घर पहुँच कर मैं मम्मी के साथ काम करने लग गया, और पापा और चाचा बाहर कुछ खेत के लिए समान लेने चले गये. दोनो को आते-आते 3 बाज गये थे. वो दोनो खाना खा कर मेरे रूम में आ गये. मैं ग़मे खेल रहा था टीवी पे.
पापा (गुस्से में ): साब थोड़ी पढ़ाई कर लिया करो. तुम्हारे भाई से कुछ सीखते नही हो क्या तुम?
मम्मी रूम में आ कर: अभी खेलने लगा है. मॉर्निंग से स्टडी ही कर रहा था. और आज क्या हो गया है. तुम इतना गुस्सा क्यूँ कर रहे हो?
पापा गुस्से में अपने रूम में चले गये.
चाचा: कुछ नही भाभी, वो खेत को लेकर टेन्षन में है. अभी नॉर्मल हो जाएगा.
ये बोल कर चाचा भी पापा के पीछे-पीछे चले गये.
मम्मी: देव क्या हुआ है, मुझे बता?
मैने मम्मी को बताया की कैसे खेत खराब हो गया था. बुत मुझे पता था पापा ये सिर्फ़ खेत के लिए नही, मेरी वजह से गुस्सा थे. लेकिन मुझे समझ नही आया पापा कभी इतना गुस्सा नही होते. बुत आज क्यूँ थे? शायद उनको मेरा चाचा के सामने नंगा होना अछा ना लगा हो. शायद मैं ही ज़्यादा सोच रहा हू, और ऐसा ना हो. शाम को हम खाना खाने लगे.
पापा: देव मॉर्निंग में ज़्यादा गुस्सा हो गया था बेटा. क्या करू, मेरे दादा और फिर पापा ने बहुत मेहनत से खेत को रखा था. आज ऐसा देख कर तोड़ा गुस्सा हो गया.
ये सुन कर मुझे क्लियर हो गया पापा सच में खेत के लिए गुस्सा थे.
चाचा: कोई नही यार, अभी मैं यही हू. पुर खेत की बाउंड्री बना देंगे. मैने कारीगर से बात कर ली है. तू टेन्षन मत ले, कल आराम से जॉब पर जेया. सब हो जाएगा.
नेक्स्ट मॉर्निंग 4 बजे:-
चाचा ( धीरे से): देव उठ जेया, खेत जाना है ना. जल्दी चलेंगे तो जल्दी काम होगा.
हम दोनो रेडी हो कर पापा की बिके लेकर 4:45 तक खेत में पहुँच गये.
मैं: क्या चाचा, इतना जल्दी क्यूँ ले आए? अभी तो अंधेरा भी कितना है. कों सा कारीगर आएगा अभी?
चाचा: अर्रे पागल, कारीगर तो 8:30 बजे तक आएगा. तब तक हम दोनो तुबेवेल्ल में नहा लेते है ना. और वैसे भी तुझे देख कर फिर तेरा बाप गुस्सा करता. इसलिए यहा ले आया.
मैं: हा सही बोल रहे हो आप. पता नही पापा क्यूँ इतना गुस्सा हो गये. कभी नही करते वो गुस्सा.
हम दोनो रूम में जेया कर मोटर स्टार्ट करके तुबेवेल्ल के पास आ गये. हमारे खेत से डोर-डोर तक किसी का कोई घर नही है. और तुबेवेल्ल ट्री के नीचे है. इसलिए किसी को वैसे भी कुछ नही दिख पाता.
चाचा: देव आज एक ग़मे खेलते है. जो सब से पहले आँख बंद करेगा, वो अपने कपड़े उतारेगा.
हमने ग़मे स्टार्ट करी. 1स्ट्रीट रौंद चाचा मेरी आँख में देख ही रहे थे. इतने में बोले-
चाचा: तेरे पापा आ गये.
मैं पीछे देखने लगा.
चाचा: ये! मैं जीत गया. अब जल्दी त-शर्ट उतार.
मैं: बुत ये चीटिंग है.
चाचा: कोई नही, तू भी कर लियो चीटिंग.
मैने त-शर्ट उतार दी. अब मैने भी चाचा से चीटिंग करी. फिर चाचा ने आपनी शर्ट उतार दी, जिसके नीचे चाचा कुछ नही पहने हुए थे. उनकी हेरी चेस्ट मस्क्युलर बॉडी देख कर मेरी हवस जागने लगी. उनकी चेस्ट के बाल सीधे उनके अंडरवेर तक जेया रहे थे.
