मेरे घर आई एक कमसिन परी

मेरा यह मानना है कि जब तक दोनों तरफ आग न लगी हो.. तब तक कुछ मज़ा नहीं आता।
इसलिए मैंने कुछ प्लान बनाने की सोची।

रात को खाना खाने के बाद अंकल पापा से बातें करने लगे और टिया मेरी बहन के कमरे में जाने लगी।

मेरी बहन सीए कर रही थी और रात को तो वो घंटों छत पर फ़ोन पर किसी से बातें किया करती थी, शायद दीदी का कोई बॉयफ्रेंड था।

मैंने देखा टिया दीदी के कमरे में जाकर पढ़ने लगी थी। मैं कमरे में एक बहाने से घुसा और घुसते ही बोला- दीदी, आपने मेरी रेड शर्ट देखी है.. मुझे कल पहन कर जानी है।

क्योंकि दरवाज़ा उड़का हुआ था इसलिए मैंने गेट खोलते वक़्त ही जल्दी से यह बोला.. जैसे मुझे पता ही न हो कि दीदी तो कमरे में हैं ही नहीं।

यह सुनकर टिया ने मेरी तरफ देखा और बोली- दीदी तो कहीं गई हुई हैं.. शायद छत पर हैं।
मैं ‘ओके’ कहकर अपने कमरे में जाने लगा।

तभी टिया ने मुझसे पूछा- आप कौन से स्कूल में पढ़ते हैं?

मुझे तो ऐसे ही कुछ मौके की तलाश थी जिससे मुझे उसके साथ बात करने का मौका मिले।

वो कुर्सी पर बैठी थी, कुर्सी के आगे मेज थी और उसके बाईं तरफ बिस्तर था।
मैं बिस्तर पर बैठकर उससे बातें करने लगा।

उसने अभी भी वही सफ़ेद स्कर्ट पहनी थी और वो अपने पैर क्रॉस करके बैठी हुई थी, उसकी स्कर्ट उसके घुटनों से जरा ऊपर थी। उसने एक ढीला कुरता पहन रखा था। उस ढीले कुरते में उसके चूचे नीचे की तरफ लटक रहे थे।

हमने थोड़ी बातें कीं.. मेरी नज़र तो बस उसकी टांगों पर थी।
उसका कुरता बहुत ढीला था, अगर कुर्सी के पीछे से मैं देखता तो मुझे उसकी दूध भरी चूचियां ज़रूर नज़र आ जातीं।

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मैंने टेबल पर पेन को घुमाना शुरू कर दिया और उसे टेबल के नीचे गिरा दिया।

उसे उठाने के लिए जैसे ही टिया नीचे झुकी.. मेरे तो होश उड़ गए। ट्यूब लाइट की रोशनी में उसकी चूचियाँ एकदम साफ़ नज़र आ रही थीं।
उसकी चूचियां बहुत ज्यादा गोरी थीं और उनकी गहराई भी बहुत थी।

पेन उठाने में वो इतनी झुक गई कि मैंने उसके बायें चूचे का निप्पल भी देख लिया.. बादामी कलर का एकदम नुकीला.. सख्त और कड़क निप्पल था।

यह सब देख कर मैंने ठान लिया कि टिया के इन चूचों का रस तो हर हालत में पीना ही है।

फिर उसका फ़ोन बज उठा और वो ‘एक्ससियूज़ मी’ कहके चली गई। यहाँ मेरे लोअर में बम्बू ने तम्बू गाड़ लिया था.. मुझे तो बस एक गुफा की तलाश थी.. अपने इस बम्बू को घुसेड़ने के लिए।

काफी देर हो गई थी और टिया अभी तक नहीं लौटी थी.. इसलिए मैंने सोचा कि देख कर आता हूँ कि टिया कहाँ चली गई।

मैंने बाहर लॉबी में देखा.. तो वहाँ पर भी कोई नहीं था, मुझे लगा शायद वो छत पर चली गई हो.. क्योंकि दीदी भी ऊपर थीं.. इसलिए मैंने ऊपर जाना ठीक न समझा।

मुझे प्यास लगी थी इसलिए मैं किचन में गया।
टिया किचन में थी और फ्रिज में कुछ ढूँढ रही थी। उसने किचन में लाइट नहीं जलाई थी और सिर्फ फ्रिज के बल्ब की थोड़ी सी रोशनी थी.. जो उसकी सफ़ेद स्कर्ट को थोड़ा चमका रही थी।

मेरा लण्ड तो पहले से ही खड़ा था और टिया की स्कर्ट के अन्दर की चिकनी.. गोरी.. मस्त जाँघों को देखकर मैं आपा खो बैठा।
मैंने जोर से चिल्लाया- छिपकली..

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वो बुरी तरह से डर कर मुझसे चिपक गई। उस पल तो मानो जन्नत सी मिल गई.. मेरे निक्कर के अन्दर बैठे ब्लैक माम्बा को इतनी सन्तुष्टि कभी नहीं मिली थी।

जब टिया ने अपना पूरा शरीर मुझ पर टिका दिया.. मेरा निक्कर के अन्दर खड़े लौड़े ने उसके पेट को छू लिया था। उसकी मक्खनी चूचियाँ मेरी शर्ट में चुभ गई थीं।

इन दो सेकंड में मैं मानो जन्नत में पहुँच गया था.. पर फिर से मैं इसी दुनिया में वापस आ गया.. जब वो मुझसे दूर हुई।

‘आई ए एम सॉरी.. मैं डर गई थी।’

मैं पागल हो उठा था.. मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था क्या करूँ..

उधर टिया ने मेरे निक्कर के अन्दर खड़े नाग देवता को देख लिया था।
मेरा लण्ड इतना कठोर हो चुका था कि मेरा निक्कर ऐसा लग रहा था कि वो कमर नहीं बल्कि लण्ड की नोक पर खड़ा हो।

टिया बार-बार उसे देख रही थी और उसकी सांसें ऊपर-नीचे हो रही थीं.. जिनके साथ उसके चूचे कभी ऊपर जाते.. तो कभी नीचे!

उसके निप्पल इतने कड़क हो चुके थे कि कुरते के अन्दर से ही एक नुकीला निशान बना रहे थे।

मुझसे रहा नहीं गया और मैंने टिया को अपनी गोदी में लेकर उसे किचन के संगमरमर के पत्थर पर बैठा दिया। उसकी टांगों को खोलकर अपना मुँह उसकी स्कर्ट के अन्दर डाल दिया और अपने दाँतों से उसकी चड्डी को उतारकर उसकी चूत को एक कुत्ते की तरह चाटने लगा।

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