दुल्हन बन कर लड़के ने दिया लंड चुसाई का तगड़ा अनुभव

सभी दोस्तों को मेरा नमस्कार। आप मेरी कहानी को काफी प्यार दे रहे हैं। इसलिए मैं आज आपके लिए इसका नया पार्ट लेकर आ गई हूं।

पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि शाम के 7 बज चुके थे और मैं साड़ी पहन कर तैयार हो गई थी। मैं टीवी देखते हुए नितिन का इंतजार कर रही थी। अभी मुझे टीवी देखते हुए 8-10 मिनट ही हुए होंगे कि दरवाजा खुल गया। नितिन सामान लेकर आ गया था। उसके हाथ में 3 थैले थे। उसने दरवाजा बंद किया और मेरे पास आकर 2 थैले मेरे बगल में रख दिये।

वो बोला: ये लो मेरी रानी साहिबा, आपका सामान। और आप तो मेरे आने से पहले ही तैयार हो गई हो। बहुत सुंदर लग रही हो।

दिशा: थैंक्यू, मेरे प्यारे पति देव। आपके लिए ही तैयार हुई हूं। बस थोड़ी देर और फिर मैं आपकी पत्नी आरती बनने के लिए तैयार हूं।

मैंने नितिन को बैठने को कहा और पानी के लिए पूछा।

उसने बोला: मैं खुद पी लूंगा, तुम जाके तैयार हो जाओ।

तो मैं दोनों थैले उठा कर बेडरूम में आ गई। मैंने दोनों थैलों का सामान बाहर निकाला। एक थैले में 2 बॉक्स थे। दोनों में ही विग थी। बाहर से देखने पर ही पता चल रहा था। मैंने दोनों को खोल कर देखा तो एक डिब्बे में खुले बालों वाली विग थी। तो दूसरे डिब्बे में जो विग थी उसमें पहले से ही जूड़ा बना हुआ था। ये देख कर मैं काफी खुश हुई।

मैंने जल्दी से जूड़े वाली विग पहन ली। विग के साथ मिले मैनुअल में जैसे बताया था, ठीक वैसे ही मैंने उसकी क्लिप्स भी फिक्स कर दी। विग बिल्कुल अच्छी तरह मेरे बालों के साथ जुड़ गई। फिर मैंने बाकी सामान देखा। उसमें एक लाल रंग के चूड़े का डिब्बा था और एक छोटे थैले में हल्के भूरे रंग की हील्स वाली सैंडल थी। हील्स की ऊंचाई करीब ढाई तीन इंच थी।

मैंने जल्दी से अपने हाथों में पहनी चूड़ियां उतारी और उनकी जगह ये नया लाल रंग का चूड़ा पहन लिया। चूड़ा मैंने पहली बार पहना था, इसलिए मुझे काफी अच्छा लग रहा था। ये मेरे आधे बाजुओं तक था। जो मुझे एक नया और बेहद अच्छा अनुभव दे रहा था।

फिर मैंने सैंडल पहनी। हील्स की वजह से मेरी मेरी गांड थोड़ी बाहर की तरफ हो गई। जो साड़ी में तो कयामत लग रही थी।

अब मैंने खुद को आईने में देखा। उफ्फ! क्या लग रही थी मैं। पता नहीं नितिन आज क्या हाल करेगा मेरा।

नितिन जो सामान लाया था उसमें अब एक मंगलसूत्र और एक सिंदूर ही डिब्बी बची थी। मैंने बाकी के खाली डिब्बे और थैले साइड में रखे और मंगलसूत्र और सिंदूर की डिब्बी लेकर बाहर हॉल में नितिन के पास चली गई।

बाहर जाकर देखा तो टेबल पर एक विस्की की बॉटल, कॉक, सोडा और पानी की बॉटल, 2 ग्लास पड़े थे। और प्लेट में कुछ स्नैक्स थे। एक ग्लास विस्की से भरा था। पास में ही देखा तो 3 कॉन्डम के पैकेट और एक लुब्रिकेंट की शीशी पड़ी थी। अब मुझे समझ में आया कि नितिन ने तीसरा थैला मुझे क्यों नहीं दिया था।

देख कर लग रहा था कि नितिन एक या दो पेग पी चुका था। क्योंकि उसका ग्लास अभी भी भरा हुआ था। मुझे देखते ही नितिन के मुंह से निकला wow!

