डेरे वाले बाबा जी और सन्तान सुख की लालसा-1

जसवंत उसकी शिफॉन की साड़ी में से झाँक रही उसके छातियों के कटाव पे नज़रें गड़ाये हुए बोला, “आप ज़रा अपनी बेटी पर ध्यान दीजिए। पूजा पढ़ाई में बहुत कमज़ोर है और पिछले दो साल फेल भी हो चुकी है।”

आरती को जसवंत का अपनी छातियों को घूरना बिल्कुल भी नहीं अखरा बल्कि उसने थोड़ा और झुक कर अपनी बाँयी चूंची से अपना पल्लू थोड़ा खिसका दिया और बोली, “सर, वो तो पहले से कमज़ोर है पढ़ाई में, लेकिन स्पोट्‌र्स में अच्छी है। पिछले साल कबड्डी में उसकी वजह से कॉलेज को गोल्ड-मैडल मिला था… याद है ना?”

इस औरत को इतनी स्वच्छँदता से बर्ताव करते देख जसवंत खुश हुआ। वो अपनी आँखें आरती की बाँयी चूंची पे गड़ा कर बोला, “स्पोट्‌र्स में तो वो अच्छी है इसमें कोई शक नहीं आरती जी, पर वो सिर्फ़ पढ़ाई में ही कमज़ोर नहीं बल्कि वो गलत संगत की तरफ जा रही है।” यहाँ जसवंत थोड़ा हिचकिचाते हुए बोला, “मेरा मतलब है कि वो उन लड़कियों के साथ घूमती है जिनका चाल चलन ठीक नहीं। मैं कुछ लड़कियों को पनिश करने वाला हूँ, और पूजा का नाम भी पनिशमेंट लिस्ट में है। मैंने उन लड़कियों के परैंट्स को भी बताया है यह सब और आज आपको बता दे रहा हूँ। आप चाहें तो उसको ठीक कर सकती हैं। मुझे ऐसी लड़कियाँ नहीं चाहिए मेरे कॉलेज में।”

जब आरती ने जसवंत को अपनी चूंची की तरफ घूरते हुए देखा तो उसे खुशी हुई। उसे भी जसवंत एक सजीला और तँदुरुस्त मर्द लगा जिससे आरती की चूत में थोड़ी सी खुजली उठी और उसके निप्पल तन गये और चूंचियाँ थोड़ी कड़क हो गयीं। आरती ने सोचा कि अगर वो चाहे तो कुछ हो सकता है। अगर वो जसवंत को पटा ले तो पूजा तो पनिश होने से बच ही जायेगी पर साथ ही आरती की चूत को भी जसवंत से चुदने को मिल जायेगा। आरती ने इस खेल को कुछ और देर जारी रखने का सोचा और अपने ब्लाउज़ के ऊपर से ही अपनी चूंची को खुजलया जैसे कि उसे खुजली हो रही हो। फिर जसवंत की आँखों में गहरायी तक झाँकते हुए बोली, “अरे सर पूजा अब बच्ची थोड़ी है, अपना भला बुरा वो अच्छे से समझती है। भले वो उन लड़कियों के साथ रहती है जिनका चाल-चलन ठीक नहीं है, लेकिन मेरी बेटी का चाल-चलन तो ठीक है ना?” आरती फिर अपने दोनों हाथ टेबल पे रख के थोड़ा झुकी और अपनी चूचियों का अच्छा नज़ारा जसवंत को दिखाते हुए बोली, “मेरी बेटी ने ऐसा क्या गुनाह किया है जिसके लिए आप उसको पनिश करने वाले हो सर?”

