हेल्लो दोस्तों, मैं जस्सी राजदान आप सभी का में बहुत बहुत स्वागत करती हूँ। मैं पिछले कई सालों से नॉन वेज स्टोरी की नियमित पाठिका रहीं हूँ और ऐसी कोई रात नही जाती तब मैं इसकी रसीली चुदाई कहानियाँ नही पढ़ती हूँ। आज मैं आपको अपनी स्टोरी सूना रही हूँ। मैं उम्मीद करती हूँ कि यह कहानी सभी लोगों को जरुर पसंद आएगी।
मैं पंजाबी कुड़ी हूँ और भटिंडा की रहने वाली हूँ। मैं अपने जीजा से फसी हुई थी और पिछले साल लोहड़ी पर जब वो भटिंडा आये थे, उन्होंने मुझे खूब चोदा था और बहुत मजा दिया था। इस बार जैसे जैसे लोहड़ी आने लगी मेरा दिल मचलने लगा। मैं जीजा से बात करना चाहती थी। जब मैंने फोन लगाया तो मेरी दीदी ने फोन उठाया। मुझे जादा खुसी नही हुई, पर मैंने खुश होने का दिखावा किया।
“अरी छुटकी, कैसे है तू??? तेरी पढाई कैसी चल रही है??” दीदी ने पूछा
“अच्छी चल रही है दीदी..” मैंने कहा
मैं दीदी से बात करने लगी, पर मेरा इरादा जीजा से बात करने का था। वो एक बड़े व्यापारी है और उसके पास बजाज की टू व्हीलर गाड़ियों की एजेंसी है। शाम को मेरा फोन जीजा ने उठाया तो उन्होंने दीदी से झूठ बोल दिया की उनके दोस्त का फोन है और मुझसे आधे घंटे बात की।
“कैसे हो साली जी???” जीजा बड़े प्यार से दुलार करते हुए बोले
“.काश आप मेरे पास होते और मुझे चो…”कहकर मैं शर्मा गयी। चोदना शब्द मैं बोल ना सकी
“..साली जी.परेशान मत हो.तुम कहो तो लोहड़ी पर मैं जा जाऊं???” जीजा मजाक करते हुए बोले
“आ जाओ ना यार..!!” मैंने जीजा से कहा
“चूत देगी फिर??” जीजा बोले
“.ऐ आप भी कैसी बात करते हो??..कभी चुदवाने से मना किया है क्या??” मैं मुंह फुलाकर बोली
“पर अबकी बार तेरे भोसड़े में टूथब्रश डालकर चोदूंगा!!” जीजा बोले
“टूथब्रश??” मैं शंकित होकर बोली
“हाँ.आ.. बहुत मजा आएगा जान!!” जीजा बोले
मैं खुश हो गयी
अगले शुक्रवार को जीजा ने बड़ी मुस्किल से अपनी टू व्हीलर एजेंसी से छुट्टी ली और दीदी को कार में लेकर आ गये। दीदी तो मेरी माँ और भाई से बात करने में डूब गयी और जीजा सीधे मेरे कमरे में आ गए। अभी दोपहर के ११ बजे थे। पर मेरे जीजा बड़े माहिर खिलाडी थे। मेरे कमरे में आकर उन्होंने दरवाजा बंद कर लिया और मुझे बाहों में भरकर मेरे होठ चूसने लगे। मैं १९ साल की जवान चुदने लायक नई लौंडिया थी तो जीजा ३० साल के आदमी जिन्होंने अपनी जिन्दगी में ना जाने कितनी बुर चोदी थी। उनका तजुर्बा और अनुभव उनके साथ था। मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और मेरा दुपट्टा खीच दिया। जीजा मेरे ओंठ पीने लगे और दूध कसकर मीन्जने लगे। मेरे बूब्स ३४” के थे, मेरी कमर २८” की और पिछवाडा ३०” का था।
कुछ ही देर में उन्होंने मेरा सलवार सूट निकाल दिए और अपने शर्ट पेंट निकाल दिया।