नितिन: क्या लग रही हो बेबी। मेरी तो नीयत खराब हो रही तुम्हें देख कर।

दिशा: आपकी नीयत खराब करने के लिए ही तो तैयार हुई हूं इतनी देर तक।

मैंने मंगलसूत्र और सिंदूर की डिब्बी टेबल पर रख दी।

नितिन: आओ बैठो। अगला पेग अब साथ में उठाएंगे।

और वो बॉटल उठा कर दूसरे ग्लास में पेग बनाने लगा।

दिशा: मैं गैर मर्द के साथ शराब नहीं पीती।

नितिन: रुको अभी तुम्हारी मांग में सिंदूर भरकर तुम्हें अपना बनाता हूं।

दिशा: 2 मिनट रुको, ऐसे नहीं।

मैं किचन में गई और वहां से एक कैंडल और माचिस लेकर आई। हॉल में मैंने कैंडल जला कर रख दी। फिर मैंने और नितिन ने कैंडल के 7 फेरे लिए। और उसके बाद नितिन ने मुझे मंगलसूत्र पहनाया और मेरी मांग में सिंदूर भर दिया।

अब नितिन ने मुझे अपनी पत्नी बना लिया था। अब मैं दिशा से नितिन की पत्नी आरती बन चुकी थी। मैंने नितिन के पैर छू कर उनका आशीर्वाद लिया।

नितिन ने मुझे उठाया और मेरे होंठो पर एक प्यारा सा किस किया। उन्होंने शराब पी रखी थी, इसलिए हल्की सी शराब की स्मेल आई। पर मुझे अजीब नहीं लगा क्योंकि मुझे शराब पीने का अनुभव था और ये स्मेल मेरे लिए नई नहीं थी। और ये बात नितिन को भी पता थी कि मुझे शराब से नफरत नहीं है। नहीं तो शायद वो शराब लेकर ही ना आते।

नितिन ने कैंडल बुझाई। फिर मुझे अपनी गोद में उठा कर सोफे पर जाकर बैठ गए। मैं उनकी गोद पर ही बैठी थी। नितिन की छाती से चिपकी हुई थी और मेरा मुंह उनके मुंह के बिल्कुल पास था।

तभी नितिन बोले: तुम्हें पता है कि मैंने तुम्हें आरती (नितिन की बीवी) क्यों बनाया? और मैं क्यों तुम्हें आरती बना कर चोदना चाहता हूं?

मैं: क्यों?

नितिन: क्योंकि वो ना तो मेरा लंड चूसती है और ना ही गांड में लेती है।

नितिन की ये बात सुन कर मुझे थोड़ी हंसी आ गयी। मैं हंसने लगी तो नितिन ने मेरे लिप्स अपने लिप्स से दबा दिए। करीब 10 सेकंड तक दबाए रखे। उसके बाद चूसने लगे तो मैंने चूसने नहीं दिए और छुड़ा लिए।

मैं बोली: हट पागल। सारी लिपस्टिक खराब कर दी।

नितिन: अच्छा जी। तो फिर लगाई ही क्यों हैं? मैं नहीं खराब करूंगा तो कौन करेगा?

मैंने हंसते हुए खुद अपने लिप्स नितिन के लिप्स पर रख दिये और खुद किस करने की शुरुआत कर दी। नितिन मेरा सिग्नल पाकर मेरे लिप्स पर टूट पड़ा।

नितिन अब समझ चूका था कि उसकी पत्नी आरती आज की रात उसे हर तरह का सुख देने के लिए तैयार हो चुकी थी। वो पागलों की तरह मेरे होंठ चूस रहा था। रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था। कभी-कभी तो मेरे लिप्स बहुत जोर से भी काट दे रहा था। मुझे दर्द भी हो रहा था। पर मैं उसे रोकना नहीं चाह रही थी। वो जो कर रहा था, करने दे रही थी।

