गाओं में बना गान्डू, शहर जाके चुदा

फिर जो हुआ, वो मज़ेदार था. मेरे दोस्त का लंड 7 इंच था, और मेरी गांद को टच कर रहा था. मैने उसको बोला हटने को, तो उसने पूरा खोल के मेरे हाथ में दे दिया. उसका मोटा लंड मेरे हाथ में नही आ रहा था.

फिर वो बोला: हिलाओ धीरे-धीरे.

और मैने उसको हिलना शुरू किया, और वो मोटा होता गया.

फिर उसने लंड मेरे मूह में दे दिया. मोटा लंड आधे मूह में ही अटक गया था. उसने मेरी गांद को चाटना शुरू किया, और मैं मस्त होता गया.

मुझे जोश आ रहा था. फिर उसने मेरी गांद पे अपना मोटा लंड रखा, और रगड़ने लगा. उसके बाद लंड पर थूक लगाई, और धीरे से मेरी गांद में घुसाया. पर वो घुस नही रहा था.

फिर उसने ज़ोर से धक्का दिया, और जैसे ही उसने धक्का दिया, गांद की सील टूटने की आवाज़ आई, और ब्लड निकालने लगा. मुझे दर्द हो रहा था. मैने लंड निकाल दिया उसका क्यूंकी दर्द बहुत हो रहा था. फिर उसने दोबारा लंड घुसाया, और इस बार लंड अंदर जेया रहा था.

मेरी गांद फाटती जेया रही थी. इतना मोटा लंड उसका मेरी गांद में समा रहा था. उसने धीरे-धीरे झटका देना शुरू किया. फिर मुझे भी मज़ा आने लगा. उस रात को उसने मुझे 4 बार छोड़ा था. उसके बाद से हमारी बहुत बार मुलाक़ात हुई, और उसने मुझे छोड़ा.

मेरी गांद के च्छेद को उसने पूरा बड़ा कर दिया, और मॅन भर देता था चुदाई करके. बहुत मज़ा आता था मुझे उसके साथ चूड़ने में. उसके वो मोटे लंड में जो मज़ा आता था, और किसी में नही मिलता.

एक बार मैं, वो, और उसका एक दोस्त हम तीनो लोग घूमने गये थे. रात को रूम में उसने मुझे छोड़ना शुरू किया, पर उसके दोस्त ने देख लिया. फिर मुझे उसके दोस्त से चुदाई करनी पड़ी.

उन दोनो ने मुझे मिल के पूरी रात छोड़ा. गांद मरवाने की आदत सी हो गयी थी. अब जब मेरा मजञ करता था, मैं उसके साथ रात भर चुदाई करता था. फिर मैं शहर आ गया. यहा पर मुझे कोई मिल नही रहा था, और मेरी गांद की गर्मी मुझे पागल कर रह थी.

मैं बहुत परेशन था गांद में लंड लेने को. फिर मैने अक दोस्त बनाया. उसको भी गांद मारने का बहुत शौंक था. पर उसको कही मिल नही रही थी. मैने उसको बोला नही था की मैं ये सब करता था. उसने बोला उसका गांद मारने का बहुत मॅन करता था. फिर मैने उसको बताया.

मेरे लिए ये अछा मौका था क्यूंकी मुझे भी किसी लंड की ज़रूरत थी, और उसको भी गांद की ज़रूरत थी. दोनो को एक-दूसरे की ज़रूरत थी.

मैने उसको बोला: अगर तुम्हे गांद डू तो?

उसने बोला: तुम ये सब तो करते नही, फिर क्यूँ बोल रहे हो?

मैने उसको बोला: तुम्हे चाहिए तो ट्राइ करो.

फिर उसने मुझे अपने घर बुलाया. मैं गया, क्यूंकी मुझे तो गांद की गर्मी को शांत करना था, और वो किसी लंड के पानी से ही शांत होती है. उसने छोड़ने से पहले गोली खाई और बोला-

वो: इससे और मज़ा आएगा.

उसका लंड उतना मोटा नही था, पर इतना था की मेरी गांद में घुस सकता था. उसने मुझे नीचे बिताया, और लंड को मूह में दे दिया और मेरे बाल पकड़ के आयेज-पीछे करने लगा. और मैने लंड को पूरा मूह में भर लिया, और अंदर-बाहर करने लगा.

मेरी साँस रुक जाती थी, जब वो पूरा लंड घुसा लेता था. पर मज़ा बहुत मिलता था लंड को मूह में लेकर चूसने में. और फिर उसने मुझे बेड पे लिटाया, और मेरे दोनो पैरों को अपने शोल्डर्स पर रख लिया. फिर उसने आयिल लगाया मेरी गांद की च्छेद पे, और अपने लंड पे भी.

