मेरी मादक मा और ज़ालिम दुनिया

मा का जिस्म मेरी हवस के बाआड़ ये सीरीस हाजिर है.

चीज़े अब पहले से काफ़ी बदल गयी थी. गत्री मेरी मा, मेरा बिस्तर गरम कर कर के और भी ज़्यादा मादक हो गयी थी. जिसस गत्री का जिस्म देख कर उसको कचा चबा जाने का मॅन करता था. उसकी हवस और जिस्म और भी चिकना होके अब और भी ज़्यादा कहेर ढा रहा था.

गाओ मे हुए कांड के बाद अब चाचजी की जगह मैने लेली थी. उनकी प्रॉपर्टी और हुमारी चिकनी गाओ की चाची जो मा के साथ अब मेरी बिस्तर गरम करती थी. पिछली सीरीस जिन्न लोगो ने पूरी पढ़ ली वो जानते होंगे मैने गत्री को किस हद तक छोड़ छोड़ कर निचोड़ डाला. अब इश्स सीरीस मे उससे भी ज़्यादा होने वाला है.

क्यूकी इश्स बार मेरी मा गत्री के मादक जिस्म की खबर दूर तक फेल गयी थी. और इश्स ज़ालिम दुनिया का हर कुत्ता गत्री के जिस्म को छोड़ छोड़ कर अपने बिस्तर की रंडी बनाना चाहता था. अब ये देखना होगा की क्या गत्री इनको रोक पाएगी? या फिर इन्न सबके सामने सरेंडर कर देगी. और फिर ये कुत्ते उसके जिस्म के पीछे पद कर अपना बिस्तर गरम करेंगे. देखते है.

आप लोगो के इतने प्यार और सपोर्ट के बाद हवस और जिस्म का नंगा नाच फिर शुरू होने वाला है.

कुछ महीनो बाद…

डोफेर के 1 भजे थे और मेरा फोन बजा..

मई- हन कों…?

5 महीने हो गये सुनील यार अब भेज दे उसको..

मई- आछा मई कुछ जुगाड़ करता हू.

जुगाड़ नही वो ही चाहिए, बहोट गरम हो रहे है हम दोनो, भेज दे साली को.

मई- चलो ठीक है, तुमने इतनी प्रोपेती मुझे दे दी मई इतना तो कर ही सकता हू, वो आ जाएगी.

अंदर मेकप कर रही गत्री की कमर मसालते हुए मैने उसके पेट को ज़ोर से नोच लिया.

मा- आआआआआआआअहूहकच…हा…मेरा पेट बहोट मूल्यूम हो गया है, इतना ज़ोर से मॅट किया करो..

मैने साइड मे रखा हुआ लोहे का स्क्रूड्राइवर उठया और मा के मुआलयूं पेट मे अंदर तक घुसेड कर खरोच दिया. उम्म्म…भेंचोड़…वो काप गयी पूरी.

मा- आआआआआआआआआआआआआआआआआहह..मम्मी….मेरा पेट..हुहह..हुहह..ममर..गयी…आआआआआअहह

मई- क्या बोल रही थी साली तू मुझे म्ना करेगी. इतनी ज़ोर से मत किया करो…बोल अब..

मा- ( काप्ते हुए)…हा..नि…नही…हुहह..नही..नही.. मई मज़ाक कर रही थी. हा..आहह..आहह..कसम से मज़ाक कर रही थी..हुहह..हा..

मई- तेरा ये जिस्म मेरी प्रॉपर्टी है समझी, मई कुछ भी करू.

मा- हन..हुहह..हुहह..मई आपकी हू…हुहह..हा..आहूहह…सॉरी..हुहह..हुहह ग़लती हो गयी.

मेरी लाल आखे देख कर साँझ गयी गत्री की इसको शांत करना पड़ेगा कैसे भी. मेरी च्चती मसालते हुए उसने मेरा हाथ अपनी सारी मे घुसा दिया और छूट मसालने लगी..

