कामवाली वाली कामुकता भरी चुदाई

मन में सोचने लगी के क्यों न इसका स्वाद चख लिया जाये। वैसे भी मालिक भी तो यही चाहता है। हो सकता है मेरे ऐसा करने से मुझे क़र्ज़ से कोई थोड़ी निजात मिल जाये। इसी उलझन तानी में सोचते हुऐ बोली,” मालिकआपका अंडरवियर तेल लगने से खराब हो जायेगा। कृपया इसे भी उतार दे। वैसे भी हम दोनों के इलावा यहाँ तीसरा कौन है। जो आपको इस हालत में देख लेगा। मैं बाहर जाकर किसी को भी बताउंगी नही के मैंने आपकोपूरा नंगा देखा है।

उसने अपने मन की बात एक लहजे में आम बात की तरह कह दी। उसकी बात सुनकर मालिक को तो जैसे हीरो का खज़ाना मिल गया हो। वो मन में सोचने लगा साली मुझे मुर्ख बना रही है। खुद मेरे फेंके जाल में फंस गयीहै। खुद का दिल चुदवाने का हो रहा है। मेरे मन की बाते खुद कह रही है। चलो जो भी है कल को कोई बात बिगड़ी भी तो ये तो न कहेगी के आपने जोर ज़बरदस्ती से अपना लण्ड मेरे हाथ में दिया था।

ज़मीदार — जब इतना कर दिया सुनीता , तो ये छोटा सा काम भी अपने कोमल हाथो से करदो।

सुनीता  (मन में खुश होते) — जो हुक्म मालिक ।

और सुनीता  ने मालिक के अंडरवियर को दोनों हाथो से पकड़ कर टाँगो से बाहर निकल दिया। मालिक का मोटा लण्ड नए स्प्रिंग की तरह झटके खा रहा था, जिसे देखकर सुनीता  की आंखे हैरानी से खुली की खुली रह गयीऔर मुह पे हाथ रखकर बोली, रे दइया इतना बड़ा, जैसे किसी घोड़े का काला लण्ड हो ।

ज़मीदार — क्यों सुनीता पसन्द आया मेरा हथियार।

“हथियार” शब्द सुनकर सुनीता  के मुंह से हंसी निकल गयी और बोली आप भी न मालिक क्या क्या नाम रखते हो?

मालिक के लण्ड मोटे पता नही ऐसी कोन सी शक्ति थी जो उसको अपनी और खींच रही थी। वो चाहकर भी खुद को रोक भी नही पा रही थी।

ज़मीदार — ऐसा करो सुनीता अब इस पे भी गुनगुने तेल की मालिश करदो।

मालिक का हुक्म पाते ही वो मालिक के लण्ड पे झपटी, पूरी ज़िन्दगी में आज पहली बार इतना लम्बा, मोटा लण्ड उसने अपने हाथ में लिया था। जो उसके पति के लण्ड से तीन गुना मोटा और लम्बा था। कितना ही चिर उसेटिकटिकी लगाकर देखती रही और बोली,”मालिक एक बात कहे यदि आप बुरा न माने तो ।

ज़मीदार — हाँ सुनीता  बोलो, क्या कहना चाहती हो। खुलकर बोलो मैं बुरा नही मानूँगा।

सुनीता  — हमारी मालिकन बहुत भाग्यशाली है।

ज़मीदार — वो कैसे ??

सुनीता  — उसके नसीब में इतना तगड़ा मोटा लण्ड जो है। जो हर रात उसकी सेवा में हाज़िर होता है।

सुनीता  की बात सुनकर मलिक की हंसी निकल गयी और कहने लगा ,” हाँ सुनीता  ये तो है लेकिन अब पहले वाली बात तेरी मालकिन में रही नही। जब नई नई ब्याह कर आई थी । तो खूब उछल उछल कर इसपे बैठकरचुदती थी। लेकिन धीरे धीरे उसका इसके प्रति प्यार घटता गया और रहती कसर मेरे बेटे ने पूरी करदी।

सुनीता  — (लण्ड के सुपाड़े पे तेल लगाते हुए ) वो कैसे मालिक ?

