एक नर्स के साथ चुदाई

आज मैं अपने जीवन की एक नर्स के साथ चुदाई हादसा सुनाने जा रहा हूँ. मैं पेशे से एक डॉक्टर हूँ और मेरे हॉस्पिटल मी बहुत ही नर्स काम करती है, तो जिस की मैं बात कर रहा हूँ उसका नाम है निशा. निशा शादी शुदा नर्स है मेरे से करीब 3 साल बड़ी . मैं 26 साल का और वह 29 साल की हैं .निशा का कोई बच्चा नही है और उसका पति सौदी अरब में काम करता हैं . निशा सभी नर्सों से बिल्कुल अलग थी लेकिन उसमे कुछ अलग तरह की कशिश थी जो मुझे उसकी तरफ़ खिचती थी . वो देखने मी सांवली थी और बड़े ही धीरे धीरे हथिनी की तरह मटका के चलती थी , उसके बड़े बड़े कूल्हे चलते वक्त उसके गांड का बहुत ही सेक्सी नज़ारा दिखाते थे.. उसकी आंखों मी झील की गहराई थी और जब वो मेरी तरफ़ देखती तो ऐसा लगता की मैं उसकी आंखों की गहराई में डूब रहा हूँ . उस से नजर मिले तो ऐसा लगता की जैसे मैं उसके सामने बिल्कुल नंगा खड़ा हूँ और वो मेरे नंगे बदन को देख रही है . जब भी कभी हमारी आंखें चार होती तो वो तब तक देखती रहती जबतक मैं अपनी नजर हटा न लूँ . धीरे धीरे मैंने भी उसको देखना शुरू किया, मेरी हिम्मत बढ़ने लगी. वो हल्का हल्का मुस्कुराती तो बड़े अजीब अजीब से ख्याल आते . अक्सर उसकी आंखों और मुस्कराहट को देख के ख्याल आता की जैसे वो मेरे लंड को अपने मुहँ मे लेकर चूस रही है धीरे धीरे .अब तो बिल्कुल ऐसा हो गया है की उसका चेहरा सामने आते ही मेरे लंड को उसके मुहँ की गरमी महसूस होने लगती है और वो आहिस्ते आहिस्ते जागने लगता है और आराम से 5 -10 मिनट में तन कर खड़ा हो जाता है मेरे इस ७.५ इंच लंबे और मोटे लंड को पन्त के अन्दर काबू मे रखना मुश्किल हो जाता है.

निशा मे और बाकी नर्सों मे एक अन्तर और है और वो ये की बाकि नर्सें जो मुझे सेक्सी लगती हैं उनको देख के मेरे लंड मे तुरंत तनाव आ जाता है पर निशा को देख कर दिल बड़ा शांत रहता है और जिस्म धीरे धीरे मजे से गरम होता है , लंड मजे से बिना उतावलेपन के खड़ा होता है और तबियत होती है की अच्छे से इत्मिनान से निशा के जिस्म को महसूस करूं , और 2 – 3 घंटे एक दुसरे से लिपटे रहे और बीच बीच मे चुदाई भी चलती रहे . शायद निशा का शांत स्वभाव भी एक कारन हो सकता है . उसको देखकर ही ऐसा महसूस होता की मैं पानी में तैर रहा हूँ . जहाँ तक चुचिओं की बात है , मैं चूची के लिए पागल हो जाता हूँ लेकिन चुन्चियाँ भी वैसी होनी चाहिए मुझे मीडियम साइज़ की जो मेरे हथेली मे समाँ जाए ऐसी चुन्चिया पसंद है..निशा इस मामले मे भी मेरे लिए ख़ास थी.यहाँ भी उसकी चूची मीडियम साइज़ की थी पर एक अन्तर था उसकी चूची उसके सीने के उपरी हिस्से मे थी एकदम कसी हुई और सामने खड़ी . बाकी नर्सो में चुन्चियाँ अक्सर सीने के बीच वाले हिस्से मे या निचले हिस्से मे थी . तो जब भी उसकी चुचियों के उभार के दर्शन होते तो दिल में ऐसा ख्याल आता की मेरा लंड उसके दोनों चुचियों के बीच से होकर उसके होठों की तरफ़ जा रहा है . मेरी टेबल कुर्सी के ठीक बायीं तरफ़ उसकी केबिन थी जिसमे एक मरीज होता था जिसका देखभाल करना निशा की जिम्मेदारी थी . केबिन के शीशे के दरवाजे से वो अक्सर स्टूल पे बैठ कर मुझे देखती . मैं भी टेबल पे एक दिन बायीं तरफ़ सिर रख कर उसे देखने लगा . हम दोनों एक दुसरे को देखते रहे और 15 मिनट के अन्दर मेरा लंड खड़ा हो चुका था . मैंने हिम्मत करी और सोचा की बात अब आंखों से आगे बढ़नी चाहिए और रिस्क लेने की ठान ली . मैंने अपनी चैन खोली और मेरे ७.५ इंच के मोटे फनफनाते लंड को पँट के चैन से बाहर निकाल लिया . सामने टेबल होने के वजह से बाकि केबिन की नर्सें मुझे देख नहीं सकती थी और सिर्फ़ निशा ही मुझे देख सकती थी शीशे से . उस दिन उसका बेद भी खली था . वो टेबल से उठ कर खड़ी हो गई और मेरे ताने हुए मोटे लंड को देख कर चौंक गई लेकिन फ़िर थोड़ा सकुचाई फिर एक गहरी मादक नजर से देखा और अपना स्टूल उठा कर खिड़की के तरफ़ चेहरा करके बैठ गई याने अब उसकी पीठ मेरी तरफ़ थी . जैसा की मेरा अंदाजा था वो गुस्सा तो नहीं हुई और उसके अंदाज से एक बात साफ था की व्हो नाराज भी नहीं थी .

