Janamdin Per Mausi Ne Karwai Zannat Ki Sair-2

फिर मौसी ने मुझे थोड़ी देर बातों में लगाए रखा, मौसी ने मुझसे कहा- तू उस दिन क्या देख रहा था?
मैंने कहा- किस दिन?
मौसी ने कहा- जिस दिन तू पानी पीने नीचे आया था और मैं नहा कर बाहर निकली थी?
मैं हँसने लगा और मौसी भी हँसने लगी।

मौसी मुझे छेड़ने के लिए पूछने लगी- बता क्या देख रहा था?
मैंने कहा- आपको पता तो है!
मौसी ने कहा- मैं तेरे मुँह से सुनना चाहती हूँ।
मैंने कहा- आपके बूब्स… और क्या!

मौसी ने कहा- तो जब मैंने पूछा था कि इकबाल क्या देख रहे हो तो बताया क्यों नहीं?
मैंने कहा- मैं डर गया था कि कहीं आप मौसा जी को ना बता दो!

उन्होंने कहा- अच्छा जी, जब तू ऊपर आया था तो डरा हुआ लग तो नहीं रहा था?
मैंने कहा- उस रात को जब मैंने सोने के लिए आँख बंद की तो मुझे वही सीन दिख रहा था।
उन्होंने कहा- अच्छा जी!

इतना कह कर उन्होंने मुझे अपनी बाहों में भर लिया मेरे होठों से होंठ मिला लिये और मुझे चूमने लगी।
मैं भी उनका पूरा साथ दे रहा था।

फिर मैं अपने हाथों में उनकी चूची सहलाने लगा, उन्हें चूसने लगा।
मौसी ने मेरे सिर को पकड़ रखा था!

कुछ देर बाद मौसी ने पूछा- अब दर्द तो नहीं हो रहा?
मैंने कहा- नहीं!

उन्होंने कहा- तो हो जा शुरू… लगा झटके!
मैं धीरे धीरे हिलने लगा, मैंने अपने दोनों हाथों से मौसी के दोनों बूब्स पकड़ रखे थे और धीरे धीरे झटके मार रहा था और बीच बीच में मौसी मुझे लिप किस कर रही थी।

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मौसी अपने मुँह से आह ऊँह आह की सेक्सी आवाज़ निकाल रही थी!
मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं ज़न्नत में हूँ… बहुत मजा आ रहा था!

दस मिनट बाद मौसी ने कहा- थोड़े तेज धक्के लगा ना!
मैंने वैसा ही किया, मौसी भी हर धक्के का जवाब धक्का लगा कर दे रही थी।

फिर कुछ ही देर में मैं और मौसी एक साथ झड़ गए, झड़ते झड़ते हम दोनों एक दूसरे से चिपक गए मानो हम दो जिस्म और एक जान हैं!
फिर हम दोनों ढीले पड़ गए और ऐसे ही बेड पर पड़े रहे।

मैं मौसी से अभी भी चिपका हुआ था।

थोड़ी देर बाद मौसी ने कहा- अब तेरी लुल्ली लंड बन गई है, देखना अब इसका साइज़ भी बढ़ जायेगा।
मैंने अपनी लुल्ली की तरफ़ देखा, उस पर थोड़ा खून लगा था।

मौसी ने कहा- क्या देख रहा है? ये तो होना ही था! मुझे तो इसे हाथ में लेते ही पता लग गया था तेरा टाँका (सील) अभी टूटा नहीं है, मुझे आज थोड़ी मेहनत करनी पड़ेगी इसीलिए तो तुझे बातों में लगाया था जब तू छटपटा रहा था छुड़वाने के लिए!

मैं उन्हें देख कर मुस्कुराने लगा और वो मुझे देख कर!
मौसी ने कहा- सफाई करने के बाद तू तो सो गया था ना?
मैंने कहा- हाँ, पर भूख लगने के कारण मेरी आँख खुल गई थी।

मौसी ने कहा पर तेरी नीचे आने का भी पता नहीं चला कि तू कब नीचे आ गया।
मैंने कहा- मेरी चप्पल नहीं मिल रही थी तो नंगे पैर ही नीचे आ गया था!

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फ़िर मैंने कहा- अगर पता लग जाता कि मैं नीचे आ रहा हूँ तो?
मौसी ने कहा- तो मैं दरवाजा बंद कर लेती।
मैं हँसते हुए बोला- फिर तो अच्छा ही हुआ चप्पल नहीं मिली!

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