नेक्स्ट रौंद में चाचा जान-बूझ कर हार गये. और अपनी पंत उतार कर ओन्ली वाइट अंडरवेर में आ गये, जिसमे उनका सोए हुए लंड का उभार दिख रहा था. नेक्स्ट रौंद में चाचा ने मुझे पकड़ कर हिला दिया.
चाचा: अब देव बनियान की बारी.
जैसे ही मैने बनियान उतरी, चाचा मेरे चूचों को हाथ से पकड़ कर बोले-
चाचा: क्या मस्त चूचे है तेरे देव.
ये बोलते ही चाचा ने मेरे निपल्स पर चुटकी काट ली.
मैं: आअहह चाचा.
चाचा: मैं फिर जीत गया. अब शॉर्ट उतार अपनी.
मैं: बुत रौंद कब स्टार्ट हुआ?
चाचा: हो गया था, तूने ध्यान नही दिया. जल्दी कर, ग़मे ओवर हो जाएगा फिर.
मैने आपनी निक्कर निकाल दी. अब हम दोनो एक-दूसरे के सामने ओन्ली अंडरवेर में थे.
मैं पंगे लेते हुए: अब का रौंद बड़ा मुश्किल होगा. देखते है किसकी इज़्ज़त जाती है.
हम दोनो ही हासणे लगे. रौंद स्टार्ट हुआ, और चाचा ने मुझे तुबेवेल्ल में गिरा दिया.
चाचा: ये मैं जीत गया. अब देव अंडरवेर निकाल जल्दी.
मैं भी अब मज़े में आ चुका था. मैने तुबेवेल्ल के अंदर ही अपनी अंडरवेर निकाल कर बाहर फेंक दी.
चाचा: ये तो ग़लत बात है. रुक मैं आता हू.
चाचा तुबेवेल्ल के अंदर आ गये. हम दोनो के नंगे बदन पर मॉर्निंग की ठंडी-ठंडी हवा और ज़्यादा रोमॅंटिक मूड बना रही थी. मेरे निपल्स और ज़्यादा टाइट होने लगे. मैं मूड में आ चुका था.
मैने बोला: अब नेक्स्ट रौंद.
चाचा: अछा जी, नेक्स्ट रौंद. अगर तू हार गया तो क्या करेगा? तेरे तो सारे कपड़े भी निकल गये है.
मेरी गांद अभी भी पानी के नीचे थी. पानी के अंदर मेरा लोड्ा खड़ा हो चुका था.
मैं: आप बताओ.
चाचा: ठीक है पहले तुझे हरा देता हू. फिर बोलता हू.
नेक्स्ट रौंद में मैने जान-बूझ कर आँखें बंद कर ली ( मुझे भी देखना था चाचा अब क्या करेंगे).
चाचा: चल अब रेडी हो जेया. आज तुझे कुछ स्पेशल करवाता हू. बोल करेगा?
मैने हा बोल दिया.
चाचा: जैसा मैं बोलूँगा वैसे मुझे तेरे साथ करने देगा?
मैने बोला: ठीक है चाचू.
ये बोलते ही वो मेरे पास आ गये, और मेरे बदन को कस्स कर पकड़ लिया. एक लंबा सा किस मेरे होंठो (लिप्स) पर दे दिया. मैं बचपन से ही मर्दों के साथ सेक्स करना चाहता था, ख़ास कर पापा के साथ. लेकिन आज चाचा में ही मुझे पापा नज़र आ रहे थे.
मैं इमॅजिन करने लगा जैसे पापा ही मुझसे सेक्स कर रहे थे. मैं भी चाचा को ज़ोर से पकड़ कर पुर मज़े से किस करने लगा. चाचा मेरे मूह में अपनी जीभ डाल कर 5 मिनिट तक किस करने के बाद.
चाचा: कैसा लगा देव, मज़ा आया ना?
मैं: बहुत मज़ा आया पापा.
चाचा: अब नीचे झुक जेया, और मूह खोल ले. ( उन्होने नोटीस ही नही किया मैने पापा बोला था)
नीचे होते ही उन्होने अपना लंड अंडरवेर से निकाला, उनका लंड 6+इंच लंबा और 3 इंच मोटा था. ये मेरी लाइफ का फर्स्ट लंड था, जिसे मैं इमॅजिन कर रहा था ये पापा का खिलोना था, जो आज मेरा ही था.