मा- हुहह..आहूहहुऊंम्म..देखो..कितनी गरम हो रही है..जैसा म्न्न करे वेसए छोड़ना मुझे..रग़ाद कर छोड़ना मुझे मई कुछ नही बोलूँगा…आहहूऊंम.

मैने गत्री की छूट को पकड़ लिया और मसालने लगा.

मई- वो तो मई तुझे छ्चोड़ूँगा पर ही अभी तू एक काम कर…

मा- कैसा काम..

1 घंटे बाद मई मा को लेके जैल की तरफ निकल गया.

मा- यहा क्यू आए है हम..

मई मा को लेके अंदर गया. जाइलर को नोट की गद्दी डेडी और मा की कमर मे हाथ डालता हुआ एक रूम मे गया और अंदर चाचजी और पापु खड़े थे. गत्री को देखते ही उनके 5 महीने से भूके चेहरे पर हवस की मुस्कान आ गयी. गत्री सब साँझ गयी और शर्मा कर मूह झुकने लगी.

पापु आयेज आया और मुझे गले लगा लिया.

पापु- मेरा सागा भाई से भी बढ़ कर है तू.. (मा को घूरते हुए) 5 महीने से इश्स जैल मे साद रहा हू. भेंचोड़ गत्री तेरी क्सि हुई छूट को फाड़ कर रख दूँगा आज.

मा ने शर्मा से मुस्कुरा कर मूह झुका लिया. पीछे खड़े चाचजी भी हवस मे मा को घूर रहे थे. मई बाहर आ गया और गाते लॉक हो गया. तभी पापु ने कमर पकड़ कर मा को खिछा और सारी खोल डाली और पीछे से चाचजी ने ब्लाउस खिच कर फाड़ दिया. इससे पहेले मा कुछ और सोच पाती..

वो दोनो उसको घोड़ी बना चुके थे. और तभी..

मा- आआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआअहह..मार जौंगीइ…मम्मी..आआआआआआआआआआआवउंम्म..हुहह..हुहह..हुहह..हा..

पापु का लंड गत्री की छूट मे और चाचजी का मा की गांद मे लंड घुस चुका था एक ही झतके मे. गत्री काप गयी और इन्न भूके कुत्टो ने अगले ही सेकेंड उसकी छूट और गांद को छोड़ना शुरू कर दिया..

घप्प्प्प…ग्घप्प्प..ग्घप्प्प…आआआआआअ….ग्घप्प्प..ग्घप्प फचह…फच..फच्छ..फच्छ..आआआआआआआआआअहह…म्ृर गयी…उउंमाआआआआआआआआआआहह फच..फच..फच्छ..फच..फच….फचककककककच….फफफककक्चह.. धप्प्प्पाा..द्धप्प्प्प..द्धप्प्पाा…द्धप्प्प…द्धपााअ…द्धप्प्प..

आआआआआआआआआआआआआआआआअहह..बस..आ..आआआआआआआआआआआआआआआअ…..आअहह आहह..आहह.आ.आहह..फफचह..फक्चफ़.सी.च्च्छ…फचह..

जैल के यूयेसेस रूम मे गत्री की बुरी तरह चीखने की आवाज़ आ रही थी. वो दोनो कुत्ते उसको छोड़ते रहे और गत्री की छूट और गांद चियर रहे थे. वो जितना चिल्लती वो उतना तेज झतका मारते. कुटिया बन चुकी गत्री की चीख 1 सेकेंड के लिए भी बंद नही हुई.

पापु और चाचजी की गलिया और गत्री की चीख सुन्न कर मुझे सुकून मिल रहा था. 2 घंटे बाद मई अंदर गया…उम्म्म्मम.. नंगी गत्री के जिस्म पर दोनो का वीरये और छूट और गांद से टपकता हुआ. हम बेत गये और सिग्ग्रेतटे पीने लगे. ज़मीन पर लेती हुई गत्री अभी हाफ़ रही थी.

मई- चाचजी इश्स बार 90 लाख रुपी की फसल निकली है तुम्हारे खेतो से.

