तभी उन्होंने किताब छोड़कर मेरे लन्ड को पकड़ लिया और बोली- थोड़ी देर पहले मुठ्ठ मार रहा था न तू?
मैं कुछ नहीं बोला।
फिर वो बोली- तूने कोई लड़की नहीं पटा रखी है.. जो तू हाथ से मुठ्ठ मारता है।
मैंने कहा- नहीं.. क्या करूँ हाथ से ही काम चला लेता हूँ।
फिर वो बोली- चल आज के बाद तुझे हाथ से काम करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
इतना बोलते ही उन्होंने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और चूसने लगी।
मुझे बहुत मजा आने लगा, काफ़ी देर तक हम एक-दूसरे के होंठों को चूसते रहे।
मैंने उनके ब्लाउज़ के हुक खोल कर उनके चूचियों को आज़ाद कर दिया।
पम्मी आंटी की मोटी-मोटी चूचियों को देख कर ऐसे लग रहे थे.. जैसे कश्मीर के सेब हों। उसके एक चूचे को मैंने अपने मुँह में भर लिया और दूसरे को हाथ से दबाने लगा।
वो सिसकारियाँ ले रही थी।
दिल तो कर रहा था कि इसकी चूचियों को खा जाऊँ।
आंटी बोली- अकेले ही चूसते रहोगे कुछ मुझे भी चूसने दोगे?
मैं उनका इशारा समझ गया कि वो मेरे लंड को चूसना चाहती हैं।
मैंने अपना तौलिया हटाकर चड्डी नीचे कर दी।
चड्डी नीचे करते ही मेरा लंड एक झटके से बाहर आकर ऐसे खड़ा हो जैसे कुतुबमीनार..
वो मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़कर बोली- मैं तुझे बच्चा समझती थी.. पर तूने तो अपना लंड पूरा जवान कर रखा है।
वो मेरे लंड को मुँह में लेकर ऐसे चूस रही थी जैसे कि आइसक्रीम चूस रही हो। मैं अपना लंड उसके मुँह में अन्दर-बाहर करने लगा। मुझे भी लंड चुसवाने में बहुत मजा आ रहा था।
मैंने कहा- अब इस लंड को खाकर ही छोड़ोगी क्या?
उसने मेरा लंड छोड़ दिया, मैंने उसे बिस्तर पर लेटा लिया और उसकी चूचियों को फिर से चूसने लगा।
चूचियों को चूसते-चूसते मैंने उनकी चूचियों पर जोर से काट लिया.. वो चिल्ला पड़ी, बोली- क्या खा ही जाएगा इन्हें..
मैंने कहा- तुम्हारी चूचियों हैं ही एकदम कश्मीरी सेब की तरह.. दिल तो यही कर रहा है कि इन्हें खा ही जाऊँ।
वो हँस दी।
आंटी को मैंने अब सीधा लेटा लिया और उसने अपनी टाँगें फ़ैला लीं।
मैं अपना लंड उसकी चूत पे रगड़ने लगा।
वो बोली- अब क्यों तड़पा रहा है.. लंड को अब मेरी चूत में डाल भी दे।
मैंने अपना लंड उसकी चूत पर लगा कर एक झटका मारा, मेरा पूरा लंड अब आंटी की चूत में घुस गया।
मैं धीरे-धीरे झटके मारने लगा.. वो भी नीचे से गांड उठा-उठा कर झटके मार रही थी।
उसके मुँह से ‘आह्हह्ह.. ऊह्हह्हह्ह..’ की आवाजें आ रही थीं।
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और जोर-जोर से झटके मारने लगा।
पूरे कमरे में फ़च-फ़च की आवाज आ रही थीं।
थोड़ी देर के बाद हम दोनों डिस्चार्ज हो गए और 15 मिनट तक ऐसे ही लेटे रहे।
फिर हम दोनों अलग हो गए और दोनों ने अपने कपड़े डाल लिए।
वो बोली- क्यों चूत का मजा आया या नहीं..
मैं बोला- हाँ.. सच में बहुत मजा आया.. ऐसे लग रहा था जैसे कि मैं जन्नत में आ गया हूँ।
दोस्तो.. आपको ये मेरी कहानी कैसी लगी बताने के इमेल कर सकते हैं।