कैसे मैंने नौकरानी को चोदा

मैंने झट से पर्दों को बंद किया जिससे थोड़ा अंधेरा हो और उसके ऊपर लेट गया।

होंठों को कस कर चूमा, हाथों से चूचियाँ दबाई और एक हाथ को उसके बुर पर फिराया।

घुंगराले बाल बहुत अच्छे लग रहे थे चूत पर।

फिर थोड़ा सा नीचे आते हुए उसकी चूची को मुंह में ले लिया।

आहा, क्या रस था। बस मज़ा बहुत आ रहा था।

अपनी एक उंगली को उसकी चूत के दरार पर फिराया और फिर उसके बुर में घुसाया।

उंगली ऐसे घुसी जैसे मक्खन में छूरी।
गर्म और गीली थी।

उसकी सिसकारियाँ मुझे और भी मस्त कर रही थी।

मैंने छेड़ते हुए कहा, आरती रानी, अब बोलो क्या करूं?

‘साहब, मत तड़पाइये, बस अब कर दीजिये।’ उसने सिसकारियाँ लेते हुए कहा।

मैंने कहा- ऐसे नहीं, बोलना होगा, मेरी जान।

मुझे अपने करीब खींचते हुए कहा- साहब, डाल दीजिये न।

‘क्या डालूं और कहां?’ मैंने शरारत की।

दोस्तों चुदाई का मज़ा सुनने में भी बहुत है।

‘डाल दीजिये न अपना ये लौड़ा मेरे अंदर।’ उसने कहा और मेरे होंठों से अपने होंठ चिपका लिये।

इधर मेरे हाथ उसकी चूचियों को मसलते ही जा रहे थे। कभी खूब दबाते, कभी मसलते, कभी मैं चूचियों को चूसता कभी उसके होंठों को चूसता।

अब मैंने कह ही दिया- हां रानी, अब मेरा ये लंड तेरी बुर में घुसेगा… बोलो चोद दूं।

‘हां हां, चोदिये साहब, बस चोद दीजिये।’

और वो एकदम गर्म थी।

मैंने कहा- ऐसे नहीं, बोलना होगा, मेरी जान !

फिर क्या था, मैंने लंड उसके बुर पर रखा और घुसा दिया अंदर।

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एकदम ऐसे घुसा जैसे बुर मेरे लंड के लिये ही बनी थी।

दोस्तों, फिर मैंने हाथों से उसकी चूचियों को दबाते हुए, होंठों से उसके गाल और होंठों को चूसते हुए, चोदना शुरु किया।

बस चोदता ही रहा।

ऐसा मन कर रहा था कि चोदता ही रहूं।

खूब कस कस कर चोदा।

बस चोदते चोदते मन ही नहीं भर रहा था।

क्या चीज़ थी यारों, बड़ी मस्त थी। उछल उछल चुदवा रही थी।

‘साहब, आप बहुत अच्छा चोद रहे हैं, चोदिये खुब चोदिये!’

चोदना बंद था, टांगे उसने मेरे चूतड़ पर घुमा रखी थी और चूतड़ से उछल रही थी।

खूब चुदवा रही थी और मैं चोद रहा था।

मैं भी कहने से रुक न सका- आरती रानी, तेरी चूत तो चोदने के लिये ही बनी है। रानी, क्या चूत है। बहुत मज़ा आ रहा है। बोल न कैसी लग रही है ये चुदाई।

‘साहब, रुकिये मत, बस चोदते रहिये, चोदिये, चोदिये, चोदिये।’

इस तरह हम न जाने कितनी देर तक मज़ा लेते हुए खूब कस कस कर चोदते हुए झड़ गये।

क्या चीज़ थी, एकदम चोदने के लिये ही बनी थी शायद।

दोस्तों मन नहीं भरा था।

20 मिनट बाद मैंने फिर अपना लंड उसके मुंह में डाला और खूब चुसवाया।

हमने 69 पोसिशन ली और जब वो लंड चूस रही थी मैंने उसकी चूत को अपनी जीभ से चोदना शुरु किया।

खास कर दूसरि बार तो इतना मज़ा आया कि मैं बता नहीं सकता क्योंकि अब की बार लंड बहुत देर तक चोदता रहा।

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लंड को झड़ने में काफ़ी समय लगा और मुझे और उसे भरपूर मज़ा देता रहा।

कपड़े पहनने के बाद मैंने कहा- आरती रानी, बस अब चुदवाती ही रहना। वरना ये लंड तुम्हे तुम्हारे घर पर आकर चोदेगा।

‘साहब, आप ने इतनी अच्छी चुदाई की है, मैं भी अब हर मौके में आपसे चुदवाउंगी। चाहे आप पैसे न भी दो।’

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