Delhi Metro Me Mili Hamsafar Hui Hambistar

वो भी बेताब हुई जा रही थी, उसने भी मेरे कपड़े उतारने शुरू कर दिए, पता नहीं कब हम दोनों नंगे हो गये।

कभी मैं उसके गुलाबी होठों को चूसता, कभी कंधों पर काटता तक कभी चूचों को मुँह में भर लेता… क्या रसीले चूचे थे उसके!
ऊपर से उसमें मीठा दूध… स्वर्ग जैसा माहौल हो गया था और उस स्वर्ग में उसकी सिसकारियों की आवाज़ गूँज रही थी जो हमारे जोश को दो गुना कर रही थी।

जब उसने मेरा लन्ड देखा तो देखती ही रह गई, जैसे किसी बच्चे को उसका मनचाहा खिलौना मिल गया हो, कभी दायें से कभी बायें
से देखती और फिर एकदम से लन्ड को मुँह में भर कर चूसने लगी।

क्या बताऊँ दोस्तो, क्या आनन्द आ रहा था!
इसका अंदाजा तो वही लगा सकता है जिसने कभी लण्ड चुसवाया हो।

मैं उसके चूचो से खेलता रहा और वो मेरे लन्ड को सुड़प सुड़प कर चूसती रही मानो आज सारा रस पी के ही मानेगी।

अब जब उसका मन लन्ड से भर गया या यूँ कहूँ कि उसकी चूत की आग उसके कंट्रोल से बाहर हो गई तो उसने मुझे सोफे पर लेटने को कहा और खुद मेरा लन्ड पकड़ कर अपनी चूत उस पर टिका कर बैठने लगी पर काफी दिनों से चुदाई न होने की वजह से अंदर जाने में थोड़ा अटक रहा था।

उसकी आँखों में आंसू थे पर दर्द के या ख़ुशी के… मुझे नहीं पता पर वो लगातार लन्ड को अपने अंदर समेटने की कोशिश में लगी हुई थी।

यह कहानी भी पड़े  पार्क में बैठी लड़की एक बूढ़े से झोंपड़ी में चुदी

अब मैं एक बार थोड़ा पीछे को हुआ और एक जोर का झटका लगाते हुए आधा लन्ड उसके अंदर घुसा दिया।
उसको थोड़ा दर्द हुआ तो उसने रुकने का इशारा किया और फिर गांड हिला हिला कर मजे लेने लगी।

अब मैंने एक और झटका लिया और बचा हुआ लन्ड एक झटके में उसकी कोमल चूत में समा गया।
अब की बार उसकी चीख निकल गई पर दर्द में जो मजा उसको मिला उसको बिना एक पल गंवाये उसने एन्जॉय करना शुरू कर दिया।
वो नशे में तरह तरह की आवाज़ें निकाल रही थी, कभी वो कहती ‘चोद दे मुझे… कुतिया बना ले अपनी… चूत को फाड़ के बेहाल कर दे आज… आहहह हहहह ओहहह… चोद मुझे फाड़ इस रंडी की चूत को!

उसकी और तरह तरह की गालियाँ इस चुदाई के माहौल को और खूबसूरत बना रही थी।

अब उसको गांड मरवाने को सूझी तो वो कुतिया बन कर मेरे सामने आ गई।
मैंने भी बिना कुछ सोचे समझे लन्ड उसकी गांड में उतार दिया।
दर्द तो हुआ उसको पर उस चुदाई की मस्ती के सामने हर दर्द छोटा था।

उसके हिलते हुए चुचो में से कभी कभी तो दूध की बूंदें टपक पड़ती, लन्ड का माल मैं कभी उसके मुंह में निकलता तो कभी उसके रसीली चूचियों पर!

चुदाई का यह खेल पूरी रात चलता रहा!
वो कितनी बार चुदी… ना मैंने गिना न उसने!
पर उसके चेहरे की चमक बता रही थी कि वो इस चुदक्कड़ खेल से काफी खुश थी।

दो दिनों में मैंने उसको कई बार चोदा, जब तक उसके घर वाले नहीं आये, मैं उसी के घर पर था और चुदाई के खेल को खेलता रहा।
बाद में भी हम कई बार मिले और चुदाई भी की।

यह कहानी भी पड़े  मेरी सहेली के बेटे ने परम सुख दिया

आशा करता हूँ इस बार भी आपके लन्ड और चूत को यह सेक्सी चुदाई की घटना पसन्द आई होगी।
क्या मैं आपके लन्ड और चूत को सन्तुष्ट करने में सफल रहा?
मुझे एक मेल ज़रूर भेजिएगा।

Pages: 1 2 3 4



error: Content is protected !!