चाचजी- अरे सुनील अब मई क्या करूँगा. हम दोनो को 20 साल की स्जा हुई है, वरना हम तो उमरकेड हो जाती. अब जो करना है तुझे करना.

पापु- बाहर तो हम निकल नही सकते सुनील भाई. बस अपनी इश्स गत्री को हुंसे दूर मत करना. वरना ये हवस की बीमारी हुमारी जान ले लेगी.

10 क्रोरे और 2 कोठिया और एक गाओ की मादक सेवा करने वाली चाची के बदले अगर महीने मे गत्री इन्न दोनो को खुश कर देगी तो क्या बुराई. हम तीनो ने ज़मीन पर पड़ी हुई मादक गत्री का नंगा जिस्म देखा और मुस्कुराने लगे.

तभी मा हाफ्ते हुई खड़ी हुई और हम तीनो को देख कर शरमाती हुई सारी पहनने लगी.

मई- चाचजी जैल मे छोड़ने का अपना ही मज़ा है, मई भी छोड़ कर देखु क्या..

मा ये बात सुन्न कर शर्मा गयी. अभी इतनी बुरी तरह चूड़ी है इन्न बाप बेटे से और अब ये शैतान. वो आयेज जाने लगी.

चाचजी- अरे बिल्कुल सुनील और जब गत्री जैसी तेरी मा पास मे हो तो बहोट मज़ा आएगा.

तभी मैने खिच कर मा को अपने सामने पकड़ा और वो शर्मा कर हाफने लगी. उसका पेट मेरे सामने था, मैने उसको अपनी जाँघ पर बिता लिया और चुचा मसालने लगा.

मई- उम्म्म्ममममममम..मेरी जान बहोट गरम लग रही है..

चाचजी और पापु का मिलने का टाइम ख़तम हो गया था, वो जाने लगे और रूम से भर निकलते ही..

मा- आआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआअहह……

मा की चीख सुन्न कर दोनो ने एक दूसरे को मुस्कुराते हुए देखा और अंदर जैल मे चले गये. पहली बार गत्री को जैल मे छोड़ कर मज़ा आ गया. खूब रग़ाद कर अपना घोड़े जैसे लंड मैने गत्री की छूट मे घुसेड डाला था.

टाइम के साथ मई ज़रूरत से ज़्यादा हरामी हो गया था. हाथ मे चाचजी की इतनी सारी प्रॉपर्टी और बिज़्नेस उसके साथ मे 2-2 मादक चिकने जिस्म वाली रखेल जो पूरी तरह बस मेरी थी और मेरी सेवा करती थी. इन्न दोनो पर मई किसी गाओ के मर्द की तरह अपनी प्रॉपर्टी साँझ कर ऑर्डर चलता था कोई औरत साँझ कर नही.

और ये दोनो भी मुझे अपना मर्द मान कर मेरा हर ऑर्डर मानती थी. अगर ज़रा भी ग़लती होती तो इनके मुआलयूं पेट और चुचे की मई खाल नोच लेता था. अब किसी राजा की तरह हो गया था. सुबह 4 ब्जे उठ कर चाची गाओ के कुऊए से पानी लेके आती और गास काटने जाती. फिर इतने मे मई उठ जाता तो रात भर गत्री की छूट से लंड निकल कर अब मुझे न्यी छूट चाहिए होती थी.

सुबह का काम करके चाची सिद्धा मेरे पास आ जाती बेडरूम मे और गत्री अब काम करने चली जाती. मई बेड पर नंगा ही होता था. चाची आती और मेरे से चिपक कर लेट जाती.

मई- क्यू रे कुटिया आज लाते कैसे हो गयी तू, पता है ना तेरा मर्द 10 मिनिट पहले ही जाग गया और तू अब आई है..

चाची- जी..जी…वो घास काट रही थी गाए के लिए…तो उससी मे लाते हो गयी.

मई- साली तेरे घास के छ्क्कर मे मुझे लाते करेगी तू..??