मैं अपने लंड को चैन से पीछे किया और उठ कर उसके केबिन मे गया . शीशे पे परदा लगा दिया और निशा के पीछे खड़ा हो गया , वो चुपचाप बाहर देखती रही . मैंने अपना लंड उसकी पीठ से सता कर दबाया और अपने दोनों हाथों से उसके कंधे और बांहों को सहलाने लगा. व्हो जोर जोर से साँस ले रही थी और धीरे से बोली, ‘डॉक्टर स्टॉप, प्लीज़ . ऐसे मत करो डॉक्टर ‘.

मैंने कहा, ‘सिस्टर ये ग़लत है लेकिन मेरा बदन मेरी बात नहीं मानता. अआप इसको समझाओ की ऐसा ना करे’ .

ऐसा कहते कहते मेरे हाथ निशा की चुचियों के ऊपर पहुँच गए और सहलाना शुरू कर दिया . मेरी कमर हिलने लगी और लंड को पीठ मे दबा कर रगड़ने लगा निशा की आंखें बंद हो गयी और वो धीरे धीरे आह.. ओह इश श श श स् स् स् स् की आवाज़ निकलने लगी . उसकी चुचियाँ सहलाने से फूल कर तन गई थी और उसके चेहरे पे और गले पे और सीने पे लाली छा गई थी , उसके चुचियों की गरमी उसके ड्रेस के ऊपर से भी महसूस हो रही थी. तभी मैंने उसके ड्रेस के ऊपर के दो बटन खोलने की कोशिश करी तो वो उठ कर खड़ी हो गई और बोली, ‘प्लीज़ डॉक्टर ड्रेस मत खोलो’ .

‘अच्छा निशा ड्रेस नही लेकिन प्रोमिस करो की मुझे किस करने दोगी’

कहते कहते मैं स्टूल पे बैठ गया और निशा को खींच कर अपनी गोदी मे बैठा लिया . अब उसकी गांड मेरे लंड के ऊपर आ गयी उसकी पीठ मेरे सीने से लगी थी और मेरे दोनों हाथ उसके दोनों चुचियों को ड्रेस के ऊपर से सहला और दबा रहे थे . उसकी चुन्चियाँ एकदम मख्खन जैसी थी.. मेरे दोनों हाथों मे समाँ रही थी.. वो चूची को सहलाने से मस्त हो रही थी और ऊऊ..ओ ओ o आ आ डॉक्टर ईई ओह्ह डॉक्टर आः डॉक्टर आ आ स्.स्.स्.स्.स्. उसके मुहँ से निकाल रहा था . मैंने उसको मस्त होते देख कर उसके कन्धों को चूमना शुरू कर दिया , उसके कान को चूमा कान को जीभ के नोंक से सहलाया.. फ़िर कान की पत्ती को होंठों मे ले कर चूसना शुरू किया.. , गाल पे पप्पी ली और गले को भी चूमा और दोनों चूची को ड्रेस के ऊपर से पकड़ ऊपर नीचे, दांये और बांये हिलाने लगा ऐसा करने से वो गरम होती जा रही थी.. फिर मैंने धीरे से उसके कान में फुसफुसाकर पूंछा ‘निशा क्या तुम्हे ये अच्छा नही लग रहा ‘?

‘डॉक्टर आप सेक्स करना चाहते है या प्यार? सेक्स तो सिर्फ़ 2 मिनट का होता है’ .

मैं समझ गया जरूर उसका पति उसके जिस्म में 2 मिनट में झड़ जाता होगा . वैसे उसका जिस्म इतना सेक्सी था की शायद मैं भी पहली बार ज्यादा देर नही टिक पाऊंगा.. मैं उसे भी तैयार करने के बाद चोदना चाहता था. लेकिन निशा की चुचियों को सहलाते हुए मैंने पूंछा,

“निशा तुम्हारे हिसाब से प्यार क्या होता है?”