ज़मीदार — जब से वो पैदा हुआ है। उसकी माँ का मोह उसमे चला गया है। पहले जहां एक हफ्ते में हम 5 दिन चुदाई करते थे। अब वही महीने में एक बार, वो भी काफी तरले मिन्नतों के बाद करती है। इस लिए जब से तुमहमारे घर पे काम के लिए आई हो। तुम्हे देखकर अपनी कल्पना में रोजाना चोदता हूँ।

यह कहानी भी पड़े  कामवाली को पर्मनेंट रंडी बनाने की हॉट कहानी

सुनीता  उसकी कहानी सुनकर आज पहली बार मालिक सही और खुद को गलत महसूस कर रही थी।

मालिक के मुह से ऐसी बात सुनकर सुनीता  शर्मा गयी और बोली क्या मैं आपको इतनी सुंदर लगती हूँ। जो आप मुझे अपनी कलपना में रोज़ाना चोदते हो।

सुनीता  का हाथ पकड़ कर अपने ऊपर खींचते हुए मालिक बोले और नही तो क्या। तुम क्या जानो तुम्हे लेकर मैंने कितने सपने संजोये है। बस एक बार मेरा ये काम करदो, जो मांगोगी लेकर दूंगा।

मालिक की इस हरकत ने उसकी थोड़ी रहती शरम भी निकल दी। वो एक फार्मेल्टी वाली उपरले मन से बोली छोडो मालिक मैं ऐसी वैसी औरत नही हूँ। एक पतीव्रता स्त्री हूँ। कोई देख लेगा छोडो भी न मालिक।

ज़मीदार — हट साली पहले तो लण्ड को एक घण्टे से पकड़ कर हिला रही है। अब नाटक करती है।

मालिक ने उसे अपने साथ लिटाकर उसके ऊपर खुद लेट गया। सुनीता  ने  खूब कोशिश की के वो उसके शिकंजे से निकल जाये। परन्तु एक हटे कट्टे जमीदार की पकड़ से निकलना मुश्किल काम था।

सुनीता  — मालिक मुझे ये काम नही करना, मुझे घर जाने दो मेरा बेटा भूखा होगा। उसे जाकर दूध पिलाना है। जो भी काम रह गया कल आकर पूरा कर दूगी। आपके आगे हाथ जोड़ती हूँ मुझे जाने दो।

लेकिन मालिक कहाँ मानने वाला था। उसने इतनी मज़बूती से पकड़ा के के सुनीता  की हिम्मत जवाब दे गयी और उसने आत्म समर्पण कर दिया।

अब मालिक का लण्ड उसके पेट और जाघो पे चुभ रहा था। मालिक ने उसके होंठो से होंठ मिलाकर चूमना शुरू किया। मरती क्या न करती वाली कहावत की तरह उसे मालिक का साथ देना पड़ा। क्योंके यदि वो विरोधताकरती तो मालिक न जाने कब तक उसके साथ धक्का करता रहता। सो उसने साथ देने में ही भलाई समझी। करीब 10 मिनट होंठो का रसपान करने से अब काम का नशा सुनीता  पे चढ़ने लगा। वो आँखे बंद किए इस चढ़रही खुमारी का आनंद ले रही थी के मालिक ने उसे उठाकर कपड़े उतारने को कहा।

सुनीता  ने वैसा ही किया। सुनीता  का गोरा चिट्टा बदन देखकर मालिक की आँखे खुली की खुली रह गयी। वो उसके उरोज़ों पे हाथ फेरता हुआ बोला,” वाह ! खुदा ने क्या बदन तराशा है। ऐसा बदन तो मेरी बीवी का भी नहीहै। काश सुनीता  तू मेरी बीवी होती। मैं रोज़ इस संगमरमरी बदन का रसपान करता।

सुनीता  — असल ज़िन्दगी में न सही मालिक, कुछ पल के लिए ही मानलो के हम दोनों पति पत्नि ही। करलो अपने मन की जो भी रीझ अधूरी है।

सुनीता  की ये बात सुनकर मालिक उसके उरोज़ों को मुंह में कर चूसने लगा। जिनमे से थोडा थोडा मीठा दूध भी बहने लगा।

ज़मीदार — तुम्हारा दूध बहुत स्वदिष्ट है  सुनीता , दिल चाहता है पीता ही जाऊ।

सुनीता  (शरारती अंदाज़ में) नही मालिक सारा दूध आप पी गए तो मेरा बेटा क्या पियेगा।

