माँ से अनुमति लेकर मैंने फिर अपना लण्ड माँ की गांड में घूसा दिया और माँ की गांड मारने लगा। मैं जब माँ की गांड मार रहा था।
माँ कह रही थीं- ‘बेटा आज तुमने अपने माँ की गांड की सील तोड़ दी।’
‘और जोर जोर से अन्दर बाहर करो अपना यह घोड़े जैसा लण्ड।’
अब मैं माँ से पूछा- ‘अच्छा माँ यह तो बताओ कि तुम मौसी के जगह कैसे आ गई?’
उन्होंने कहा- ‘उस दिन जब तुम मौसी को चोद रहे थे तब मुझे कुछ शक हो गया क्यों कि तुम्हारी मौसी के मुँह से ऊउईई म्माँआ की आवाजें निकाल रही थी और आज जब तुम तेल लेने गए तब तुम्हारी मौसी ने मुझे सब बता दिया।’
‘इस तरह मौसी की जगह में मैं आ गई तुमसे गांड मरवाने।’
‘चल जल्दी से अब मेरी चूत में अपना लण्ड पेल दे अब रहा नहीं जाता।’
मैंने तुरंत ही अपना लण्ड निकाल कर माँ की चूत में डाल कर पेलने लगा और जब मैं माँ को चोद रहा था तब मौसी माँ की मुँह पर अपनी चूत रख कर रगड़ रही थीं।
करिब 20 मिनट्स के बाद मैंने अपना वीर्य माँ की चूत में डाल दिया।
इसी दरमियान माँ 3 बार झड़ चुकी थीं।
अब 2 महीने से मैं माँ और मौसी को रोज़ रोज़ नई नई स्टाइल में चोदता हूँ।