तो वो बोली ‘जो माँ और बच्चे मे होता है और मेरा कोई बच्चा नही है’ .

मैंने कहा ” कोई बात नही मैं आ गया हूँ ना मैं तुम्हारा बच्चा हूँ’.

कहते कहते मेरे हाथ निशा की दोनों जांघों को सहलाने लगे. जांघों पे हाथ पड़ते ही वो उठ कर खड़ी हो गई और बोली ‘ डॉक्टर अब और मत करना’ .

मैंने स्टूल बीच से हटाया और निशा को पीछे से कास कर पकड़ लिया अब मेरा लंड ठीक उसके गांड पे था . मैंने उसके गले के पीछे किस करते हुए अपने लंड को उसकी गांड पे दबा कर खूब रगड़ा . तभी मेरा मोबाइल बज उठा और मुझे जाना पड़ा .उस दिन के बाद एक चीज साफ थी की उसे लंड और चूत की होली पसंद नही थी . शायद उसकी चुदाई का अनुभव बहुत ही बुरा था उसे चुदाई मे शायद प्यार और अपनापन नहीं मिला था . उस दिन के बाद से हम जब कभी अकेले मिलते तो एक दुसरे से लिपट जाते और एक दुसरे को खूब सहलाते . जब भी मैं उसके पीछे से लिपटता था तो खड़े खड़े अपने लंड को उसकी गांड पर खूब रगड़ता और उसकी चुन्चियों और जांघों को खूब सहलाता .

जब कभी हम दोनों सामने से लिपटते तो मैं लंड को ड्रेस के ऊपर से उस के चूत पे दबा दबा कर रगड़ता और हाथ से उसकी पीठ को और गांड को ड्रेस के ऊपर से सहलाता . ऐसे ही मौका मिलते ही कभी चंद मिनटों के लिए तो कभी आधे एक घंटे चूमा चाटी और एक दुसरे के जिस्म की रगडाई चलती रही . मैंने कभी उसे चोदने के लिए जल्दबाजी नही दिखाई. हाँ मैंने उसे फील करवाया की मै उसके जिस्म को और उसे प्यार करता हूँ.. हम लोग बातें भी करते थे.. और मै उसके जिस्म की तारीफ़ भी करता था. एक दिन उसकी केबिन मे जब हम चूमा चाटी कर रहे थे उस समय उसकी पीठ दीवाल से सटी थी और उसने अपने दोनों हाथ ऊपर उठाये हुए थे और मैं अपने सीने से उसकी चुचियों को और लंड से उसकी फूली हुयी गदराई चूत को रगड़ रहा था और वो मस्त हो रही थी तब मैंने कहा, “निशा , एक बात कहूं “?

“हाँ डॉक्टर बोलो”

“मैं तुम्हारा बच्चा हूँ ना?

“हाँ डॉक्टर ”

“मेरा मसाज करोगी निशा?”

“अच्छा डॉक्टर कहाँ करना है मसाज?

“निशा मेरे पीठ पर मसाज करना है. ”

उसने कुछ कहा नही पर उसने मेरे शर्ट के ऊपर से मसाज करने लगी मैंने शर्ट के अन्दर से मसाज करने की रिक्वेस्ट करी तो वो मान गई और शर्ट के अन्दर हाथ डाल कर अपने नरम और गरम हाथ से मेरी पुरी पीठ को गरमा दिया . तभी मैंने अपनी पॅंट खोल कर नीचे कर दिया और अपने गांड पे निशा का हाथ पकड़ कर रख दिया और कहा – ‘प्लीज़ निशा यहाँ भी करो’ .

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फिर निशा के नरम हाथ मेरे गांड पे मसाज करने लगे . मैं तो मस्त हो गया और फिर पलट गया और मेरी पीठ उसकी तरफ़ थी और उसके दोनों हाथ के बीच मे मैंने अपना लंड रख कर उसके हाथ को पकड़ कर अपने लंड को सहलाने लगा फिर उसके हाथ से अपने बालों से भरे सीने को और जांघों को भी सहलाया . मजा आ गया . ओह्ह फ़िर मेरे मोबाइल का रिंग..मैंने देखा डीन का फ़ोन है किसी ऑपरेशन के लिए और हम अलग हो गए

एक दिन मैंने उससे कहा – “निशा जब तुम मेरे बदन को छूती हो तो मुझे बहुत अच्छा लगता है तुम्हारे हाथों मे जादू है मैं एक अलग दुनिया मे पहुँच जाता हूँ’.

