कैसे मैंने नौकरानी को चोदा

‘ठीक है, साहब!’ शरमाते हुए आंखें बंद कर वो खड़ी थी।

मैंने देखा कि उसके गाल लाल हो रहे थे और होंठ कांप रहे थे।

दोनो हाथों को उसने सामने अपनी जवान चूत के पास समेट रखा था।

मैंने हल्के से पहले उसके माथे पर एक छोटा सा चुम्बन किया।

अभी मैंने उसे छुआ नहीं था।
उसकी आंखें बंद थी।
फिर मैंने उसकी दोनो पल्कों पर बारी बारी से चुम्बन रखा।
उसकी आंखें अभी भी बंद थी।
फिर मैंने उसके गालों पर आहिस्ता से बारी बारी से चूमा।
उसकी आंखें बंद थी।
इधर मेरा लंड तन कर लोहे की तरह कड़ा और सख्त हो गया था।
फिर मैंने उसकी थुड्ठी पर चुम्बन लिया।

अब उसने आंखें खोली और सिर्फ़ पूछते हुए कहा- साहब?

मैंने कहा- आरती, शर्त हार जायोगी। आंखें बंद।

उसने झट से आंखें बंद कर ली।

मैं समझ गया, लड़की तैयार है, बस अब मज़ा लेना है और चुदाई करनी है।

मैंने अब की बार उसके थिरकते हुए होंठों पर हल्का सा चुम्बन किया।

अभी तक मैंने छुआ नहीं था उसे।

उसने फिर आंखें खोली और मैंने हाथ के इशारे से उसकी पल्कों को फिर ढक दिया।

अब मैं आगे बढ़ा, उसके दोनो हाथों को सामने से हटा कर अपनी कमर के चारों तरफ़ घुमाया और उसे अपनी बाहों में समेटा और उसके कांपते होंठों पर अपने होंठ रख दिये और चूमता रहा।

कस कर चूमा अबकी बार।
क्या नर्म होंठ थे मानो शराब के प्याले।

होंठों को चूसना शुरु किया और उसने भी जवाब देना शुरु किया।

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उसके दोनो हाथ मेरी पीठ पर घूम रहे थे और मैं उसके गुलाबी होंठों को खूब चूस चूस कर मज़ा ले रहा था।

तभी मुझे महसूस हुआ कि उसकी चूचियाँ जो कि तन गयी थी, मेरे सीने पर दब रही हैं।

बायें हाथ से मैं उसकी पीठ को अपनी तरफ़ दबा रहा था, जीभ से उसकी जीभ और होंठों को चूस रहा था, और दायें हाथ से मैंने उसकी साड़ी के पल्लू को नीचे गिरा दिया।

दायाँ हाथ फिर अपने आप उसकी दायीं चूची पर चला गया और उसे मैंने दबाया।

हाय हाय क्या चूची थी। मलाई थी बस मलाई।

अब लंड फुंकारे मार रहा था।

बायें हाथ से मैंने उसके चूतड़ को अपनी तरफ़ दबाया और उसे अपने लंड को महसूस करवाया।

शादीशुदा लड़की को चोदना आसान होता है क्योंकि उन्हे सब कुछ आता है, घबराती नहीं हैं।

ब्रा तो उसने पहनी ही नहीं थी, ब्लाउज़ के बटन पीछे थे, मैंने अपने दायें हाथ से उन्हे खोल दिया और ब्लाउज़ को उतार फेंका।
चूचियाँ जैसे कैद थी, उछल कर हाथों में आ गयी।

एकदम सख्त लेकिन मलाई की तरह प्यारी भी।

साड़ी को खोला और उतारा।

साया बस अब बचा था।

वो खड़ी नहीं हो पा रही थी।

मैं उसे हल्के हल्के खींचते हुए अपने बेडरूम में ले आया और लिटा दिया।

अब मैंने कहा- आरती रानी, अब तुम आंखें खोल सकती हो।

‘आप बहुत पाजी हैं साहब!’ शरमाते हुए उसने आंखें खोली और फिर बंद कर ली।

मैंने झट से अपने कपड़े उतारे और नंगा हो गया।

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लंड तन कर उछल रहा था।

मैंने उसका साया जल्दी से खोला और खींच कर उतारा।

उसने कोई अंडरवेअर नहीं पहना था।

मैंने बात करने के लिये कहा- ये क्या, तुम्हारी चूत तो नंगी है। चड्ढी नहीं पहनती।

‘नहीं साहब, सिर्फ़ महीना में पहनती हूं।’ और शरमाते हुए कहा- साहब, पर्दे खींच कर बंद करो न। बहुत रोशनी है।

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