मौसी के चक्कर में माँ चुद गईं

मैंने कहा- ‘ठीक हैं माँ।’

एक बात मैं आपको बताना भूल गया कि 1-2 महीने में माँ और मौसी कभी कभी व्हिस्की का 1-1 पेग पीती थीं।

एक दिन मैं दोस्तो के साथ होटल में पी कर घर आया तो माँ ने आते ही पूछा- ‘बेटा क्या तुमने शराब पी है?’

मैंने कहा- ‘हाँ’ माँ, एक दोस्त मुझे होटल ले गया और वहाँ हम लोगो ने व्हिस्की पी।’

माँ ने कहा- ‘बेटा अब तू बड़ा हो गया है और अगर तुझे पीना है तो घर पर पिया करो’

‘क्यों कि बाहर पीने से पैसे ज़्यादा लगते हैं और आदत भी ख़राब होती है।’

मैंने कहा- ‘ठीक है! माँ, अब से मैं घर में ही पिया करूँगा।

उस दिन के बाद जब भी मेरा मन 1-2 महीने में पीने का होता है, तो मैं घर पर ही व्हिस्की पिया करता हूँ और पीते समय माँ और मौसी भी मेरा साथ देती हैं।

शनिवार के शाम को ऑफ़िस से आते समय मैं चिकन लाया और साथ में व्हिस्की की बोतलें भी लाया। क़रीब 9:30 बजे माँ ने आवाज़ दीं ‘चलो खाना तैयार है आ ज़ाओ।’

मौसी 3 गिलास और व्हिस्की ले आई और हम तीनों पीने लगे माँ और मौसी केवल 1-1 पेग पिये और मैंने 3 पेग पिया।

खाना खाने के बाद माँ और मौसी ने सब काम ख़त्म करके सोने की तैयारी करने लगी। रोज़ाना की तरह हम तीनो सो गए।

मौसी की चूत में मेरे लण्ड की छुवन
रात क़रीब 1:15 बजे मैं पेशाब करने उठा तो देखा कि मौसी, माँ की तरफ़ करवट करके लेटी थीं और उनका दाहिना पैर माँ के पैर पर था और माँ की नाईटी घुटनो के थोड़े उपर सी उठी हुई थीं जबी मौसी की नाईटी चूतड़ों से थोड़ी नीचे तक सरकी हुई थीं।

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मैंने बिना आवाज़ किए पेशाब करके लेटा तो देखा कि दोनों गहरी नींद में सोए थे शायद व्हिस्की के असर से उन्हे गहरी नींद आ गई थीं। मैंने धीरे से मौसी की नाईटी को कमर तक उठा दिया। अब मौसी की झांटों से भरी चूत साफ़ नज़र आ रही थीं।

मौसी का दाहिना पैर माँ के पैर पर होने के कारण मौसी की चूत की दोनों काली फांकें फैली थीं और अन्दर का गुलाबी भाग साफ़ नज़र आ रहे थें। उनकी चूत को देख कर मेरा लण्ड खड़ा हो गया और अंडरवियर से बाहर आ गया।

मुझसे रहा नहीं गया और सोचा कि मौसी की चूत में लण्ड पेल दूं पर हिम्मत नहीं हो रही थी, फिर मैंने मौसी की तरफ़ करवट करके सोने का नाटक करने लगा और मैंने मेरा लण्ड हाथ से पकड़ कर मौसी की चूत के पास रख दिया।

डर की वजह से मैं लण्ड को उनकी चूत में घूसा नहीं सका क्यों कि अगर मौसी जाग जाएगी तो शायद नाराज़ हो कर माँ से शिकायत कर देगी। इसलिए लण्ड को चूत के पास लगा कर धीरे धीरे लण्ड को रगड़ने लगा।

ऐसा करते हुए कुछ ही देर के बाद मेरे लण्ड ने बहुत सारा वीर्य मौसी की चूत पर और झांटो पर जा गिरा।

सुबह सुहावना होने के कारण मैं क़रीब 11 बजे उठा, तो मैंने मौसी और माँ को धीमे आवाज़ में बात करते सुना।

मुझे लगा शायद मौसी मेरी शिकायत माँ से कर रही है इसलिए मैं ध्यान लगाकर उनकी बातें सुनने लगा।

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