फ्रेंड्स, इस सेक्स स्टोरी के अगले पार्ट में आपका स्वागत है-
नेक्स्ट मॉर्निंग हम वापस अपने घर आ गये. आज अनिल और कुलदीप ने मुझे अपने टाउन का तौर करवाया और रात को हम तीनो अनिल भैया के रूम पर ही चुदाई के फुल मज़े लेकर सो गये. नेक्स्ट मॉर्निंग फिरसे चुदाई के साथ दिन स्टार्ट हुआ.
दोनो ने गांद मार-मार कर ऑलरेडी मेरी गांद खोल दी थी, लेकिन जो मज़ा टॉ जी के लोड में था, वो इनके लोडो में नही. अनिल मेरी गांद मार रहा था, और कुलदीप मेरा मूह छोड़ रहा था. तभी अनिल के फोन पर टॉ जी का कॉल आया. अनिल छोड़ते-छोड़ते कॉल पर “जी-जी” करे जेया रहा था.
कुलदीप: क्या हुआ?
अनिल: फ़ारूक़ टॉ जी तुझे कहा ले जेया रहे है बोल?
मेने बोला: मुझे नही पता.
दोनो ने जल्दी-जल्दी माल मेरे मूह और गांद में निकाल दिया. आज शाम को एक और पार्टी थी. उसके बाद टॉ जी मुझे कही ले जाने वाले थे, और ये बात अनिल और कुलदीप को समझ नही आ रही थी. शाम को पार्टी में हम रेडी हो कर गये. मैं पठानी कुर्ता-पाजामा और जॅकेट पहन कर अपना बेग पॅक करके आया था. टॉ जी ने वीरेंदर को बोल कर मेरा बेग कार में रखवा दिया.
अनिल: टॉ जी, वैसे आप कहा जेया रहे हो?
टॉ जी: फ़ारूक़ हमारा मेहमान है. कल मुझे पटना कुछ काम है. ये वाहा विदेशी लोगों से इंग्लीश में मेरी बात करवा देगा, और मैं इसे पटना भी घुमा दूँगा.
दोनो टॉ जी के आयेज और कुछ नही बोल सके. पार्टी ओवर होते ही टॉ जी ने मुझे कार में बैठने को बोला, और 30 मिनिट बाद वो और वीरेंदर दोनो कार में आए. वीरेंदर ड्राइविंग सीट पर था, और टॉ जी मेरे साथ पीछे बैठे थे. रात के 2 बजे हम निकल गये थे.
मैं (टॉ जी के कान में पूछा): ये भी हमारे साथ चलेंगे?
टॉ जी ने ज़ोर से बोला: टेन्षन मत ले, ये किसी को कुछ नही बोलने वाला.
हम दोनो बहुत तक गये थे, इसलिए कार में ही सो गये. मॉर्निंग में 5 बजे कार एक फार्महाउस में रुकी. फार्महाउस बहुत बड़ा था, और डोर-डोर तक फार्महाउस की ज़मीन थी. एक नौकर हमारे बॅग्स रूम तक ले गया. मैं और टॉ जी भी रूम में जेया कर सो गये. 9 बजे मेरे पास वीरेंदर शॉर्ट्स और बनियान में आया और बोला-
वीरेंदर: जल्दी उठ कर रेडी हो जाओ. मालिक को वेट करना पसंद नही है.
मैं जल्दी से नहा कर आया. बातरूम में ऑलरेडी सब कुछ ब्रॅंडेड रखा हुआ था. मैं बातरूम से बाहर अपने नॉर्मल कपड़ों में ही आ गया. वीरेंदर अभी भी वही था.
वीरेंदर: ये क्या पहन लिया, ये पहनो जल्दी.
वो मेरे लिए बिकिनी लेकर आया था. मुझे बहुत शरम आ रही थी. वो बार-बार गुस्से में बोल रहा था जल्दी करो, इसलिए जल्दी से बातरूम में चेंज करके बाहर आया. तब वो मुझे एक बात टवल ड्रेस पहना कर मुझे पूल के पास ले गया. 10 बजे हम पूल पर आए.
मैने नोटीस करा जब हम आए थे तब नौकर थे बहुत सारे, बुत अब कोई नही था. टॉ जी पूल के अंदर ड्रिंक कर रहे थे. हल्की-हल्की धूप भी आ रही थी. टॉ जी ने बड़े प्यार से मुझे अपने पास आने का इशारा करा, और वीरेंदर ने पीछे से मेरा टवल ड्रेस उतार कर बोला-
वीरेंदर: ये मुझे डेडॉ मालकिन.