जसवंत को आरती का आचरण देख कर लगा कि वो उसे रिझाने की कोशिश कर रही है। जसवंत एक गरम खून वाला राजपूत था जिसकी बीवी का ४ साल पहले देहाँत हो गया था। वैसे तो उसने अपनी शारीरिक इच्छाओं को काफ़ी काँट्रोल में रखा था और उसके अब तक सिर्फ़ कॉलेज की ही २-३ जवान टीचरों से सम्बंध बने थे पर कभी भी उसने किसी स्टूडेंट की माँ को चोदने की कल्पना नहीं की थी। उसके कॉलेज की टीचरों से सम्बंध भी खतम हो गये थे जब या तो वो शादी कर के नौकरी छोड़ गयीं या उन्हें कहीं और अच्छी नौकरी मिल गयी। पर अब आरती का बर्ताव देख कर उसे लगा कि उसे कोशिश करनी चाहिए। उसे लगा कि आरती जैसी खूबसूरत और सैक्सी औरत के लिए थोड़ा खतरा मोल लिया जा सकता है। जसवंत उठा और आरती के पीछे गया। आरती का ब्लाउज़ पीछे से भी बहुत गहराई तक कटा था और उसकी दूधिया सफ़ेद, गोरी पीठ और सैक्सी कमर देख कर वो और भी उत्तेजित हो गया। जसवंत आरती के बिल्कुल पीछे खड़ा हो कर बोला, “आरती जी यह पूछो कि पूजा क्या नहीं करती? क्लास बँक करके उन लड़कियों के साथ घूमती है जिनके अफेयर्स हैं और कई बार लड़कों के साथ देर तक अकेले कैंटीन के पीछे रहती है।”

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आरती भी खड़ी हो कर जसवंत की तरफ घूम गयी। उसका गोरा-गोरा क्लीवेज और ब्लाउज़ के अंदर से एक चूंची साफ़-साफ़ दिख रही थी। आरती ने नीचे देखा तो जसवंत की पैंट में उभार देख कर समझ गयी कि जसवंत उसकी अदाओं की वजह से गरम हो चुका था। वे दोनों अब एक- दूसरे के बहुत नज़दीक थे। आरती थोड़ी मुस्कुराते हुए बोली, “अरे क्लास तो सभी बँक करते हैं, क्लास बँक किया तो क्या हुआ? और अगर वो लड़कों के साथ बातें करती बैठती है तो इसमे उसपे एक्शन लेने की क्या ज़रूरत है?”

आरती की मादक अदाओं को देख कर जसवंत ने मामला अपने हाथों मे लेने का निश्चय किया और आरती को बाँह से पकड़ कर सोफ़े की और ले गया। आरती ने जसवंत द्वारा अपनी बाँह पकड़े जाने का बिल्कुल विरोध नहीं किया। आरती को सोफे पे बैठा कर वो भी उसके पास बैठ गया और आरती के चेहरे के नज़दीक आ कर बोला, “यहाँ बैठो आरती जी, आप क्यों नहीं समझती कि मैं क्या कहना चाहता हूँ? पूजा वो सब करती है जो गलत लड़कियाँ करती हैं। मैं अब उसको कॉलेज से निकालने वाला हूँ, फिर जो होगा वो आप और आपकी बेटी देख लेना। मेरे पास और कोई चारा नहीं है।” इस कहानी का शीर्षक ’आरती की वासना’ है!

आरती भी अब काफी गरम हो चुकी थी और जसवंत की जाँघ पे हाथ रख कर बोली, “सर मुझे आप यह बताना कि वो उन लड़कों के साथ ऐसा क्या गलत काम करती है? और सर आप उसको कॉलेज से मत निकालना प्लीज़।” अपना निचला होंठ दाँत से हल्के से चबाते हुए आरती आगे बोली, “जसवंत जी आप चाहो तो उसकी हरकतों की सज़ा मुझे देना। आप बोलो मैं क्या करूँ जिससे मेरी बेटी को कॉलेज से नहीं निकालेंगे आप।” इतनी सैक्सी औरत को अपने इतनी नज़दीक पा कर जसवंत के सब्र का बाँध टूटा जा रहा था। उसने आरती का चेहरा अपने हाथों में पकड़ा और बोला, “आपको क्या सज़ा दूँ? खूबसूरत औरतों को मैं कभी सज़ा नहीं देता, बल्कि उन्हें प्यार देता हूँ।” फिर अपने होंठ आरती के होठों पे रख के जसवंत ने उन्हें चूमना शुरू कर दिया। आरती को खड़ी कर के जसवंत ने उसके काँधे पर से उसका पल्लू हटा कर नीचे गिरा दिया। फिर आरती के होंठ चूमते हुए ही उसने आरती की साड़ी उसके पेटीकोट से अलग कर के दूर फेंक दी आरती को दोनों हाथों से थोड़ी दूरी पे पकड़ कर कठोरता से बोला, “लगता है साली छिनाल माँ की छिनाल बेटी है पूजा, बोल क्या सज़ा दूँ तुझे छिनाल। तू भी तेरी बेटी जैसी छिनाल है, मुझे सब खबर है।”

