराब के सुरूर में चुदाई क मज़ा दूगुना हो जाता है… आरती ने उठ कर खुद ही व्हिस्की के दो तगड़े पैग बनाये और पूजा को उसका पैग देते हुए बोली, एक ही बार में ग्लास खाली करना है… पूजा… हमारे नये रिश्ते के नाम…. चीयर्स…।” फिर दोनों माँ बेटी अपने ग्लास आपस में टकरा के गटा-गट अपने पैग पी गयीं और फिर आरती ने खुद पूजा का टॉवल निकाल दिया। पूजा का नंगा जिस्म अपनी आँखों में भरती हुई आरती बेशरम हो के पूजा का निप्पल किस करने लगी। पूजा भी पहली बार एक औरत और वो भी अपनी माँ से निप्पल चुसवाते हुए और व्हिस्की के सुरूर से गरम हो गयी और आरती के मुँह में अपना निप्पल चुसवाने लगी। पूजा के दोनों निप्पल खूब चूस के आरती बोली, “अरे सालों… क्या सिर्फ़ हम माँ-बेटी का खेल ही देखते रहोगे या हमें चोदोगे भी…? जसवंत मेरे राजा तुझे क्या मेरी बेटी इतनी पसंद आयी कि तूने अभी तक मुझे नंगा भी नहीं किया…? परसों तो मेरे लिए बड़ी-बड़ी बातें कर रहा था तू… आज क्या मेरी बेटी पे ज्यादा दिल आ गया क्या तेरा? जसवंत चल तू उठ जा और मुझे नंगी करके चोद… और मंगल तू मेरी बेटी की गाँड मार… आज तुम मर्द हम माँ बेटी की प्यास बुझओ।” आरती का नशा पहले से बढ़ गया था और उसकी आवाज़ थोड़ी बहकने लगी थी और उसकी आँखें भी नशे और वासना से गुलाबी हो गयी थीं।

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