Kamwali Pammi Aunty Ne Muth Marate dekha

मेरा नाम राजेश है अभी मैं राजस्थान रहता हूँ। मैं 23 साल का हूँ.. लम्बाई 5’7″ है।

बात अब से 5 साल पहले की है जब मैं गुजरात अहमदाबाद रहता था। तब मैं 18 साल का था.. मैं एक कम्पनी में काम करता था और रहने के लिए मैंने एक कमरा ले लिया था, उस कमरे में मेरे साथ एक मेरा दोस्त भी रहता था.. वह एम पी का था।
मैं और मेरा दोस्त एक ही कम्पनी में काम करते थे.. सन्डे को हमारी छुट्टी रहती थी।

हमने कमरे की साफ-सफाई.. कपड़े धोने.. बर्तन साफ़ करने और खाना बनाने के लिए एक आंटी को रख लिया था। उनका नाम पम्मी था.. आंटी खाना और कमरे का सारा काम करके अपने घर चली जाती थीं।
आंटी का रंग सांवला था.. पर मम्मे मोटे थे.. एकदम मस्त लगते थे। शरीर औसत था.. न ज्यादा मोटा और न ज्यादा पतला..

एक सन्डे मेरा दोस्त तो सुबह नहा-धोकर घूमने चला गया, मैं कमरे पर ही था।
पहले तो मैंने टीवी ऑन किया.. तो मैंने सारे चैनल उलट-पलट कर देख लिए.. पर पसंद कोई प्रोग्राम नहीं आ रहा था।
फिर मैंने टीवी बन्द कर दिया और गद्दे के नीचे से एक किताब निकाली और पढ़ने लगा।

मैं आप लोगों को बता दूँ कि कमरे में हम दो ही लोग रहते थे.. तो कभी-कभी सेक्स कहानियों की किताब अक्सर लाकर पढ़ते थे.. पर अकेले में। इसलिए एक-दो किताबें हमेशा हमारे गद्दे के नीचे पड़ी रहती हैं। उस समय मैं कमरे में अकेला था.. तो मैं एक किताब निकाल कर पढ़ने लगा और एक कहानी पढ़ते-पढ़ते मेरा लन्ड खड़ा हो गया, मैं अपना लन्ड पकड़ कर मुठ्ठ मारने लगा।

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करीब 10 मिनट लन्ड को हिलाने के बाद मुझे लगा कि अब मेरा वीर्य निकलने वाला है.. तो मैंने एक कपड़ा उठाया और लन्ड पर रखकर हिलाने लगा। थोड़ी देर मैं कपड़ा मेरे वीर्य से भर गया और मैं भी कुछ सांसें गहरी लेने लगा।

तभी मेरी नजर खिड़की पर पड़ी.. मुझे लगा कि कोई मुझे खिड़की में से देख रहा है.. उधर लगभग एक इंच का छेद बना है.. उसमें से कोई झाँक रहा था। मैंने तुरन्त अपनी चड्डी ऊपर चढ़ाई और तौलिया लपेट लिया।

इतने में गेट खट्खटाने की आवाज आई.. तो मैंने जाकर ग़ेट खोला। सामने काम वाली आंटी खड़ी थी। मैं आकर अपने बिस्तर पर लेट गया।
आंटी अपना काम करने लगी, वो जब भी मेरे तरफ देखती.. तो मुस्करा देती। मैं भी देख रहा था कि आंटी इससे पहले तो कभी इतना नहीं मुस्कराती थी।
मुझे शक होने लगा कहीं खिड़की के छेद से ये ही तो मुझे मुठ्ठ मारते हुए नहीं देख रही थी।

फिर मैंने आंटी से पूछा- आप आज बड़ी मुस्करा रही हो.. क्या बात है?
उस वक्त तो आंटी ने सिर्फ इतना ही जवाब दिया- कुछ नहीं.. बस ऐसे ही..
और वो चुप हो गई।

थोड़ी देर बाद बोली- क्या कर रहा था कमरे में.. मेरे आने से पहले.?
मैं एकदम से सन्न रह गया कि क्या बोलूँ।
मैं चुपचाप बिस्तर पर ही पड़ा रहा।

तभी अचानक आंटी ने बिस्तर के पास आकर गद्दे के नीचे हाथ डालकर किताब निकाल ली और बोली- यही किताब पढ़ रहा था तू?
वो खुद उस किताब को पढ़ने लगी।

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मैं चुपचाप लेटा था। थोड़ी देर बाद मैंने उनके चेहरे की तरफ देखा तो उनका चेहरा एकदम सुर्ख हो गया था, उनका एक हाथ उनकी चूत पर था।
मैंने भी बिस्तर से उठकर एक हाथ उनके मम्मे पर रख दिया और धीरे-धीरे सहलाने लगा।

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