वो मुस्कुरा दी. मैंने कहा इसके बाद जब तुम अकेली रहोगी तो मुझे फ़ोन से बता देना मैं बिना अंडरवियर और बनियान के आऊंगा.. और वो मुझे मोबाइल पर मिस काल देती थी.इस तरह . फिर जब भी हम चूमा चाटी और चिपका चिपकी करते तो वो मेरे पूरे जिस्म को सहलाती और लंड को भी सहलाती जबकि मैं उसके जिस्म को ड्रेस के ऊपर से ही सहलाता . एक दिन फिर जब हम चिपके हुए थे .. मैं उसके ड्रेस के ऊपर से हाथ फिर रहा था.. मेरा हाथ उसकी गदराई चूतड से होते हुए उसके गांड पर पहुँची.. उसकी गांड पे हात फिरते हुए मुझे महसूस हुआ की अन्दर शायद पैंटी नहीं है . मैंने धीरे धीरे सहलाते हुए कन्फर्म किया तो वो खिलखिला कर बोली – “डॉक्टर आप बहुत गंदे है ”

मैंने कहा, “You are right” – कहके मैंने ड्रेस को कमर के ऊपर उठा कर निशा की नंगी गांड को हथेली से दबाने लगा और मेरे हाथ उसके ड्रेस के अन्दर पहली बार गए थे.. मैं बहुत ही आराम से य्सकी गांड और पीठ को सहलाता रहा वो इस दौरान मेरे सीने से चिपकी रही और मैं उसकी नंगी गांड को और उसके नंगी पीठ को ड्रेस के अन्दर से सहलाया उसकी आँखे बंद हो गई थी.. मैं उसके होंठो को हलके हलके किस भी कर रहा था उसकी चुन्चियों को हाथ से दबा रहा था..अब मैंने अपना पॅंट घुटने तक नीची कर स्टूल पर बैठ गया और उसकी ड्रेस को कमर से ऊपर उठाये हुए अपने गोदी मे बिठाया . निशा ने पहले ही आंखें बंद कर ली थी . मैंने उसके ड्रेस को ऊपर उठाकर उसके ब्रा का हूक खोल कर चुचियों के दर्शन किए , असल मे उसे ब्रा की ज़रूरत ही नही थी.. मेरा खड़ा ७.५ इंच का मोटा काला लंड मेरी गोदी मे बैठे उसके चूत और गांड से सता हुआ था लेकिन मैंने उस दिन चुदाई ना करने का फैसला किया .

क्युकी मैं उसके साथ कोयी जबरदस्ती नही करना चाहता था. मैंने उसकी दोनों चुचियों को बारी बारी से चूसना शुरू किया उसके निपल बहुत ही कड़े थे.. और मैं होंठो मे ले कर चूस रहा था.. उसके ड्रेस के बटन खुल चुके थे और अन्दर काली ब्रा थी जिसका हूक मैंने पीठ सहलाते हुए खोल दिया था..निशा की आँखें बंद थी और वो मेरा सिर अपने सिने पर दबा रही थी .. उसकी गुदाज़ छाती पर मुझे बहुत मज़ा आ रहा था..मैं निपल को कभी कभी हलके से दांतों से काट लेता तो वो सित्कार उठती थी..सी.इ.इ.इ.इ.इ..आह.. और मुझे दबा लेती थी. मैं उसके स्तनों को दबा रहा था और बीच मे कभी उसे सीने से चिपका कर उसके नंगी पीठ और गांड को सहलाता जिसकी की निशा को आदत हो चुकी थी. उस दिन एक घंटे तक मैंने उसकी चुंची चुसी और गांड और पीठ और जांघों को सहलाया. फिर मैंने पूंछा – “निशा ये प्यार है या सेक्स?”

“डॉक्टर, यह तो प्यार है ” बोल कर वो फिर चिपक गई.

उसकी पीठ को सहलाते सहलाते मैंने फिर पूंछा – “निशा, एक बात पूछूं?”

“पूंछो डॉक्टर.”

“सेक्स ख़राब है या बिना प्यार के सेक्स ख़राब है.”

“डॉक्टर आप बहुत बदमाश हो.”

यह बोल के उसने अपने दोनों पैर मेरे कमर के दोनों तरफ़ दाल दिए और मेरे सिने से चिपकने लगी मैंने अपने जाँघों पर गीलापन महसूस किया.. उसकी चूत ने अब पानी छोड़ना शुरू कर दिया था.. वो गोदी मे बैठे बैठे अपने कमर को आगे की तरफ़ धक्का देने लगी जिस से मेरा लंड उसके चूत मे लगने लगा वो और आगे की तरफ़ खिसली और लंड के सुपाड़े को अपने चूत के दाने से घिसने लगी मैंने उसे कमर और चूतड से पकड़ के करीब खिंचा तो गीली चूत के मुंह को खोलते हुए मेरे लंड के सुपाड़े ने अन्दर जाने की कोशिश की.. और निशा के मुंह से आह निकली .. डॉक्टर तुम्हारा ये बहुत मोटा है.. कहते हुए वो थोड़ा और करीब आ गई मैंने उसके गांड पर हाथ रखा और उसके होंठो को किस करते हुए लंड को दबाया और सुपाड़ा अन्दर हो गया.