यह कहानी भी पड़े  तिन दोस्तों ने मुंबई की रंडी को चोदा

दोनो हंसने लगे और अपने काम में व्यस्त हो गए।

अब मालिक सुनीता  के ऊपर से उठा और खुद बेड पे लेट गया और सुनीता  से बोला,” सुनीता  तुम ऊपर आओ और अपने पसन्दीदा खिलोने को खुश करो। फेर ये तुम्हे खुश करेगा।

सुनीता  हुक्म की पालना करती हुई नीचे से उठ कर उसकी टाँगो के बीच में आकर बैठ गयी और तेल से सने लण्ड को मुठी में भींच कर उसकी चमड़ी ऊपर नीचे करने लगी।

मालिक — सुनीता  इसे थोडा होंठो से भी प्यार करो। जितना इसे खुश करोगी। उस से दोगुनी ख़ुशी तुम्हे ये देगा।

सुनीता  न चाहते हुए भी लण्ड की चमड़ी निचे करके उसके गुलाबी सुपाड़े को अपनी जीभ से चाटने लगी। उसकी जीभ का स्पर्श पाते ही मालिक जैसे 7वे आसमान की सैर करने लगा। वो आँखे बन्द किये इस सुनहरी पलका आनंद ले रहा था। इधर सुनीता  भी एक माहिर वेश्या की तरह उसका लण्ड मुंह में लिए चूस रही थी। अब 5-7 मिनट लण्ड चूसते रहने की वजह से सुनीता  का मुंह दुखने लगा, ऊपर से उसके लण्ड की नसे फूलने कीवजह से सुपाड़ा भी फूल चूका था और उसके मुंह में घुसने में दिक्कत हो रही थी।

ज़मीदार — सुनीता  बस करो वरना तेरे मुंह में ही मेरा पूरा माल निकल जायेगा। तू ऐसे कर इसपे बैठकर उठक बैठक कर। तब तक तेरे मुंह को थोडा आराम भी मिल जायेगा।

सुनीता  को उसकी बात जच गयी और वो उठकर मालिक के थूक और तेल से सने लण्ड पे अपनी चूत सेट करके बैठ गयी। लण्ड के आकार के हिसाब से चूत का साइज़ बहुत छोटा था। लेकिन फेर भी पता नही कैसे हिलनेजुलने से आधे से ज्यादा लण्ड सुनीता  की चूत ने निगल लिया था। अब वो ऊपर बैठी उठक बैठक कर रही थी। जिस से उसके गोरे चिट्टे दूध से भरे उरोज़ हिल रहे थे। कभी मालिक उनको पकड़ कर अपना सर ऊँचा करकेबार बार उनका दूध पी रहा था। तो कभी सुनीता  की कमर पकड़ कर उसकी उठक बैठक करने में मदद कर रहा था। काफी समय हिलने जुलने ने अब सुनीता  थक कर चूर हो गयी ।

सुनीता  — मालिक अब मुझसे और हिला नही जा रहा। आप ऊपर आ जाओ।

मालिक ने उसकी मज़बूरी देखते हुए लण्ड चूत में डाले ही बड़ी फुर्ती से सुनीता  को अपने निचे और खुद ऊपर आ गया। उसका ये अंदाज़ देखकर सुनीता  हैरान रह गयी और अपनी टाँगे मालिक के कन्धों पे रख कर उनसेचुदवाने लगी। अभी 10 मिनट ही हुए होंगे पोजिशन बदले को के सुनीता  बोली,” मालिक और तेज़ करो, और तेज़ज्ज्जज्ज..

मालिक समझ गया के इसका काम होने वाला है। उससे जितना भी ज़ोर लगा उस स्पीड से अपने हिलने की स्पीड बढ़ा दी, करीब 2 मिनट बाद एक लम्बी आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह लेकर सुनीता  शांत हो गयी। लेकिन मालिक काअभी भी काम नही हुआ था। उसने अपना काम जारी रखा और थोड़े समय बाद ही वो भी उसके ऊपर ढेरी हो गया। उसने अपने गर्म लावे से सुनीता  की चूत भरदी। अब दोनों बेजान शरीरो की तरह एक दूसरे से सटे पड़े थे।जब दोनों की सांसे कंट्रोल ने हुई तो एक दूसरे को देखकर हंसने लगे।

Pages: 1 2 3 4



error: Content is protected !!