हमें किसिंग करते हुए शायद 10 मिनट तो हो ही चुके होंगे। मेरे होंठो का सारा रस नितिन पी चुका था। मैंने बिल्कुल डार्क लिपस्टिक लगा रही थी। अब मैं खुद का चेहरा देख तो नहीं पा रही थी, पर अंदाजा लगा रही थी कि मेरे होंठो पर लिपस्टिक का अब एक कतरा भी नहीं बचा होगा। नितिन ने सब साफ कर दिया था।

उसका लंड पूरा तन चुका था जो मुझे अपनी गांड पर फील हो रहा था। अब नितिन थोड़ा रुका तो मुझमें जान आई। मैं उसकी गोद से खिसक कर उसके बगल में ही सोफे पर हांफती हुई लेट गई। वो भी हांफ रहा था।

2-4 मिनट हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे। फिर नितिन उठ कर मेरा पेग बनाने लगा। उसका पेग तो पहले से ही बना हुआ था। मेरे पेग में मैंने उसे सिर्फ कोक ही डालने को कहा। नितिन ने पेग बनाया। फिर हम दोनों ने एक साथ पहला पेग पिया। उसके बाद हम दोनों के बीच 5 मिनट तक कोई बात नहीं हुई। हम दोनों एक दम शांत बैठे रहे। 5 मिनट बाद हमने दूसरा पेग पिया।

दूसरे पेग के बाद मैंने ही शुरुआत की और अपना हाथ पेंट के उपर से ही नितिन के खड़े लंड पर रख दिया। मैं पेंट के ऊपर से ही नितिन का लंड सहलाने लगी। नितिन भी आहें भर रहा था।

मैं नितिन का लंड बाहर निकालने के लिए उसकी पेंट की जिप खोलने लगी ही थी कि तभी उसने मेरे हाथ पकड़ कर मुझे रोक दिया।

मैंने पूछा: क्या हुआ?

तो नितिन बोला: क्या मेरी बीवी फीके होंठो से मेरा लंड चूसेगी?

मैं समझ गई कि नितिन के कहने का क्या मतलब था। और उस वक्त मेरा अंदाज़ा बिल्कुल सही था कि नितिन ने मेरे होंठ बिल्कुल साफ कर दिए थे।

मैं नितिन को देख कर हल्का सा मुस्कुराई और बेडरूम में आ गई। यहां मैंने खुद को आईने में देख कर अपनी साड़ी को थोड़ा ठीक किया, और फिर वही लाल लिपस्टिक लगा ली। इस बार भी मैंने लिपस्टिक डार्क ही लगाई। क्योंकि अब तो मुझे पता चल गया था कि ये नितिन को भी पसंद थी।

4-5 मिनट बाद मैं बाहर गई तो नितिन वहां नहीं था। शायद वाशरूम गया था। मैंने देखा तो नितिन ने दोनों ग्लास में पेग बना दिए थे। मैं आज नितिन को पूरा मज़ा देना चाहती थी, और खुद भी पूरा मज़ा लेना चाहती थी। इसलिए मैंने अपना पेग पी लिया। ग्लास में दोबारा पेग बना दिया।

मुझे 4 पेग पीने के बाद ही सुरूर चढ़ने लगता है। इसलिए मैं अब चौथे पेग के बाद ही नितिन के साथ अपना कार्यक्रम शुरू करना चाहती थी। इतने में नितिन भी आ गया।

मैंने मज़ाक में थोड़ा हंसते हुए बोला: पेंट उतार कर ही क्यों नहीं आए? मतलब मुझसे मेहनत करवानी ही है।

नितिन: अच्छा जी। अब मेरी बीवी को अपने पति की पेंट उतारने में भी मेहनत लग रही है। और एक मैं हूं जो तुम्हारी 5 मीटर की साड़ी भी बड़े चाव से उतारना चाहता हूं।

उसके ये बोलते ही हम दोनों हंसने लगे।

मैंने बोला: रुको अभी उतारती हूं‌ मैं भी।मेरा बस चले तो आपको कभी पेंट पहनाऊं ही ना।

और इतना बोलते ही मैंने उसकी पेंट की ज़िप खोल दी, और अंदर हाथ डाल कर अंडरवियर के ऊपर से लंड पकड़ लिया।

