मैं सत्यम, 26 साल का मॅरीड, सॉफ्टवेर इंजिनियर हू. मैं और मेरी बीवी ऋतु, जो की मेरी ही आगे की थी, साथ में मुंबई के एक इलाक़े में रहते थे. ऋतु एक फॅशन डिज़ाइनर थी. हमारी शादी को 4 साल हो चुके थे. लेकिन हमारा कोई बच्चा नही था, क्यूंकी ऋतु को अपने करियर पर फोकस करना था.
हमारी लाइफ में सब कुछ सही चल रहा था. पर कोविद ने हमारी लाइफ पलट के रख दी थी. मेरी जॉब जेया चुकी थी. ऋतु का भी बिज़्नेस ठीक से नही चल रहा था. मैने हालाकी बाद में फ्रीलॅन्सिंग शुरू किया था, लेकिन उससे हमारा खर्चा नही चल रहा था.
सबसे बफ़ी दिक्कत ये थी की हमने 3 साल से घर का रेंट नही पे किया था. जिसको लेकर हम काफ़ी टेन्स्ड रहते थे. क्यूंकी हमारे लॅंडलॉर्ड यादव जी बहुत ही पवरफुल आदमी था. हर कोई उनसे डरता था, उनकी इज़्ज़त करता था.
हमे दर्र था की कभी वो हमारे यहा ना आ जाए रेंट के लिए. ऐसी बात नही के उन्होने हुंसे रेंट नही माँगा. लेकिन हम कैसे ना कैसे करके उन्हे ताल रहे थे. और ऐसे ही दर्र-दर्र के रह रहे थे 3 साल से.
एक दिन सुबा की बात है. सनडे था, इसलिए हम दोनो ही देर तक सो रहे थे. इतने में डोरबेल बजने की आवाज़ आई. ऋतु उठ के गयी दरवाज़ा खोलने. 1 मिनिट बाद ऋतु हानफते हुए आई मेरे पास. मैं पूछने लगा की क्या हुआ.
ऋतु बोली: यादव जी आए है.
ये सुनके मेरी भी हालत टाइट हो गयी. फिर भी मैने ऋतु को शांत किया और हम दोनो लिविंग रूम में गये जहा पे यादव जी, हमारे लॅंडलॉर्ड, बैठे हुए थे.
यादव जी की आगे 55-60 के बीच थी. काफ़ी लंबे थे, 6 फीट से उपर इनकी हाइट होगी. रंग सावला, एक-दूं गातीला बदन. एक टाइम पे पहलवानी करते थे. उनकी आवाज़ में इतना दूं था की सामने वाले की पंत गीली हो जाए अगर वो चिल्ला दे तो.
पहलवानी छ्चोढ़ के बहुत साल पहले उन्होने हाउसिंग का बिज़्नेस शुरू किया था. बहुत सारे अपार्टमेंट्स है उनके पुर मुंबई में. उनमे से ही एक में हम रहते थे.
खैर, हम दोनो जब लिविंग रूम में गये तो देखा की यादव जी सोफे पे बैठे हुए थे. हमे देखते ही वो बोलने लगे-
यरव जी: आओ-आओ, बैठो. क्या हाल-चाल है?
मैने कामपति हुए आवाज़ में बोला: अर्रे यादव जी, कैसे है? इतनी सुबा-सुबा यहा कैसे आना हुआ?
यादव जी: अर्रे पहले आके बैठो तो सही.
मैं और ऋतु बैठ गये उनके पास वाले सोफे पे. उन्होने मेरे हाथ कॅल्क्युलेटर दे दिया. मुझे कुछ समझ नही आ रहा था.
मैने बोला: यादव जी, आप मुझे ये कॅल्क्युलेटर क्यूँ दे रहे हो?
यादव जी: एक हिसाब करना है. मैं तो ठहरा अनपड़-गवार आदमी. हिसाब कमज़ोर है. तुम ही मदद कर दो.
मैं (अभी भी कुछ नही समझ कर): बोलिए क्या हिसाब करना है?
यादव जी: ज़रा हिसाब लगाओ तो 12 गुना 15 हज़ार कितने होते है?
