पापा से चुदवा लिया मैंने

‘हाय बेटी कपड़े उतारकर नंगी होकर बैठो तो बड़ा मजा आएगा।’

‘पापा चड्डी भी उतार दूँ।’ मैं अनजान बनी थी।

‘हाँ बेटी चड्डी भी उतार दो।

‘लड़कियों का असली मजा तो चड्डी में ही होता है।’

आज तुमको सारी बात बताएँगे। जब तक तुम्हारी शादी नहीं होती तब मैं ही तुमको शादी का मजा दूंगा। तुम्हारे साथ में ही सुहागरात मनाऊँगा।

‘तुम्हारी चूचियाँ बहुत टाइट हैं।’

बेटी नंगी हो जाओ।’ पापा फ्रॉक के अन्दर हाथ डाल दोनों को दबाते बोले।

जब पापा ने मेरी चूचियाँ को मसलते हुए कपड़े उतारने को कहा तो यकीन हो गया कि आज पापा के लण्ड का मजा मिलेगा।

मैं उनके लण्ड को खाने की सोच गुदगुदा गई थी। मैं मम्मी की रंगीन चुदाई को याद करती कुर्सी से नीचे उतरी और कपड़े उतारने लगी।

कपड़े उतार नंगी हो मम्मी की तरह ही पैर फैला कुर्सी पर बैठ गई। मेरी छोटी छोटी चूचियाँ तनी थी और मुझे जरा भी शरम नहीं लग रही थी।

मेरी जाँघों के बीच रोएंदार चूत पापा को साफ़ दिख रहे थे। पापा मेरी गदराई चूत को गौर से देख रहे थे।

चूत का गुलाबी छेद मस्त था। पापा एक हाथ से मेरी गुलाबी कली को सहलाते बोले, ‘हाय राम बेटी तुम्हारी चूत तो जवान हो गई है।’

‘अरे बेटी तुम्हारी चूत।’ पापा ने चूत को दबाया। पापा के हाथ से चूत दबाये जाने पर मैं सनसना गई। मैं मस्ती से भरी अपनी चूत को देख रही थी।

तभी पापा ने अपने अंगूठे को क्रीम से चुपड़ मेरी चूत में डाला। वो मेरी चूत क्रीम से चिकनी कर रहे थे। अंगूठा जाते ही मेरा बदन गनगना गया।

तभी पापा ने चूत से अंगूठा बाहर किया तो उस पर लगे चूत के रस को देख बोले, ‘हाय बेटी यह क्या है, क्या किसी से चुदकर मजा लिया है?’

मैं पापा के अनुभव से धक्क से रह गई। मैं घबराकर अनजान बनती बोली, ‘कैसा मजा पापा?’

‘बेटी यहाँ कोई आया था?’

‘नहीं पापा यहाँ तो कोई नहीं आया था।’

‘तो फिर तुम्हारी चूत में यह गाढ़ा रस कैसा?’

‘मुझे क्या पता? पापा जब आप मेरी चूचियाँ मसल रहे थे तब कुछ गिरा था शायद।’ मैं बहाना बनाती बोली।

‘लगता है तुम्हारी चूत ने एक पानी छोड़ दिया है। लो तौलिया से साफ़ कर लो।’

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पापा मुझे तौलिया दे चूचियों को मसलते हुए बोले। पापा से तौलिया ले चूत को रगड़ रगड़कर साफ़ किया। पापा को उमेश वाली बात पता नहीं चलने दी।

मैं चूचियाँ मसलवाते हुए पापा से खुलकर गन्दी बाते रही थी ताकि सभी कुछ जान सकूं।

‘बेटी जब तुम्हारी चूचियों को दबाता हूँ तो कैसा लगता है।’

‘हाय पापा तब जन्नत जैसा मजा मिलता है।’

‘बेटी तुम्हारी चूत में भी कुछ होता है।’

‘हाँ पापा गुदगुदी हो रही है।’ मैं बेशर्म हो बोली।

‘जरा तुम्हारी चूचियाँ और दबा लूँ तो फिर तुम्हारी चूत को भी मजा दूँ।’

‘बेटी किसी को बताना नहीं।’

‘नहीं पापा बहुत मजा है,किसी को नहीं पता चलेगा।’

पापा मेरी चूचियों को मसलते रहे और मैं जन्नत का मजा लेती रही। कुछ देर बाद मैं तड़प कर बोली, ‘ऊओह्हछ पापा अब बंद करो चूचियाँ दबाना और अब अपनी बेटी की चूत का मजा लो।’