“जीजा अभी दिन में चोदोगे???” मैंने आश्चर्य से पूछा
“हाँ..आ ..और क्या?? जादा देर थोड़े ही लगती है चुदाई में!!” जीजा बोले
उन्होंने अपना अंडरविअर निकाल लिया। मैं इस मोटे ८” के लौड़े को अच्छे से पहचानती थी। कितने बार इस मोटे लौड़े से मैं चुदवा चुकी थी। जीजा ने मेरी पेंटी भी निकाल दी। मेरे उपर लेट गये और मेरे ३४” के बड़े बड़े दूध वो मजे लेकर पीने लगे। जीजा ने आज मुझे नंगी करके जैसे ही बाहों में भरा तो पुराना रोमांस आज फिर जाग गया। वो मेरी आँखों, मेरे होठ को चूमने लगे। हम दोनों ने नंगे होकर एक दूसरे को पकड़ लिया और बाहों में भर लिया। कितना सुकून मिला आज। मैं जीजा से चुदवाना चाहती थी, वो मुझे चोदना चाहते थे। हम दोनों में अच्छा ताल मेल बैठ गया था।
वो मेरे ओंठ जी भरके दिल लगाकर चूसने लगे, तो मैं भी पीछे नही रही। मैंने अपने जीजा को नंगी पीठ पर दोनों हाथो से पकड़ लिया और उनके होठ पीने लगी। पिछली सारी रंगीन चुदाइयों की यादे आज मेरे दिल में फिर से जाग गयी। एक बार जीजा ने मुझे कार में चोदा था, फिर किचेन में मेरी बुर में लंड डाला था जब मैं फरीदकोट अपनी दीदी के घर गयी थी। उस दिन दीदी किसी काम से बाहर गयी थी। जीजा ने मुझे किचन में बटर चिकन बनाते बनाते चोदा था। फिर हम दोनों ने साथ में नंगे नंगे नहाया था। फिर जीजा ने नहाते नहाते ही मेरी गांड मारी थी बाथरूम में। आज वो सब यादे आज फिर से ताजा हो गयी थी।
जीजा आज मुझे मेरे ही घर में लोहड़ी वाले दिन चोदने जा रहे थे। इस समय वो मेरे मस्त मस्त आम मुंह में लेकर ऐसे चूस रहे थे, जैसे मैं उनकी साली नही, उनकी जोरू हूँ। मेरी चूचियां बहुत रसीली और मस्त माल थी। मेरी निपल्स के चारो तरह बहुत ही सेक्सी काले काले घेरे थे। जीजा तो एक हाथ से मेरे आम दबा रहे थे तो दूसरे हाथ से मुंह में लेकर पी रहे थे। मैं मस्त चोदने लायक माल थी जीजा ये बात जानते थे। जीजा उसी तरह मेरे दूध पी रहे थे जैसे बचपन में मैं अपनी माँ के दूध पिया करती थी। जीजा किसी होनहार चुदैया की तरह मजे से मेरे बूब्स और निपल्स को दांत से काट काटकर चबा चबाकर चूस रहे थे। उसके स्पर्श और छुअन से मेरी चूत गीली हुई जा रही थी। आज एक बार फिर मैं जीजा के मोटे ८” लौड़े से चुदने वाली थी। तभी मेरे दूध पीते पीते जीजा का सीधा हाथ नीचे मेरी चूत की तरफ भाग गया और वो मेरी चूत छूने और सहलाने लगी। मेरे बाल जितने काले और घने थे, मेरी चूत के उपर की झाटे भी उतनी काली और घनी थी। आज मैंने जान बुझकर अपनी झांटे नही बनाई थी।
