ही दोस्तों, मैं रोहित (रहमी क्रोस्स्द्रेससेर्स). आज मैं आपको मेरी पहली चुदाई की कहानी सुनता हू. मैं तब 19 साल का था, और 1स्ट्रीट एअर में था, और मुझे गे सेक्स का कुछ भी पता नही था.
मेरे घर के बगल में 2 बॅचलर लड़के रहते थे, जिनका नाम था सागर और सचिन. वो हमारे ही गाओं के थे, तो हमारे घर से उनके रीलेशन आचे थे. इसलिए मैं उनके घर पर जाया करता था कंप्यूटर पर ग़मे खेलने. वो दोनो भैया मुझे आचे से मज़े करते थे.
जब मैं कंप्यूटर खेलता या उनके मोबाइल पर ग़मे खेलता, तो वो मेरी गांद दबाते, मेरे बूब्स दबाते, बुत मुझे कुछ ग़लत नही लगता था. शायद यही मेरी ग़लती थी, जिसकी वजह से उनकी हिम्मत बढ़ी. फिर जब एग्ज़ॅम्स ख़तम हुए, तो उन्होने मेरे घर वालो से मुझे गाओं ले-जाने के लिए पूछा.
एक ही गाओं के होने के वजह से घर वाले मान गये. हम घर से निकल गये. बुत हम गाओं गये ही नही. हम गाओं से पहले ही एक जंगल में एक बंगलो था, वाहा रुके थे. भैया बोले की ये उनका ही घर था, आज यही रुकते है. वो बुंगलोव भी रिवर साइड था, और नेचर मस्त था इसलिए मैं भी अंदर चला गया.
बंगलो में एक नौकर था जिसने हमारे लिए खाना बनाया, और वो हमारे आते ही चला गया. अब बचे बस हम तीनो, और हम तीनो भी एक ही कमरे में सोने गये. मैं दोनो भैया के बीच में सोया था.
अचानक रात को मेरी बॉडी पर मुझे कुछ फील हुआ. मैने देखा तो दोनो भैया मुझे आयेज-पीछे से जाकड़ कर रखे थे. मैने भैया को आवाज़ दी तो सीधा भैया ने मुझे लिप्स पर किस करना चालू किया, और सागर भैया पीछे से मुझे किस कर रहे थे नेक पर. मैं बस पागल हुआ जेया रहा था, और दोनो भैया मुझे यहाँ-वहाँ किस कर रहे थे, नोच रहे थे.मैं कुछ समझ ही नही पाया.
फिर सचिन भैया मेरी बनियान निकाल कर मेरे निपल्स चूसने लगे. मेरी बॉडी में अचानक करेंट लग गया. मैं अचानक से ह उम्म्म्म करने लगा. भैया को तो जैसे मेरी पर्मिशन मिल गयी, और दोनो भैया लेफ्ट-रिघ्त के बूब्स चूसने और काटने लगे. मैं बस ह श करते जेया रहा था.
फिर अचानक सागर भैया उठे और अपनी पंत उतारी और अपना लंड मेरे मूह में डाल दिया. उनका लंड मोटा था, और स्मेल भी अलग थी. मुझे जैसे उल्टी आने लगी. बुत सागर भैया बस मेरे मूह को छोड़े जेया रहे थे, और सचिन भैया मेरे निपल्स पर टूट पड़े थे, और छ्होटे बच्चे की तरह उन्हे चूस रहे थे. मेरे मूह से तो आवाज़ भी नही निकल रही थी.
फिर सागर भैया ने अपना लंड मेरे मूह से निकाला, और मुझे उल्टा लिटा दिया. तभी सचिन भैया मेरे सामने आए, और उन्होने अपना लंड मेरे मूह में डाला. उनका लंड भी सागर भैया जैसा मोटा था. वो भी बिना सोचे मेरे मूह को छोड़ रहे थे.
यहा सागर भैया ने मुझे पीछे से उठाया, और घोड़ी कैसे बना दिया मुझे कुछ समझ नही आया. तभी अचानक सागर भैया का लंड मेरी गांद पर फील हुआ. मैं कुछ समझ पाता, तब तक सागर भैया ने एक धक्का दिया, और उनके लंड का टोपा मेरी गांद में घुस गया.