निशा थोडी कसमसायी.. लेकिन मैंने उसे कस के पकड़ रखा था लंड का सुपाड़ा अन्दर जाने के बाद मैं रुका रहा तब निशा ने ख़ुद ही अपनी कमर हिलाई इससे मेरा लंड अन्दर घुसने लगा – पहले थोड़ा सा फिर थोड़ा और इस तरह करीब ३ इंच अन्दर घुस गया था. निशा की चूत बहुत ही कसी हुयी थी.. .उसके पति ने उसकी ज्यादा चुदाई नही की होगी.. निशा अब मस्त हो रही थी.. मैं बड़ा खुश था की आज निशा ni मुझे चोदने वाली थी . मैंने उसकी कमर पकड़ी और अपनी गोदी मे उसे खींचते हुए एक जोर का धक्का दिया और पुरा लंड उसकी चूत मे दाखिल कर दिया वो थोड़ा चीख पड़ी..आह.. मैंने उसे चूमना शुरू कर दिया मैंने उसके चूतड पर दोनों हाथ रखे और उसे अपने लंड पर झुला झूलने लगा.मैं ख़ुद भी आगे पीछे कमर हिलाने लगा. मेरा लंड अन्दर जाते ही और फूल गया और सीधा उसकी बच्चेदानी तक सैर करने लगा.. उसकी चूत का दाना मेरे लंड के सुपाड़े से रगड़ रहा था जब मैं लंड को बाहर खींच के अन्दर डालता था तब.. निशा मे मेरे गले मे हाथ दाल के और कस के मुझे पकड़ लिया.. और अपनी कमर हिलाने की रफ़्तार बढ़ा दी मेरा लंड मस्त होने लगा और उसने अपनी चुंची मेरे मुहँ मे दे दी. 5 मिनट मे वो झड़ गई उसकी चूत से बहुत पानी निकला और मेरी जाँघों से होते हुए नीचे ज़मीं पर गिरने लगा.. शायद काफ़ी अरसे के बाद चुदाई का मज़ा लिया था निशा ने. वो मुझसे चिपकी हुयी थी.

फ़िर मैंने धीरे से उसे अलग किया मेरा लंड अभी भी वैसा ही था.. लेकिन उसकी चूत के पानी को देख कर मेरे जीभ मे पानी आ गया और मैं उसकी चूत को चाटने के लिए बेताब हो गया. मैंने उसे गोदी से उठा कर स्टूल पे बिठाया और उसके मैं नीचे बैठ गया.. उसके दोनों पैरों को मेरे कंधे पर रखा और मेरा मुंह उसकी चूत पर लगा दिया. उसकी चूत से निकले नमकीन पानी को जीभ से चाट कर साफ कर दिया . झड़ने से मस्त हो कर वो दीवाल के सहारे टिकी हुई थी , होठ खुले हुए और साँस गहरी गहरी . मैंने अपने खड़े लंड को निशा के होठों पे रख कर कहा – “निशा देखो मेरा लंड तुमसे किस मांग रहा है”.

बिना कुछ बोले निशा ने एक प्यारा सा किस दिया आँख बंद किए किए . मैंने उसके बाल को पकड़ कर हलके से लंड को निशा के मुहँ मे दबाया उसका मुंह खुला था मेरा लंड मोटा था इसलिए उसका मुंह थोड़ा सा और खुला .. लेकिन सिर्फ़ सुपाड़ा ही अन्दर जा पाया.. उसके अन्दर जाते ही निशा ने उसे जीभ से चाटा उफ्फ्फ़ और निशा मे मेरी आवाज़ सुन कर उसी नशीली आंखों से मुझे देखा जिस की तारीफ मैं पहले कर चुका हूँ .. येही तो मैं सोचा करता था.. मेरा लंड निशा के मुंह मे.. मैं अपनी कमर आगे पीछे करते हुए उसके मुंह को चोदने लगा . 5 मिनट मे मैं निशा के मुंह मे झड़ के ढीला हो गया उसके होंठो से मेरा लावा बहने लगा.. पिचकारी की धार उसके नरम गालों पर भी पड़ी थी और अब वो ज्यादा सेक्सी दिख रही थी.. मैंने लंड को बाहर निकाला. फिर हम अलग हो गए. उस चुदाई के बाद वो बिंदास हो गई और बिल्कुल खुल गई. अब सब मूड की बात हो गई.