नितिन को थोड़ा शराब का नशा भी चढ़ चुका था। उसकी नज़र फिरसे मेरे रसीले होंठों पर थी। वो अपने होंठ मेरे होंठों की तरफ बढ़ा ही रहा था, कि मैंने देख लिया और उसे रोक दिया।

मैंने कहा: अरे बाबा, इस बार मैंने लिपस्टिक आपके होंठों के लिए नहीं, आपके लंड के लिए लगाई है। अगर उससे बच गई, तो चूस लेना।

तो नितिन बोला: अच्छा, चलो लंड को ही सही, पर कम से कम अपने होंठो का रस पिलाओ तो सही।

मैंने हाथ बाहर निकाल कर नितिन को उसका पेग थमाया, और फिर खुद का पेग खत्म किया।

फिर मैंने नितिन की पेंट का बटन खोल कर पेंट और अंडरवियर घुटनों से नीचे सरका दिए। और नितिन को टांगे खोल कर बिठा दिया। और खुद नीचे पैरों के बल पर बैठ गयी।

हील्स पहनने की वजह से मेरा मुंह ठीक लंड के बराबर पहुंच रहा था और मुझे फिलहाल घुटनों के बल बैठने की जरूरत नहीं थी। मेरे लाल होंठो के सामने नितिन का 7 इंच का लंड फड़फड़ा रहा था। मैंने थोड़ा सा मुंह खोल कर अपने होंठ लंड के सुपाड़े पर रखे, और जोर से एक किस किया। मेरे किस करते ही सुपाड़े से एक नमकीन पानी की बूंद मेरे मुंह में टपक पड़ी। मैंने बड़े चाव से उसे पी लिया।

फिर मैं लंड के सुपाड़े पर अपनी जीभ फेरने लगी। जीभ से चाट कर मैंने पूरा सुपाड़ा गीला कर दिया। नितिन आहें भर रहा था जो मुझे सुनाई दे रही थी, और लंड चूसने के लिए प्रेरित कर रही थी। अब मैं पूरा लंड मुंह में ले रही रही थी। कभी चूस रही थी तो कभी चाट रही थी।

जैसा कि मैंने तैयार होते समय आपको बताया था कि मैंने बैकलेस ब्लाउज़ पहन रखा था। और बालों का भी जूड़ा बना हुआ था। तो गांड के ऊपर से गर्दन तक मेरी पूरी पीठ नंगी थी, सिवाए थोड़े से हिस्से के जो ब्लाउज़ से ढक रखा था। नितिन की आंखें मेरी नंगी पीठ का दीदार कर रही थी।

मैं लंड चूसने में व्यस्त थी। लंड चूसते-चूसते मुझे 5-7 मिनट हो चुके थे। तभी नितिन का मर्दाना हाथ मेरी नंगी पीठ लगा। उसका हाथ लगते ही मेरी पूरी बॉडी में करंट दौड़ गया। नितिन ऊपर से नीचे तक मेरी पीठ सहलाने लगा। नीचे मेरा लंड चूसने का कार्यक्रम जारी था।

जैसा कि नितिन ने मुझे बताया था कि उसकी बीवी उसका लंड नहीं चूसती। तो आज उसकी बीवी आरती के रूप में मैं उसे वो सारी खुशियां देना चाहती थी। मैं एक बार केवल चूस कर ही उसके लंड का पानी निकालना चाहती थी। और वो भी मुंह में ही और उसे पी भी जाना चाहती थी। तांकि मेरे पतिदेव को चरमसुख की अनुभूति हो सके।

लंड चूसते हुए मुझे करीब 15 मिनट हो चुके थे। चूंकि वो शराब के नशे में था, इसलिए पानी निकलने में थोड़ा ज़्यादा समय लगने वाला था। नितिन के हाथ मेरी पीठ से नीचे मेरे ब्लाउज़ पर आ चुके थे, और वो ब्लाउज़ के बाहर से ही मेरे बूब्स दबा रहा था।

मैं 15 मिनट से पैरों के बल बैठे-बैठे थक चुकी थी, इसलिए लंड मुंह में लिए हुए ही मैं घुटनों के बल पर हो गई। और लंड चूसना जारी रखा। घुटनों के बल पर बैठने से नितिन को मेरे बूब्स दबाने में अब और आसानी हो गई।