ये सुन कर मैं हैरान ही हो गया. पिंक कलर की ट्रॅन्स्परेंट बिकिनी जिसमे ओन्ली मेरा लंड ही च्छूपा हुआ था, बाकी सब दिख रहा था. मैं आयेज चल कर जेया रहा था. तभी पीछे से वीरेंदर की स्लो आवाज़ आई-
वीरेंदर: मदारचोड़, क्या मस्त गांद है सेयेल की.
मैं धीरे-धीरे पूल के अंदर जाने लगा, और टॉ जी के पास पहुक्न्ह गया. टॉ जी ने मुझे खींच कर एक किस कर दिया, और ड्रिंक देने लगे-
टॉ जी: आज तो लेनी पड़ेगी जान मेरे लिए.
माना करने की कंडीशन थी ही नही. टॉ जी के लोड ने जो प्यास जगा दी थी, अब उसके लिए कुछ भी कर सकता था. टॉ जी किस करते-करते मुझे कस्स कर दबा रहे थे. ये सब वीरेंदर पीछे से देख रहा था. मुझे उसके आयेज शरम तो बहुत आ रही थी, लेकिन टॉ जी ने जो आग मेरे अंदर लगा दी थी, अब उसके आयेज मुझे कुछ नज़र नही आ रहा था.
मैने भी ज़ोर-ज़ोर से उनको कस्स के पकड़ लिया, और किस करने लगा. टॉ जी का लोड्ा खड़ा हो गया था, और मेरी जांघों पर चुभ रहा था. मैं टॉ जी के निपल्स चूसने लगा. कभी उसके आर्म्पाइट और कभी उनके लिप्स. मेरी हरकत टॉ जी को पागल कर रही थी.
टॉ जी: आज तो पुर जोश में है रेखा, अपने मर्द को चुचे नही दिखाएगी?
टॉ जी ने मेरी ब्रा को खोल दिया और मेरे चुचो को ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगे. मैं भी जोश-जोश में अपने पैरों से उनका अंडरवेर उतार कर उनके लोड को मसालने लगा. टॉ जी मेरे चुचो को ऐसे चूस रहे थे जैसे आज ही सारा दूध पी लेंगे. चूस्टे-चूस्टे वो मुझे पूल के किनारे ले गये.
5 मिनिट तक चूसने के बाद मेरे चुचे लाल हो गये थे. वो फिर खुद पूल के किनारे पर बैठ गये. अब मैने भी उनके 9 इंच लंबे लोड को आपने मूह से चूसना शुरू कर दिया. आज मैं ऐसे लोड्ा चूस रहा था जैसे काई जन्मो से लोड का भूखा था.
टॉ जी: आह रेखा, चूस, और ज़ोर से, और ज़ोर से.
वो मुझे सर से दबा-दबा कर लोड्ा मूह में छोड़ रहे थे. उनका लोड्ा मेरे गले तक जेया रहा था, और मेरा साँस लेना भी मुस्किल हो रहा था. टॉ जी ने मेरी पनटी लोड्ा चूस्टे-चूस्टे निकाल कर पानी से बाहर फेंक दी, जो पीछे वीरेंदर के मूह पर जेया कर लगी. मैने लोड्ा चूस्टे हुए देखा वीरेंदर अपने एक हाथ से मेरी पनटी को सूंघ रहा था, और दूसरा हाथ शॉर्ट्स में डाल कर अपना लोड्ा हिला रहा था.
ये देख कर मेरी अंदर और आग लग गयी, और मैने अपनी चिकनी मोटी गांद पानी से थोड़ी बाहर निकाल कर फैला ली, जिसे वीरेंदर देख रहा था. टॉ जी ने मुझे पूल से बाहर निकाला, अब हम दोनो बिल्कुल नंगे बाहर आए. टॉ जी ने मिशनरी पोज़िशन में मुझे लिटा कर मेरी गांद पर लोड्ा लगा दिया, और वीरेंदर को एक सीटी मारी. वो भागते हुए एक आयिल की बॉटल और कॉंडम का पॅकेट लेकर आया, जैसे उसे ऑलरेडी सब पता हो
टॉ जी ने आयिल लगा कर लोड्ा मेरे अंदर डाला. तोड़ा दर्द हुआ, लेकिन आज लोड्ा आधा बड़े आराम से चला गया. फिर थोड़ी देर तक धीरे-धीरे झटके के बाद टॉ जी ने एक ज़ोर का झटका मारा, और पूरा लोड्ा मेरी गांद में डाल दिया. मैं बहुत तेज़ चिल्लाया. टॉ जी ने मुझे कस्स के पकड़ लिया, और ज़ोरो से छोड़ने लगे.
