कमसिन कच्ची कली मेरे बिस्तर पर फ़ूल बनी

मैंने अपने कपड़े भी उतारे और फिर से उसके ऊपर आ गया।

इससे पहले कि मैं कुछ करता.. उसने पूछा- ऐसा कितनी लड़कियों के साथ कर चुके हो?
मैंने कहा- सच बता दूँगा तो शायद बुरा मान जाओगी।
वो बोली- फिर भी बताओ तो!
मैंने कहा- तुमसे पहले दो लड़कियों के साथ सो चुका हूँ।
वो बोली- वो मुझसे भी सुन्दर थीं?
मैंने कहा- इस दुनिया में हर औरत खूबसूरत है.. कोई दिल से, कोई बात से, कोई चेहरे से.. तो कोई गुण से।

वो बोली- बस आपकी यही अदा तो मुझे यहा तक खींच लाई.. मैंने आपको आज तक किसी की बुराई करते नहीं सुना।
यह कहकर वो मुझे किस करने लगी। इतनी बात करने से हम दोनों की आग ठंडी हो गई थी, लेकिन मुझे पता था कि आग लगाई कैसे जाती है।

मैंने उसे उल्टा लेटने को कहा और फिर उसकी पीठ पर अपनी उंगलियों से हल्के हल्के से अपने हाथों को चलाने लगा।

जैसे ही मेरी उंगलियां इधर से उधर जातीं वो सिसक जाती, मैं उसके गालो से लेकर गर्दन से होता हुआ, उसकी पीठ के दोनों तरफ से चूचियों को छूता हुआ और नीचे को आया। फिर उसकी गांड से होता हुआ उसके पैरों की उंगलियों तक गया और फिर वापस अपनी उंगलियों को ऊपर तक ले आया।

वो फिर से पूरी मस्ती में आती दिखने लगी। अब मैंने अपनी उंगलियां हटा कर उन जगहों पर होंठों से किस करते हुए उसे गर्म करना शुरू किया। मेरे होंठों की कोमल छुअन उसको ऐसी लगी मानो उसे बर्फ के टुकड़े ने छू लिया हो।

वो कांप उठी और उसके कंठ से ‘उफ़ आहह.. उम्म..’ की कामुक आवाजें आने लगीं। उसकी आवाजें बहुत धीमे-धीमे कमरे में फ़ैल रही थीं।

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अब उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था तो वो पलट कर सीधी हुई और मुझे बेतहाशा किस करने लगी।

उसने मुझे पलंग पर अपने नीचे लिटा दिया और खुद ऊपर चढ़ कर मुझे ऊपर से नीचे तक चुम्बन करने लगी।

उसकी चूमने की अदा से तो मुझसे भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था.. लेकिन मैं उसका इंतज़ार कर रहा था।

तभी वो तड़फ कर बोली- कुछ और करो ना प्लीज़.. अब नशा सा हो रहा है.. बस दिल कर रहा है कुछ कर डालूँ!

मैंने तुरंत उसे सीधा लिटाया और उसकी बुर पर हाथ लगा कर देखा.. बुर पूरी तरह गीली होकर फूल गई थी। मैंने अपना लंड हाथ में लेकर उसके छेद पर लगाया और धीरे से अन्दर करने का प्रयास किया। लेकिन लंड इतनी जल्दी अन्दर जाने वाला नहीं था..

वो पहली बार चुद रही थी।

मैंने उसे फ्रेंच किस करना शुरू किया और अपने लंड को प्रेशर के साथ अन्दर डालने लगा। सुपारा बुर की फांकों में फंसा तो वो दर्द से तड़फ कर बोली- ओफ दर्द हो रहा है..
मैं रुक गया.. वो बोली- धीरे-धीरे करो प्लीज़..
मैंने कहा- ओके..

फिर मैं बहुत प्यार से अपने लंड को अन्दर करता रहा ताकि उसे दर्द का थोड़ा भी अहसास ना हो, लेकिन वो दांतों को भींचे हुए भी हर दर्द बर्दाश्त करने के लिए तैयार थी।

जब मेरा लंड आधे से थोड़ा ज़्यादा अन्दर हो गया था.. तो उसने खुद अपनी बुर को ऊपर धकेला और मेरा लंड अन्दर ले लिया।

उसके बाद तो मानो वो राजधानी एक्सप्रेस हो गई, मुझे अँधाधुन्ध किस करने लगी और बुर को ऊपर उठाते हुए चुदाई में मेरा साथ देने लगी।
इस दौरान वो बस एक ही शब्द मेरे कानों में बोलती ‘आई लव यू..’

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मैं भी पूरे ज़ोर के साथ उसे चोद रहा था, मैं जब भी ज़ोर लगाता और लंड अन्दर करता, तो वो अपनी पूरी ताक़त से अपनी बुर ऊपर उठा देती और मेरे लंड को पूरी तरह से अपनी बुर में समा लेना चाहती।

करीब 5 मिनट की चुदाई के बाद वो बहुत तेज़ी से मुझे पकड़ कर बोली- प्लीज़ ज़ोर से चोदो..
उसने मेरी पीठ पर अपने पूरे नाख़ून गड़ा दिए और अपना पानी छोड़ने लगी।

मै अभी शांत नहीं हुआ था। मैंने उसके दोनों पाँव हवा में ऊपर किए और उसकी बुर पर पूरा बल देकर हल्के-हल्के से चोदने लगा, बुर का रस मुझे बड़ा मजा दे रहा था। मैं धीरे से लंड अन्दर डालता और निकालता.. इससे ये हुआ कि वो फिर से तैयार होने लगी।

एक बार फिर हम दोनों चुदाई के समंदर में गोते खाने लगे। वो इस बार और ज़्यादा मस्ती तरह से चुद रही थी। उसने अब अपने दोनों पैर फैला कर और ऊपर की तरफ उठा लिए थे और मेरे लंड का भरपूर स्वागत कर रही थी।

इस बार मैं भी गिरने वाला था.. तो मैंने उसे बताया- मैं अब गिरूँगा!
वो बोली- बस एक मिनट और.. मैं भी आ रही हूँ।

हम दोनों ने और ज़ोर से धक्के पर धक्के मारने स्टार्ट कर दिए। उसके मुँह से इस बार कुछ तेज़ आवाजें आने लगी थीं।

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