अब मैं घुटनों के बल बैठने से थोड़ा और कंफर्टेबल हो गई थी। इसलिए मैं और जोर से लंड चूसने लगी। लंड बिल्कुल साफ था, एक भी बाल नही था, इसलिए मुझे चूसने में और भी मज़ा आ रहा था।

बीच-बीच में मैं पूरा लंड मुंह में ले रही थी। लंड के निचले हिस्से पर मेरे होंठो की लिपस्टिक का निशान पड़ चुका था। शायद इसी चीज़ के लिए ही नितिन में मुझसे दोबारा लिपस्टिक लगाने की इच्छा जताई थी।

नितिन का लंड चूसने में मुझे इसलिए भी मज़ा आ रहा था क्योंकि वो मुझे सब कुछ मेरे मन से करने दे रहा था। नहीं तो बाकी मर्द लंड चूसते समय सिर पकड़ कर लंड पर दबाते हैं। शायद इसलिए ही औरतें उनके लंड नहीं चूसती। पर नितिन के साथ ऐसा कुछ नहीं था, और उसकी यही खासियत मुझे उसका दीवाना बना रही थी।

अब लंड चूसते हुए मुझे करीब 25 मिनट होने को थे। नितिन अब जोर-जोर आरती-आरती पुकारने लगा था। जोर-जोर से चूसने को बोलने लगा था। मैं समझ गई कि अब उसका लंड कभी भी मेरे मुंह में पानी का फव्वारा छोड़ सकता है। मैं लगातार लंड चूसे जा रही थी।

तभी नितिन का हाथ मुझे मेरे सिर पर महसूस हुआ। नितिन ने मेरे बालों का जूड़ा पकड़ा और मुझे अपने लंड पर दबा दिया। पूरा लंड मेरे मुंह में समा गया। सुपाड़ा मेरे गले तक पहुंच गया। ये सब एक सेकंड में ही हो गया।

बस इतने में ही उसके लंड से स्पर्म की एक गर्म धार मेरे मुंह छूट गई। उसका लंड एक के बाद एक गर्म धार मेरे मुंह में छोड़ता गया। 2-3 धारों में ही मेरा मुंह भर गया। मैं साथ-साथ में पीता चला गया। नमकीन टेस्ट मुझे अच्छा लग रहा था। करीब 7-8 बार उसने अपने गर्म लावे की धार मेरे मुंह में छोड़ी। उसके बाद बिना धार वाले झटके जो खाये, वो अलग। फिर उसने मुझे अपनी पकड़ से आज़ाद कर दिया, और मुझे इसके लिए सॉरी भी बोला।

पर मैंने अभी भी लंड मुंह से बाहर नहीं निकाला था। मैं उसके लंड को साफ करने में जुट गया। मैंने अच्छी तरह चूस और चाट कर उसके लंड को साफ किया। मेरी तरफ से यही उसके सॉरी का जवाब था।

25 मिनट तक उस आदमी ने इतना पेशेंस रखा। जब 25 मिनट बाद उसका लंड पानी छोड़ेगा तो उसका इतना करना तो बनता था। मैंने कुछ नहीं कहा।

मैं नीचे से उठ कर सोफे पर उसके बगल में बैठ गई, और अपना सिर उसकी छाती पर रख दिया। तभी उसका एक हाथ मेरे लिप्स पर आया।

उसने अंगूठे से मेरे होंठों को छूते हुए बोला: आरती! तुमनें कहा था ना कि लंड से बच गई, तो चूस लेना। अब क्या करूं?

मैंने हंसते हुए उसकी छाती से सिर उठाया और होंठ उसके होंठो से सटा दिए। और बोली: लंड भी आपका, होंठ भी आपके और मैं भी आपकी।

इतना कहते ही मैंने होंठो से होंठ चिपका दिए और खुद को उसके हवाले कर दिया।

आज के लिए बस इतना ही, क्योंकि कहानी बहुत लंबी हो चुकी है। आज के लिए बस चुसाई तक ही ठीक है, चुदाई की बात कहानी के अगले पार्ट में करूंगी। उम्मीद करती हूं कि जितना प्यार आपने मेरी कहानी के पिछले दोनों पार्ट को दिया। इसे आप उससे भी ज़्यादा प्यार देंगे।

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