फिर वो मुझे बोला: घुसा रहा हू.

मैने बोला: आराम से घुसना.

और फिर उसका लंड घुसते ही मैं ज़ोर से चिल्लाया. उसने मेरे मूह पर अपना हाथ रख दिया. उसके बाद उसने ज़ोर-ज़ोर से छोड़ना शुरू किया. मैं अया आ करने लगा.

थोड़ी देर करने के बाद उसने मुझे उल्टा कर मेरी गांद को अपनी तरफ किया, और मुझे घोड़ी बना दिया. उसके बाद फिर लंड घुसाया. इस बार लंड को डालता-निकालता डालता-निकालता. मेरी गांद का होल बड़ा हो गया था पहले से ही, तो मुझे ज़्यादा दर्द नही हुआ.

उसने मुझे सारी रात छोड़ा. उसका पूरा मॅन भर गया, क्यूंकी 7 बार किया था रात में उसने. मैने भी इतनी बार चुदाई नही करी थी. उसका मुझे छोड़ना बहुत पसंद आ गया था. उसको मेरी गांद बहुत अची लगने लगी थी, और मेरी गांद बहुत बाहर निकली थी फूली-फूली हुई.

गांद मेरी देख उसका मूड बन जाता था. तो जब उसको मौका मिलता था, तब मेरी गांद के पीछे पद जाता था. उसके बाद से उसका छूट में इंटेरेस्ट ही ख़तम हो गया था, क्यूंकी गांद थी ही मेरी. ऐसे ही गांद देख कर उसका हमेशा खड़ा हो जाता था, और मैने भी उसको कभी माना नही किया. क्यूंकी मेरा भी मॅन नही भरता था गांद मरवाने से.

मुझे भी रोज़ चाहिए होता था लंड. फिर मैं उसके साथ ही रहने लगा. हम दोनो रात को चुदाई करते थे. 1 एअर तक मैं उसके साथ था. एक भी दिन ऐसा नही गया, जिस दिन उसने मुझे नही छोड़ा हो. छोड़ने के चक्कर में वो दुबला हो गया था, और मैं मोटा.

मेरी गांद भी बहुत ज़्यादा बाहर निकल चुकी थी. मैं जब भी न्यूड होता था, वो मुझे छोड़ने के लिए आ जाता था. मेरी उसकी यही दोस्ती थी. बहुत छोड़ा उसने मुझे. फिर मैं गाओं आया और वाहा मुझे मेरी पुराने दोस्त से फिर मुलाकात हुई.

उसको भी बहुत दीनो से कोई मिला नही था. उसका लंड पूरा प्यासा था गांद के लिए. फिर उसने मुझे अपने घर बुलाया रात को, और मैं कैसे माना कर सकता था. मेरी गांद को पता नही क्यूँ लंड चाहिए ही होता था रोज़ रोज़.

फिर मैं गया रात को. उसने मुझे फटत से न्यूड कर दिया. उसको जैसे कोई मिला ही नही था, वो इतना पागल हो गया था मेरी गांद मारने के लिए. फिर जैसे ही मैं लेता, वो तुरंत ही अपना लंड घुसने लगा.

लेकिन लंड जेया नही रहा था क्यूंकी 3 दीनो से लंड गया नही था. तो होल टाइट हो गया था. फिर उसने थूक लगाई, और लंड घुसा दिया. फिर वो ज़ोर-ज़ोर से करने लगा.

मुझे पहली चुदाई याद आने लगी, जब मैं उसको रोक रहा था, पर वो नही सुन रहा था, और छोड़ता जेया रहा थे. उसका पानी 15 मिनिट बाद निकला, और उतने टाइम में मेरी हालत खराब हो गयी थी.

इतना ज़ोर का छोड़ रहा था वो, पहली बार वाले से भी ज़्यादा ज़ोर का. पानी निकालने के बाद उसने लंड को मेरे मूह में डाल दिया. फिर मैं उसके लंड को अपने मूह में रख कर चाटने लगा.

उसका तोड़ा पानी मूह में आ गया था, फिर भी उसका लंड उतना ही जोश में था, जैसे की उसका अभी ख़तम ही नही हुआ हो. मूह में से निकालने के बाद फिर उसने लंड गांद में डाल दिया.

दोस्तों मैं पूरी रात छुड़ा उससे, और जीतने दिन मैं गाओं में था रोज़ चुदाई होती थी मेरी. ऐसे करते-करते मैने उससे 200+ बार चुदाई करवाई.

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