चाची- जी..नि…आप…आप घुस्सा मत होना. मई कल से टाइम पर आ जौंगी…पक्का…

चाची मेरी लाल आँखे घूर्ने लगी. वो मेरे पास आई अपनी चोली मे चुचे बाहर निकल कर निपल मेरे मूह मे लगा दिए. और मेरा भर निकला लंड अपना घग्रा नीचे करके अपनी छूट पर मसालने लगी..

चाची- हुहह..आहह…आअहह..हुहह…घुस्सा मत करो जी…मई अपने मर्द को अब कभी नाराज़ ना करूँगी..पक्का..जी

तभी मैने चाची को धक्का दिया और उसके उप्र आ गया. चाची साँझ गयी उसकी छूट मे घोड़े का लंड घुसे वाला है और उसकी छूट चीरने वाली है. उसकी सास तेज हो गयी और धडकन ब्दने लगी. और अगले ही सेकेंड…

चाची- आआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआहह…..

काप्ते हुई चाची की गरम छूट मे मेरा लंड एक ही झतके मे अंदर तक घुस गया और चाची की जान निकल दी…

चाची- म्मरररर्र्र्र्ररर….गयी..आआआआआआआआआआआआआआआआहह..मुंमम्मूऊम्म्म्मममममम

ग्घहप्प्प्प…ग्घप्प्प..ग्घप्प्प…आआआआआअ….ग्घप्प्प..ग्घप्प

फचह…फच..फच्छ..फच्छ..आआआआआआआआआअहह…म्ृर गयी…उउंमाआआआआआआआआआआहह

फच..फच..फच्छ..फच..फच….फचककककककच….फफफककक्चह.

धप्प्प्पाा..द्धप्प्प्प..द्धप्प्पाा…द्धप्प्प…द्धपााअ…द्धप्प्प

आआआआआआआआआआआआआआआआअहह..बस..आ..आआआआआआआआआआआआआआआअ…..आअहह

आहह..आहह.आ.आहह..फफचह..फक्चफ़.सी.च्च्छ…फचह…

बस चाची के हाथ पकड़ कर एक जोरदार चुदाई करके मेरा घुस्सा शांत हुआ. बाहर काम कर कर रही मा ने जब चाची की चीख सुनी तो मुस्कुराने लगी. 1 घंटे बाद मई बाहर निकला और चाची अभी भी बेड पर पड़ी थी.

मई- खाना टायर हो गया क्या?

मा- जी हो गया, आप बेतो मई लेके आती हू..

सुबह सुबह चाची को छोड़ने के बाद भेस के दूध की लस्सी और गाओ के गीयी वाले प्रांते ख़ाके अलग ही ताक़त मिलती थी, फिर मई खेतो मे काम देखने चला जाता.

मई- क्या चाची आज तो तुम्हारी फिर चीख निकल दी सुनील ने.

चाची- अब क्या करू, मेरा चिकना जिस्म देख कर वो पागल हो ही जाता है. अगर सुनील ना होता तो कोई और इश्स गाओ मे बिना मर्द की औरत देख कर मुझे उठा कर ले जाता फिर ज़िंदगी भर उसकी गुलामी करनी पड़ती.

मा- हन चाची सुनील ने बचा लिया तुम्हे.

चाची- हन अब तो तेरे साथ साथ मेरा भी मर्द है वो. अब जल्दी खाना बना कर खेतो मे चल तुझे पता है डोफेर होने वाली है और उसके आराम करने का टाइम हो गया है.

मा- हन चाची चलो जल्दी.

दोनो खाना लेके आ गयी और मई खेतो मे बनी झोपड़ी मे लेता हुआ था. चाची मेरे पेर दबाने लगी और मा मुझे हाथ से खाना खिलाने लगी. गाओ का खाना भी बदीया होता है मज़ा आता है खाने मे. खेर खाना ख़तम हुआ और चाची ने मेरे पेर भी आचे से दबाए.

तभी चाची आयेज आई और उपर से अपनी चोली खोल कर नंगी हो गयी और मेरे हाथ मे अपने मोटे चुचे मसल कर-

चाची- जी सुनो ना…

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