“साली जी, तुम झाटो में बड़ी सेक्सी माल लगती हो। मुझसे तुम झांटो में ही चुदवाया करो। अपने पति से जब चुदवाना तो झांट साफ़ कर लिया करना!!” जीजा हमेशा बोला करते थे। उन्होंने १८ मिनट मेरे दूध पिए और फिर नीचे चले गये और मेरे दोनों पैर खोल दिए। “उफ्फ्फ्फ़.जीजा मम्मे कितने मस्त पीते है!!” मैंने सोचा। मेरी झाटे बिलकुल किसी काली नूडल्स की तरह लग रही थी। मैं चूत को दोनों हाथो से छुपाने लगी। मुझे शर्म आ रही थी।
“ये लो ..सौ सौ चूहे खाकर बिल्ली चली हज करने!! सौ बार से भी जादा बार मुझसे चुदवा चुकी हो, हजार बार मेरा लौड़ा अपनी रसीली चूत में ले चुकी हो पर शर्म अभी भी नही गयी!!” जीजा हँसते हुए बोले। उन्होंने मेरी चूत की झाटो में अपना हाथ फिराया और अपनी जीभ को मेरे चूत के दाने पर रख दिया। और मजे से चाटने लगे। धीरे धीरे वो अपनी खुदरी नुकीली जीभ से मेरे चूत के दाने को चाट रहे थे। फिर मेरे चूत के होठो को उन्होंने खोल दिए और मेरी चूत खाने लगे। मैं तडप गयी और कमर उठाने लगी। “आआआआअह्हह्हह..ईईईईईईई.ओह्ह्ह्हह्ह.अई..अई..अई..अई..मम्मी…” मैं चीखने लगी। कोई भी लड़की जब किसी मर्द को अपनी चूत पिलाती है तो उसे बहुत मजा आता है और एक बड़ी नशीली उतेज्जना चढ़ जाती है। ठीक ऐसा ही हो रहा था मेरे साथ। मेरे जिस्म में बिलकुल आग सी जलने लगी थी, क्यूंकि मेरे महा चुदक्कड जीजा मेरे भोसड़ा मजे से पी रहे थे। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। मेरे पेट और पेडू में मरोड़ पड़ रहे थे। मेरा रोम रोम जाग और खिल गया था।
“”..मम्मी.मम्मी..सी सी सी सी.. हा हा हा…ऊऊऊ ..ऊँ..ऊँ.ऊँ.उनहूँ उनहूँ..” मैं कसमसा रही थी। मैं वो कली थी जिसे जीजा आज चोद चोदकर मसल देने वाले थे। मैंने नीचे देखा तो जीजा अपने काम पर ले हुए थे। अपनी जीभ निकालकर मेरी चूत को खा और पी रहे थे। फिर वो मेरी बुर में ऊँगली करने लगे और जल्दी जल्दी चलाने लगे। मैंने इकदम से अपने चूतड़ उपर हवा में उठा दिए। उफफ्फ्फ्फ़.दोस्तों, आपको मैं क्या बताऊँ जीजा की ऊँगली कितनी मोटी थी। उनके लौड़े जैसी मोटी थी। वो जोर जोर से अपनी २ ऊँगली मेरी चूत में डालकर फेटने लगे। मेरी तो जान ही निकलने लगी। “अई.अई..अई..अई, इसस्स्स्स्स्स्स्स् उहह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्हह्ह.जीजाजाजा…मजा आ रहा हैहैहैहै!!” मैंने कांपते होटों से कहा। जीजा को मेरे कांपते होठो की सरसराहट अच्छी लगी, वो और जोर जोर से मेरे भोसड़े में २ ऊँगली डालकर फेटने लगे। मेरे बदन में जैसे आग जल गयी। मैं पागल हो रही थी।
मै बार बार चुदास और काम की उतेज्जना से अपने घुटने खोल रही थी और बंद कर रही थी। जीजा तो रुकने का नाम ही नही ले रहे थे। वो किसी राक्षस की तरह मेरी चूत फेट रहे थे। फिर उन्होंने अपनी पेंट की जेब से एक टूथब्रश निकाल लिया और उल्टा करके हेंडल की तरफ से मेरे भोसड़े में डाल दिया और अंदर चूत की दीवाल तक डाल दिया। टूथब्रश काफी लम्बा था और सीधा १० ११ इंच