मैं समझ गया की वो क्या कह रहे थे. हमारे फ्लॅट का रेंट 15 हज़ार महीना था, जो हमने 3 साल से नही दिया. जिसकी वजह से हम बहुत दीनो से परेशन भी थे. मैने ऋतु की तरफ देखा तो उसके भी पसीने छूट रहे थे. तो मैने तुरंत यादव जी के सामने हाथ जोड़ लिए.
मैं: यादव जी, हम आपके सारे पैसे लौटा देंगे. बस हमे कुछ दिन की मौहलत और दे दीजिए.
ये बोल कर मैं गिड़गिदने लगा. लेकिन यादव जी फिर भी बोलने लगे-
यादव जी: क्या हुआ भाई, हिसाब करो.
मैने डरते हुए कॅल्क्युलेटर में हिसाब किया.
यादव जी: कितना हुआ?
मैं: 1 लाख 80 हज़ार.
यादव जी: अब इसका 3 गुना कितना होता है, ये हिसाब करो तो ज़रा?
मैं: 5 लाख 40 हज़ार.
यादव जी: कब दोगे?
मैं: यादव जी, हमे माफ़ कर दो. हम कोशिश कर रहे है पैसे जमा करने की. लेकिन हमे तोड़ा टाइम चाहिए.
यादव जी अचानक उठे, और खिड़की के पास जाके खड़े हो गये. उन्होने हम दोनो की तरफ देख के एक हल्की मुस्कान दी. उनकी मुस्कान में शैतानी झलक रही थी. हम दोनो ही दर्र गये. ऋतु ने मेरा हाथ कस्स के पकड़ लिया.
यादव जी बोले: मैं तुम्हारे कर्ज़े माफ़ कर दूँगा. एक भी पैसा नही देना पड़ेगा. लेकिन मेरी एक शर्त है.
हम दोनो ये सुन के थोड़े से चौंक गये. क्यूंकी वो ऐसे इंसान नही थे जो अपनी उधारी माफ़ कर दे. हम खुद परेशन थे ये सोच के की उन्होने हमे 3 साल तक कुछ नही कहा.
ऋतु ने ये सुनके तुरंत बोला: हमे आपकी सारी शर्ते मंज़ूर है.
वो बोले: पहले शर्त तो सुन लो. हमने पूछा की क्या शर्त थी.
वो बोले: तुम्हे एक साल तक मेरी बीवी बनके रहना होगा मेरे पास.
ये सुन के हम दोनो के पैरों तले से ज़मीन खिसक गयी. यादव जी ने ये क्या बोल दिया. मैं गुस्से में चिल्लाने लगा-
मैं: ये आप क्या बोल रहे है? अपनी बीवी को आपके पास नही दूँगा मैं. आप निकल जाइए अभी के अभी. मेरी बात सुन के वो गुस्सा नही हुए. बल्कि उनके चेहरे की मुस्कान और भी चौड़ी हो गयी.
वो बोले: मैं ऋतु की नही, तुम्हारी बात कर रहा हू.
ये सुनके हम पहले से भी चौंक गये.
ऋतु बोल उठी: ये आप क्या कह रहे है? सत्तू कैसे आपकी बीवी बनेगा?
यादव जी ने अपना फोन निकाला और उसमे से कुछ हमे दिखाने के लिए फिरसे हमारे सामने आके बैठे. उन्होने ऋतु के हाथ में अपना फोन देते हुए बोला-
यादव जी: ऐसे.
हमने फोन पे देखा तो वाहा एक लड़की की फोटो थी, जो की एक ट्रडीशनल सारी पहने हुए थी. वो लड़की और कोई नही मैं था.
मैं बचपन से ही बहुत सुंदर था. गोरा रंग था मेरा, बॉडी पे बाल एक-दूं ना के बराबर थे. हाइट भी सिर्फ़ सारे 5 फीट थी. मा मुझे कभी-कभी मेरी बहें की फ्रॉक्स पहना देती थी, तो लोगों को लगता था की मैं लड़की था.