उन्होने अपना लोड्ा मेरे मूह में पेलना स्टार्ट कर दिया. मूह की चुदाई से तुबेवेल्ल का पानी उछालने लगा. मैं भी बहुत मज़े से पूरा लोड्ा चूज़ जेया रहा था. आस-पास कोई नही था, इसलिए पानी और मेरे मूह की आवाज़ डोर तक जेया रही थी. ठंडी-ठंडी हवा हमारे बदन में एक नया करेंट पैदा करने लगी.
5 मिनिट बाद चाचा ने बोला: देव यहा आवाज़ ज़्यादा हो रही है, आजा रूम में चलते है.
रूम में एक चारपाई थी, जिस पर मुझे लिटा कर चाचा मेरी गांद को दबाने लगे. नीचे हो कर, मेरे निपल्स को चूस-चूस कर मुझे जन्नत का मज़ा देने लगे. निपल्स का सारा दूध निकालने के बाद, चाचा मेरी गांद पर हाथ फेरने लगे, और मेरे होल को देखते हुए बोले-
चाचा: कभी नही करवाया क्या? एक-दूं कुवारि है. कसम से औरते भी शर्मा जाए तेरी गांद देख कर. कितनी सॉफ्ट और मोटी है यार ये. मस्त है यार तू देव. कल जब से तेरी गांद देखी है, तब से ही मेरा तो दिल ही जीत लिया तूने.
ये बोल कर वो रूम में ही रखी आयिल की बॉटल से मेरी गांद में आयिल लगाने लगे. मुझे डॉगी स्टाइल में कर दिया, और फिर गांद में धीरे-धीरे अपनी उंगलियों को डालने लगे. वैसे मैं नॉर्मली फिंगरिंग करता रहता हू, इसलिए ज़्यादा दर्द फील नही हुआ.
चाचा को पता ना चले इसलिए बोलने लगा: दर्द हो रहा है चाचा, इसे बाहर निकालो.
चाचा: बस-बस हो गया देव.
ऐसे ही फिंगरिंग करते-करते थोड़ी देर बाद चाचा बोले: मज़े आ रहे है ना बेटा?
मैं: बहुत मज़े आ रहे है चाचा.
चाचा अपने लंड पर आयिल लगाने लगे.
चाचा: बेटा अब और मज़े आएँगे. बस तोड़ा दर्द सहन कर लेना.
ये बोलते ही चाचा ने बड़े प्यार से अपने लंड का टोपा मेरी गांद में डाल दिया. मैं दर्द से चिल्ला दिया.
मैं: चाचू दर्द हो रहा है. प्लीज़ बाहर निकालो.
चाचा ने मेरे मूह पर हाथ रख कर दूसरा झटका दे दिया. अब पूरा लंड मेरी गांद में घुस गया. मेरी तो जान ही निकालने वाली थी. मेरे मूह पर चाचा का हाथ होने से कुछ बोल भी नही पा रहा था. चाचा स्लोली-स्लोली झटके देने लगे. थोड़ी देर में दर्द नॉर्मल होने लगा. फिर चाचा मेरे मूह से हाथ हटा कर बोले-
चाचा: लोवे योउ बेटा.
ये बोलते ही चाचा मुझे झटके देना स्टार्ट कर दिया. 10 मिनिट तक स्लोली-स्लोली करते-करते अब मेरी गांद लंड लेने में कोई प्राब्लम फील नही कर रही थी.
मैं: चाचा तेज़ करो. बहुत मज़े आ रहे है.
फिर क्या था, ये सुनते ही उनका जानवर जाग गया. अब चाचा इतना तेज़-तेज़ झटके देने लगे, की मेरी तो हालत टाइट होने लगी. मेरी आँखों से आँसू आने लगे. पुर रूम में मेरे आआआआअ ह्म्म्म्म ऑश की आवाज़ आ रही थी. गांद फाड़ चुदाई से चारपाई तो लगभग टूटने वाली हो रही थी. मैं रोते हुए बोला-
मैं: चाचा बहुत दर्द हो रहा है. आहह नही प्लीज़ जाने दो मुझे.