तक मेरे भोसड़े में अंदर घुस गया। मैं उतेज्जना से कांपने लगी। मेरे जीजा तो बहुत जालिम निकले। टूथब्रश से मेरी चूत में अंदर स्तिथ मेरा g spot वो टच करने लगे। फिर तेज तेज मेरी चूत में टूथब्रश के हेंडल को पकड़कर अंदर बाहर करने लगे। मेरी तो गांड फटी जा रही थी। ऐसा लग रहा था की अभी मेरी चूत किसी ज्वालामुखी की तरह फट जाएगी और सारा माल निकल जाएगा। मैं बार बार अपनी गांड और कमर उठा रही थी।
पर जीजा तो बड़े पाजी निकले। २० मिनट तक लगातार मेरी बुर टूथब्रश के हेनडल से चलाते रहे। अंत में मेरी चूत में भूचाल आ गया और मेरी चूत में बवंडर उठ गया। मेरी रसीली चूत बार बार कापने लगी और थर्राने लगी। अपने आप मेरी जांघे खुलने और बंद होने लगी, अंत में मेरी चूत से ८ १० बार अपना माल पिच पिच करके छोड़ दिया। मेरी चूत का पानी किसी तेज पिचकारी की तरह सीधा जीजा के मुंह पर जाकर गिरा और उनका पूरा मुंह मेरे माल से भीग गया। वो मेरी चूत के झरने के सारा पानी पी गये। लगा कहीं मैं मर ना जाऊं। “प्लीसससससस….प्लीससससस…उ उ उ..मुझेझेझेझेझे.कसकर चोद दोदोदोदोदो जीजाजाजा..!!” मैं वहसी और जंगली होकर चिल्लाई
उसके बाद जीजा भी गर्म हो गये। तुरंत उन्होंने मेरे लाल भोसड़े में अपना ८” लौड़ा डाल दिया और मुझे चोदने लगे। मैं चैन की सास ली। मेरी आँखें बंद थी और मैं मजे से चुदवा रही थी। मेरी चूत तो अब पूरी तरह से तर, चिकनी और रसीली हो चुकी थी। जीजा का मोटा लंड आराम से मेरे भोसड़े में आ और जा रहा था। मेरे बड़े ही खूबसूरत दूध मचल रहे थे और मजे से इधर उधर नाच रहे थे। मैं चुदवा रही थी और जीजा मुझे चोद रहे थे। कितना सुखद था ये मिलन। जीजा ने मेरी कमर को दोनों तरफ से अपने हाथो से कसकर मुझे पकड़ रखा था। आज झांटो में वो मुझे चोद रहे थे। उनकी मनोकामना भी आज पूरी हो रही थी। मेरी चूत में अजीब से फड़फड़ाहट हो रही थी। जैसे मुझे हजारों चीटे एक साथ काट रहे हो। पर इस दर्द में भी मजा था और अपना एक अलग की नशा था। मैं इन हजार चीटो से कटवाना चाहती थी।
बीच बीच में जीजा मेरी चुचियाँ किसी टमाटर की तरह दबा देते थे और भरपूर मजा ले लेते थे। फिर वो मुझपर लेट गये और मेरे होठ पीते पीते ही मुझे चोदने लगे। मेरी सासें तेज हो गयी। “आहहहह्ह्ह्ह.जीजाजाजाजा.दबाइये!..और दबाइये…बहुत मजा आ रहा है.जीजा!!” मैंने कहा। जीजा अब तो किसी काल भैरव वाले फॉर्म में आ गये और इतनी तेज तेज मुझे चोदने लगे की मैं दोस्तों आपको क्या बताऊँ। मेरी चूत से पट पट की आवाज आने लगी जैसे कोई ताली पीट रहा हो। वो मेरी चूत पर अपने मोटे लंड से ताबड़तोड़ हमले कर रहे थे। मैं भी चाहती थी की जीजा मुझे रगड़कर चोदे, मेरी चूत को आज फाड़कर रख दे। मैं भी यही चाहती थी। “आआआआअह्हह्हह. अई.अई…ईईईईईईई..