दो महिलाएँ आपस में कुछ अंतरंग बातें कर रही थीं, पीछे बैठा मैं उनकी उनकी बातों को सुनकर बड़ा आनंदित हो रहा था।
दोनों बड़ी अच्छी सहेलियाँ थीं, एक की शादी को करीब चार साल हुए थे, दूसरी की अभी-अभी शादी हुई थी। उनकी बातों में उनके सम्भोग की कहानियों के रस की चर्चा हो रही थी, दोनों एक-दूसरे को अपनी-अपनी चूत चुदाई की दास्तान सुना रही थीं।
एक दूसरे से कहती है- शालू.. तेरी पहली रात को क्या-क्या कैसे कैसे हुआ.. जरा खुल कर बता ना?
‘चल हट बेशरम.. जो तेरे साथ हुआ.. वही मेरे साथ हुआ..’
‘यानि पहली रात पूरी खाली गई क्या तेरी..?’
‘अरे नहीं रे.. बार-बार.. लगातार.. हुआ करीब साढ़े तीन घंटे.. ऊपर-नीचे होते रहे.. पीछे से.. आगे से.. सब हुआ..’
‘क्या बात कर रही हो.. लगातार साढ़े तीन घंटे..?’
‘नहीं रे.. बीच-बीच में हम लोग फोरप्ले भी करते रहे न.. यानि मैं और वो..’
‘कैसे और क्या-क्या हुआ.. जरा ठीक से बता ना?’
‘हाँ बाबा.. सब बता दूँगी.. तू एक काम करना.. मेरे घर आ जाना.. फिर हम दोनों बैठकर अपने अनुभव शेयर करेंगे..’
‘ठीक है..’
उसके ऐसा कहने के बाद वह दोनों अपने घरों के लिए रवाना हुईं।
मैं अपने मन में कल्पना करने लगा.. कि किस तरह की बातें होंगी.. जब ये दोनों मिलेंगी? क्या अपने अनुभव ये दोनों शेयर कर पाएगीं? इसी सोच में मैं अपने रास्ते पर अभी चला ही था कि अचानक सामने उन्हीं दो औरतों में से एक मेरे ही घर के सामने से जाती दिखी।
तब तक मेरा इस महिला पर कोई ध्यान नहीं गया था।
वो देखने में बड़ी खूबसूरत लग रही थी, पिछवाड़े के दोनों पुठ्ठे मस्ती में हिचकोले खा रहे थे.. सामने के दोनों कबूतर जैसे आने जाने वालों को ललचा रहे थे, आँखों में नशीला आमंत्रण था।
मैं उसकी इस चाल को देखते हुए मंत्रमुग्ध सा उसके पीछे-पीछे चला जा रहा था।
दोनों औरतें थीं भी बड़ी मस्त चुदक्कड़ और सेक्सी लण्ड की मारी.. शायद सामने वाली का मर्द सिर्फ गाण्ड ही मारता था.. क्योंकि चूतड़ों के दोनों भाग इस तरह हिल रहे थे.. जिससे मालूम हो रहा था कि उसको गाण्ड मरवाने की आदत पड़ चुकी होगी।
हालांकि यह मेरा कयास ही था.. इसलिए चूत का मजा क्या होता है.. यह सुनने की तमन्ना उसके दिल में आई होगी, उसकी चूत से पानी रिस रहा होगा।
अब मेरे दिल में उसको चोदने की तमन्ना बढ़ने लगी थी। लण्ड की मारी.. वो औरत कौन थी.. मुझे यह देखना भी बाकी था।
पर थी बड़ी खूबसूरत..!
अचानक एक मकान के तरफ वो मुड़ी उसने कनखियों से मुझे देखा और वह घर के दरवाजे पर गई।
उसने ताला खोला और वह अन्दर चली गई, वो सलीम हुसैन का घर था.. यानि यह बड़ी काम की चीज थी।
उस दिन तो मैं ये सोच कर वापस आ गया कि यह अनार कल खाऊँगा।
मैं उस रात को कमली के साथ सोया, कमली मेरी काम वाली थी। यह भी साली बड़ी चुदक्कड़ थी.. लण्ड लेने में अव्वल और माहिर.. उसकी चूत जैसे मक्खन की टिकिया थी, बड़ी कोमल हसीन चोदने लायक चूत वाली थी।
जब भी कभी मेरी घर वाली घर पर नहीं हो.. तो कमली मेरे घर पर ही नंगी पड़ी रहती थी, साली को चुदवाने का बड़ा शौक था।
ऐसी ही रसीली सी चूत थी.. जब मेरे दिल में आता तब उसको खूब चोदता।
जब मेरे दिल में आता.. तब अपना लण्ड उसे चुसाता रहता.. उसकी गाण्ड मारता.. उसकी चूत को आधे-आधे घंटे तक चूसता.. उसके मम्मों को कुछ इस तरह दबाता कि वो साली मेरे लण्ड की प्यासी हो जाती।