मैने सचिन भैया को पीछे धकेला, और ज़ोर से चिल्लाया: आह सागर भैया आ, छ्चोढो मुझे प्लीज़. दर्द हो रहा है ह. प्लीज़ भैया छ्चोढ़ दो ना. बुत सागर भैया माने ही नही. उन्होने एक और धक्का मेरी गांद में दिया, और मैं चिल्लाने के लिए मूह खोलता तभी सचिन भैया ने अपना लंड मेरे मूह में तूस दिया.
मेरी आँखों से आँसू आने लगे. मैं चिल्ला भी नही पा रहा था. मेरे मूह से गुप-गुप की आवाज़े आ रही थी. पागलों की तरह मैं उनके सामने गिड़गिदा रहा था, पर दोनो मुझे आयेज-पीछे से छोड़ते रहे. 10 मिनिट बाद सागर भैया ने मेरे मूह में अपना पानी छ्चोढ़ दिया और मैने वो पी लिया. उसका टेस्ट दही की तरह खट्टा-मीठा था.
तभी सागर भैया बाजू हो गये और मैं बोला: आहह, प्लीज़ सचिन भैया धीरे कीजिए ना.
मुझे भी अब मज़ा आ रहा था. मैं आह उफफफ्फ़ ऐसे करने लगा था. फिर आधे घंटे बाद सचिन भैया ने अचानक अपना लंड गांद से बाहर निकाला, और सीधा मेरे मूह में तूस दिया. उस पर खून भी लगा हुआ था, जो मैने सीधा मूह में ले लिया. बुत उसका टेस्ट मुझे बहुत पसंद आया. मैने उसे लॉलिपोप की तरह चूसना शुरू किया.
सचिन भैया बोले: देख यार सागर कैसे रांड़ की तरह चूस रहा है. मैने बोला था ये मस्त रंडी है, बहुत मज़ा देगी.
तभी सागर भैया बोले: हा यार, ऐसा मज़ा तो गर्लफ्रेंड को छोड़ने में भी नही आता. तभी मैने लंड मूह से निकाला और बोला-
मैं: प्यार से करोगे तो और मज़े दूँगी भैया. आप बहुत बेरहम हो.
तभी सागर भैया पीछे गये और मुझे छोड़ने लगे. अभी ज़्यादा दर्द नही हो रहा था, उल्टा मज़ा आ रहा था. मैं बस ह म्म्म्मम उम्म्म भैया कीजिए ना ज़ोर से, ज़ोर से भैया, ऐसे किए जेया रहा था, और भैया भी मेरी गांद पर थप्पड़ मारते-मारते मुझे छोड़े जेया रहे थे. उसके बाद उन्होने मुझे रूम से बाहर निकाला.
बाहर झूले पर सचिन भैया पहले लेते, और मुझे अपनी गोद में लिया. फिर पीछे से मुझे छोड़ने लगे. सागर भैया झूला झूला रहे थी. इतनी ठंडी थी, फिर भी मैं मज़े से चुड रहा था, और खुशी से ह उफफफफफ्फ़ किए जेया रहा था. अलग ही माहौल था. खुले आसमान के नीचे खुले में चूड़ने का अलग ही मज़ा था.
सचिन भैया ने ऐसे ही झूले पर मुझे फिरसे कुटिया बना कर भी छोड़ा. कसम से वो पूरी रात दोनो भैया कभी मुझे झूले पर, कभी गार्डेन में, कभी बंगलो की साइड की नदी में, जहा चाहे जैसे चाहे छोड़ रहे थे. वहाँ डोर-डोर तक कोई दिख नही रहा था सिवाए हमारे.
पता नही कब और कैसे मुझे नींद आ गयी. सुबा जब उठा तो सागर भैया का लंड मेरी गांद में था, और सूरज भैया मेरे सामने सोए थे, और हम वही गार्डेन में थे. मैने जैसे ही उठने की कोशिश की, मुझे ज़ोर से पेट में दर्द हुआ.