अगले दिन मैं निशा के केबिन मे जा कर मरीज के खाली बेड में लेट गया . वो पास ही खड़ी थी. मैंने उसका हाथ पकड़ कर पास खींचा वो सीधे मेरे सीने पर आ गिरी. मैंने उसे बांहों मी जकड कर उसके होंठो पर होंठ रख दिए और कस के चूमने लगा. पीठ सहलाते हुए मैंने एक हाथ सामने लाया और उसकी ड्रेस के बटन खोलने शुरू किए.. उसने मस्त निगाहों से मुझे देखा और कुछ नही बोली.. मैंने उसके ड्रेस को उतार दिया.. और आज उसने गुलाबी ब्रा पहनी थी.. मैंने पीठ पर हाथ ले जा कर उसकी ब्रा का हूक खोल दिया.. दोनों कबूतर आजाद हो गए.. और सीधे मेरे मुंह के सामने आ गए.. अचानक वो उठी तो मैं पलट गया. अब मैं पेट के बल लेटा था और मेरी टांग जमीन पर थी.

निशा शरारत से झट मेरे पीठ पे आ कर लेट गई उसके दोनों निपल मेरी पीठ पर चुभने लगे. मैंने कहा निशा ‘मेरी पँट नीचे करो’ . उसने पँट नीचे कर दी. मैंने अंडरवियर नही पहनी थी इसलिए मैं नंगा हो गया. निशा मेरी गांड को सहलाने लगी. मुझे उसके नरम हाथो से मजा आ रहा था मैंने कहा निशा मेरे टट्टो को जरा चुसो और वो चूसने लगी. बड़ा मजा आया. फिर मैंने निशा को अपनी गांड के छेद को चाटने के लिए कहा उसने कुछ सोचा लेकिन फ़िर वो चटाने लगी गांड चटवाने के बाद मैंने कहा, ‘निशा, अब तुम्हारी बारी.’

उसे खींच के मैंने बेड पर लिटा दिया और उसकी स्कर्ट मैंने खोल दी. उसने आज भी पैंटी नही पहनी थी.. पहली बार मैं निशा को पुरी नंगी देख रहा था.. उसकी गोल गोल गांड और कमर का लोच.. उफ़ मेरा लंड अब काबू मे नही था लेकिन मैं उसे पुरी तरह से गर्म और मस्त करके चोदना चाहता था. मैंने उसी तरह उसकी गांड को चाटना शुरू किया. मैं उसकी कमर और जांघों को भी सहलाता जा रहा था. गांड से होते हुए मेरी जीभ अब उसके चूत की दरार तक जा रही थी और वहाँ से जूस की बूंदे टपकने लगी थी.. इधर निशा के मुंह से आह्ह .. ओह.. डॉक्टर.. इश स.स.स्.. स .स्.स्.स्.स्.स्..स्.

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उसकी टांगें नीचे लटक रही थी. मैंने अब उसकी चूत को ध्यान से देखा.. एकदम गुलाबी और नरम सिर्फ़ एक दरार.. मैंने चूत को अपनी उँगलियों से फैलाया.. अन्दर से उसका पानी बह रहा था और पुरी लाल थी चूत.. मैंने उसकी चूत के दाने को अंगूठे से दबाया फ़िर जीभ से चाटा.. निशा सिहर उठी और अपनी गांड हिलाने लगी.. मैंने अब अपनी जीभ उसकी चूत के अन्दर डाल दी थोडी देर मैं चूत मे जीभ अन्दर बाहर करता रहा फ़िर जीभ को अन्दर करके गोल-गोल मथने लगा..

निशा बेचैन होने लगी.. उसकी चूत सच मे बहुत ही नाजुक और टाईट थी, मुझे लगा मेरा लंड अब नही रूक सकता.. इधर निशा की चूत पानी से लबालब भर गई थी.. लेकिन मैंने चूत को जीभ से चोदना बंद नही किया.. मेरे हाथ बढ़ा कर उसके निपल अपने अंगूठे और ऊँगली के बीच ले कर मसलने लगा था. मैंने देखा निशा का बदन अब अकड़ने लगा है. और वो मेरी जीभ को ज्यादा से ज्यादा अन्दर लेने की कोशिश कर रही है.. पेट के नीचे से हाथ बढ़ा कर उसने अपने चूत के दाने को मसलना शुरू किया और कहने लगी.. डॉक्टर चुसो..और जोर से.. आह..आह्ह.. करते हुए उसकी चूत से फौवारे जैसा पानी निकला और मेरे पूरे चहरे को गीला कर दिया.. मैंने जब फ़िर से जीभ चूत मे लगाई तो उसने अपनी टाँगे सिकोड़ ली .. मैं समझ गया की निशा झड़ गई है