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आरती ने बिल्कुल सोचा नहीं था कि जसवंत इतनी जल्दी यह सब करने लगेगा पर वो जसवंत की हरकतों से खुश थी। फिर भी जानबूझ कर थोड़ी शर्म दिखाते हुए अपनी छातियों को अपने दोनों हाथों से ढक कर बोली, “शी… जसवंत जी आप कितनी गंदी बात करते हैं। आप ऐसा क्यों कह रहे हैं कि पूजा एक वैसी माँ की वैसी बेटी है? मेरी बेटी भी क्या ऐसा बर्ताव करती है जसवंत जी? आप कहते हैं कि आपको सब खबर है… इसका क्या मतलब?”

जसवंत आरती के हाथ उसके सीने से हटा के आरती के निप्पलों को दोनों हाथों की अँगुलियों से मसलने लगा और आरती आहें भरते खड़ी रही। आरती के निप्पलों से खेलते हुए जसवंत ने आरती के ब्लाउज़ के सब हुक खोले और आरती के दोनों मम्मों को हल्के से मसलने लगा। दूसरे हाथ से आरती के पेटीकोट का नाड़ा खोल के जसवंत ने उसे नीचे गिरा दिया। अब आरती जसवंत के सामने सिर्फ ओपन ब्लाउज़, गुलाबी ब्रा पैंटी, और सफ़ेद रंग के पतली हाई हील के सैंडल पहने खड़ी थी। जसवंत आरती का ब्लाउज़ उतार के बोला, “अब जैसे तू बिंदास हो के मेरे हाथों नंगी हुई है वैसे ही तेरी बेटी भी उसके बॉयफ़्रैंड के सामने नंगी होती है… तो तुम माँ बेटी को छिनाल क्यों नहीं कहूँ? रही बात मेरी गँदी बातों की… तो सुन साली! तेरी जैसी औरत को गालियाँ सुनके चुदवाने में ही मज़ा आता है… यह मालूम है मुझे। मुझे खबर है तेरी बेटी उसके यार के साथ क्या-क्या करती है।” आरती भी बेशरम होके जसवंत से लिपट गयी। जसवंत उसको चूमते हुए उसके बदन को मसलने लगा। आरती खुद जसवंत के शर्ट के बटन खोलते हुए बोली, “जसवंत अब आप जो चाहे वो सज़ा दो मुझे, लेकिन मेरी बेटी को कॉलेज से मत निकालना। आप कहते हो कि मेरी बेटी भी ऐसा करती है, क्या यह सच है जसवंत जी?”

जैसे ही आरती ने जसवंत की शर्ट खोल कर उतारी, वैसे ही जसवंत ने भी आरती की ब्रा के हुक खोल कर उसकी ब्रा उतार दी। वो आरती की बड़ी-बड़ी ३६-डी साईज़ की बिना लटके हुए सिधी खड़ी चूचियों को देख कर दंग रह गया। आरती के निप्पल एक दम नोकिले और हल्के ब्राऊन रंग के थे और उनके आस-पास का घेरा २ रुपये के सिक्के के माप का था। असके निप्पलों को चूमते और चूसते हुए जसवंत बोला, “साली पूजा भी एक रंडी है और बहुत चुदवाती है… उसकी चूत देखी तो नहीं मगर मुझे पता है उसका चक्कर है लड़कों से और वो खूब ऐश करती है। सुन आरती अब जब तू इतने प्यार से मुझे समझा रही है तो तेरी बेटी को कॉलेज से नहीं निकालुँगा बल्कि तेरी जवानी से पूजा को सज़ा ना देने की पूरी कीमत वसूल करूँगा।”

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