मीं चिल्लाया: भैया आह आह.
तो मेरी आवाज़ सुन कर दोनो भी उठ गये. उन्होने मुझे गोद में उठाया और बातरूम ले गये. फिर कमोड पर बिताया. उस दिन पहली बार बिना ज़ोर लगाए मेरी टट्टी निकल गयी. बुत उससे पहले बहुत सारा चिपचिपा पानी निकला. मैने हाथ में लेकर उसको स्मेल किया, तो वो भैया का कम था. मैने रात को भी कम पिया था, तो मुझे उसकी स्मेल और टेस्ट याद था.
मैं मॅन ही मॅन हस्सा, और बातरूम से फ्रेश हो कर जैसे-तैसे बाहर निकला, और सीधा बेड पर लेट गया. दोनो भैया नहा धो कर मेरे पास आए और मुझे पूछा, “कैसे हो? ठीक तो लग रहा है ना?”
मैने कहा: हा भैया ठीक हू. बस तोड़ा पेट में दर्द है.
फिर भैया ने मुझे नाश्ता दिया, और उसके बाद एक गोली दी. उससे तोड़ा आराम मिला. मैं फिर सीधा दोपहर के बाद सो कर उठा. मैने देखा की घर में कोई नही था. मैं बाहर जेया रहा था, तभी वो नौकर अंदर आ गया, और उसने दरवाज़ा बंद कर लिया.
मैने उसको बोला: क्या कर रहे हो?
तो वो बोला: रात भर तो साहब से मज़े लिए. एक बार मुझे भी मज़े देदे.
मैने कहा: क्या बोल रहे हो, जाने दो मुझे.
लेकिन वो मुझे पीछे से पकड़ लिया, और बूब्स दबाने लगा. फिर ज़ोर से मेरी पंत उतार कर अपना लंड मेरी गांद में डाल दिया. मैं बस खिड़की को पकड़ कर आ आह किए जेया रहा था. तभी मैने देख की दोनो भैया भी बाहर थे, और मुझे चूड़ते हुए देख मज़े ले रहे थे.
मैने उनको बोला: समझाओ इसको.
तो वो बोले: लेले ना रांड़, हमसे छ्होटा ही लंड है उसका. मज़े लेने दे उसको भी, तेरे जैसी अची रांड़ उसको भी यहा कहा मिलेगी?
मैं उन दोनो को कोसने लगा, और वाहा नौकर कुछ ज़्यादा ही ज़ोर-ज़ोर से मुझे छोड़े जेया रहा था, और मुझे यहाँ-वहाँ काट भी रहा था. मैं ह आह कर रहा था. 20 मिनिट उसने मुझे वही खिड़की में छोड़ा, और अपना पानी मेरे मूह में छ्चोढ़ दिया. फिर वो मुझे नंगा वही छ्चोढ़ कर चला गया. जब भैया अंदर आए तो मैने उनको बहुत सुनाया.
भैया बोले: सॉरी यार उसने हमे सूभ नंगा गार्डेन में देख लिया, इसलिए उसको करने देना पड़ा. वरना तेरे साथ हमारी भी पिक्स वो पापा को दिखा देता.
मैने कहा: ठीक है. प्लीज़ अभी घर चलते है आपके.
तो भैया बोले: हा चल चलते है.
वाहा से हम भैया के गाओं गये. वाहा भी 2 दिन उनके साथ मैने चुदाई की, और वापस भैया मेरे साथ घर आए ही नही. उन्होने मुझे अकेले ही अपनी कार से मुंबई भेज दिया, और वो वही रह गये. उनके जाने के बाद मैं जैसे लंड के लिए तड़प रहा था. उसके बाद मैने कॉलेज के लिए बाहर अप्लाइ किया, और वाहा क्या हुआ, आप तो जानते ही है. अभी मेरी लाइफ की अगली कहानी आपको सुन्नी है तो गाबोत्तों600@गमाल.कॉम मेरी एमाइल ई’द है. मुझे बताइए कैसी लगी स्टोरी.