मर गयी..मर गयी.. मर गयी..मैं तो आजजजजज!!” मैं तेज तेज किसी चुदासी कुतिया की तरह चिल्लाने लगी। जीजा अपनी धुन के पक्के थे। वो मुझे पक पक करके ठोंक रहे थे। मैंने जीजा को अपना तन, मन, धन सब कुछ समर्पित कर दिया था। वो मुझे किसी रंडी, अल्टर, लंड की प्यासी औरत की तरह जल्दी जल्दी चोद रहे थे। मैं आँख बंद करके चुदवा रही थी, पर आँखों में एक अजीब सी जलन दोनों आँखों में मैं महसूस कर रही थी।
“ले रंडी ले..आज खा ले अपने जीजा का लम्बा लंड!!” जीजा ने मुझे गाली दी
मुझे बहुत अच्छा लग। क्यूंकि गालियाँ खाकर चुदवाने में एक स्लट [ बाजारू वेश्या] वाली फिलिंग आ जाती है। इसी बीच जीजा ने मेरे गाल पर ताड ताड़ ४ ५ थप्पड़ जोर जोर से मार दिए। मेरा मुंह लाल हो गया। इससे मेरी कामइक्षा और चुदास और जादा बढ़ गयी। जीजा फिर से मेरे रसीले होठ पीते पीते मुझे पेलने लगे। इस बीच मैं ३ बार झड़ चुकी थी। कुछ देर बाद जीजा आउट हो गये। उन्होंने अपना सारा माल मेरी चूत में ही छोड़ दिया। कुछ देर तक सुस्ताने के बाद उन्होंने मुझे बेड के किनारे कुतिया बना दिया। मैं सर और कंधे के बल लेट गयी और मैंने अपनी गांड उपर उठा दी। एक बार फिर से जीजा मेरी चूत को पीछे से आकर पीने लगे। इस बार उन्होंने टूथब्रश में थोडा तेल लगा लिया और मेरी गांड में टूथब्रश का हैंडल डाल दिया। मैं सिसक और तडप गयी। जीजा मेरी कसी गुलाबी गांड में टूथब्रश चलाने लगे।
मुझे बहुत अलग तरह की उतेज्जना और नशा चढ़ रहा था। जैसे मैं कौन सा अलग काम कर रही हूँ। फिर जीजा ने मेरी चूत में लंड डाल दिया और मुझे पीछे से किसी कुत्ते की तरह डॉगी स्टाइल में चोदने लगे। जीजा ने मेरी गांड के छेद में टूथब्रश डाले रखा और मुझे चोदते चोदते वो मेरी गांड में घुसे टूथब्रश को चलाने लगे। “मम्मी!!.. उ उ उ उ उ..अअअअअ आआआआ. सी सी सी सी.. ऊँ..ऊँ.ऊँ.मम्मी!!” मैं जोर से चिल्लाई। दोस्तों, आप ही सोच सकते है की मुझे कैसा लग रहा होगा। मेरी चूत में जीजा का लंड था तो गांड में टूथब्रश, आप मेरी हालत समझ सकते है। मेरा एक भी छेद खाली नही था। मैं अच्छे से जानती थी, जीजा मुझे तडपा तडपाकर चोद रहे थे। कुछ देर बाद तो हद तब हो गयी जब जीजा मुझे चूत में कस कसके पेलने लगे और मेरी गांड में घुसे टूथब्रश को जल्दी जल्दी अंदर बाहर करने लगे। मुझे पक्का लग रहा था कहीं मैं मर ना जाऊं।
“हूँ.हूँ..हूँ.हूँ.” वो चिल्ला रहे थे और किसी दुर्योधन की तरह उन्होंने मेरे बाल को कसकर पकड़ लिया था और मेरी चूत किसी कुत्ते की तरह मार रहे थे। उन्होंने मुझ पर उस लोहड़ी वाले दिन बड़ा जुल्म किया और मेरी चूत मारी और गांड में घुसे टूथब्रश को अंदर बाहर करते रहे और चलाते रहे। फिर उन्होंने टूथब्रश मेरी गांड से निकाल लिया और मेरी गांड मारी।