और मेरे अन्दर घुसते ही दरवाज़ा बंद कर दिया। मैंने अन्दर से कुण्डी लगा ली और पर्दा भी लगा दिया। मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था। दिमाग काम नहीं कर रहा था। क्या करूँ? और क्या नहीं?।
मैं उसके पास गया और बगल में बैठ गया।
मैंने उससे पूछा- तुम पानी तो नहीं लोगी। उसने ‘ना’ में सर हिला दिया।
मैंने उसका घूँघट उठा दिया। कसम से गज़ब लग रही थी और मेरी हालत पतली हो गई। मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा उसने मुस्करा कर बस गर्दन झुका ली।
उसके बाद मैं कुछ बोलता उससे पहले ही उसने मुझे दूध का गिलास दे दिया, जो कि बगल में ही रखा था। शायद वो भी डर रही थी। और सोच रही थी कि क्या करूँ?
मैंने गिलास ले लिया, आधा मैंने पिया और आधा उसके दे दिया। वो भी चुपचाप पी गई। अब मेरी थोड़ी हिम्मत बड़ी। मैं उस से चिपक कर बैठ गया।
उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया। मैंने उसका हाथ पकड़ा और चूम लिया। ये सब कुछ अपने आप हो रहा था। मुझे समझ में नहीं आ रहा था क्या करूँ। वो भी डर के मारे कंप रही थी।
मैंने उसके गाल चूम लिए। बस वहीं जा कर मेरी हालत ख़राब हो गई। मैंने उसको पकड़ कर पलंग पर गिरा लिया।
उसने कहा- गहने तो उतार लेने दो।
फिर कुछ उसने और कुछ मैंने उतार दिए। इस सब में एक मिनट लगा होगा। मैंने फिर उसे पकड़ लिया और उसके गालों को चूमने लगा। मैं सब कुछ धीरे-धीरे करना चाहता था। मतलब पहले गालों को चूमना, फिर लिप्स को और उसके बाद बाकी सब कुछ।
पहले तो वो चुपचाप लेटी रही। फिर कुछ देर चूमने के बाद उसे भी जोश आ गया। वो भी चूमने लगी। मेरा डर अब ख़तम हो चुका था, और मैं पूरे जोश मैं था। मैं उसके होंठ बेदर्दी से चूस रहा था और वो भी मेरा साथ दे रही थी।
मैंने धीरे से उसके उभारों पर हाथ रख दिया। बस उसने चूमना बंद कर दिया और वो सिहर उठी। मैं उसे चूमता रहा। एक हाथ से उसके उभारों को दबाता रहा। अब वो बस आँखें बंद कर के मज़े ले रही थी।
मेरी नज़र उसके ब्लाउज के बटनों पर थी। मैंने उसके बटन खोलना शुरू कर दिया। उसकी साँसें तेज हो गईं। ये सब कुछ मुझे पूरी तरह पागल कर रहा था। मैं पागलों की तरह उसको चूस रहा था।
वो भी अब पूरी तरह उत्तेजित हो उठी थी। मैंने उसके बटन खोल दिए और उसकी ब्रा साफ़ दिख रही थी। मैंने पीछे हाथ डाला और उसकी ब्रा भी खोल दी। वो मुझसे चिपक गई। शर्म के मारे वो लाल हो रही थी।
उसका ब्लाउज उतार दिया और ब्रा भी। अब उसके चूचे मेरे सामने नंगे थे। उन मस्त मुसम्मियों को देख कर, मेरी आँखें जैसे फट रही थीं। मेरा लंड खड़ा था। मैं उन रस भरे यौवन कलशों को चूसने लगा।
हाय वो गोरे-गोरे बड़े-बड़े चूचे!! मेरी तो जान ही निकाल रहे थे!
मेरी उत्तेजना बढ़ गई। मुझे लगा मेरा पानी न निकल जाए। इसलिए मैंने आराम से काम लिया। अपने हाथों से ही उसके संतरे दबाता रहा। वो भी पागल हो रही थी। उसकी साँसें मुझे पागल कर रही थीं।
मैंने उसके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और अपनी शर्ट भी उतार दी। वो मुझसे चिपक गई और पूरे शरीर पर चूमने लगी। मुझे लगा मेरा पानी निकलने वाला है। ये इसलिए हो रहा था, क्यूंकि मैंने 2 महीने से मुठ नहीं मारी थी और मेरी उत्तेजना बढ़ रही थी।