उससे चिपक गई।
मेरी चूत भी टपकने लगी। कुछ देर हमलोग अलग हुए।
वो कपडे पहन चला गया। मेरी चूत चिपचिपा गई थी। उमेश मुझे चोदकर चला गया पर उसकी इस हिम्मत भरी हरकत से मैं मस्त थी।
उसने चोदकर बता दिया कि चुदवाने में बहुत मजा है। उमेश ठीक से चोद नहीं पाया था, बस ऊपर से चूत को रगड़ कर चला गया था पर मैं जान गई थी कि चुदाई में अनोखा मजा है।
पापा ने बताया जवानी का मतलब
उसके जाने पर मैंने चड्डी पहन ली थी। मैं सोच रही थी कि जब उमेश के छोटे लण्ड से इतना मज़ा आया है तो पापा अपना मोटा तगड़ा लण्ड पेलेंगे तो कितना मजा आएगा।
उमेश के जाने के 6 -7 मिनट बाद ही पापा स्टेशन से वापस आ गए। वो अन्दर आते ही मेरी कड़ी कड़ी चूचियों को फ्रॉक के ऊपर से पकड़ते हुए बोले, ‘आओ बेटी अब हम तुमको जवान होने का मतलब बताएँगे।’
‘ओह पापा आपने तो कहा था कि रात को बताएँगे।’
‘अरे अब तो मम्मी चली गई हैं अब हर समय रात ही है।’
मम्मी के कमरे में ही आओ।’ ‘क्रीम लेती आना।’ पापा मेरी चूचियों को मसलते हुए बोले।
मैं उमेश से चुदकर जान ही चुकी थी। मैं जान गई कि क्रीम का क्या होगा पर अंजान बन बोली, ‘पापा क्रीम क्यों’ ‘अरे लेकर आओ तो बताएँगे।
पापा मेरी चूचियों को इतनी कसकर मसल रहे थे जैसे उखाड़ ही लेंगे। मैं क्रीम और तौलिया ले मम्मी के बैडरूम में पहुँची।
मैं बहुत खुश थी। जानती थी कि क्रीम क्यों मंगाई है। उमेश से चुदने के बाद क्रीम का मतलब समझ गई थी।
पापा मुझे लड़की से औरत बनाने के लिए बेकरार थे। मैं भी पापा का मोटा केला खाने को तड़प रही थी।
कमरे में पहुँची तो पापा बोले, ‘बेटी क्रीम टेबल पर रखकर बैठ जाओ।’
मैं गुदगुदाते मन से कुर्सी पर बैठ गई तो पापा मेरे पीछे आये और अपने दोनों हाथ मेरी कड़ी चूचियों पर लाये और दोनों को प्यार से दबाने लगे।
पापा के हाथ से चूचियों को दबवाने में बड़ा मजा आ रहा था। तभी पापा ने अपने हाथ को गले की ऊपर से फ्रॉक के अन्दर ड़ाल दिया और नंगी चूचियों को दबाने लगे।
मैं फ्रॉक के नीचे कुछ नहीं पहनी थी। पापा मेरी कड़ी कड़ी चूचियों को मुट्ठी में भरकर दबा रहे थे साथ ही दोनों घुन्डियाँ को भी मसल रहे थे। मैं मस्ती से भरी मजे ले रही थी।
तभी पापा ने पूछा, ‘क्यों बेटी तुमको अच्छा लग रहा है’
‘हाय पापा बहुत मजा आ रहा है।’
जाना सुहागरात का मतलब
‘इसी तरह कुछ देर बैठो,आज तुमको शादी वाला मजा देंगे।’
‘अब तुम जवान हो गई हो।’
‘हाय तुम लेने लायक हो गई हो। आज तुमको खूब मजा देंगे।’
आहह्ह्ह् ऊऊह्ह्ह्छ पापाआआ। ‘जब मैं इस तरह से तुम्हारी चूचियों को दबाता हूँ तो तुमको कैसा लगता है’
पापा मेरी कड़ी चूचियों को निचोड़कर बोले तो मैं उतावली हो बोली, ‘हाय पापा उह्ह ससीए इस तरह तो मुझे और भी अच्छा लगता है।’
जब तुम कपड़े उतारकर नंगी होकर मजा लोगी तो और ज्यादा मजा आएगा। ‘हाय तुम्हारी चूचियाँ छोटी है।’
‘पापा मेरी चूचियाँ छोटी क्यों हैं। मम्मी की तो बड़ी हैं।’
‘घबराओ मत बेटी। तुम्हारी चूचियाँ को भी मम्मी की तरह बड़ी कर दूंगा।’