अब मैं भी पापा के साथ खुलकर बात कर रही थी। इस समय हम दोनों नहीं बाप-बेटी थे। पापा मेरी चूचियों को छोड़कर मेरे सामने आये। पापा का मोटा लण्ड खड़ा होकर मेरी आँखों के सामने फूदकने लगा।लण्ड तो पापा का पहले भी देखा था पर इतनी पास से आज देख रही थी। मेरा मन उसे पकड़ने को ललचाया तो मैंने उसे पकड़ लिया और दबाने लगी। चूत पापा के मस्त लण्ड को देख कर लार टपकाने लगी।

पापा का मोटा लण्ड देख हुई हैरानी
मैं पापा के केले को पकड़कर बोली, ‘शश पापा आपका लण्ड बहुत मोटा है। इतना मोटा मेरी चूत में कैसे जाएगा।’

‘अरे पगली मर्द का लण्ड ऐसा ही होता है। मोटे से ही तो मजा आता है।’

‘पर पापा मेरी चूत तो छोटी है।’

‘कोई बात नहीं बेटी। देखना पूरा जाएगा।’

‘पर पापा मेरी फ़ट जाएगी।’

‘अरे बेटी नहीं फटेगी। एक बार चुद जाओगी तो रोज चुदवाने के लिए तड़पोगी।’

‘अपने पैर फैलाकर चूत खोलो पहले अपनी बेटी की चूत चाट लूँ फिर चोदूँगा।’

मैं समझ गई कि पापा मम्मी की तरह मेरी चूत को चाटना चाहते हैं। मैंने जब मम्मी को चूत चटवाते देखा था तभी से तरस रही थी कि काश पापा मेरी चूत भी चाटे।

अब जब पापा ने चूत फैलाने के लिए दोनों हाथ से चूत की दरार को छेड़कर खोल दिया। पापा घुटने के बल नीचे बैठ गए और मेरी रोएंदार चूत पर अपने होंठ रख कर चूमने लगे।

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पापा के चूमने पर मैं गनगना गई। दो चार बार चूमने के बाद पापा ने अपनी जीभ मेरी चूत के चारो ओर चलाते हुए चाटना शुरू किया। वो मेरे हलके हलके बाल भी चाट रहे थे। मुझे गज़ब का मजा आ रहा था।

पापा चूत चाटते हुए तीत (क्लिंट) भी चाट रहे थे।

मैं मस्त थी। उमेश तो बस जल्दी से चोदकर चला गया था। चूची भी नहीं दबाया था मजा नहीं आया था। लेकिन पापा तो चालाक खिलाड़ी की तरह पूरा मजा दे रहे थे।

पापा ने चूत चाटकर गीला कर दिया था। अब पापा चूत की दरार में जीभ चला रहे थे।

कुछ देर तक इसी तरह करने के बाद पापा ने अपनी जीभ मेरी गुलाबी चूत के लस लसाए छेद में पेल दिया। जीभ छेद में गई तो मेरी हालत खराब हो गई।

मैं मस्ती से तड़प उठी। पहली बार चूत चाटी जा रही थी। इतना मज़ा आया कि मैं नीचे से चूतड़ उछालने लगी। कुछ देर बाद पापा चाटकर अलग हुए और मेरी चूत पर लगे लण्ड से चूत रगड़ने लगे।

पापा के साथ मनी मेरी सुहागरात
चूत की चटाई के बाद लण्ड की रगड़ाई ने मुझे पागल बना दिया और मैं उतावलेपन में पापा से बोली, ‘पापा अब पेल भी दो मेरी चूत में, आहहहह ऊऊहहछ!!’

पापा ने मेरी तड़पती आवाज़ पर मेरी चूचियों को पकड़कर कमर को ऊठाकर धक्का मारा तो करारा शॉट लगने पर पापा का आधा लण्ड मेरी चूत में समा गया।

पापा का मोटा और लम्बा लण्ड मेरी छोटी चूत को ककड़ी की तरह चीरकर घुसा था। आधा जाते ही मैं दर्द से तड़पकर बोली।

‘आआहहहहह ठऊऊईई ममआमररर!! गई पापा।

‘धीरे धीरे पापा बहुत मोटा है पापा चूत फटट गई।’

पापा का मोटा और लम्बा लण्ड मेरी चूत में कसा था। मेरे कराहने पर पापा ने धक्के मारना बंदकर मेरी चूचियों को मसलना शुरू किया। अब मजा आने लगा। 6 -7 मिनट बाद दर्द ख़त्म हो गया।

अब पापा बिना रुके धक्के लगा रहे थे। धीरे धीरे पापा का पूरा लण्ड चूत की झिल्ली फाड़ता हुआ घुस गया। मैं दर्द से छटपटाने लगी। ऐसा लगा जैसे चूत में चाकू(नाइफ) धंसा है।

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