मैं उसके मस्त चूतडों को दबाने लगा.. अब मैंने अपना लंड उसके पीठ पर रगड़ते हुए उसे चूमने लगा.. उसकी पीठ मेरे लंड के प्री कम से लसलसी होने लगी.. और इस तरह वो फ़िर से जोश मे आने लगी.. वो अभी भी उसी तरह लेटी हुई थी मैं उसके दोनों पैरों के बीच मे आया उसके दोनों पैरों को जमीन से उठा कर मेरे कमर के दोनों तरफ़ लिया और अब मेरा लंड उसकी चूत के सामने था. लंड बुरी तरह उचल रहा था.. मैंने उसे चूत के छेद पर लगाया और एक धक्का दिया.. चूत मे मेरे मोटे सुपाड़े के घुसते ही निशा चीख उठी.. मेरे लंड के लिए उसकी चूत किसी कुंवारी की चूत जैसी ही थी…

मैंने उसकी टांगों को कस के पकड़ रखा था .. और थोड़ा रुक के मैंने दूसरा धक्का लगा दिया चूत तो गीली थी लंड फिसलता हुआ जड़ तक अन्दर घुस गया और निशा के मुंह से ‘हाय दैया.. मर गई ईईई डॉक्टर मेरी फट गई.इ.इ.इ.’ … और मैंने देखा सच मे चूत के चौड़े होने के कारण उसकी चूत से खून निकल आया था.. मुझे मालूम था ये सील टूटने का खून नही है.. फ़िर भी मुझे खून देख कर और जोश आ गया.. मैंने अब लंड को पुरा जड़ तक घुसाए रखा और उसके पैरों को फ़िर से जमीन पर लटका दिया.. और उसके मोटे गदराये चूतड़ पर हाथ रखते हुए लंड को अन्दर बाहर करने लगा.

फ़िर मैं उसके ऊपर लेट गया और कमर पकड़ कर लंड को कसी हुयी चूत मे डाल कर 10 मिनट पेला और फिर चूत मे लंड डाले हुए ऊपर लेट कर खूब पप्पी ली और चुचिओं को सहलाया. जब भी लंड ढीला पड़ने लगता तो फिर पेलना शुरू. आधे घंटे चूत को अच्छी तरह से घिसने के बाद मुझे लगा की अब मैं झड़ने वाला हूँ.. कहना ना होगा.. इस चुदाई के दौरान निशा कितनी बार झड़ी ये उसे भी याद नही होगा. मैंने अब बहुत स्पीड से धक्के मरने शुरू कर दिए.. और फ़िर पूरा लंड बाहर खींच कर जड़ तक अन्दर डाल कर मैंने अपना पानी पिचकारियों की शकल मे उसकी चूत मे डाल दिया. पिचकारी इतनी तेज़ और गरम थी की निशा उसकी गर्मी से एक बार और झड़ गई.

ये प्राइवेट केबिन था.. और कांच पर परदे लगे थे.. इसमे एक टॉयलेट भी साथ ही है.. करीब 10 मिनट के बाद हम दोनों उठे.. निशा उठ कर बाथरूम मे नंगी ही गई.. मैं भी उसके पीछे पीछे घुस गया. मूत्राशय खली करने के बाद वो कमोड पर बैठी हुई थी. तभी मैं उसके सामने गया और मेरा आधा तना हुआ लंड उसके मुंह के सामने किया. उसने मेरी तरफ़ फ़िर उसी मतवाली नज़र से देखा और हाथ से पकड़ कर लंड को मुंह मे ले लिया और वो आँख बंद करके लंड चूस रही थी . तभी साथ वो मेरे कमर से हाथ डाल कर मेरे गांड को भी सहलाने लगी और सहलाते सहलाते उसने एक अंगुली मेरी गांड मे डाल दी.

फिर तो वो ऊँगली से मेरी गांड मार रही थी और मैं उसका मुहँ चोद रहा था. करीब 20 मिनट इसी तरह चूसने से लंड मे तनाव आ गया और मैंने उसके सिर को कस के पकड़ के ज्यादा से ज्यादा लंड अन्दर घुसेडने लगा.. और फ़िर मेरा पूरा पानी एक बार फ़िर से निशा के मुंह मे डाल दिया.. इस बार उसने बहुत ही चाव से मेरा पानी अपनी जीभ से चाट कर पी लिया.. इस बार हम दोनों खुल गए.. मैंने उससे पूंछा, ‘निशा अब कहो इस बार सेक्स मे मेरा प्यार नज़र आया’?

उसने हाँ मे गर्दन हिला दी. मैंने उसे अपने पास खींचा और किस किया. इसके बाद हमारी चुदाई का दौर चलने लगा. मेरा जब मूड होता मैं उसे फ़ोन करता और वो मेरे केबिन मे या फ़िर किसी खाली रूम मे आ जाती. वहाँ मैं उसकी चूत मे या मुहँ मे लंड डाल कर चोदता. कभी जब वो गरमाई होती थी उसको मैंने कहा की हमेशा हिन्दी मे रिक्वेस्ट करना, जैसे की – डॉक्टर मेरी चूची चुसो, डॉक्टर मुझे चोदो, मुझे चूत मे लंड चाहिए, चूत मे अंगुली चाहिए.