चाचा मेरे मूह पर फिरसे हाथ रख कर बोले-
चाचा: बेटा तोड़ा सहन कर ले. बहुत दिन बाद तेरे जैसी मस्त गांद मिली है. मूड खराब मत कर. चुप-छाप गांद मरवा ले यार. रोना बंद कर. यार बहुत मस्त गांद है तेरी. आज मेरे लोड का दीवाना बना ही दूँगा इसे.
अगले 10 मिनिट डॉगी-स्टाइल में छोड़ने के बाद, मुझे सीधा लिटा कर मेरी लेग्स को उपर करके मिशनरी पोज़िशन में मुझे छोड़ने लगे. अब मेरी गांद के दर्द से मुझे अभी भी रोना आ रहा था. चाचा छोड़ ही इतना हार्ड रहे थे.
आज तो चारपाई टूटने वाली थी. पूरा रूम पूछ पूछ की साउंड के साथ गूँज रहा था. 20 मिनिट की पलंग तोड़ चुदाई के बाद चाचा ने मेरी गांद में ही सारा गरम-गरम लावा निकाल दिया और मेरे उपर ही आ कर गिर गये. फिर वो मुझे किस करने लगे.
चाचा: सॉरी यार, बहुत दिन बाद ऐसी गांद देख कर पागल हो गया था. अब रोना बंद कर यार, रोते हुए अछा नही लगता यार तू.
मेरी गांद से खून निकलता देख कर मैं बोला-
मैं: ये क्या हो गया? बहुत दर्द हो रहा है पीछे चाचा.
चाचा: फर्स्ट टाइम होता है यार. सॉरी किसी को मत बोलियो. ये हम दोनो के बीच ही रहना चाहिए, वरना तुझे तो पता है तेरे पापा का गुस्सा.
मैं: ठीक है.
इसके बाद मैं बड़ी मुश्किल से चलता हुआ बाहर तुबेवेल्ल पर नहाने चला गया. वाहा चाचा ने जल्दी-जल्दी मुझे पूरा सॉफ करा. क्यूंकी 7:30 बाज चुके थे. थोड़ी देर बाद कारीगर आने वाला था. मुझे नहाने के बाद चाचा ने रूम में ही सोने को बोल दिया. 2 बजे पापा जॉब से डाइरेक्ट खेत ही आ गये.
पापा: दिलीप, हो गया काम? और देव कहा है?
चाचा: कल का दिन और लगेगा. और देव यार वो गिर गया था. इसलिए उसकी कमर में दर्द है. तो वो सो रहा है.
पापा मेरे पास आ कर बोले: कैसे लग गयी? चल घर चलते है. वाहा आराम कर लियो.
मैं सोचने लगा: ये दर्द अगर आपका होता तो कितना अछा होता पापा.
फिर हम दोनो घर आ गये, और चाचा काम कंप्लीट करवा कर शाम तक घर पहुँचे. उस दिन नाइट में भी चाचा पापा के मम्मी के पास जाते ही मेरी निक्कर निकाल कर गांद पर हाथ रखने लगे.
मैं: मॉर्निंग का दर्द अभी भी है. प्लीज़ अब और नही. (मूड तो बहुत था, लेकिन दर्द का क्या करू)
चाचा: चल लोड्ा तो चूस ले यार.
69 की पोज़िशन में हम दोनो एक-दूसरे के लोड चूसने लगे. कसम से लंड चूसना और चुसवाना एक अलग ही लेवेल का सुख है. हमने चूस-चूस कर सारा माल पी लिया. चाचा का माल तोड़ा कड़वा था, बुत मस्त था.
नेक्स्ट दे तक मेरी गांद का दर्द अब ठीक हो गया था. चाचा ने फिर खेत ले जेया कर मेरी गांद का भोंसड़ा बना दिया. चाचा अगले 2 दिन हमारे घर रहे. तब तक वो 4 बार मुझे छोड़ चुके थे. और लंड चुसवाने की तो कोई गिनती ही नही थी, जब टाइम मिलता तब.
जब मेरी गांद ज़्यादा दर्द करती, तब वो मेरे मूह की चुदाई कर देते. इसके बाद चाचा अपने घर चले गये. लेकिन अब मेरा मॅन लंड लेने का बहुत करने लगा.
अगले पार्ट में देखो कैसे मेरी गांद मरवाने की इक्चा पापा ने पूरी की.