टॉ जी: अया, ये बात! अची औरत की तरह ले लिया अपने मर्द का पूरा, साली तेरा च्छेद अपने आदमी को नही पहचानेगा क्या? ले, और ले, और ज़ोर से, और ज़ोर से. ले साली रेखा. फाड़ दूँगा आज, और ले!
वीरेंदर टॉ जी के पीछे अपना लंड शॉर्ट्स के अंदर ही ज़ोर-ज़ोर से हिला रहा था. और टॉ जी मुझे छोड़ते-छोड़ते मेरा लंड हिला रहे थे. इतने में मेरा माल टॉ जी के हाथ और मेरे उपर ही निकल गया. पीछे वीरेंदर का भी शॉर्ट्स गीला हो गया था. उसका माल उसके गीले ककचे से पता चल रहा था. टॉ जी मेरा माल अपने हाथ से मुझे पिलाने लगे.
टॉ जी पागलों की तरह छोड़ रहे थे मुझे. 15 मिनिट बाद टॉ जी अपने लंड से कॉंडम निकाल कर मेरे मूह में सारा माल निकाल दिए. छोड़ने के बाद टॉ जी ने वीरेंदर को मेरी गांद का खून सॉफ करने को बोला, और खुद सिगरेट पीने लगे. फिर वीरेंदर मेरे पास आया.
टॉ जी: ओह बहनचोड़, तेरा भी निकल गया क्या वियर ( वीरेंदर को प्यार से टॉ जी वियर बोलते थे)? सला फ़ारूक़ तू है ही कमाल, जो छोड़ नही रहा उसका भी निकाल दिया.
वीरेंदर शरम से लाल हो गया, और मेरी गांद को एक कपड़े से सॉफ करके अपने हाथ जो अभी भी उसके माल से गंदे थे, उससे मेरी गांद पर क्रीम लगा रहा था. फिर वो गांद में उंगली डाल कर सॉफ करने लगा. उसका ये करना मुझे और पागल कर रहा था. क्रीम की ठंडक अंदर तक आ रही थी.
मैने टॉ जी को देखा. वो ये सब अपनी आँखों से देख कर अपना लोड्ा मसालने लगे, और लोड्ा थोड़ी ही देर में फिरसे खड़ा हो गया.
टॉ जी: ओह वियर, चल हॅट! फिरसे छोड़ना है मेरी जान को.
मैं (मॅन में): टॉ जी आदमी है या घोड़ा जो थकते ही नही.
मेरी गांद बहुत दर्द कर रही थी. मेरे माना करने पर भी वो नही माने, और फिरसे छोड़ने लगे. 20 मिनिट फिर छोड़ने के बाद टॉ जी सारा माल मेरे बदन पर गिरा कर अपने रूम में बॉटल ड्रिंक पीते-पीते चले गये.
टॉ जी: वीरेंदर रेखा को ध्यान से रूम में ले आना. दोपहर में और छोड़ूँगा इसे.
मेरी गांद बहुत दर्द हो रही थी. वीरेंदर मुझे नंगा ही रूम में ले गया. मुझसे चला भी नही जेया रहा था. मेरी गांद से खून मेरी जाँघ तक आ रहा था. टॉ जी की चुदाई से मज़ा तो बहुत आ रहा था, लेकिन गांद के दर्द का क्या करता?
मैं: मेरी गांद बहुत दर्द कर रही है, टॉ जी को दोपहर के लिए माना कर दो. रात को कर लेंगे वो, प्लीज़.
वीरेंदर: रात तक तो मालिक पता नही कितने रौंद कर चुके होंगे. तुम्हे दर्द की दवाई दे देता हू. मालिक को माना करना मेरी हिम्मत की बात नही.
ये सुन कर मेरी फाटती हुई गांद और फटत गयी. अब कुछ नही हो सकता था, मुझे टॉ जी से कोई नही बचा सकता था.
मैं रूम में गया. वीरेंदर मुझे दवाई और खाना देकर चला गया. मैं बहुत तक गया था, इसलिए जल्दी रूम की लाइट ऑफ करके सो गया.