कभी उसका फ़ोन आता की डॉक्टर चूत मे अंगुली चाहिए. फिर तो मैं उसके पास जाता. एक दूसरे से थोडी देर के लिए चिपकने के बाद मैं अंगुली से उसकी खूब चुदाई करता जब तक वो झड़ नहीं जाती. मैं भी कभी कभी उसे अपने रूम मे बुलाता सिर्फ़ लंड चूसने के लिए. कभी कभी वो दीवाल से पीठ सटा कर मुस्कुराती तो मैं सीधे उठ कर उसकी ड्रेस उठाता और अपना लंड चूत मे डाल देता और उस से अपनी गांड को सहलवाते हुए उसे चोद चोद कर झड़ जाता. कभी वो दीवाल के तरफ़ चेहरा करके खड़ी होती तो मैं पीछे से उसक गांड को थपथपा कर लंड उसकी चूत मे डाल कर खूब चुदाई करता.

एक दिन वो मेरे घर आई और आकर किचेन में चाय बनने चली गई, मैं नंगा हो गया और किचन में जा कर मैंने निशा के कपड़े खोल दिए और उसके बाल भी खोल दिए. उसके लंबे बाल घुटनों तक आ गए और उसकी गांड बाल से ढक गई. बाल के बीच से मैंने लंड उसकी चूत मे डाल दिया और निशा को सहलाने लगा निशा ने चूत मे लंड लिए हुए ही चाय बनाई. फिर मेरे गोद मे बैठ गई चूत मे लंड लिए, और हम लोगों ने साथ चाय पी.

फिर वो बेडरूम में बिस्तर पे लेट गई और मैंने उसके ऊपर चढ़ कर उसकी चूत मे लंड डाल चुदाई शुरू कर दी. उसने मेरी पीठ को सहला कर गांड को सहलाते हुए मेरी गांड मे अंगुली डाल दी. उसकी चूत और मेरी गांड साथ साथ घिस रहे थे. फिर मैं पीठ के बल लेट गया और वो मेरे ऊपर चढ़ गई और चूची मेरे मुहँ मे अंगूर की तरह लटका कर मेरे से अपने निपल चुसवाने लगी. मैं उसकी पीठ और नंगी मोटी गांड सहला रहा था. तभी वो रूठ कर बोली – डॉक्टर, आपको मेरी गांड अच्छी नहीं लगती?

मैं समझ गया की आज निशा की गांड को भी मेरा लंड चाहिए. मैंने अपनी उंगुली जब उसकी गांड मे डालने की कोशिश की तो वो आराम से चली गई. लेकिन गांड एकदम टाईट थी. मैंने उंगुली निकाली और देखी तो मेरा अंदाजा सही था. निशा बिल्कुल आज गांड मरवाने की तैयारी कर के आई थी, उसकी गांड मे जेली भरी थी चिकनाहट के लिए. मैं उठ गया और निशा को कुत्ती (doggy) पोजीशन मे ले कर के अपना लंड उसकी गांड मे लगाया और उसकी गांड को हाथ से सहलाने लगा. वो बोली – डॉक्टर, आज मैं अपनी कुंवारी गांड तुम्हे सौंप रही हूँ.

‘निशा, मुझे मालूम है कि तुम्हारी गांड कुंवारी है और मेरा लंड भी तैयार है इसे फाड़ने के लिए.’

‘ठीक है, डॉक्टर’ – बोल कर निशा ने गांड को पीछे किया और मैंने भी धक्का लगाया. जैसे ही लंड का सुपाड़ा अन्दर गया निशा की चीख निकल गई … और मेरे लंड को जेली की चिकनाई मिलने से वो फिसलता हुआ अन्दर होने लगा. मैंने उसके चूतड़ कस के पकड़े और पूरा लंड अन्दर डाल दिया. लंड अन्दर करने के बाद मैंने दो अंगुली निशा की चूत मे डाल कर गांड और चूत दोनों की घिसाई करनी शुरू कर दी. दस मिनट तक डबल घिसाई चलती रही. फिर निशा 2-2 मिनट मे झड़ने लगी थी. करीब बीस मिनट के इस खेल के बाद मेरे लंड ने निशा की गांड में पिचकारियां मारना शुरू कर दिया … निशा बहुत जोर से झड गई. इस तरह झड़ने के बाद हम दोनों थक कर नंगे ही सो गए. उठने के बाद मैंने बाथरूम के टब मे निशा की चुदाई की. निशा को अब प्यार मे चुदाई का पूरा मजा आने लगा था. इसके बाद निशा की चूंचियां, चूत और गांड तीनों मेरी अमानत बन गए और मैं इन तीनों का भरपूर मजा लेता रहा.

समाप्त



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