मैने अपनी पढ़ाई बाय्स कॉलेज में की थी. वाहा पे मैं ड्रामा टीम में काम करता था. और हमेशा मुझे वाहा पे लड़की का रोल करना होता था. रामलीला में सीता, माहबराटा में द्रौपदी, लैला मजनू, रोमीयो जूलिएट ऐसे जीतने भी प्लेस हमने किए थे, सब में मैने ही हेरोयिन का रोल किया था.
कॉलेज में इसलिए मेरे बहुत फँस थे. बहुत से लड़कों ने हॉस्टिल में मुझे प्रपोज़ भी किया था इसके लिए. मैं अब भी वैसा ही दिखता था. कभी-कभी ऋतु मुझे अपनी सारी पहना देती थी टीमेपस्स के लिए. तब मैं उससे भी सुंदर दिखता था. वो तब मज़ाक में बोलती थी, “आज तू मेरी बीवी और मैं तेरा पति. चल आके मेरे पैर चू.”
लेकिन हमे ये नही समझ आ रहा था, की यादव जी के पास मेरी फोटो कहा से आई.
तो वो बोले: मैं तेरे कॉलेज के फंक्षन गया था एक बार. वही की ड्रामा कंपनी की हेरोयिन पे मेरा दिल आ गया था. पता लगाया तो पता चले की वो तू था. इसके बाद से मेरी तेरे उपर नज़र थी. मैं तेरे साथ सोना चाहता हू.
मुझे उनकी आँखों में हवस नज़र आ रही थी. फिर मैं बोल उठा-
मैं: कभी नही. एक शादी-शुदा आदमी हू मैं. मैं कभी भी ये सब नही करूँगा. आप निकल जाइए अभी के अभी. मुझे उनसे घिन आ रही थी.
फिर यादव जी बोले: ठीक है चला जवँगा. तुम लोगों को एक हफ्ते की मौहलत दे रहा हू. इतने में मेरे सारे पैसे लौटा दो. वरना जैल में जाके सदो. और हा, भागने की कोशिश मत करना. मैं तुम्हे पाताल से भी ढूँढ निकाल सकता हू.
सही बात है. यादव जी की पहुँच बहुत थी. वो हमे कही से भी ढूँढ निकाल सकते थे.
उन्होने फिरसे कहा: अगर तू एक साल मेरी बीवी बनके रह लेगा, तो ये 3 साल क्या, ये 1 साल भी तुम्हारा किराया माफ़. और इतना ही नही, अगले 3 साल का भी माफ़. इसके साथ तेरी बीवी को हर महीने 20 हज़ार रुपय भी भेजूँगा. सोच ले. यादव की बीवी बनके रहेगी तो समाज में कितनी इज़्ज़त मिलेगी.
ये कहके उन्होने मेरे थाइस जो की शॉर्ट्स पहनने की वजह से ओपन थे, उनपे अपना हाथ रख दिया. मुझे घिन आ रही थी. मैने उनका हाथ हटा दिया. यादव जी उठ के चल दिए.
जाते हुए फिरसे कहने लगे: सोच ले, 1 साल की इज़्ज़त की ज़िंदगी और उसके बाद ऐश. या फिर जैल की हवा. चाय्स तेरी है.
हम दोनो की दुनिया कुछ ही मिनिट में उलट-पुलट हो गयी. ऋतु रो पासी. मैने उसे शांत किया. हम सोचने लगे के क्या किया जाए. कुछ समझ नही आ रहा था.
कुछ देर बाद ऋतु बोली: सत्तू, मुझे लगता है की हमे यादव जी की बात मान लेनी चाहिए.
मैं बोला: मतलब?
ऋतु: मतलब तुम्हे एक साल उनकी बीवी बनके रहो. तो हमारी सारी परेशानी ख़तम हो जाएगी.
मैं: तुम ये सब क्या बोल रही हो? मैं तुम्हारा पति हू, और तुम मुझे किसी और की बीवी बनने के लिए बोल रही हो?
ऋतु: तुम्हारे पास कोई और रास्ता है? है तो जाओ, देके आओ यादव जी को 5 लाख 40 हज़ार एक हफ्ते में.
