कमसिन कच्ची कली मेरे बिस्तर पर फ़ूल बनी

फिर आचनक मैं गिरने लगा और वो भी मुझसे चिपक कर झड़ने लगी।
हम दोनों ने एक-दूसरे को कसके पकड़ लिया और एक-दूसरे को अपने-अपने पानी से नहला दिया।

इसके बाद मैंने उठ कर ज़्यादा रोशनी वाली लाइट जलाई.. वो अभी भी शर्मा रही थी और उसने अपने आप को समेट लिया था।
मैंने उसके कपड़े दिए और बोला- आराम से पहन लो।

दोस्तो, उस रात हमने दो बार और चुदाई की। फिर हमें जब भी इस तरह का वक्त मिलता.. हम दोनों साथ सोते, कभी सेक्स करते, कभी सिर्फ़ चूचियों को चूसने का ही मौका मिल पाता।

उसके बाद मुझे उसने अपने घर में बुलाकर सेक्स करवाया।
वो बात कैसे बनी और किस तरह कटी वो रात.. ये सारी कहानी मैं आपको अपनी अगली सेक्स स्टोरी में सुनाउँगा।

आप मेरी ईमेल आईडी पर अपने विचारों को मुझ तक भेज सकते हैं।

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