मैं सोफे पे बैठ गया. मेरी ज़िंदगी कैसे पलट गयी कुछ ही मिनिट में ये सोच रहा था. मैं रो पड़ा अपनी हालत के बारे में सोच के. ऋतु मेरे पास आई. वो मुझे शांत कर रही थी.
ऋतु: तुम परेशन मत हो. एक साल की ही बात है. इसके बाद हमारी सारी परेशानी ख़तम. और मैने तुम्हारे जिस्म से प्यार नही क्या है. तुम जैसे भी रहो, मैं हमेशा तुम्हारी ही रहूंगी.
मुझे थोड़ी तसल्ली मिली उसकी बातें सुन कर. मैने उससे पूछा-
मैं: क्या करना होगा हमे अभी?
उसने मुझे पहले यादव जी को हमारे डिसिशन के बारे में बोलने को कहा. मैने उन्हे फोन किया और सब बता दिया. उन्होने हमे एक महीने का टाइम दिया पूरी तरह से प्रिपेर होने के लिए.
अगले दिन से मेरी ट्रैनिंग स्टार्ट हो गयी औरत बनने की. ऋतु ने छुट्टी लेली थी ऑफीस से 2 दिन के लिए. सुबा उठते ही ऋतु ने मुझे बातरूम ले जाके मेरी पूरी बॉडी शेव कर दी. इसके बाद उसने मुझे अपनी एक सारी दी और बोली-
ऋतु: आज से तुम सिर्फ़ सारी ही पहनोगे.
हम कल शॉपिंग करने जाएँगे तुम्हारे लिए. मेरे मूह से एक शब्द भी नही निकल रहा था. शरम से मैं ऋतु से नज़रे मिला नही पा रहा था. इसके बाद उसने मेरा मेकप किया. मेरे बाल पहले से ही लंबे थे, मैने करीब एक साल से काटे नही थे.
ऋतु ने मेरे बालों को आचे से बाँध दिया. इसके बाद वो मुझे आईने के सामने ले गयी. मैं तुरंत अपने कॉलेज के टाइम में पहुँच गया था, जब मैं प्लेस किया करता था.
फिर हमने साथ में नाश्ता किया. ऋतु ने कहा आज से घर के सारे काम मैं ही किया करू, ताकि यादव जी के घर में मुझे कोई प्राब्लम ना हो.
मैने उसकी बात मान ली. हमने नाश्ता ख़तम ही किया था, की तभी डोरबेल बजने की आवाज़ आई. ऋतु आन्सर करने गयी, और मैं प्लेट्स लेकर किचन में चला गया. इतने में ही ऋतु की आवाज़ आई-
ऋतु: ये सब क्या है?
मैं दौड़ के बाहर आया तो देखा की 3-4 हटते-काटते आदमी गाते पे खड़े थे. उनके साथ बहुत सारा समान था. ये यादव जी के आदमी थे. वो अंदर आए, समान ड्रॉयिंग रूम में रखा, और चले गये. हमे कुछ पूछने का मौका नही मिला. तभी यादव जी का कॉल आया.
उन्होने बोला: 100 सारी है, बहुत सारी ज्यूयेल्री है.
सब मेरे लिए थी. हम चौंक गये पूरी तरह से. ऐसे करके कुछ दिन बीट गये. मैं रोज़ सारी ही पहनता था. यहा तक सोने के टाइम भी सारी ही पहनता था. ऋतु ने मुझे कुछ एक्सर्साइज़ करने को भी कहा जिससे मेरी फिगर थोड़ी लड़कियों जैसी हो जाए. और हुआ भी. मेरी गांद थोड़ी सी उभर चुकी थी.
मेरी चाल भी औरतों जैसी हो चुकी थी. यहा तक की मेरी आवाज़ भी थोड़ी सी पतली हो गयी थी. मैने लड़कियों को जैसे ही बात भी करना शुरू कर दिया था. ऋतु और मैं अब पति-पत्नी कम सहेली ज़्यादा बन चुके थे. ऐसे करते-करते एक महीने का टाइम पूरा हो चुका था, और अगले दिन यादव जी मुझे लेने आने वाले है.
तो बे कंटिन्यूड…